“ईशà¥à¤µà¤° की आजà¥à¤žà¤¾ पालन व उसकी पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ ही मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन का लकà¥à¤·à¥à¤¯â€
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Manmohan Kumar AryaDate
08-Feb-2019Category
लेखLanguage
HindiTotal Views
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Vikas KumarUpload Date
08-Feb-2019Download PDF
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मनà¥à¤·à¥à¤¯ योनि सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€-योनियों में सरà¥à¤µà¤¶à¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ है। इसका कारण यह है कि मनà¥à¤·à¥à¤¯ को परमातà¥à¤®à¤¾ ने बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ व हाथ आदि अंग देने के साथ शरीर की रचना इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की है जिससे वह पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ सà¥à¤µ-इचà¥à¤›à¤¿à¤¤ सà¤à¥€ कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को कर सकता है। मनà¥à¤·à¥à¤¯ जो कारà¥à¤¯ कर सकता है वह अनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ योनियों के शरीरधारी नहीं कर सकते। यह मनà¥à¤·à¥à¤¯ योनि व अनà¥à¤¯ योनियों में अनà¥à¤¤à¤° है। पशॠआदि पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ की à¤à¤¾à¤‚ति बोल नहीं सकते, अपनी वà¥à¤¯à¤¥à¤¾ नहीं बता सकते और न ही अपनी सà¥à¤– सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤“ं के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° अपने लिये घर, वसà¥à¤¤à¥à¤° à¤à¤µà¤‚ à¤à¥‹à¤œà¤¨ ही पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर सकते हैं। परमातà¥à¤®à¤¾ ने हमें मनà¥à¤·à¥à¤¯ योनि इस लिये दी है जिससे कि हम अचà¥à¤›à¥‡, शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ , वेदानà¥à¤•à¥‚ल, पà¥à¤£à¥à¤¯ व परोपकार के करà¥à¤® करें। पहले à¤à¥€ हमने इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के कà¥à¤› व अधिकांश कारà¥à¤¯ किये थे जिस कारण हमें इस जनà¥à¤® में मनà¥à¤·à¥à¤¯ का शरीर व माता-पिता आदि मिले हैं। इस जनà¥à¤® में हमारे जैसे करà¥à¤® होंगे उसी के अनà¥à¤°à¥‚प ही हमारा अगला जनà¥à¤® होगा। यदि हमने लोठव सà¥à¤– सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤“ं का ही वरण किया और वेदानà¥à¤•à¥‚ल परोपकार सहित ईशà¥à¤µà¤° की सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿-पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾-उपासना व यजà¥à¤žà¤¾à¤¦à¤¿ करà¥à¤® नहीं किये तो हमारा अगला जनà¥à¤® जरà¥à¤°à¥€ नहीं की मनà¥à¤·à¥à¤¯ का होगा। यह पूरी समà¥à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ है कि वेद विहित करà¥à¤® न करने पर हमारा व आपका जनà¥à¤® अनेक व असंखà¥à¤¯ पशॠव पकà¥à¤·à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में से किसी à¤à¤• योनि में à¤à¥€ हो सकता है।
à¤à¤• सà¥à¤µà¤¾à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤• पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ यह होता है कि हम ईशà¥à¤µà¤° की उपासना कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ करें? हम अपने वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ जीवन में जिससे कोई लाठव सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करते हैं तो उसे धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ करते हैं। जब हम छोटी-छोटी सेवाओं व कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के लिये दूसरों का धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ कर सकते हैं तो जिस परमातà¥à¤®à¤¾ ने हमें यह मानव शरीर जिसका à¤à¤• अंग à¤à¥€ करोड़ों रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ वà¥à¤¯à¤¯ कर कोई देने को तैयार नहीं होता, वह हमें परमातà¥à¤®à¤¾ से बिना कà¥à¤› à¤à¥à¤—तान किये मिला है। न केवल मानव शरीर ही मिला अपितॠहमारे माता-पिता, à¤à¤¾à¤ˆ-बहिन, दादी-दादा, नानी व नाना à¤à¤µà¤‚ अनà¥à¤¯ परिवारजन जो हमें सà¥à¤¨à¥‡à¤¹ देते हैं, ममता करते हैं, हमारा पोषण करने सहित हमें सà¥à¤– देते हैं, वह सब परमातà¥à¤®à¤¾ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ किये गये हैं। हमारे शरीर में जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व करà¥à¤® करने की जो शकà¥à¤¤à¤¿ है, उसे देने में à¤à¥€ परमातà¥à¤®à¤¾ का ही योगदान व कृपा है। अतः सब मनà¥à¤·à¥à¤¯ व पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ ईशà¥à¤µà¤° के आà¤à¤¾à¤°à¥€ व ऋणी है। ईशà¥à¤µà¤° के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ अपनी कृतजà¥à¤žà¤¤à¤¾ का जà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨ ईशà¥à¤µà¤° के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ सचà¥à¤šà¥‡ à¤à¤¾à¤µà¥‹à¤‚ से उसका धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ व पà¥à¤°à¥‡à¤® à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ का पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ कर ही किया जा सकता है। ईशà¥à¤µà¤° अपनी उपासना करने के लिये किसी को बाधà¥à¤¯ नहीं करता। हम जब किसी से उपकृत होते हैं तो वह हमें यह नहीं कहते कि हमारा धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ करो, हम सà¥à¤µà¤¯à¤‚ ही उनका धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ करते हैं कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि à¤à¤¸à¤¾ करना उचित होता है। अतः परमातà¥à¤®à¤¾ को जानना, उसके गà¥à¤£à¥‹à¤‚ का वरà¥à¤£à¤¨ करना, चिनà¥à¤¤à¤¨ व मनन करना, उसके अनà¥à¤°à¥‚प सà¥à¤µà¤¯à¤‚ को बनाना, कोई असतà¥à¤¯ व दूसरों के अहित का काम न करना, दूसरों को सà¥à¤– देना, परिशà¥à¤°à¤®à¥€ जीवन वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ करना व दूसरों को जà¥à¤žà¤¾à¤¨ देना व सतà¥à¤¯ मारà¥à¤— दिखाना मनà¥à¤·à¥à¤¯ के करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ हैं। à¤à¤¸à¤¾ करने से ही ईशà¥à¤µà¤° का धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ होता है व ईशà¥à¤µà¤° हम पर सà¥à¤– की वरà¥à¤·à¤¾ करते हैं। जो मनà¥à¤·à¥à¤¯ यह कारà¥à¤¯ करता है वह समाज में यश व कीरà¥à¤¤à¤¿ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦, पं. लेखराम, पं. गà¥à¤°à¥à¤¦à¤¤à¥à¤¤ विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€, महातà¥à¤®à¤¾ हंसराज जी, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दरà¥à¤¶à¤¨à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ जी आदि हमारे आदरà¥à¤¶ हैं। हम इन ईशà¥à¤µà¤°à¤à¤•à¥à¤¤ व वेदà¤à¤•à¥à¤¤ महातà¥à¤®à¤¾à¤“ं वा महापà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ के जीवन से पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ लेकर अपने जीवन को उनके जैसा बना सकते हैं। हमें उनके जैसा बनना ही हमारे जीवन की सारà¥à¤¥à¤•à¤¤à¤¾ है।
ईशà¥à¤µà¤° को जानने के लिये वेद व वैदिक साहितà¥à¤¯ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ व सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ à¤à¥€ आवशà¥à¤¯à¤• है। ऋषि दयाननà¥à¤¦ ने ईशà¥à¤µà¤° का सतà¥à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ कराना बहà¥à¤¤ आसान बना दिया है। इसके लिये हमें सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶, आरà¥à¤¯à¤¾à¤à¤¿à¤µà¤¿à¤¨à¤¯, सà¥à¤µà¤®à¤¨à¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¤¾à¤®à¤¨à¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶, आरà¥à¤¯à¥‹à¤¦à¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯à¤°à¤¤à¥à¤¨à¤®à¤¾à¤²à¤¾, आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के नियम आदि गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ को पà¥à¤¨à¤¾ है। पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ à¤à¤• घणà¥à¤Ÿà¤¾ à¤à¥€ यदि हम सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ करें तो इन गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ को पॠसकते हैं और सà¤à¥€ आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤•, सामाजिक व देश के शासन के संचालन वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व अनà¥à¤¯ बहà¥à¤¤ कà¥à¤› जान व पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर सकते हैं। इससे ईशà¥à¤µà¤° के सà¥à¤µà¤°à¥‚प, गà¥à¤£, करà¥à¤® व सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ सहित उपासना करने की विधि का à¤à¥€ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होने सहित उपासना करने की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ मिलती है। अतः हमें सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ की रà¥à¤šà¤¿ बनानी चाहिये और पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ नà¥à¤¯à¥‚नतम à¤à¤• घणà¥à¤Ÿà¤¾ ईशà¥à¤µà¤°à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾, अगà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤°-यजà¥à¤ž आदि करà¥à¤® सहित à¤à¤• घणà¥à¤Ÿà¤¾ व अधिक समय तक सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ अवशà¥à¤¯ करना चाहिये। à¤à¤¸à¤¾ करके आप à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ के वैदिक विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ बन सकते हैं, आपके समसà¥à¤¤ सनà¥à¤¦à¥‡à¤¹ दूर हो सकते हैं, इसके किंचित सनà¥à¤¦à¥‡à¤¹ नहीं है।
यदि हम वेद व वैदिक साहितà¥à¤¯ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करने के साथ ईशà¥à¤µà¤° की उपासना करेंगे तो हमारे सà¤à¥€ दà¥à¤ƒà¤– व कषà¥à¤Ÿ दूर हो जायेगें। हमारा यह जीवन तो सà¥à¤–ी व समà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ होगा ही, हम निरोग व दीरà¥à¤˜à¤¾à¤¯à¥ होंगे और इसके साथ ही हमारा अगला जनà¥à¤® à¤à¥€ सà¥à¤§à¤°à¥‡à¤—ा। अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ से यह कहा जा सकता है कि हमारा अगला जनà¥à¤® व बाद के जनà¥à¤® à¤à¥€ सरà¥à¤µà¤¶à¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ मनà¥à¤·à¥à¤¯ योनि में ही पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होंगे। इतना अधिक लाठजिस कारà¥à¤¯ को करने से हमें होगा, जो लोग उसे नहीं करते व करने को सहमत नहीं होते उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ मूरà¥à¤– व महामूरà¥à¤– ही कहा जा सकता है। यदि हम à¤à¥€ नहीं करते तो हम à¤à¥€ ईशà¥à¤µà¤° के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ कृतघà¥à¤¨ और महामूरà¥à¤– ही सिदà¥à¤§ होते हैं। अतः हमें ईशà¥à¤µà¤° के असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ व सà¥à¤µà¤°à¥‚प सहित अपनी आतà¥à¤®à¤¾ के सà¥à¤µà¤°à¥‚प, अपने अतीत व à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ के जनà¥à¤®à¥‹à¤‚ व सà¥à¤–-दà¥à¤ƒà¤– à¤à¤µà¤‚ हानि लाठपर विचार करना चाहिये। à¤à¤¸à¤¾ करने से हम बाद में पछतायेंगे नहीं और हमारी मृतà¥à¤¯à¥ व जीवन à¤à¥€ सà¥à¤–ों से पूरित होगें। यह अनà¥à¤à¥‚ति वेदाधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ व अनà¥à¤¶à¥€à¤²à¤¨ से जà¥à¤žà¤¾à¤¤ होती है।
वेद ईशà¥à¤µà¤° पà¥à¤°à¤¦à¤¤à¥à¤¤ सतà¥à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ है। ऋषि दयाननà¥à¤¦ ने अपने अमर गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ और ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦à¤¾à¤¦à¤¿à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯à¤à¥‚मिका आदि में इस बात को सतà¥à¤¯ सिदà¥à¤§ किया है। यही कारण था कि सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के आरमà¥à¤ से महाà¤à¤¾à¤°à¤¤à¤•à¤¾à¤² तक के 1.96 अरब वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ से अधिक समय तक पूरे संसार में वैदिक धरà¥à¤® और संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का ही पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° व पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¨ था। आज जो विधरà¥à¤®à¥€ हैं इन सबके पूरà¥à¤µà¤œ वेदों का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ व आचरण करते थे और ईशà¥à¤µà¤° व वेद के à¤à¤•à¥à¤¤ थे। अब अविदà¥à¤¯à¤¾ के कारण वह वेदों व ईशà¥à¤µà¤° के सचà¥à¤šà¥‡ सà¥à¤µà¤°à¥‚प से दूर हो गये हैं। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ जी ने अपने अपूरà¥à¤µ पà¥à¤°à¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥, बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤šà¤°à¥à¤¯ व योग आदि की शकà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से हमें वेदों का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ सà¥à¤²à¤ करा दिया है। हम ऋषि दयाननà¥à¤¦ जी के आà¤à¤¾à¤°à¥€ हैं। विगत 150 वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ में ऋषि दयाननà¥à¤¦ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤¦à¤¤à¥à¤¤ व पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤°à¤¿à¤¤ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ से करोड़ों लोगों ने लाठउठाया है और अपने जीवन को संवारा है। हम à¤à¥€ à¤à¤¸à¤¾ कर सकते हैं।
मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन का उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ ईशà¥à¤µà¤° की वेदों में दी गई शिकà¥à¤·à¤¾ वा आजà¥à¤žà¤¾ का पालन करना है। इसी में हमारा कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ निहित है। दूसरा अनà¥à¤¯ मारà¥à¤— मनà¥à¤·à¥à¤¯ के कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ का नहीं है। आईये, वेद व ऋषियों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¿à¤¤ मारà¥à¤— पर चलने का वà¥à¤°à¤¤ लें। पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ ऋषियों के गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ का सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ करें। सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ का अवशà¥à¤¯ ही अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करें व दूसरों को करने की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ करें। इससे हमें धरà¥à¤® लाठहोगा और हमारा इहलोक व परलोक दोनों संवरेंगे। इति ओ३मॠशमà¥à¥¤
-मनमोहन कà¥à¤®à¤¾à¤° आरà¥à¤¯
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