जगत कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ का à¤à¤• अचà¥à¤›à¤¾ बिल
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Rajeev ChoudharyDate
11-Feb-2019Category
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अकà¥à¤¸à¤° देश में मांसाहारी à¤à¥‹à¤œà¤¨ पर पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¬à¤‚ध को लेकर कोई न कोई बहस चल रही होती है। मांसहार के समरà¥à¤¥à¤• और आलोचक दोनों ही तरह के लोग आमने-सामने à¤à¥€ आते रहते हैं। कई बार अà¤à¤¦à¥à¤° à¤à¤¾à¤·à¤¾ का à¤à¥€ इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² किया जाता है और सरकारों पर दबाव à¤à¥€ बनाया जाता है कि मांसाहारी à¤à¥‹à¤œà¤¨ पर पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¬à¤‚ध लगा देना चाहिà¤à¥¤ हर बार सरकारें असमंजस में à¤à¥€ होती है कि कà¥à¤¯à¤¾ किया जाये, कà¥à¤¯à¤¾ नहीं!
किनà¥à¤¤à¥ इसका हल à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ जनता पारà¥à¤Ÿà¥€ के सांसद पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ साहिब सिंह ने पिछले दिनों लोकसà¤à¤¾ में पेश कर दिया। उनकी तरफ à¤à¤• निजी बिल पेश किया गया जिसमें सरकारी बैठकों और कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤®à¥‹à¤‚ में मांसाहारी à¤à¥‹à¤œà¤¨ परोसने पर पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¬à¤‚ध लगाने की मांग की गई है। अपने बिल पर पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ सिंह ने कहा कि, मांसहारी खादà¥à¤¯ पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ के सेवन से ना केवल जानवरों के साथ दà¥à¤°à¥à¤µà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° और हतà¥à¤¯à¤¾à¤à¤‚ होती हैं, बलà¥à¤•à¤¿ विनाशकारी परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£à¥€à¤¯ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ à¤à¥€ होते हैं। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने इन बिल में संयà¥à¤•à¥à¤¤ राषà¥à¤Ÿà¥à¤° परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® की रिपोरà¥à¤Ÿ का हवाला देते हà¥à¤ बताया कि दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ को जलवायॠपरिवरà¥à¤¤à¤¨ के बà¥à¤°à¥‡ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¥‹à¤‚ से बचाने के लिठपशॠउतà¥à¤ªà¤¾à¤¦ की कम खपत आवशà¥à¤¯à¤• है। मांस उदà¥à¤¯à¥‹à¤— के विनाशकारी पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ है तथा इस उधोग से जानवरों को à¤à¥€ à¤à¥€à¤·à¤£ पीड़ा वेदना से गà¥à¤œà¤°à¤¨à¤¾ पड़ता है।
इसे à¤à¤• अचà¥à¤›à¥€ खबर और बेहतरीन मांग कही जानी चाहिà¤, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि दूसरों को सही रासà¥à¤¤à¥‡ पर लाने से पहले खà¥à¤¦ सही रासà¥à¤¤à¥‡ पर आना जरà¥à¤°à¥€ होता है। सरकारों का दायितà¥à¤µ à¤à¥€ यही बनता है कि पहले सà¥à¤µà¤¯à¤‚ शाकाहार अपनाया जाये बाद में इसके लाठजनता तक पहà¥à¤‚चाठजाये। निसंदेह पशà¥à¤šà¤¿à¤® दिलà¥à¤²à¥€ के à¤à¤¾à¤œà¤ªà¤¾ सांसद पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ साहिब सिंह की इस बिल के पेश करने को लेकर जितनी पà¥à¤°à¤¸à¤‚शा की जाये उतनी कम है। हालाà¤à¤•à¤¿ पिछले वरà¥à¤· मई में रेल मंतà¥à¤°à¤¾à¤²à¤¯ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ à¤à¥€ 2 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर को रेलवे परिसर में नॉनवेज न परोसने की सिफारिश की थी कि गांधी जयंती सà¥à¤µà¤šà¥à¤›à¤¤à¤¾ दिवस के साथ-साथ शाकाहारी दिवस के रूप में à¤à¥€ जाना जाà¤à¤—ा। इससे पहले अपà¥à¤°à¥ˆà¤² 2017 में पशॠपà¥à¤°à¥‡à¤®à¥€ संसà¥à¤¥à¤¾ पेटा दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ à¤à¤¾à¤°à¤¤ के पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ नरेंदà¥à¤° मोदी से पतà¥à¤° के माधà¥à¤¯à¤® से अपील की गयी थी कि सà¤à¥€ सरकारी बैठकों और कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤®à¥‹à¤‚ में सà¤à¥€ तरह के मांसाहार à¤à¥‹à¤œà¤¨ पर रोक लगा दी जाये।
पेटा ने अपने पतà¥à¤° में लिखा था कि पेटा की इस मांग का समरà¥à¤¥à¤¨ करते हà¥à¤ जरà¥à¤®à¤¨à¥€ के परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ मंतà¥à¤°à¥€ ने सरकारी बैठकों में खाने की सूची से मांसाहारी पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ को परोसे जाने को पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¬à¤‚धित कर दिया है। इससे से पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ होकर पेटा ने à¤à¤¾à¤°à¤¤ के पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ मोदी से à¤à¥€ आगà¥à¤°à¤¹ किया था कि इससे गà¥à¤°à¥€à¤¨ हाउस गैसों पर नियंतà¥à¤°à¤£ होगा। साथ ही जलवायॠपरिवरà¥à¤¤à¤¨ के मà¥à¤¦à¥à¤¦à¥‡ से निपटने में à¤à¥€ मदद मिलेगी।
अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦ में à¤à¥€ कहा गया है कि जो मनà¥à¤·à¥à¤¯ घोड़े, गाय आदि पशà¥à¤“ं का मांस खाता है, वह राकà¥à¤·à¤¸ है और यजà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ में कहा गया है कि सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤° को मितà¥à¤° की दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से देखो। किनà¥à¤¤à¥ दà¥à¤–द कि आज à¤à¤¸à¥‡ सà¥à¤‚दर कथनों का पालन नहीं किया जा रहा है। ये जरà¥à¤° है कि दिलà¥à¤²à¥€ सहित पूरे उतà¥à¤¤à¤° à¤à¤¾à¤°à¤¤ में नवरातà¥à¤° और सावन के महीने में बड़ी संखà¥à¤¯à¤¾ में लोग मांसाहार बंद कर देते हैं। पूरà¥à¤µà¥€ उतà¥à¤¤à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ और बिहार में छठके दौरान मांसाहार बंद हो जाता है लेकिन कोई पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¬à¤‚धित नहीं करता। इस तरह की मांग की अपनी à¤à¤• समसà¥à¤¯à¤¾ है। परनà¥à¤¤à¥ लोगों को समà¤à¤¨à¤¾ चाहिठकि यह मामला धारà¥à¤®à¤¿à¤• नहीं है या पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ से जà¥à¥œà¤¾ मामला है जब किसी पशॠको मारा जाता है तब उसे उतनी ही वेदना होती है जितनी किसी मनà¥à¤·à¥à¤¯ को मारने से होती है। पशॠसà¥à¤µà¥‡à¤šà¥à¤›à¤¾ से नहीं मर रहा है। अगर कोई हमें तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ मारता है, तो हम सà¥à¤µà¥‡à¤šà¥à¤›à¤¾ से नहीं मरोगे। जो उस समय हमारे मन पर बीतेगी वही उस समय पशॠके मन पर बीतती हैं। उसके पूरे शरीर पर हिंसा, वेदना, पीड़ा फैल जाती है। उसका पूरा शरीर विष से à¤à¤° जाता है, शरीर की सब गà¥à¤°à¤‚थियां जहर छोड़ती हैं कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि पशॠन चाहते हà¥à¤ à¤à¥€ मर रहा है और फिर जो लोग मांस खाते वही जहरीले à¤à¤¾à¤µ उनके शरीर में चले जाते हैं। वह मनà¥à¤·à¥à¤¯ दिखने में ही मनà¥à¤·à¥à¤¯ रहता है अंदर हिंसा à¤à¤° जाती है और हिंसा कहां वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ हो रही है यह à¤à¥€ छिपा नहीं हैं।
आज लोगों को समà¤à¤¨à¤¾ चाहिठकि हम ऋषि-मà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की संताने है और हमारे ऋषि मà¥à¤¨à¤¿ शाकाहारी थे यही बात पशà¥à¤šà¤¿à¤® के लोगों को à¤à¥€ समठजानी चाहिठकि वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• इस तथà¥à¤¯ को मानते हैं कि मानव शरीर का संपूरà¥à¤£ ढांचा दिखाता है कि वह पूरà¥à¤£à¤¤à¤¯à¤¾ शाकाहारी हैं। इसके अलावा यदि वह डारà¥à¤µà¤¿à¤¨ पर à¤à¤°à¥‹à¤¸à¤¾ करते है और अगर डारà¥à¤µà¤¿à¤¨ सही है तो आदमी को शाकाहारी होना चाहिठकà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि वह आदमी को बनà¥à¤¦à¤° की संतान मानता था और बनà¥à¤¦à¤° मांसाहारी नही होते, बंदर पूरà¥à¤£ शाकाहारी होते हैं। बरहाल मूल विषय और मà¥à¤¦à¥à¤¦à¤¾ यही है कि à¤à¤• मानव होने के नाते हमे मानव समाज में जीना है, à¤à¤• जंगल में नहीं, हमें हिंसा से पà¥à¤°à¥‡à¤® से जीना होगा उसके लिठशाकाहार अपनाना होगा। इसलिठहम सांसद पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ साहिब सिंह का आà¤à¤¾à¤° वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ करते है à¤à¤• किसà¥à¤® से उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने जगत कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ के लिठइस बिल को संसद में पेश किया हैं।
विनय आरà¥à¤¯
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