इसà¥à¤²à¤¾à¤® छोड़ने की सजा
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Rajeev ChoudharyDate
19-Jan-2019Category
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RajeevUpload Date
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इसà¥à¤²à¤¾à¤® छोड़ने की सजा
पिछले कई रोज से यह खबर अंतरà¥à¤°à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ सà¥à¤°à¥à¤–ियाठबटोर रही कि सऊदी अरब की à¤à¤• यà¥à¤µà¤¤à¥€ इसà¥à¤²à¤¾à¤® तथा अपने परिवार से दूर à¤à¤¾à¤—कर आसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‡à¤²à¤¿à¤¯à¤¾ जाने की कोशिश कर रही थी और बैंकॉक के मà¥à¤–à¥à¤¯ à¤à¤¯à¤°à¤ªà¥‹à¤°à¥à¤Ÿ में फंस गई है, अब 18 साल की रहफ मोहमà¥à¤®à¤¦ अल-कà¥à¤¨à¤¨ कह रही है कि अगर वह दोबारा लौट कर अपने परिवार के पास गईं तो इसà¥à¤²à¤¾à¤® तà¥à¤¯à¤¾à¤—ने के कारण उनकी हतà¥à¤¯à¤¾ हो सकती है. हालाà¤à¤•à¤¿ इसà¥à¤²à¤¾à¤® तà¥à¤¯à¤¾à¤— कर à¤à¤¾à¤— रही सऊदी लड़की को कनाडा ने उसे अपने देश में शरण दे दी हैं. दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ के अनेकों विचारक इस विषय पर अपनी गंà¤à¥€à¤° राय रख रहे है कि कà¥à¤¯à¤¾ इसà¥à¤²à¤¾à¤® से बाहर जाने का मौत के अलावा कोई दूसरा विकलà¥à¤ª कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ नहीं है?
सऊदी अरब में इसà¥à¤²à¤¾à¤® तà¥à¤¯à¤¾à¤—ने को à¤à¤• जà¥à¤°à¥à¤® की तरह देखा जाता है, जिसकी सजा मौत होती है. यह कानून छठी-सातवीं शताबà¥à¤¦à¥€ से लागू है जिसका अà¤à¥€ à¤à¥€ पालन जारी है. माना जाता है कि यह वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ कà¥à¤°à¤¾à¤¨ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° है जो सऊदी अरब की धारà¥à¤®à¤¿à¤• वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ का आधार à¤à¥€ है. यह वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ जनà¥à¤® से लेकर मौत तक किसी à¤à¥€ इसà¥à¤²à¤¾à¤® के मानने वाले की जिंदगी के रासà¥à¤¤à¥‡ तय करती है खासकर महिलाओं के मामले में तो इसका बेहद कड़ाई से पालन किया जाता है उनके साथ हर पल à¤à¤• नाबालिग जैसे वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° किया जाता है.
आज जिन लोगों को लगता होगा कि हर किसी को यह अधिकार हासिल है कि वो जिस धरà¥à¤®-मजहब में पैदा हà¥à¤ है उसको छोड़कर किसी दूसरे धरà¥à¤® में आसानी से जा सकते है तो उनके लिठशायद इसà¥à¤²à¤¾à¤® बà¥à¤°à¤¾ सबक होगा कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि इसà¥à¤²à¤¾à¤® शà¥à¤°à¥‚ से ही वन वे सà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤Ÿ की तरह है जिसमें इनà¥à¤¸à¤¾à¤¨ आ तो सकता है लेकिन आसानी से जा नहीं सकता. इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¤¿à¤• मà¥à¤²à¥à¤•à¥‹à¤‚ के जानकर कहते हैं कि कोई à¤à¥€ इनà¥à¤¸à¤¾à¤¨ इसà¥à¤²à¤¾à¤® सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करने के लिठपूरी तरह सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤° है, लेकिन उसे इसà¥à¤²à¤¾à¤® को छोड़ने की सà¥à¤µà¤¤à¤¨à¥à¤¤à¥à¤°à¤¤à¤¾ नहीं है यदि कोई कोशिश करता है तो उसकी सजा मौत है जैसे अब 18 साल की सऊदी लड़की रहफ मोहमà¥à¤®à¤¦ अल-कà¥à¤¨à¤¨ कह रही है कि यदि वह अपने घर वापिस गयी तो उसका परिवार उसकी हतà¥à¤¯à¤¾ कर देगा.
हालाà¤à¤•à¤¿ यह बात सà¤à¥€ जानते है कि अहिंसा, पà¥à¤°à¥‡à¤®, सदà¥à¤à¤¾à¤µ धरà¥à¤® का मूल होता है, समसà¥à¤¤ सà¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ ईशà¥à¤µà¤° की बनाई हà¥à¤ˆ हैं फरà¥à¤• सिरà¥à¤« इतना हà¥à¤† कि बीते दो से तीन हजार सालों में बहà¥à¤¤à¥‡à¤°à¥‡ लोगों ने सोच, समठऔर सनक से मत, पंथ और समà¥à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯ बना डाले इस कारण आज ईशà¥à¤µà¤° को लोग अलग-अलग नामों से मानते हैं. इसमें सोचने की बात यह है कि अगर सà¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ का रचयिता à¤à¤• है तो उसका आदेश अलग-अलग कैसे हो सकता है? मानवता ही हम सबका का पहला धरà¥à¤® है.
पर इसà¥à¤²à¤¾à¤® के संदरà¥à¤ में कà¥à¤¯à¤¾ à¤à¤¸à¤¾ कहा जा सकता है? कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि देश-विदेश से जो à¤à¥€ जानकारी आती है वह इस कथन को उलà¥à¤Ÿà¤¾ कर देती हैं. साल 2015 में बीबीसी ने धारà¥à¤®à¤¿à¤• सà¥à¤µà¤¤à¤¨à¥à¤¤à¥à¤°à¤¤à¤¾ को लेकर बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¥‡à¤¨ के अनà¥à¤¦à¤° à¤à¤• पड़ताल की थी. इस पड़ताल के बाद बीबीसी से जà¥à¥œà¥€ पतà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° समीरा अहमद ने à¤à¤• रिपोरà¥à¤Ÿ जारी करते लिखा था कि बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¥‡à¤¨ के अंदर इसà¥à¤²à¤¾à¤® छोड़ने या छोड़ने का इरादा रखने वाले मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ नौजवानों को धमकियां मिल रही है, उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ डराया जा रहा है और उनका समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ से बहिषà¥à¤•à¤¾à¤° किया जा रहा हैं. बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¥‡à¤¨ के कà¥à¤› शहरी मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ का मानना है कि इसà¥à¤²à¤¾à¤® को छोड़ना गà¥à¤¨à¤¾à¤¹ है और इसकी सजा मौत à¤à¥€ हो सकती है.
उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने लिखा था कि कई मामलों में तो उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ गंà¤à¥€à¤° शारीरिक यातनाओं का à¤à¥€ शिकार होना पड़ रहा है. सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ काउंसिलें à¤à¥€ हैं जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ इस मसले पर कम जानकारी है कि मà¥à¤¸à¥€à¤¬à¤¤ में फंसे इन नौजवानों को कैसे बचाया जाà¤. समीरा ने à¤à¤• चौदह वरà¥à¤· की लड़की का उदहारण देते लिखा था कि लंकाशायर की आयशा सिरà¥à¤« 14 साल की थीं जब उसने इसà¥à¤²à¤¾à¤® को लेकर सवाल करने शà¥à¤°à¥‚ कर दिà¤. वह क़à¥à¤°à¤¾à¤¨ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ कर रही थीं. उसने हिजाब पहनने से मना कर दिया और आख़िरकार फैसला लिया कि वह इसà¥à¤²à¤¾à¤® छोड़ रही हैं. उसके बाद तो घर में हालात बà¥à¤°à¥‡ हो गà¤. उसके पिता ने उसके गले पर चाकू रखकर मारने की धमकी दी और कहा कि अगर वह à¤à¤¸à¤¾ करके परिवार को शरà¥à¤®à¤¿à¤‚दा करती हैं तो वो उसे मार सकते हैं. इसके बाद उसकी बà¥à¤°à¥€ तरह पिटाई की गयी अंत में आयशा को पà¥à¤²à¤¿à¤¸ को बà¥à¤²à¤¾à¤¨à¤¾ पड़ा.
इसी तरह कà¥à¤› समय पहले लेखक तà¥à¤«à¥ˆà¤² अहमद ने à¤à¥€ लिखा था कि मौलिक सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ का हनन और बà¥à¤¤à¥‡ कटà¥à¤Ÿà¤°à¤µà¤¾à¤¦ के कारण à¤à¤¾à¤°à¤¤ में मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ इसà¥à¤²à¤¾à¤® को छोड़ रहे है. बीते 5 सालों से यह चलन बà¥à¤¾ है. यूरोप और अमेरिका में यह टà¥à¤°à¥‡à¤‚ड सबसे अधिक देखा जा रहा है. इसà¥à¤²à¤¾à¤® धरà¥à¤® को छोड़ने वाले मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ सà¥à¤µà¤¯à¤‚ को à¤à¤•à¥à¤¸-मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ पूरà¥à¤µ मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ कहते है. मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® धरà¥à¤® को तà¥à¤¯à¤¾à¤—ने वाले जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° नासà¥à¤¤à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ को अपना रहे है जबकि बड़ी संखà¥à¤¯à¤¾ में लोग हिनà¥à¤¦à¥‚ और बौदà¥à¤§ धरà¥à¤® à¤à¥€ अपना रहे हैं. जैसे जैसे à¤à¤•à¥à¤¸ मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® का टà¥à¤°à¥‡à¤‚ड बà¥à¤¾ है वैसे वैसे इनपर धमकियाठऔर हमले à¤à¥€ बà¥à¥‡ हैं.
आज मà¥à¤¦à¥à¤¦à¤¾ यह नहीं है कि ये धमकियाठऔर हमले कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ बढे है बलà¥à¤•à¤¿ मà¥à¤¦à¥à¤¦à¤¾ यह है कि सातवीं सदी के कानूनों से आज à¤à¥€ लोगों को उसी तरीकों से हांका जा रहा है और धारà¥à¤®à¤¿à¤• सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ देने की बजाय आधà¥à¤¨à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ का घोर विरोधी बनकर आज à¤à¥€ इसà¥à¤²à¤¾à¤® को छोड़ने की सजा रूप में मौत के फरमान सà¥à¤¨à¤¾à¤¯à¥‡ जा रहे हैं. शायद इसी कारण धारà¥à¤®à¤¿à¤• सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ के पकà¥à¤·à¤§à¤° यà¥à¤µà¤¾ इसे नकार रहे हैं
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