“मनà¥à¤·à¥à¤¯ का धरà¥à¤® मनà¥à¤·à¥à¤¯à¤¤à¤¾ के परà¥à¤¯à¤¾à¤¯ शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ गà¥à¤£à¥‹à¤‚ को धारण करना हैâ€
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Manmohan Kumar AryaDate
16-Jan-2019Category
लेखLanguage
HindiTotal Views
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Vikas KumarUpload Date
16-Jan-2019Download PDF
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संसार में अनेक पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ योनियां हैं जिनमें à¤à¤• मनà¥à¤·à¥à¤¯ है। मनà¥à¤·à¥à¤¯ योनि को सबसे शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ योनि कहा जाता है। इसका कारण है कि इसके पास विचार करने के लिठबà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ और बोलने के लिठवाणी हैं। इतना ही नहीं, यह सीधा सिर उठाकर अपने दो पैरों के बल पर चल सकता है और अपने दो हाथों से पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के काम कर सकता है जिसे अनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ नहीं कर सकते। चार वेदों में 20386 मनà¥à¤¤à¥à¤° हैं। इनमें से à¤à¤• मनà¥à¤¤à¥à¤° गायतà¥à¤°à¥€ मनà¥à¤¤à¥à¤° और गà¥à¤°à¥ मनà¥à¤¤à¥à¤° के नाम से पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ है। इस गायतà¥à¤°à¥€ मनà¥à¤¤à¥à¤° में ईशà¥à¤µà¤° से हमें शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ देने की पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ की गई है। इस पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ के कारण ही यह मनà¥à¤¤à¥à¤° à¤à¤• शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ मनà¥à¤¤à¥à¤° कहलाता है। इसका जप करने का à¤à¥€ विधान है। इसके जप करने से मनà¥à¤¦ बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ बचà¥à¤šà¥‡ व यà¥à¤µà¤¾ à¤à¥€ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ बन जाते हैं। इस उपलबà¥à¤§à¤¿ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤ अनेक उदाहरण हैं। आरà¥à¤¯ समाज के विखà¥à¤¯à¤¾à¤¤ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ महातà¥à¤®à¤¾ आननà¥à¤¦ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी के बारे में कथा है कि वह बचपन में मनà¥à¤¦ बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ के बालक थे। उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ à¤à¤• महातà¥à¤®à¤¾ से गायतà¥à¤°à¥€ मनà¥à¤¤à¥à¤° की शिकà¥à¤·à¤¾ मिली जिससे वह बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ बन गये और आज देश सहित विशà¥à¤µ में à¤à¥€ उनका यश वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ है। महातà¥à¤®à¤¾ जी की à¤à¤• दरà¥à¤œà¤¨ से अधिक पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‡à¤‚ आज à¤à¥€ लोग बहà¥à¤¤ रूचि व उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ से पà¥à¤¤à¥‡ हैं और जीवन में आगे बà¥à¤¨à¥‡ की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ लेते हैं।
सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ विरजाननà¥à¤¦ जी का नाम à¤à¥€ जगत विखà¥à¤¯à¤¾à¤¤ है। वह वैदिक आरà¥à¤· वà¥à¤¯à¤¾à¤•à¤°à¤£ के पà¥à¤°à¥‹à¤§à¤¾ और à¤à¤¾à¤°à¤¤ à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ विधाता महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ के विदà¥à¤¯à¤¾à¤—à¥à¤°à¥ थे। वह अपने जनà¥à¤® सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ करतारपà¥à¤°, पंजाब से आतà¥à¤®à¤¿à¤• उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ की खोज में ऋषिकेश आये थे और यहां से कनà¥à¤–ल पहà¥à¤‚चे थे। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने गंगा नदी में खड़े होकर गायतà¥à¤°à¥€ मनà¥à¤¤à¥à¤° से साधना की थी। बाद में यह à¤à¤¸à¥‡ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ बने जिनकी समता का विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ शायद महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ के बाद दूसरा नहीं हà¥à¤†à¥¤ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ जी ने à¤à¥€ इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ वà¥à¤¯à¤¾à¤•à¤°à¤£ का सूरà¥à¤¯ कहकर समà¥à¤®à¤¾à¤¨ दिया है। हमारा यह उलà¥à¤²à¥‡à¤– करने का तातà¥à¤ªà¤°à¥à¤¯ है कि मनà¥à¤·à¥à¤¯ अपनी बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ की उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ कर ही शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ मनà¥à¤·à¥à¤¯ बनता है और शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ आचरण वाला मनà¥à¤·à¥à¤¯ ही मनà¥à¤·à¥à¤¯ कहलाने का अधिकारी होता है। मनà¥à¤·à¥à¤¯ को मनà¥à¤·à¥à¤¯ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ कहते हैं? इसका उतà¥à¤¤à¤° है कि जो मननशील हो, मनन कर सतà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¤¤à¥à¤¯ का निरà¥à¤£à¤¯ करे, सतà¥à¤¯ का गà¥à¤°à¤¹à¤£ और असतà¥à¤¯ का तà¥à¤¯à¤¾à¤— करे, वही सचà¥à¤šà¥‡ अरà¥à¤¥à¥‹à¤‚ में मनà¥à¤·à¥à¤¯ कहलाता है। जो मनà¥à¤·à¥à¤¯ असतà¥à¤¯ का वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° करता है और सतà¥à¤¯ को जानने में पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ ही नहीं करता, जान à¤à¥€ जाये तो à¤à¥€ असतà¥à¤¯ व मिथà¥à¤¯à¤¾ आचरण करता है वह मनà¥à¤·à¥à¤¯ कहलाने का अधिकारी नहीं होता।
सतà¥à¤¯ के विपरीत आचरण करने वाले को पापी कहा जाता है। रावण व कंस की चरà¥à¤šà¤¾ करें तो देश व समाज में इनकी à¤à¤• पापी के रूप में पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§à¤¿ है। दूसरी ओर राम, कृषà¥à¤£ और दयाननà¥à¤¦ जी की पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§à¤¿ à¤à¤• पà¥à¤£à¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¾, महापà¥à¤°à¥à¤·, मरà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤®, योगेशà¥à¤µà¤° व ऋषि के रूप में हैं। ऋषि दयाननà¥à¤¦ में यह सà¤à¥€ गà¥à¤£ विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ थे। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने जिन विपरीत परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में वेदों व विदà¥à¤¯à¤¾ का पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° किया, शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ किये, गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ लेखन किया, मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ की समीकà¥à¤·à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ की, à¤à¤• कौपीन मातà¥à¤° पहन कर अपने जीवन का अधिकांश समय वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ किया, संनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ धरà¥à¤®, बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤šà¤°à¥à¤¯ और योगी की सà¤à¥€ मरà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤“ं का आदरà¥à¤¶ रूप में पालन किया, इसलिये उनके जीवन पर विचार करते हà¥à¤ हमारा मसà¥à¤¤à¤• व हृदय उनके चरणों में सà¥à¤µà¤¤à¤ƒ à¤à¥à¤• जाता है। सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ और ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦à¤¾à¤¦à¤¿à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯à¤à¥‚मिका आदि अनेक गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ उनकी अतà¥à¤¯à¥à¤¤à¥à¤¤à¤® कृतियां हैं। यदि हमें किसी को यह बताना हो कि महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ काल के बाद उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ महापà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ में सरà¥à¤µà¥‹à¤šà¥à¤š महापà¥à¤°à¥à¤· व महा-मानव कौन है तो हमारे जà¥à¤žà¤¾à¤¨ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° वह वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ ऋषि दयाननà¥à¤¦ ही थे।
मनà¥à¤·à¥à¤¯ किसे कह सकते हैं, इसका उलà¥à¤²à¥‡à¤– à¤à¥€ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपने लघॠगà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ सà¥à¤µà¤®à¤¨à¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¤¾à¤®à¤¨à¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ में किया है। हम उनके विचारों को पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ कर पाठकों से निवेदन करेंगे कि इसके à¤à¤• à¤à¤• वाकà¥à¤¯ पर धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ दें और इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ जी के जीवन पर घटायें। हम पायेंगे कि महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ जी ने अपने जीवन में इसका अकà¥à¤·à¤°à¤¶à¤ƒ पालन किया था। उनके शबà¥à¤¦ हैं:
“मनà¥à¤·à¥à¤¯ उसी को कहना कि जो मननशील होकर सà¥à¤µà¤¾à¤¤à¥à¤®à¤µà¤¤à¥ अनà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के सà¥à¤–-दà¥à¤ƒà¤– और हानि-लाठको समà¤à¥‡à¥¤ अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤•à¤¾à¤°à¥€ बलवानॠसे à¤à¥€ न डरे और धरà¥à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¾ निरà¥à¤¬à¤² से à¤à¥€ डरता रहे। इतना ही नहीं किनà¥à¤¤à¥ अपने सरà¥à¤µ सामरà¥à¤¥à¥à¤¯ से धरà¥à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¾à¤“ं कि चाहे वे महा अनाथ, निरà¥à¤¬à¤² और गà¥à¤£à¤°à¤¹à¤¿à¤¤ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ न हों, उन की रकà¥à¤·à¤¾, उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿, पà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤šà¤°à¤£ और अधरà¥à¤®à¥€ चाहे चकà¥à¤°à¤µà¤°à¥à¤¤à¥€ सनाथ, महाबलवानॠऔर गà¥à¤£à¤µà¤¾à¤¨à¥ à¤à¥€ हो तथापि उस का नाश, अवनति और अपà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤šà¤°à¤£ सदा किया करे अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ जहां तक हो सके वहां तक अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤•à¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के बल की हानि और नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤•à¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के बल की उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ सरà¥à¤µà¤¥à¤¾ किया करे। इस काम में चाहे उस को कितना ही दारà¥à¤£ दà¥à¤ƒà¤– पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो, चाहे पà¥à¤°à¤¾à¤£ à¤à¥€ à¤à¤²à¥‡ ही जावें परनà¥à¤¤à¥ इस मनà¥à¤·à¥à¤¯à¤ªà¤¨ रूप धरà¥à¤® से पृथकॠकà¤à¥€ न होवे।“
आजकल सà¤à¥€ मत-मतानà¥à¤¤à¤° सà¥à¤µà¤¯à¤‚ को धरà¥à¤® के नाम से पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ करते हैं। धरà¥à¤® धारण करने योगà¥à¤¯ गà¥à¤£à¥‹à¤‚ व सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ को कहा जाता है। मनà¥à¤·à¥à¤¯ को सतà¥à¤¯ को धारण करना चाहिये। यही उसका धरà¥à¤® है। संसार में à¤à¤¸à¥‡ लोगों को ढूंढना शायद समà¥à¤à¤µ नहीं है जो सतà¥à¤¯ को धारण किये हà¥à¤ हैं और जिनके जीवन में असतà¥à¤¯ का कोई आचरण व वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° नहीं है। सतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤°à¤£ ही सचà¥à¤šà¥‡ व अचà¥à¤›à¥‡ मनà¥à¤·à¥à¤¯ की निशानी है। मननशील होने का अरà¥à¤¥ à¤à¥€ सतà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¤¤à¥à¤¯ को जानना, सतà¥à¤¯ को गà¥à¤°à¤¹à¤£ करना तथा असतà¥à¤¯ का तà¥à¤¯à¤¾à¤— करना है। à¤à¤¸à¤¾ करके मनà¥à¤·à¥à¤¯ वेदाधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ में पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤ होकर वेद की शिकà¥à¤·à¤¾à¤“ं को जानकर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ धारण करने में सकà¥à¤·à¤® होता है। उसी मनà¥à¤·à¥à¤¯ की वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• संजà¥à¤žà¤¾ मनà¥à¤·à¥à¤¯ होती है। अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€, असतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤°à¤£ करने वाले, हिंसक, लोà¤à¥€, दà¥à¤°à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥€ आदि मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को यथारà¥à¤¥ व सचà¥à¤šà¤¾ मनà¥à¤·à¥à¤¯ नहीं कहा जा सकता। वेदों ने कहा है कि ‘‘मनà¥à¤°à¥à¤à¤µ” अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ हे मनà¥à¤·à¥à¤¯ तू यथारà¥à¤¥ वा सचà¥à¤šà¤¾ मनà¥à¤·à¥à¤¯ बन।
हम यह उचित समà¤à¤¤à¥‡ हैं कि सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒ व सायं अपने करà¥à¤®à¥‹à¤‚ व आचरण पर विचार करना चाहिये कि हमने उस दिन जो करà¥à¤® किये थे कà¥à¤¯à¤¾ वह मनà¥à¤·à¥à¤¯ के करने योगà¥à¤¯ थे अथवा उसमें सà¥à¤§à¤¾à¤° की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ है। यदि हम à¤à¤¸à¤¾ करते हैं और अपनी à¤à¥‚लों को सà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¤à¥‡ हैं तो हमें आशा है कि हम आने वाले समय में à¤à¤• अचà¥à¤›à¥‡ मनà¥à¤·à¥à¤¯ बन सकते हैं। इस लेख को हम यहीं विराम देते हैं। ओ३मॠशमà¥à¥¤
-मनमोहन कà¥à¤®à¤¾à¤° आरà¥à¤¯
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