सबरीमाला मंदिर विवाद, कितनी आसà¥à¤¥à¤¾ कितना षडà¥à¤¯à¤‚तà¥à¤°
Author
Rajeev ChoudharyDate
03-Dec-2019Category
लेखLanguage
HindiTotal Views
882Total Comments
1Uploader
RajeevUpload Date
03-Jan-2019Download PDF
-0 MBTop Articles in this Category
- फलित जयोतिष पाखंड मातर हैं
- राषटरवादी महरषि दयाननद सरसवती
- राम मंदिर à¤à¥‚मि पूजन में धरà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤°à¤ªà¥‡à¤•à¥à¤·à¤¤à¤¾ कहाठगयी? à¤à¤• लंबी सियासी और अदालती लड़ाई के बाद 5 अगसà¥à¤¤ को पà¥
- सनत गरू रविदास और आरय समाज
- बलातकार कैसे रकेंगे
Top Articles by this Author
- राम मंदिर à¤à¥‚मि पूजन में धरà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤°à¤ªà¥‡à¤•à¥à¤·à¤¤à¤¾ कहाठगयी? à¤à¤• लंबी सियासी और अदालती लड़ाई के बाद 5 अगसà¥à¤¤ को पà¥
- साईं बाबा से जीशान बाबा तक कà¥à¤¯à¤¾ है पूरा माजरा?
- शरियत कानून आधा-अधूरा लागू कयों
- तिबà¥à¤¬à¤¤ अब विशà¥à¤µ का मà¥à¤¦à¥à¤¦à¤¾ बनना चाहिà¤
- कà¥à¤¯à¤¾ आतà¥à¤®à¤¾à¤à¤‚ अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ में बोलती है..?
2 जनवरी की सà¥à¤¬à¤¹ हर रोज की तरह ठंड थी पर अचानक माहौल तब गरमा गया जब ये खबर आई कि केरल के सबरीमाला मंदिर में à¤à¤¾à¤°à¥€ विरोध के बीच 50 वरà¥à¤· से कम उमà¥à¤° की दो महिलाओं ने पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ कर इतिहास रच दिया। बिंदॠऔर कनकदà¥à¤°à¥à¤—ा नाम की इन दो महिलाओं ने आधी रात को मंदिर की सीà¥à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ चà¥à¤¨à¥€ शà¥à¤°à¥‚ की और मà¥à¤‚ह अà¤à¤§à¥‡à¤°à¥‡ à¤à¤—वान के दरà¥à¤¶à¤¨ किà¤. इसके बाद बà¥à¤¤à¥‡ विवाद की आशंका को देखते हà¥à¤ मंदिर को अगले 2 दिन के लिठबंद कर दिया गया है।
पिछले काफी समय से सबरीमाला मंदिर विवाद देश की सà¥à¤°à¥à¤–ियाठबना हà¥à¤† है। जिसमें आसà¥à¤¥à¤¾ हैं, कोरà¥à¤Ÿ और महिलाà¤à¤‚ हैं, दिखने में तो ये इस मà¥à¤¦à¥à¤¦à¥‡ के मूल विषय है, लेकिन इसमें राजनीति और षडà¥à¤¯à¤‚तà¥à¤° से à¤à¥€ इंकार नहीं किया जा सकता। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि मनà¥à¤¦à¤¿à¤° में अनà¥à¤¦à¤° जाने का आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ चला कौन रहे है? रेहाना फातिमा नाम की मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® महिला और रोज मैरी नाम की ईसाई महिला। महिलाओं के पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ के नाम पर चल रहे इस मंदिर में à¤à¤¸à¤¾ कà¥à¤¯à¤¾ है कि ईसाई और इसà¥à¤²à¤¾à¤® धरà¥à¤®à¥‹à¤‚ को मानने वाले तथाकथित विचारक à¤à¥€ मंदिर में घà¥à¤¸à¤¨à¥‡ को लालायित हैं?
इसके लिठसबसे पहले केरल का धारà¥à¤®à¤¿à¤• संतà¥à¤²à¤¨ समà¤à¤¨à¤¾ होगा और इस बात से शायद कोई अनजान नहीं होगा कि सतà¥à¤¤à¤° के दसक से ईसाई और इसà¥à¤²à¤¾à¤® के मानने वाले के लिठधरà¥à¤®à¤¾à¤‚तरण की सबसे उपजाऊ जमीन बनी हà¥à¤ˆ है। धरà¥à¤®à¤¾à¤‚तरण की जमीन में सबरीमाला मंदिर सबसे बड़ी रà¥à¤•à¤¾à¤µà¤Ÿ बना हà¥à¤† खड़ा है। इसलिठइस मामले को à¤à¤¸à¥‡ समà¤à¤¿à¤¯à¥‡ कि मंदिर में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ पाने के पीछे नीयत धारà¥à¤®à¤¿à¤• नहीं, बलà¥à¤•à¤¿ यहां के लोगों की मंदिर के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ सदियों पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ धारà¥à¤®à¤¿à¤• आसà¥à¤¥à¤¾ परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ को तोड़ना है। इस कारण बार-बार नये तमाशे लेकर सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ लोगों की आसà¥à¤¥à¤¾ को चोट पहà¥à¤‚चाने का काम चल रहा है। कारण सबरीमला उन मंदिरों में से हैं जहाठजातीय à¤à¥‡à¤¦à¤à¤¾à¤µ नहीं है। इस मंदिर के रिवाज अनूठे और अलग है, यहां दरà¥à¤¶à¤¨ के दौरान à¤à¤•à¥à¤¤ गà¥à¤°à¥à¤ª बनाकर पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ करते हैं। à¤à¤• दलित à¤à¥€ इस पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ को करवा सकता है और अगर उस समूह में कोई बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ है तो वह à¤à¥€ उसके पैर छूता है। इस जाति विहीन वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ का नतीजा है कि इलाके के दलितों और आदिवासियों के बीच मंदिर को लेकर अटूट आसà¥à¤¥à¤¾ है और यही आसà¥à¤¥à¤¾ इन धरà¥à¤®à¤¾à¤‚तरण के खिलाफाओं के रासà¥à¤¤à¤¾ का काà¤à¤Ÿà¤¾ बनी हà¥à¤ˆ है।
बताया जाता है कि यहाठजब कोई दीकà¥à¤·à¤¾ लेता है तो उसे सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ कहा जाता है। यानी अगर कोई रिकà¥à¤¶à¤¾à¤µà¤¾à¤²à¤¾ दीकà¥à¤·à¤¾ ले तो उसे रिकà¥à¤¶à¥‡à¤µà¤¾à¤²à¤¾ बà¥à¤²à¤¾à¤¨à¤¾ पाप होगा इसके बजाय वो सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ कहलायेगा। इस परंपरा ने à¤à¤• तरह से सामाजिक कà¥à¤°à¤¾à¤‚ति का रूप ले लिया। मेहनतकश मजदूरी करने वाले और कमजोर तबकों के लाखों-करोड़ों लोगों ने मंदिर में दीकà¥à¤·à¤¾ ली और वो सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ कहलाये।
ये तो थी आसà¥à¤¥à¤¾ अब षडà¥à¤¯à¤‚तà¥à¤° ये है कि मंदिर के बाहर मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® महिलाà¤à¤‚ कतार में खड़ी है, जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ इसà¥à¤²à¤¾à¤® के आरंà¤à¤¿à¤• काल से मसà¥à¤œà¤¿à¤¦ में जाने की इजाजत नहीं है वे मंदिर में जाने का अधिकार मांग रही है। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि वह जानती है कि मंदिर पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¶à¤¨ इसकी अनà¥à¤®à¤¤à¤¿ देगा नहीं और आसानी से यह सनà¥à¤¦à¥‡à¤¶ सà¤à¥€ जगह चला जायेगा कि à¤à¤—वान अयपà¥à¤ªà¤¾ में कोई शकà¥à¤¤à¤¿ नहीं है और वो अब अशà¥à¤¦à¥à¤§ हो चà¥à¤•à¥‡ हैं। अगर सबरीमला की इस पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ परंपराओं को तोड़ दिया गया तो धरà¥à¤®à¤¾à¤‚तरण करने वाली मिशनरियां अपना पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° आसानी से कर सकेगी। इस वजह से इस मामले में सà¥à¤ªà¤·à¥à¤ रूप से राजनीति और à¤à¤• षडà¥à¤¯à¤‚तà¥à¤° से इनकार नहीं किया जा सकता कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि पेशे से पतà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° कविता जकà¥à¤•à¤², मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® विचारक रेहाना फातिमा, और मैरी सà¥à¤µà¥€à¤Ÿà¥€ यदि सच में महिलाओं के हक की बात करने वाली है तो कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ नहीं अà¤à¥€ तक किसी मसà¥à¤œà¤¿à¤¦ के दà¥à¤µà¤¾à¤° मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® महिलाओं के लिठखटकाये?
यह कोई नई साजिश नहीं है बताया जाता है कि 80 के दशक में 1980 में सबरीमला मंदिर के पà¥à¤°à¤¾à¤‚गण में ईसाई मिशनरियों ने रातों रात à¤à¤• कà¥à¤°à¥‰à¤¸ गाड़ दिया था। फिर उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने इलाके में परचे बांट कर दावा किया कि यह 2000 साल पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ सेंट थॉमस का कà¥à¤°à¥‰à¤¸ है इसलिये यहां पर à¤à¤• चरà¥à¤š बनाया जाना चाहिये। यही नहीं सबरीमाला मनà¥à¤¦à¤¿à¤° की à¤à¤• मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ यह à¤à¥€ कि मंदिर में पूरे विधि-विधान से पूजा करने वालों को मकर संकà¥à¤°à¤¾à¤‚ति के दिन à¤à¤• विशेष चंदà¥à¤°à¤®à¤¾ के दरà¥à¤¶à¤¨ होते हैं और इस दिन यहाठशà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥à¤“ं का बड़ा à¤à¤¾à¤°à¥€ जमावड़ा à¤à¥€ होता है। इसी की देखा-देखी इन धरà¥à¤®à¤¾à¤‚तरण की फसल काटने वालें ने सबरीमला मंदिर के आसपास चरà¥à¤š में à¤à¥€ मकर संकà¥à¤°à¤¾à¤‚ति के दिन फरà¥à¤œà¥€ तौर पर ‘चंदà¥à¤° दरà¥à¤¶à¤¨’ कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® आयोजित कराठजाने लगे।
आज सà¥à¤ªà¥à¤°à¥€à¤®à¤•à¥‹à¤°à¥à¤Ÿ के आदेश के बावजूद à¤à¥€ यह इतना बड़ा मसला इसलिये बना दिखाई दे रहा है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि वो समठरहे हैं कि इस पूरे विवाद की जड़ में नीयत कà¥à¤¯à¤¾ है। इसलिठयह लोग बार-बार इस मà¥à¤¦à¥à¤¦à¥‡ को उबालकर गरà¥à¤® रखना चाहते हैं। सबरीमाला मंदिर विवाद सिरà¥à¤« मंदिर और महिलाओं तक सीमित नहीं हैं इसका दायरा राजनीति और षडà¥à¤¯à¤‚तà¥à¤° तक फैलता है जो लोग आज इस मामले में टीवी पर बैठकर आसà¥à¤¥à¤¾ से तरà¥à¤• करना चाहते है तो उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ समà¤à¤¨à¤¾ होगा कि कà¥à¤› आसà¥à¤¥à¤¾ में तरà¥à¤•-वितरà¥à¤• नही चलते, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि यदि à¤à¤• à¤à¥€ दिन टीवी पर खà¥à¤²à¤•à¤° तरà¥à¤•-वितरà¥à¤• हà¥à¤† तो शायद इसà¥à¤²à¤¾à¤®, ईसाई से जà¥à¥œà¥‡ बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤œà¥€à¤µà¥€ à¤à¤• à¤à¥€ तरà¥à¤• के सामना नहीं कर पाà¤à¤‚गे।
हालाà¤à¤•à¤¿ मैं सबरीमाला मंदिर के पà¥à¤œà¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की इस हट से सहमत नहीं हूठकि 10 से 50 वरà¥à¤· के बीच महिलाà¤à¤‚ अपवितà¥à¤° होती है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि सौ अपराध करके à¤à¥€ कोई आदमी अगर अपवितà¥à¤° नहीं और मंदिर जा सकता है तो कोई लड़की सिरà¥à¤«à¤¼ माहवारी की वजह से कैसे अपवितà¥à¤° हो जाती है? मंदिर के पà¥à¤œà¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को अपने तरà¥à¤• बदल लेने चाहिà¤à¥¤ हाठयदि महिलाà¤à¤‚ मंदिर में सà¥à¤µà¤¯à¤‚ ही आने की इचà¥à¤›à¥à¤• नहीं है और जो सà¥à¤ªà¥à¤°à¥€à¤®à¤•à¥‹à¤°à¥à¤Ÿ के फैसले के बावजूद à¤à¥€ अपनी किसी शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ के कारण मंदिर ने नहीं जाना चाहती उन पर दबाव बनाया जाना à¤à¥€ गलत हैं।
देखिठयहां धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ देने वाली बात ये है की महिलाठमहावारी के समय अपवितà¥à¤° नहीं होती और न ही इस मंदिर के पà¥à¤œà¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° अपवितà¥à¤° है यहां ये मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ है की यहां जो पà¥à¤°à¥à¤· 40 दिन के बà¥à¤°à¤¹à¤®à¤šà¤°à¥à¤¯ का पालन करके यहां पूजा करता है तो तो उसका शà¥à¤•à¥à¤° रीॠसे होते हà¥à¤ दिमाग़ मे पीयूष गà¥à¤°à¤‚थि मे चला जाता है जिससे उस पà¥à¤°à¥à¤· के जà¥à¤žà¤¾à¤¨ के पट खà¥à¤² जाते है और अगर यहां महिलाठजाती है तो उनका खून जो केवल बाहर निकलने के लिठबना था वो दिमाग़ मे चला जायगा जो उनके लिठखतरनाक होगा और अनेको बीमारिया घर कर जाà¤à¤—ी... पà¥à¤°à¥à¤· के साथ à¤à¤¸à¤¾ नहीं होता कà¥à¤¯à¥‚ंकि शà¥à¤•à¥à¤° को शरीर मे पचाया à¤à¥€ जा सकता है और बाहर à¤à¥€ निकला जा सकता है