“हमारा अनादि व शाशà¥à¤µà¤¤ सखा है ईशà¥à¤µà¤°â€
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Manmohan Kumar AryaDate
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03-Apr-2019Download PDF
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हमें मनà¥à¤·à¥à¤¯ का जनà¥à¤® मिला और हम जनà¥à¤® से लेकर अब तक अपने पूरà¥à¤µ जनà¥à¤®à¥‹à¤‚ सहित इस जनà¥à¤® के कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤®à¤¾à¤£ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ के फल à¤à¥‹à¤— रहे हैं। हम जीवातà¥à¤®à¤¾ हैं, शरीर नहीं है। जीवातà¥à¤®à¤¾ चेतन पदारà¥à¤¥ है। चेतन का अरà¥à¤¥ है कि यह जड़ न होकर संवेदनशील है और जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ à¤à¤µà¤‚ करà¥à¤® करने की सामरà¥à¤¥à¥à¤¯ से यà¥à¤•à¥à¤¤ है। यह सà¥à¤– व दà¥à¤ƒà¤– का अनà¥à¤à¤µ करता है। जीवातà¥à¤®à¤¾ अलà¥à¤ª परिमाण अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ सूकà¥à¤·à¥à¤®, à¤à¤•à¤¦à¥‡à¤¶à¥€ व ससीम सतà¥à¤¤à¤¾ है। यह अनादि व अमर है।
जीवातà¥à¤®à¤¾ का कà¤à¥€ नाश अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ अà¤à¤¾à¤µ नहीं होता, अतः इसे अविनाशी कहा जाता है। जीवातà¥à¤®à¤¾ अपने शरीर की इनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ यथा नेतà¥à¤° तथा मन आदि की सहायता से सà¥à¤¥à¥‚ल जड़ पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ को देखता है परनà¥à¤¤à¥ सà¥à¤µà¤¯à¤‚ अपने को अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ अपनी आतà¥à¤®à¤¾ व सृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾ ईशà¥à¤µà¤° को नहीं देख पाता। कारण यही है कि जीवातà¥à¤®à¤¾ अतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ सूकà¥à¤·à¥à¤® है और परमातà¥à¤®à¤¾ आतà¥à¤®à¤¾ से à¤à¥€ सूकà¥à¤·à¥à¤® अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ सूकà¥à¤·à¥à¤®à¤¤à¤® है। हम वायà¥, जल की à¤à¤¾à¤ª, वायॠमें विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ गैसों, धूल के सूकà¥à¤·à¥à¤® कणों तथा दूर के पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ को नहीं देख पाते। अतः यदि हम अपनी व दूसरों की आतà¥à¤®à¤¾à¤“ं तथा परमातà¥à¤®à¤¾ को नहीं देख पाते तो इसमें आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ नहीं करना चाहिये। किसी à¤à¥€ पदारà¥à¤¥ व उसके असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ को उसके लकà¥à¤·à¤£à¥‹à¤‚ से जाना जाता है।
नदी में यदि जल का सà¥à¤¤à¤° बॠजाता है तो अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ होता है कि नदी के ऊपरी à¤à¤¾à¤— में कहीं à¤à¤¾à¤°à¥€ वरà¥à¤·à¤¾ हà¥à¤ˆ है। आकाश में धà¥à¤†à¤‚ देखते हैं तो हमें अगà¥à¤¨à¤¿ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ होता है। किसी मनà¥à¤·à¥à¤¯ व उसके बचà¥à¤šà¥‡ को देखते हैं तो जà¥à¤žà¤¾à¤¤ होता है कि इसके माता-पिता अवशà¥à¤¯ होंगे। यह हो सकता है कि पहले उसके जनà¥à¤®, उससे पूरà¥à¤µ पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ वह रहे हों परनà¥à¤¤à¥ अब दिवंगत हो गये हों। अतः आतà¥à¤®à¤¾ व परमातà¥à¤®à¤¾ को à¤à¥€ इनकी कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤“ं, रचनाओं व कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ जाना जाता है। आतà¥à¤®à¤¾ की उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ का अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ शरीर की जीवित अवसà¥à¤¥à¤¾ में इसमें होने वाली कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤“ं से à¤à¥€ होता है। यदि शरीर में आतà¥à¤®à¤¾ न हो तो यह मृत कहलाता है और मृतक शरीर में किसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ जो जीवित शरीर में होती हैं, नहीं होती। ईशà¥à¤µà¤° को à¤à¥€ हम उसकी अपौरà¥à¤·à¥‡à¤¯ रचनाओं व कृतियों के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ जानते हैं। संसार का असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ है।
वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• à¤à¥€ संसार के असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ को मानते हैं। वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤•à¥‹à¤‚ की विडमà¥à¤¬à¤¨à¤¾ यह है कि वह संसार को बनाने वाली सतà¥à¤¤à¤¾ परमातà¥à¤®à¤¾ के असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° नहीं करते। इसका कारण यह है कि ईशà¥à¤µà¤° का असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤—शाला में सिदà¥à¤§ नहीं किया जा सकता जैसा कि à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ का होता है। इसी बात को दशरà¥à¤¨à¥‹à¤‚ में ईशà¥à¤µà¤° को अतीनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¯ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ ईशà¥à¤µà¤° इनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से नहीं जाना जा सकता कहकर बताया गया है। ईशà¥à¤µà¤° हमारी जà¥à¤žà¤¾à¤¨ इनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से पकड़ में नहीं आता तथापि उसे वेद, दरà¥à¤¶à¤¨ व उपनिषद पà¥à¤•à¤° तथा चिनà¥à¤¤à¤¨-मनन-धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ आदि के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ जाना जा सकता है।
हम योगियों, ईशà¥à¤µà¤° का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ व चिनà¥à¤¤à¤¨ करने वाले विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ तथा सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¶à¥€à¤² लोगों की संगति से à¤à¥€ जान सकते है। सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶, ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦à¤¾à¤¦à¤¿à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯à¤à¥‚मिका, आरà¥à¤¯à¤¾à¤à¤¿à¤µà¤¿à¤¨à¤¯, आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के दूसरे नियम आदि के सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯, अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ व चिनà¥à¤¤à¤¨-मनन से à¤à¥€ ईशà¥à¤µà¤° का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ होता है। इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से जीवातà¥à¤®à¤¾ à¤à¤µà¤‚ ईशà¥à¤µà¤° का असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ सिदà¥à¤§ होता है।
विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करता है। जीवातà¥à¤®à¤¾ और परमातà¥à¤®à¤¾ à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• नहीं नहीं हैं अपितॠचेतन वा अà¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• पदारà¥à¤¥ हैं, अतः इनका निरà¥à¤à¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ केवल वेद à¤à¤µà¤‚ वैदिक गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ के सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ सहित योग, धà¥à¤¯à¤¾à¤¨, सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿, पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾? उपासना व समाधि आदि के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ ही किया जा सकता है। बहà¥à¤¤ से वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• ईशà¥à¤µà¤° के असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ को नहीं मानते परनà¥à¤¤à¥ à¤à¤¸à¥‡ à¤à¥€ शीरà¥à¤· वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• हà¥à¤ हैं जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤£à¥à¤¡ में सृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾ à¤à¤µà¤‚ सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के पालक ईशà¥à¤µà¤° के होने की समà¥à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ की है।
ईशà¥à¤µà¤° है और वह सचà¥à¤šà¤¿à¤¦à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦à¤¸à¥à¤µà¤°à¥‚प है। इसका सतà¥à¤¯à¤¸à¥à¤µà¤°à¥‚प ऋषि दयाननà¥à¤¦ ने सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ के सातवें समà¥à¤²à¥à¤²à¤¾à¤¸ सहित आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के दूसरे नियम में पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ किया है। आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के दूसरे नियम में वह बताते हैं कि ईशà¥à¤µà¤° सचà¥à¤šà¤¿à¤¦à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦à¤¸à¥à¤µà¤°à¥à¤ª, निराकार, सरà¥à¤µà¤¶à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨, नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤•à¤¾à¤°à¥€, दयालà¥, अजनà¥à¤®à¤¾, निरà¥à¤µà¤¿à¤•à¤¾à¤°, अनादि, अनà¥à¤ªà¤®, सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¾à¤°, सरà¥à¤µà¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°, सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤•, सरà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤°à¥à¤¯à¤¾à¤®à¥€, अजर, अमर, अà¤à¤¯, नितà¥à¤¯, पवितà¥à¤° और सृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾ है। उसी की उपासना करनी योगà¥à¤¯ है।
ऋषि दयाननà¥à¤¦ ने इन शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ में ईशà¥à¤µà¤° के समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ में जो कहा है वह यथारà¥à¤¥ सतà¥à¤¯ है। हमें इसके à¤à¤• à¤à¤• शबà¥à¤¦ पर विचार करना चाहिये। आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ से पूरà¥à¤µ ईशà¥à¤µà¤° को जानने के लिये ईशà¥à¤µà¤° à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ को वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ तक सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯, साधना à¤à¤µà¤‚ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ की संगति करनी पड़ती थी। तब जो जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता था, हम समà¤à¤¤à¥‡ हैं कि ऋषि दयाननà¥à¤¦ ने कृपा करके वही समसà¥à¤¤ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ हमें à¤à¤• दो वाकà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में दे दिया है। यह नियम आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• जगत का अमृत है। ऋषि दयाननà¥à¤¦ का मानवता पर यह बहà¥à¤¤ बड़ा उपकार वा ऋण है। सà¤à¥€ मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ के आचारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को इससे लाà¤à¤¾à¤¨à¥à¤µà¤¿à¤¤ होना चाहिये और अपने मतों में ईशà¥à¤µà¤° विषयक इस मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ व दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¥‹à¤£ के आधार पर संशोधन करना चाहिये।
ईशà¥à¤µà¤° अनादि सतà¥à¤¤à¤¾ है। जीवातà¥à¤®à¤¾ à¤à¥€ अनादि सतà¥à¤¤à¤¾ है। दोनों, अजर, अमर सतà¥à¤¤à¤¾ व असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ वाले हैं। आतà¥à¤®à¤¾ सूकà¥à¤·à¥à¤® है तथा परमातà¥à¤®à¤¾ आतà¥à¤®à¤¾ से à¤à¥€ सूकà¥à¤·à¥à¤® है। ईशà¥à¤µà¤° सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• तथा सरà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤°à¥à¤¯à¤¾à¤®à¥€ है। वह आतà¥à¤®à¤¾ के à¤à¥€à¤¤à¤° à¤à¥€ वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• है और हमारी आतà¥à¤®à¤¾ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ हमें हमसे à¤à¥€ अधिक जानता है। ईशà¥à¤µà¤° को हमारे अतीत का पूरà¥à¤£ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ है। हमें अपने पूरà¥à¤µà¤œà¤¨à¥à¤®à¥‹à¤‚ तथा इस जनà¥à¤® की à¤à¥€ बहà¥à¤¤ सी बातों का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ नहीं है। हमारी à¤à¥‚लने की पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿ है। ईशà¥à¤µà¤° और जीवातà¥à¤®à¤¾ का वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¯-वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ है। यह समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ अनादि काल से है और अननà¥à¤¤ काल तक अबाध रूप से सदैव बना रहेगा। कà¤à¥€ समापà¥à¤¤ नहीं होगा। हमारा उपासà¥à¤¯ ईशà¥à¤µà¤° है। हम उपासक है, हमारा यह समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ à¤à¥€ नितà¥à¤¯ समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ है। हम ईशà¥à¤µà¤° की उपासना करें या न करें परनà¥à¤¤à¥ हमारा समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ हर काल व कà¥à¤·à¤£ उससे बना रहता है। दोनों में देश व काल की दूरी नहीं है अपितॠदोनों साथ-साथ रह रहे हैं।
दोनों à¤à¤• दूसरे के इतने निकट हैं कि हमारे इतना निकट अनà¥à¤¯ कोई पदारà¥à¤¥ नहीं है। हमें जनà¥à¤®-मरण तथा सà¥à¤–ों को देने वाला à¤à¥€ ईशà¥à¤µà¤° ही है। हमारे करà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¸à¤¾à¤° वह हमें मनà¥à¤·à¥à¤¯ सहित अनेकानेक योनियों में जनà¥à¤®-मृतà¥à¤¯à¥ देकर व सृषà¥à¤Ÿà¤¿ की उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿-सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ व पà¥à¤°à¤²à¤¯ का चकà¥à¤° चलाकर वह हमें घà¥à¤®à¤¾à¤¤à¤¾ रहता है। वह हमारे किसी दà¥à¤ƒà¤– व सà¥à¤– में हमारा साथ कà¤à¥€ नहीं छोड़ता। ईशà¥à¤µà¤° के हमारे ऊपर अननà¥à¤¤ उपकार हैं। हम कितना à¤à¥€ कर लें, उसके उपकारों रूपी ऋण से कà¤à¥€ उऋण नहीं हो सकते। हम केवल उसके उपकारों के लिये मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन में उसकी सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿, पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ व उपासना ही कर सकते हैं। उसकी आजà¥à¤žà¤¾ का पालन कर à¤à¥€ हम उसे पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ कर सकते हैं और उससे सà¥à¤– व सà¥à¤– के साधन पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर सकते हैं।
ईशà¥à¤µà¤° ने वेदों में मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ व अकरà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ कराया है। हमें नितà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¤à¤¿ वेदों का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करना चाहिये। ऋषि दयाननà¥à¤¦ à¤à¤µà¤‚ आरà¥à¤¯ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ का à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ पà¥à¤•à¤° हम वेदों का सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ कर सकते हैं और ईशà¥à¤µà¤° की वेदों के माधà¥à¤¯à¤® से सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को की गई पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾à¤“ं को जानकर व उसका आचरण कर हम अपना कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ कर सकते हैं। यही हमारा करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ व धरà¥à¤® है। वेदों का सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ à¤à¤µà¤‚ उसके अनà¥à¤¸à¤¾à¤° आचरण ही संसार में à¤à¤•à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤° धरà¥à¤® है। हम जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ धरà¥à¤® कहते हैं उनमें से कोई à¤à¥€ धरà¥à¤® न होकर सà¤à¥€ मत-मतानà¥à¤¤à¤°, समà¥à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯, रिलीजन, मजहब आदि हैं। धरà¥à¤® तो केवल वेदनिहित व वेदविहित ईशà¥à¤µà¤° की सतà¥à¤¯ आजà¥à¤žà¤¾à¤“ं का पालन करना ही है।
à¤à¤¸à¤¾ करके ईशà¥à¤µà¤° हमारा मितà¥à¤° व सखा बन जाता है। उपासना करके हम ईशà¥à¤µà¤° के जितना निकट जायेंगे उतने हमारी आतà¥à¤®à¤¾ के मल दूर होते जायेंगे। हम जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करेंगे और ईशà¥à¤µà¤° की इस सृषà¥à¤Ÿà¤¿ में सब पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को अपने à¤à¤• परिवार के रूप में जानेंगे और वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° करेंगे। इसी कारण हमारी संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ में ‘‘वसà¥à¤§à¥ˆà¤µ कà¥à¤Ÿà¥à¤®à¥à¤¬à¤•à¤®à¥” का विचार आया है जो कि सतà¥à¤¯ व यथारà¥à¤¥ है।
हम कà¥à¤› वरà¥à¤· पूरà¥à¤µ इस संसार में जनà¥à¤®à¥‡à¤‚ हैं। कà¥à¤› वरà¥à¤· बात हमारी मृतà¥à¤¯à¥ निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ है। जनà¥à¤® से पूरà¥à¤µ à¤à¥€ हमारी आतà¥à¤®à¤¾ का असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ था और मृतà¥à¤¯à¥ के बाद à¤à¥€ हमारी आतà¥à¤®à¤¾ का असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ रहेगा। अनादि काल से हमारे अगणà¥à¤¯ जनà¥à¤® हो चà¥à¤•à¥‡ हैं। अगणà¥à¤¯ बार हम मृतà¥à¤¯à¥ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤ हैं। पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ सà¤à¥€ अगणà¥à¤¯ योनियों में करà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¸à¤¾à¤° हमारा जनà¥à¤® हà¥à¤† है और आगे à¤à¥€ होगा। अनेक बार हम मोकà¥à¤· में गये हैं और मोकà¥à¤· से लौटे à¤à¥€ हैं। इन सब अवसà¥à¤¥à¤¾à¤“ं में ईशà¥à¤µà¤° ही à¤à¤•à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤° हमारा साथी, मितà¥à¤° व सखा रहा है और आगे à¤à¥€ रहेगा। यह धà¥à¤°à¥à¤µ सतà¥à¤¯ है। इसे हमें अनà¥à¤à¤µ करना है और इसके आधार हमें अपने à¤à¤¾à¤µà¥€ जीवन के निरà¥à¤µà¤¾à¤¹ की योजना बनानी है।
हमारे पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ ऋषियों ने सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के लिये पंचमहायजà¥à¤žà¥‹à¤‚ का विधान किया है। इन यजà¥à¤žà¥‹à¤‚ को करके हम अपनी आतà¥à¤®à¤¾ की उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ करते हैं और मोकà¥à¤· के निकट पहà¥à¤‚चते हैं। मोकà¥à¤· में à¤à¥€ हम ईशà¥à¤µà¤° के साथ रहते हैं और उससे शकà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करके आननà¥à¤¦ से यà¥à¤•à¥à¤¤ रहते हैं। जनà¥à¤® व मरण तथा इन दोनों के बीच जितने व जिस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के अनेकानेक कà¥à¤²à¥‡à¤¶ होते हैं, मोकà¥à¤· पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होने पर हम उनसे बचे रहते हैं। सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ का à¤à¤•à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤° परम लकà¥à¤·à¥à¤¯ मोकà¥à¤· पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ के लिये पà¥à¤°à¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤°à¤¤, तपसà¥à¤¯à¤¾à¤°à¤¤ व उपासनारत रहना है। वैदिक पथ पर चलकर ही हमारी उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ हो सकती है।
अनà¥à¤¯ मारà¥à¤— मनà¥à¤·à¥à¤¯ को गà¥à¤®à¤°à¤¾à¤¹ करते हैं व बनà¥à¤§à¤¨ में डालकर उसे नरकगामी बनाते हैं। वेदतर मत मनà¥à¤·à¥à¤¯ को न तो उसकी आतà¥à¤®à¤¾ का यथारà¥à¤¥ सà¥à¤µà¤°à¥‚प बतातें हैं और न ईशà¥à¤µà¤° के सचà¥à¤šà¥‡ सà¥à¤µà¤°à¥‚प से ही परिचित कराते हैं। संसार में वेदों व ऋषियों के वेदानà¥à¤•à¥‚ल गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ मनà¥à¤·à¥à¤¯ की सबसे बड़ी समà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ है। जो मनà¥à¤·à¥à¤¯ इससे वंचित हैं वह वसà¥à¤¤à¥à¤¤à¤ƒ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व करà¥à¤®à¥‹à¤‚ की पूंजी की दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से दरिदà¥à¤° हैं। बिना वेद-जà¥à¤žà¤¾à¤¨ मनà¥à¤·à¥à¤¯ दà¥à¤ƒà¤–ो व दरिदà¥à¤°à¤¤à¤¾à¤“ं से नहीं छूट सकता। जà¥à¤žà¤¾à¤¨ वह है जो सतà¥à¤¯ व असतà¥à¤¯ का यथारà¥à¤¥ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ कराये। ईशà¥à¤µà¤° व आतà¥à¤®à¤¾ विषयक सतà¥à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करना ही मनà¥à¤·à¥à¤¯ का पà¥à¤°à¤¥à¤®, मà¥à¤–à¥à¤¯ à¤à¤µà¤‚ अनिवारà¥à¤¯ करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ है।
इससे हम ईशà¥à¤µà¤° व आतà¥à¤®à¤¾ को जानकर अपना व अनà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ कर सकते हैं जैसा कि अतीत में ऋषि दयाननà¥à¤¦ सहित अनà¥à¤¯ ऋषियों व आरà¥à¤¯ महापà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ ने किया है। निषà¥à¤•à¤°à¥à¤· यह है कि हम ईशà¥à¤µà¤° व उसके गà¥à¤£à¥‹à¤‚ को जानकर उसके शाशà¥à¤µà¤¤ संखा बने और अपने à¤à¤¾à¤µà¥€ जनà¥à¤®-जनà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ के दà¥à¤ƒà¤–ों को दूर करें। उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ का अनà¥à¤¯ कोई मारà¥à¤— नहीं है। ओ३मॠशमà¥à¥¤
--मनमोहन कà¥à¤®à¤¾à¤° आरà¥à¤¯
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