“कà¥à¤¯à¤¾ हम सà¤à¥€ सà¥à¤µà¤¦à¥‡à¤¶ à¤à¤µà¤‚ मातृà¤à¥‚मि के ऋण से ऋणी हैंâ€
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Manmohan Kumar AryaDate
20-Feb-2019Category
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HindiTotal Views
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Vikas KumarUpload Date
20-Feb-2019Download PDF
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सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ की कोई न कोई मातृà¤à¥‚मि होती है और वह किसी देश का नागरिक à¤à¥€ होता है। देश, मातृà¤à¥‚मि व उसकी जलवायॠका हमारे जनà¥à¤®, जीवन, शरीर के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ व सà¥à¤–ों में बहà¥à¤¤ बड़ा à¤à¤¾à¤— होता है। मातृà¤à¥‚मि चेतन नहीं जड़ है तथापि इसका हमारे जीवन में जो महतà¥à¤µ है, उस कारण हमारा देश और मातृà¤à¥‚मि सà¤à¥€ धरà¥à¤®, मत, समà¥à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯ व मजहब आदि से उपर व महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ होती है। देश है तà¤à¥€ धरà¥à¤® à¤à¥€ है। यदि नहीं होगा तो धरà¥à¤® कहां रहेगा? जनà¥à¤® है तो देश है और देश है तà¤à¥€ हमारा जनà¥à¤® हो सका है। धरà¥à¤® देश के बाद आता है।
संसार में अनेक धरà¥à¤® व मत-मतानà¥à¤¤à¤° हैं। सब मतों की कà¥à¤› मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ व सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ समान होते हैं और कà¥à¤› à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ होते हैं। जो मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ होती हैं उनका ऊहापोह कर सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को उनकी सतà¥à¤¯à¤¤à¤¾ का पता लगाना चाहिये। गणित व विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ विषयों में à¤à¤• ही पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ व विषय में दो परसà¥à¤ªà¤° à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ उतà¥à¤¤à¤° सतà¥à¤¯ नहीं होते। इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ में à¤à¥€ सतà¥à¤¯ व असतà¥à¤¯ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤à¤‚ होती हैं। हमें अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ कर विवेक व विवेचना से सतà¥à¤¯ का पता लगाकर सतà¥à¤¯ को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करना होता है और असतà¥à¤¯ को असà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° व तà¥à¤¯à¤¾à¤— करना होता है। ऋषि दयाननà¥à¤¦ वेदों के विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ थे। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने मानव जाति की उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ के लिठकà¥à¤› आवशà¥à¤¯à¤• नियम दिये हैं।
नियम यह है कि सतà¥à¤¯ के गà¥à¤°à¤¹à¤£ करने और असतà¥à¤¯ का तà¥à¤¯à¤¾à¤— करने में सरà¥à¤µà¤¦à¤¾ उदà¥à¤¯à¤¤ रहना चाहिये। सब काम धरà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¸à¤¾à¤° अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ सतà¥à¤¯ और असतà¥à¤¯ को विचार करके करने चाहियें। अविदà¥à¤¯à¤¾ का नाश और विदà¥à¤¯à¤¾ की वृदà¥à¤§à¤¿ करनी चाहिये। सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को इन नियमों को अपने-अपने धरà¥à¤®, मत, समà¥à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯ व मजहब आदि में सà¥à¤µà¤¯à¤‚ लागू करना चाहिये। जो बातें तरà¥à¤• की कसौटी पर खरी हों, वही सतà¥à¤¯ होती हैं। उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ मानना चाहिये और जो तरà¥à¤• की कसौटी पर सतà¥à¤¯ न हो व किसी à¤à¤• à¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ के लिये विपरीत, अनà¥à¤šà¤¿à¤¤, हानिकारक व दà¥à¤ƒà¤– देने वाली हों, उनका आचरण नहीं करना चाहिये। à¤à¤¸à¤¾ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ जिसकी सà¤à¥€ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ à¤à¤µà¤‚ करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ विषयक शिकà¥à¤·à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ पूरà¥à¤£ à¤à¤µà¤‚ सतà¥à¤¯ हैं, वह गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ केवल वेद हैं। वेद की सà¤à¥€ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ सतà¥à¤¯ à¤à¤µà¤‚ अनà¥à¤•à¤°à¤£à¥€à¤¯ हैं। इससे मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ की सरà¥à¤µà¤¾à¤‚गीण उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ होती है और देश बलशाली बनता है। इनका सबको आचरण करना चाहिये।
वेदों से ही ईशà¥à¤µà¤°, जीवातà¥à¤®à¤¾ व पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के सतà¥à¤¯ सà¥à¤µà¤°à¥‚प का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ होता है और ईशà¥à¤µà¤° की उपासना सहित अपने करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का à¤à¥€ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ होता है। अविदà¥à¤¯à¤¾ का नाश और विदà¥à¤¯à¤¾ की वृदà¥à¤§à¤¿ करना हमारा करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ है। सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को विदà¥à¤¯à¤¾ की वृदà¥à¤§à¤¿ में सदैव ततà¥à¤ªà¤° रहना चाहिये और इसके लिये वेदों सहित सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶, ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦à¤¾à¤¦à¤¿à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯à¤à¥‚मिका, संसà¥à¤•à¤¾à¤°à¤µà¤¿à¤§à¤¿, आरà¥à¤¯à¤¾à¤à¤¿à¤µà¤¿à¤¨à¤¯, उपनिषद, दरà¥à¤¶à¤¨, मनà¥à¤¸à¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ आदि को अपने नियमित सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ का विषय बनाना चाहिये।
मनà¥à¤·à¥à¤¯ का जनà¥à¤® इस लिये होता है कि माता-पिता में सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ की इचà¥à¤›à¤¾ होती है और चेतन जीवातà¥à¤®à¤¾ जनà¥à¤® व मरण धरà¥à¤®à¤¾ है। जीवातà¥à¤®à¤¾ को अपने पूरà¥à¤µ जनà¥à¤® के करà¥à¤®à¥‹à¤‚ का सà¥à¤– व दà¥à¤ƒà¤– रूपी à¤à¥‹à¤— करना होता है। ईशà¥à¤µà¤° व उसके नियमों से हमारे शिशॠअवसà¥à¤¥à¤¾ के शरीर का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ माता के गरà¥à¤ में होता है। यह निरà¥à¤®à¤¾à¤£ उस देश के अनà¥à¤¨, वायॠव जल सहित वहां सूरà¥à¤¯ के पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ तथा आकाश में होता है।
हमारे माता-पिता किसी न किसी देश के नागरिक होते हैं। जिस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर हमारा व अनà¥à¤¯ किसी मनà¥à¤·à¥à¤¯ का जनà¥à¤® होता है वह हमारा देश कहलाता है। हमें वहां की नागरिकता पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होती है। उसी सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ व देश में जनà¥à¤® के बाद हमारा पालन पोषण होता है। अनà¥à¤¯ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ व देशों में à¤à¥€ हमारा पालन पोषण हो सकता है। जहां-जहां हमारा पालन पोषण होता है उनका ऋण हमारे ऊपर होता है। हम उसके पà¥à¤°à¤¤à¤¿ कृतजà¥à¤ž, निषà¥à¤ ावान à¤à¤µà¤‚ समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ हों तथा उसकी मान-मरà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ तथा नाम को उजà¥à¤œà¤µà¤² वं पà¥à¤°à¤¶à¤‚सा योगà¥à¤¯ बनायें रखें, यह हमारा करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ बनता है।
पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ यह है कि कà¥à¤¯à¤¾ सà¤à¥€ देशों के सà¤à¥€ लोग à¤à¤¸à¤¾ करते हैं? à¤à¤¸à¤¾ नहीं होता है। यदि à¤à¤¸à¤¾ होता तो à¤à¤¾à¤°à¤¤ का विà¤à¤¾à¤œà¤¨ न होता, पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ न बनता और फिर पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ का विà¤à¤¾à¤œà¤¨ होकर बंगलादेश न बनता। इसका कारण कà¥à¤› व अधिकांश लोगों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ अपने करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का ठीक से निरà¥à¤µà¤¾à¤¹ न करना होता है। अतः देश के शासन को देश के सचà¥à¤šà¥‡ व निषà¥à¤ ावान नागरिकों के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ संवेदनशील, निषà¥à¤ªà¤•à¥à¤· होने के साथ सबको नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करने वाला होना चाहिये।
जो नागरिक अपनी महतà¥à¤µà¤¾à¤‚कांकà¥à¤·à¤¾à¤“ं, धारà¥à¤®à¤¿à¤• व राजनीतिक विचारधारा व महतà¥à¤µà¤¾à¤•à¤¾à¤‚कà¥à¤·à¤¾à¤“ं के कारण छदà¥à¤® रूप से अपने देश को हानि पहà¥à¤‚चाते हैं और पà¥à¤°à¤²à¥‹à¤à¤¨à¥‹à¤‚ का शिकार होते हैं, वह à¤à¤• पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से देशदà¥à¤°à¥‹à¤¹à¥€ होते हैं। उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ उनके देश विरोधी कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤°à¥‚प राजदà¥à¤°à¥‹à¤¹ आदि का दणà¥à¤¡ देश की नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ से मिलना चाहिये। यदि à¤à¤¸à¤¾ नहीं होता या विलमà¥à¤¬ से होता है तो फिर उस देश का à¤à¤•à¤œà¥à¤Ÿ, अखणà¥à¤¡ à¤à¤µà¤‚ उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होना कठिन हो सकता है। अतः देश के सà¤à¥€ नागरिकों को देश के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ निषà¥à¤ ावानॠहोने सहित देश के लिये पà¥à¤°à¤¾à¤£ नà¥à¤¯à¥‹à¤›à¤¾à¤µà¤° करने की बलिदान की सरà¥à¤µà¥‹à¤šà¥à¤š à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ से अनà¥à¤ªà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¤ होना चाहिये जैसे की हमारे देश की सेना है। इसके सैनिक देश की आजादी के समय से बलिदान देते आ रहें हैं। देश की आजादी से पूरà¥à¤µ à¤à¥€ देश की आजादी के लिये देशवासियों ने कà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿ व शानà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚रà¥à¤£ आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨à¥‹à¤‚ में तà¥à¤¯à¤¾à¤— व बलिदान का परिचय दिया है।
रामायण में सà¥à¤µà¤¦à¥‡à¤¶ गौरव का उलà¥à¤²à¥‡à¤– करते हà¥à¤ राम ने लकà¥à¤·à¥à¤®à¤£ को बताया था कि जनà¥à¤® देने वाली मां और मातृà¤à¥‚मि सà¥à¤µà¤°à¥à¤— से à¤à¥€ बà¥à¤•à¤° होती है। मां और मातृà¤à¥‚मि का सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ संसार का कोई दूसरा सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ व माता नहीं ले सकती। राम ने लकà¥à¤·à¥à¤®à¤£ को कहा था कि ‘अपि सà¥à¤µà¤°à¥à¤£à¤®à¤¯à¥€ लंका न मे लकà¥à¤·à¥à¤®à¤£ रोचते। जननी जनà¥à¤®à¤à¥‚मिशà¥à¤š सà¥à¤µà¤°à¥à¤—ादपि गरीयसी।।’ अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦ का à¤à¤• वचन है ‘माता à¤à¥‚मि पà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹ अहं पृथिवà¥à¤¯à¤¾’ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ à¤à¥‚मि मेरी माता है और मैं इसका पà¥à¤¤à¥à¤° हूं। यदि हम इन à¤à¤¾à¤µà¥‹à¤‚ को जान लें और देश के सà¤à¥€ लोग इन à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤“ं के अनà¥à¤°à¥‚प वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° करें तो यह देश का सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ होता है।
हमारा देश महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ के बाद से निरनà¥à¤¤à¤° पतन को कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤†? इसका उतà¥à¤¤à¤° यदि खोजें तो हम पूरà¥à¤µ समयों में इन à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤“ं का अà¤à¤¾à¤µ पाते हैं। यदि हमारे देश के लोगों में महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ यà¥à¤¦à¥à¤§ व उसके बाद देश पà¥à¤°à¥‡à¤® होता, निषà¥à¤ªà¤•à¥à¤·à¤¤à¤¾ और नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤ªà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¤à¤¾ होती तथा हम अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ का नाश और जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ में ततà¥à¤ªà¤° होते तो हमें जो दà¥à¤°à¥à¤¦à¤¿à¤¨ देखने पड़े हैं, वह देखने न पड़ते। आज à¤à¥€ अधिकांश देशवासियों में देश पà¥à¤°à¥‡à¤® और देश à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ है, साथ ही धन व समà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ का मोह à¤à¥€ है, हम जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¾à¤°à¥à¤œà¤¨ मà¥à¤–à¥à¤¯à¤¤à¤ƒ सतà¥à¤¯ धरà¥à¤® विषयक जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¾à¤°à¥à¤œà¤¨ में पà¥à¤°à¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥ नहीं करते, सतà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¤¤à¥à¤¯ परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤“ं व मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं को यथावतॠसà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° कर लेते हैं, हमारे à¤à¥€à¤¤à¤° जनà¥à¤®à¤¨à¤¾ जातिवाद व अनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की बà¥à¤°à¤¾à¤ˆà¤¯à¤¾à¤‚ हैं, तो इन बातों के होते हà¥à¤ हमारा देश सदा के लिये अखणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ नहीं हो सकता।
इसके लिये देश पà¥à¤°à¥‡à¤®, देश के लिये बलिदान की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ सहित हमें जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¾à¤°à¥à¤œà¤¨, पà¥à¤°à¤²à¥‹à¤à¤¨à¥‹à¤‚ व धन के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ अधिक आसकà¥à¤¤à¤¿ से बचना होगा। आज लोग पà¥à¤°à¤šà¥à¤° धन होने पर à¤à¥€ और अधिक धन की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ से धन पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ में लगे रहते हैं। वह उचित अनà¥à¤šà¤¿à¤¤ का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ नहीं रखते। इससे वह देश के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ अपने अनेक करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¤¾à¤‚ं से दूर हो जाते हैं। अतः हमें देश के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ समà¥à¤®à¤¾à¤¨, तà¥à¤¯à¤¾à¤—, à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ व पà¥à¤°à¥‡à¤® की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ से यà¥à¤•à¥à¤¤ होना होगा और इसके साथ ही धारà¥à¤®à¤¿à¤•, सामाजिक तथा राजनीतिक अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ व अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ से à¤à¥€ मà¥à¤•à¥à¤¤ होना होगा। à¤à¤¸à¤¾ होने पर ही हमारा और हमारे देश का कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ हो सकता है। हमें मातृà¤à¥‚मि के अपने ऊपर ऋण को अनà¥à¤à¤µ करना है और देश व मातृà¤à¥‚मि को किसी à¤à¥€ पà¥à¤°à¤²à¥‹à¤à¤¨ व अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¤à¤¾ आदि के कारण विसà¥à¤®à¥ƒà¤¤ नहीं करना है। इसी के साथ इस चरà¥à¤šà¤¾ को विराम देते हैं। ओ३मॠशमà¥à¥¤
-मनमोहन कà¥à¤®à¤¾à¤° आरà¥à¤¯
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