ईशà¥à¤µà¤° सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ वेदमनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में निहित à¤à¤¾à¤µà¥‹à¤‚ से सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ व उपासना का पातà¥à¤°
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Manmohan Kumar AryaDate
15-Jan-2019Category
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HindiTotal Views
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Vikas KumarUpload Date
15-Jan-2019Download PDF
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ईशà¥à¤µà¤° संसार के सà¤à¥€ लोगों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ का पातà¥à¤° है। à¤à¤¸à¤¾ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ है? इसका उतà¥à¤¤à¤° है कि उसने जीवों को सà¥à¤– देने के लिये बिना कोई मूलà¥à¤¯ लिठयह सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° सà¥à¤–ों से à¤à¤°à¤ªà¥‚र संसार को बनाया है। संसार को ही उसने नहीं बनाया अपितॠमनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ संसार में सà¥à¤–ों का à¤à¥‹à¤— करने के लिये सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को शरीर व इनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ की हैं। 10 जà¥à¤žà¤¾à¤¨ à¤à¤µà¤‚ करà¥à¤® इनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के अतिरिकà¥à¤¤ अनà¥à¤¤à¤ƒà¤•à¤°à¤£ चतà¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¯ के चार करण मन, बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿, चितà¥à¤¤ व अहंकार à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ किये हैं जो अपना-अपना काम करते हैं। हमारा शरीर कितना जटिल है इसका अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ शायद हम नहीं लगा सकते? इसका कà¥à¤›-कà¥à¤› अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ शरीर शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ डाकà¥à¤Ÿà¤° व वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• ही लगा सकते हैं जो शरीर को सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ रखने के लिये निरनà¥à¤¤à¤° अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ व अनà¥à¤¸à¤‚धान करते रहते हैं। आज विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ चरम सीमा पर पहà¥à¤‚च कर à¤à¥€ यह दावा नहीं कर पा रहा है कि उसने हमारे शरीर को पूरà¥à¤£à¤¤à¤ƒ जान ओर समठलिया है। इसी बात से शरीर की जटिलता का पता चलता है। इसमें यदि कहीं जरा सी à¤à¥€ à¤à¥‚ल चूक से कोई विकृति हो जाये तो हमारा जीवन दà¥à¤ƒà¤–ों से à¤à¤° जाता है। हम जानते हैं कि शरीर में छोटी-छोटी विकृतियां होने पर मनà¥à¤·à¥à¤¯ डाकà¥à¤Ÿà¤°à¥‹à¤‚ के पास जाकर उपचार कराते हैं और उनकी औषधियों के पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ से अनेक नये रोग और हो जाते है। शरीर की à¤à¤• आंख तो कà¥à¤¯à¤¾ à¤à¤• नखून व बाल जैसी सामानà¥à¤¯ चीज à¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ बना नहीं सकता। यदि किसी गरीब वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ से à¤à¥€ कहा जाये कि आप लाखों रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ लेकर अपनी à¤à¤• आंख दे दो तो शायद कोई à¤à¥€ तैयार न हो। जब à¤à¤• आंख à¤à¥€ लाख व करोड़ रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ की सà¥à¤²à¤ नहीं है तो शरीर के मूलà¥à¤¯ का अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ लगाया जा सकता है। वसà¥à¤¤à¥à¤¤à¤ƒ मानव शरीर ही नहीं पशà¥, पकà¥à¤·à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के शरीर और इनके à¤à¤°à¤£ पोषण के लिये परमातà¥à¤®à¤¾ ने जो वनसà¥à¤ªà¤¤à¤¿ जगत, ओषधियां, अनà¥à¤¨, फल व दà¥à¤—à¥à¤§à¤¾à¤¦à¤¿ आदि पदारà¥à¤¥ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ किये हैं उसके लिये निशà¥à¤šà¤¯ ही ईशà¥à¤µà¤° सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ की सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ का पातà¥à¤° है। यदि हम ईशà¥à¤µà¤° की सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿, पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ व उपासना करते हैं तो हम उसके कृतजà¥à¤ž होते हैं और यदि नहीं करते तो अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ व अहंकारी होते हैं। शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में ठीक ही कहा है कि अहंकारी का नाश हो जाता है। रावण, कंस और दà¥à¤°à¥à¤¯à¥‹à¤§à¤¨ आदि सब अहंकारी थे। इनका हशà¥à¤° हम रामायण और महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ में पà¥à¤¤à¥‡ व सà¥à¤¨à¤¤à¥‡ आये हैं। राम, कृषà¥à¤£ व दयाननà¥à¤¦ जी आदि विदà¥à¤¯à¤¾, जà¥à¤žà¤¾à¤¨, दया, विनमà¥à¤°à¤¤à¤¾ आदि गà¥à¤£à¥‹à¤‚ से यà¥à¤•à¥à¤¤ थे, इसी कारण उनका यश आज à¤à¥€ है और विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ में तो हमेशा ही रहेगा। यह à¤à¥€ बता दें कि मनà¥à¤·à¥à¤¯ सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ से अलà¥à¤ªà¤œà¥à¤ž है। उसे चतà¥à¤° व चालाक लोग बहका व फà¥à¤¸à¤²à¤¾ लेते हैं जिस कारण वह अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ से गà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤ होकर वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚जा, मिथà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥‚जा, जड़पूजा आदि में पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤ हो जाता है। यहां तक कि अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¤à¤¾à¤µà¤¶ अपने को बड़ा और दूसरों को तà¥à¤šà¥à¤› समà¤à¤¤à¤¾ है। इसके उदाहरण आज के समाज में पà¥à¤°à¤šà¥à¤°à¤¤à¤¾ से देखे जा सकते हैं।
ईशà¥à¤µà¤° ने जो यह महान सृषà¥à¤Ÿà¤¿ हमारे लिठबनाई है वह à¤à¥€ कोई छोटा कारà¥à¤¯ नहीं है। संसार में ईशà¥à¤µà¤° के अतिरिकà¥à¤¤ कोई सृषà¥à¤Ÿà¤¿ नहीं बना सकता। आप कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ कीजिठकि यदि ईशà¥à¤µà¤° ने सृषà¥à¤Ÿà¤¿ न बनाई होती तो हमारा वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ व à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ कà¥à¤¯à¤¾ होता? हम मूरà¥à¤›à¤¿à¤¤ सी अवसà¥à¤¥à¤¾ में कारण-पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ में पड़े होते। न हमारा जनà¥à¤® होता, न हमें कोई सà¥à¤– मिलता और न तब हम आज जो बड़े बड़े ईशà¥à¤µà¤° सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿, अगà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤°-यजà¥à¤ž, परोपकार, देश सेवा तथा मानव मातà¥à¤° की à¤à¤²à¤¾à¤ˆ के काम विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ व अनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से करते हैं, वह à¤à¥€ न कर पाते। इन अचà¥à¤›à¥‡ कारà¥à¤¯à¥‹ को करने से हमें जो सà¥à¤– पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है वह à¤à¥€ न होता। अतः हमारे सà¤à¥€ सà¥à¤–ों का कारण व आधार परमातà¥à¤®à¤¾ ही है। उसी की हमें सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿, पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾, à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ व उपासना करनी है। हम जब à¤à¥€ कोई काम करते हैं तो उसे विधिपूरà¥à¤µà¤• करते हैं जिससे उसमें कोई तà¥à¤°à¥à¤Ÿà¤¿ रहकर उससे उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ की पूरà¥à¤¤à¤¿ में अनरà¥à¤¥ न हो जाये। इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° ईशà¥à¤µà¤° की सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿, पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ व उपासना करते हà¥à¤ हमें सजग रहना है जिससे उसमें विधि विषयक कोई कमी न रहे। यदि हम थोड़े से à¤à¥€ बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ हैं या अपने को बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ समà¤à¤¤à¥‡ हैं तो हमें अपने मत व समà¥à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯ की à¤à¤• à¤à¤• मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ की सूकà¥à¤·à¥à¤® परीकà¥à¤·à¤¾ वा शलà¥à¤¯ परीकà¥à¤·à¤¾ करनी चाहिये जिससे हमारे सà¤à¥€ कारà¥à¤¯ व वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° सतà¥à¤¯ व शà¥à¤ परिणाम देने वाले हों। यदि हम आंखे मूंद कर अपने मत की मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं की परीकà¥à¤·à¤¾ किठबिना उनका आचरण करते हैं तो परमातà¥à¤®à¤¾ पà¥à¤°à¤¦à¤¤à¥à¤¤ हमारी बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ वà¥à¤¯à¤°à¥à¤¥ सिदà¥à¤§ होती है। वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤•à¤¤à¤¾ यह है कि हमारी बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ वà¥à¤¯à¤°à¥à¤¥ न होकर हमारा इसका धरà¥à¤® कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में उपयोग न लेना अनà¥à¤šà¤¿à¤¤ होता है। अतः सà¤à¥€ मतानà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को अपने मत की सà¤à¥€ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं की परीकà¥à¤·à¤¾ दूसरे सà¤à¥€ मतों से तà¥à¤²à¤¨à¤¾ करके ही सतà¥à¤¯ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करना चाहिये। हमारा यह नियम होना चाहिये कि हम सतà¥à¤¯ के गà¥à¤°à¤¹à¤£ में ततà¥à¤ªà¤° हों तथा असतà¥à¤¯ का तà¥à¤¯à¤¾à¤— करके दूसरों को à¤à¥€ इससे होने वाले लाà¤à¥‹à¤‚ को बताकर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सà¥à¤– पहà¥à¤‚चाने वाले बने। à¤à¤¸à¤¾ करने से ईशà¥à¤µà¤° हम पर अपने आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦à¥‹à¤‚ की वरà¥à¤·à¤¾ करेंगे और हमारा जीवन सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से दà¥à¤ƒà¤–ों से मà¥à¤•à¥à¤¤ होकर पूरà¥à¤£ सà¥à¤–ी अवसà¥à¤¥à¤¾ में वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ होगा।
ईशà¥à¤µà¤° दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ हमारे व सà¤à¥€ जीवों के लिये इस सृषà¥à¤Ÿà¤¿ को बनाने तथा हमें सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ शरीर पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करने और शरीर बूà¥à¤¾ हो जाने पर वसà¥à¤¤à¥à¤° के समान इसे बदल कर फिर नये वसà¥à¤¤à¥à¤°à¤µà¤¤à¥ नया सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ शरीर देने के लिये हमारी सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ के पातà¥à¤° हैं। यह बात हमारी समठमें आ गई है। अब पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ यह है कि हम ईशà¥à¤µà¤° की सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ कैसे करें? इसके लिये हमें यह पता करना है कि ईशà¥à¤µà¤° ने हमारे करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ कराने के लिये सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के आदि काल से अब तक कà¥à¤› वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ की है व नहीं? इसका उतà¥à¤¤à¤° à¤à¥€ हां में मिलता है। ईशà¥à¤µà¤° ने हमारे करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ कराने के लिये सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के आरमà¥à¤ में चार पवितà¥à¤°à¤¤à¤® ऋषि आतà¥à¤®à¤¾à¤“ं को उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ करके अपने जà¥à¤žà¤¾à¤¨ वेद को उन चार ऋषियों, अगà¥à¤¨à¤¿, वायà¥, आदितà¥à¤¯ व अंगिरा को पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ किया था। उन ऋषियों और बाद के ऋषि व विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ ने पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤ªà¤£ से उस वेद जà¥à¤žà¤¾à¤¨ की रकà¥à¤·à¤¾ की है। महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ काल के बाद विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के आलसà¥à¤¯ व पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤¦ के कारण यह जà¥à¤žà¤¾à¤¨ विलà¥à¤ªà¥à¤¤ हो गया था। ऋषि दयाननà¥à¤¦ ने अपने अपूरà¥à¤µ पà¥à¤°à¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥ से इस जà¥à¤žà¤¾à¤¨ को खोज निकाला और आज पà¥à¤¨à¤ƒ ईशà¥à¤µà¤° का सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के आदि में दिया गया यह समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ हमें सतà¥à¤¯ अरà¥à¤¥à¥‹à¤‚ सहित पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ है। हमें इसका अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ कर इसके महतà¥à¤µ को जानना है। हम इसका अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ कर ईशà¥à¤µà¤°, जीवातà¥à¤®à¤¾ व पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के सतà¥à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ सहित अपने सà¤à¥€ करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को जानें। वैदिक विधि से ही हमें अपने सब काम करने चाहियें। ईशà¥à¤µà¤° का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨, सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾, सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿, पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ व उपासना à¤à¥€ ईशà¥à¤µà¤° दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ दिये वेदमंतà¥à¤°à¥‹à¤‚ व विधि से ही करके कृतारà¥à¤¥ होना चाहिये। ऋषियों ने हमारा यह काम सà¥à¤—म कर दिया है। संसार में मतमतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ के पà¥à¤°à¤®à¥à¤– व गौण गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ सहित अनà¥à¤¯ सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° का जो à¤à¥€ साहितà¥à¤¯ है, वह मनà¥à¤·à¥à¤¯ कृत व मनà¥à¤·à¥à¤¯ रचित है। मनà¥à¤·à¥à¤¯ अलà¥à¤ªà¤œà¥à¤ž होने से जà¥à¤žà¤¾à¤¨ के सूकà¥à¤·à¥à¤® ततà¥à¤µà¥‹à¤‚ को पूरà¥à¤£à¤¤à¤ƒ नहीं जान सकता। किसी महापà¥à¤°à¥à¤· ने कहा है कि हमारा जà¥à¤žà¤¾à¤¨ इतना ही है जितना की समà¥à¤¦à¥à¤° से à¤à¤• लोटे में जल आता है। संसार में अननà¥à¤¤ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ है। कोई à¤à¤• व सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ मिलकर à¤à¥€ समसà¥à¤¤ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ नहीं कर सकते। पूरा वेद à¤à¥€ à¤à¤• जनà¥à¤® में मनà¥à¤·à¥à¤¯ जान नहीं सकता परनà¥à¤¤à¥ अपनी आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° जà¥à¤žà¤¾à¤¨ अवशà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर सकता है। इस विवेचन के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ रचित मत-पनà¥à¤¥ की पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‡à¤‚ ईशà¥à¤µà¤° के जà¥à¤žà¤¾à¤¨ वेद के समकà¥à¤· अलà¥à¤ª महतà¥à¤µ की हैं। सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤• महतà¥à¤µ चार वेदों व उनके यथारà¥à¤¥ व तातà¥à¤µà¤¿à¤• जà¥à¤žà¤¾à¤¨ का ही है। इसीलिये हमें वेदों का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ कर वेदानà¥à¤¸à¤¾à¤° ही ईशà¥à¤µà¤° की सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ व धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ करने सहित अपने सà¤à¥€ करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का पालन à¤à¥€ वेदों की आजà¥à¤žà¤¾ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° करना चाहिये। à¤à¤¸à¤¾ करने पर ही ईशà¥à¤µà¤° की कृपा, आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦ व वरदान हमें पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होगा और हमारा यह जीवन तथा à¤à¤¾à¤µà¥€ पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® में हमारा जीवन सà¥à¤– व कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कराने वाला होगा।
लेख का और अधिक विसà¥à¤¤à¤¾à¤° न कर हम इसे विराम देते हैं। इतना अवशà¥à¤¯ कहेंगे कि हमें वेदों सहित वेद व महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ के गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶, पंचमहायजà¥à¤žà¤µà¤¿à¤§à¤¿, ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦à¤¾à¤¦à¤¿à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯à¤à¥‚मिका, संसà¥à¤•à¤¾à¤°à¤µà¤¿à¤§à¤¿, आरà¥à¤¯à¤¾à¤à¤¿à¤µà¤¿à¤¨à¤¯, गोकरà¥à¤£à¤¾à¤¨à¤¿à¤§à¤¿, वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤°à¤à¤¾à¤¨à¥ à¤à¤µà¤‚ वेदà¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ आदि का शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करना चाहिये और अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ से यà¥à¤•à¥à¤¤ मत-पनà¥à¤¥à¥‹à¤‚ को अधिक महतà¥à¤µ न देकर ईशà¥à¤µà¤°à¥€à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ वेद और ऋषियों के गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ का ही अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करना चाहिये। इसी में हमारा, देश, समाज व मानवता का कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ है। ओ३मॠशमà¥à¥¤
--मनमोहन कà¥à¤®à¤¾à¤° आरà¥à¤¯
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