‘सनातन शà¥à¤¦à¥à¤§ वैदिक धरà¥à¤® संसार का शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ तम मानव धरà¥à¤®â€™
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Manmohan Kumar AryaDate
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05-Apr-2019Download PDF
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सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ योनियों में मनà¥à¤·à¥à¤¯ योनि शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ है और सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में मनà¥à¤·à¥à¤¯ सबसे शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ है। मनà¥à¤·à¥à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ अरà¥à¤œà¤¿à¤¤ कर सकता है परनà¥à¤¤à¥ अनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€, पशॠव पकà¥à¤·à¥€ आदि, जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर उसके विशà¥à¤²à¥‡à¤·à¤£ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ वह लाठपà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ नहीं कर सकते जो कि मनà¥à¤·à¥à¤¯ करता है। इसलिये मनà¥à¤·à¥à¤¯ अनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ माना जाता है। मनà¥à¤·à¥à¤¯ संसार में आया है तो इसका कोई पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤œà¤¨ अवशà¥à¤¯ होगा? यह पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤œà¤¨ जानना मनà¥à¤·à¥à¤¯ का पहला करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ है। उस पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤œà¤¨ को जान लेने के बाद उसे पूरा करना à¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ का करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ है। वह पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤œà¤¨ कà¥à¤¯à¤¾ है, इसके लिये हमें वेद व ऋषियों के साहितà¥à¤¯ को देखना होगा। वेद व वैदिक साहितà¥à¤¯ के अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ से यह जà¥à¤žà¤¾à¤¤ होता है कि मनà¥à¤·à¥à¤¯ के शरीर में à¤à¤• अनादि, सनातन, चेतन, अलà¥à¤ªà¤œà¥à¤ž, ससीम, जनà¥à¤®-मरण धरà¥à¤®à¤¾, जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व पà¥à¤°à¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥ करने में समरà¥à¤¥ जीवातà¥à¤®à¤¾ का वास है। मनà¥à¤·à¥à¤¯ शरीर में आतà¥à¤®à¤¾ की सतà¥à¤¤à¤¾ अनादि सतà¥à¤¤à¤¾ है, अतः इसके अनेक व असंखà¥à¤¯ पूरà¥à¤µà¤œà¤¨à¥à¤® सिदà¥à¤§ हो जाते हैं।
अनादि व अमर होने से इसके à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ में à¤à¥€ असंखà¥à¤¯ व अननà¥à¤¤ जनà¥à¤®à¥‹à¤‚ का होना सिदà¥à¤§ होता है। जीवातà¥à¤®à¤¾ का मनà¥à¤·à¥à¤¯ आदि योनियों व शरीरों में जनà¥à¤® उसके पूरà¥à¤µà¤œà¤¨à¥à¤®à¥‹à¤‚ के शà¥à¤ व अशà¥à¤ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ के फल à¤à¥‹à¤—ने के लिये होता है। यह पूरà¥à¤£ तरà¥à¤•à¤¸à¤‚गत सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ है à¤à¤µà¤‚ सृषà¥à¤Ÿà¤¿ में घट रहे अनेक उदाहरणों से à¤à¥€ यह सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ व सिदà¥à¤§ होता है। à¤à¤• ही माता-पिता के बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ में जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व शकà¥à¤¤à¤¿ तथा शारीरिक कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ समान नहीं होती। सà¤à¥€ बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ की आतà¥à¤®à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ पृथक पृथक होती हैं। इससे यह जà¥à¤žà¤¾à¤¤ होता है कि पूरà¥à¤µà¤œà¤¨à¥à¤®à¥‹à¤‚ की करà¥à¤®à¥‹à¤‚ की कà¥à¤› समानता से वह à¤à¤• माता-पिता व परिवार में जनà¥à¤® तो पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने में समरà¥à¤¥ हà¥à¤ हैं परनà¥à¤¤à¥ उनके करà¥à¤®à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤¤à¤° के कारण उनकी जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व पà¥à¤°à¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥ की कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚, रंग, रूप, आकृति तथा रूचियां व सà¥à¤®à¤°à¤£ शकà¥à¤¤à¤¿ आदि में अनà¥à¤¤à¤° देखा जाता है। मनà¥à¤·à¥à¤¯ के जनà¥à¤® का विशà¥à¤²à¥‡à¤·à¤£ करने पर यह à¤à¥€ जà¥à¤žà¤¾à¤¤ होता है कि à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ में जीवातà¥à¤®à¤¾ का इस जनà¥à¤® के करà¥à¤®à¥‹à¤‚ के आधार पर पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® होगा। à¤à¤• सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ यह à¤à¥€ बनती है मनà¥à¤·à¥à¤¯ कोई अशà¥à¤ व पाप करà¥à¤® न करे, सà¤à¥€ शà¥à¤ व पà¥à¤£à¥à¤¯ करà¥à¤® करे, मनà¥à¤·à¥à¤¯ के लिठसमà¥à¤à¤µ ईशà¥à¤µà¤° व आतà¥à¤®à¤¾ विषयक जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर सदाचरण का जीवन वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ करे, तो उसका पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर दà¥à¤ƒà¤–रहित मोकà¥à¤· à¤à¥€ हो सकता है। मोकà¥à¤· की चरà¥à¤šà¤¾ शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ सहित ऋषि दयाननà¥à¤¦ कृत गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ के नवमॠसमà¥à¤²à¥à¤²à¤¾à¤¸ में बहà¥à¤¤ उतà¥à¤¤à¤®à¤¤à¤¾ से की गई है। इससे सबको अवशà¥à¤¯ लाठउठाना चाहिये।
धरà¥à¤® शबà¥à¤¦ व इसके अरà¥à¤¥ पर विचार करते हैं। धरà¥à¤® वह है जो वसà¥à¤¤à¥à¤¤à¤ƒ मनà¥à¤·à¥à¤¯ के धारण योगà¥à¤¯ हो। धारण करने योगà¥à¤¯ वह गà¥à¤£ हैं जो मनà¥à¤·à¥à¤¯ को पतन से बचाकर उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ के पथ पर आरूॠकरें और विदà¥à¤¯à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करवाकर उसके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ उसे दà¥à¤ƒà¤– से मà¥à¤•à¥à¤¤ कर इस जनà¥à¤® की तà¥à¤²à¤¨à¤¾ में à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯à¤•à¤¾à¤² में अधिक उतà¥à¤¤à¤® मनà¥à¤·à¥à¤¯ जनà¥à¤® व मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ दिला सके। वेदों में आतà¥à¤®à¤¾ की उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ के मारà¥à¤— व उपाय à¤à¥€ बताये गये हैं। मनà¥à¤·à¥à¤¯ को कà¥à¤¯à¤¾ धारण करना है, इसका उतà¥à¤¤à¤° है कि मनà¥à¤·à¥à¤¯ को सतà¥à¤¯ धरà¥à¤® को धारण करना है। सतà¥à¤¯ धरà¥à¤® वह है जो मनà¥à¤·à¥à¤¯ का अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ वा अविदà¥à¤¯à¤¾ दूर कर उसे ईशà¥à¤µà¤°, जीवातà¥à¤®à¤¾, धरà¥à¤®, मोकà¥à¤· के जà¥à¤žà¤¾à¤¨ सहित मनà¥à¤·à¥à¤¯ के उतà¥à¤¤à¤® करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का मारà¥à¤— बताये। वेद तथा ऋषियों के अनेक गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ उपनिषद à¤à¤µà¤‚ दरà¥à¤¶à¤¨ सहित ऋषि दयाननà¥à¤¦ के सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶, ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦à¤¾à¤¦à¤¿à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯à¤à¥‚मिका à¤à¤µà¤‚ आरà¥à¤¯à¤¾à¤à¤¿à¤µà¤¿à¤¨à¤¯ आदि गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ के अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ से ईशà¥à¤µà¤° को जाना जा सकता है।
आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ का दूसरा नियम सूतà¥à¤°à¤°à¥‚प में ईशà¥à¤µà¤° के सà¥à¤µà¤°à¥‚प व उसके गà¥à¤£, करà¥à¤® व सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ का चितà¥à¤°à¤£ करता है। इस नियम में कहा गया है ‘ईशà¥à¤µà¤° सचà¥à¤šà¤¿à¤¦à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦à¤¸à¥à¤µà¤°à¥‚प, निराकार, सरà¥à¤µà¤¶à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨, नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤•à¤¾à¤°à¥€, दयालà¥, अजनà¥à¤®à¤¾, अननà¥à¤¤, निरà¥à¤µà¤¿à¤•à¤¾à¤°, अनादि, अनà¥à¤ªà¤®, सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¾à¤°, सरà¥à¤µà¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°, सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤•, सरà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤°à¥à¤¯à¤¾à¤®à¥€, अजर, अमर, अà¤à¤¯, नितà¥à¤¯, पवितà¥à¤° और सृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾ है। उसी की उपासना करनी योगà¥à¤¯ है।’ जीवातà¥à¤®à¤¾ के सà¥à¤µà¤°à¥‚प पर विचार करें तो यह सतà¥à¤¯, चेतन, निराकार, अलà¥à¤ªà¤œà¥à¤ž, सीमित शकà¥à¤¤à¤¿ से यà¥à¤•à¥à¤¤, अनादि, अनà¥à¤¤à¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨, नितà¥à¤¯, अमर, अविनाशी, à¤à¤•à¤¦à¥‡à¤¶à¥€, ईशà¥à¤µà¤° से वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¯ आदि गà¥à¤£à¥‹à¤‚ वाला है। ईशà¥à¤µà¤° से आतà¥à¤®à¤¾ का समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¯-वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• तथा उपासà¥à¤¯-उपासक का है। ईशà¥à¤µà¤° हमारा माता, पिता, बनà¥à¤§à¥, सखा, मितà¥à¤°, आचारà¥à¤¯, राजा व नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¾à¤§à¥€à¤¶, जनà¥à¤®-मृतà¥à¤¯à¥ का देने वाला, करà¥à¤®-फल दाता, सनà¥à¤®à¤¾à¤°à¥à¤— का पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤• à¤à¤µà¤‚ दà¥à¤ƒà¤–-निवारक आदि हैं। अतः हमें ईशà¥à¤µà¤° के सà¥à¤µà¤°à¥‚प व गà¥à¤£à¥‹à¤‚ को जानकर उनका चिनà¥à¤¤à¤¨, मनन, धà¥à¤¯à¤¾à¤¨, धारण, आचरण, पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° करने सहित उसकी सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿, पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ व उपासना करना सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ का करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ है। à¤à¤¸à¤¾ करने से मनà¥à¤·à¥à¤¯ ईशà¥à¤µà¤° व जीवातà¥à¤®à¤¾ का साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•à¤¾à¤° कर सकते है। मनà¥à¤·à¥à¤¯ शà¥à¤-करà¥à¤®à¥‹à¤‚ सहित उपासना पर जितना अधिक धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ देगा, उसे उतना ही अधिक लाठहोगा।
सà¥à¤‚सार में अनेक मत-मतानà¥à¤¤à¤° पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ हैं परनà¥à¤¤à¥ ईशà¥à¤µà¤° का सतà¥à¤¯ व यथारà¥à¤¥ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ वेद, वैदिक साहितà¥à¤¯ à¤à¤µà¤‚ वैदिक धरà¥à¤® में ही उपलबà¥à¤§ है। उपासना के लिये à¤à¥€ ऋषि पतंजलि का योगदरà¥à¤¶à¤¨ à¤à¤µà¤‚ ऋषि दयाननà¥à¤¦ रचित संनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ व देवयजà¥à¤ž की पदà¥à¤§à¤¤à¤¿ हैं। इनका साधनोपाय करने से मनà¥à¤·à¥à¤¯ को जीवन में अनेक लाठहोते हैं। इससे मनà¥à¤·à¥à¤¯ व साधक का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ बà¥à¤¤à¤¾ है, शरीर सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ रहता है तथा देश व समाज à¤à¥€ उससे लाà¤à¤¾à¤¨à¥à¤µà¤¿à¤¤ होते हैं। उपासना की सरà¥à¤µà¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤® पदà¥à¤§à¤¤à¤¿ वैदिक पदà¥à¤§à¤¤à¤¿ ही है। वेद ईशà¥à¤µà¤° की वाणी है, उसका उचà¥à¤šà¤¾à¤°à¤£ करने से व उनके अरà¥à¤¥à¥‹à¤‚ के पाठसे ईशà¥à¤µà¤° से निकटता समà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¿à¤¤ होती है। अनà¥à¤¯ मतों में à¤à¤¸à¤¾ नहीं होता। वेदेतर किसी मत में ईशà¥à¤µà¤° के सà¥à¤µà¤°à¥‚प का उतना विशद वरà¥à¤£à¤¨ व जà¥à¤žà¤¾à¤¨ उपलबà¥à¤§ नहीं होता जितना वेद व ऋषियों सहित आरà¥à¤¯ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के अनेक गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ से होता है। हम समà¤à¤¤à¥‡ हैं कि ईशà¥à¤µà¤° के सà¥à¤µà¤°à¥‚प तथा उसके गà¥à¤£, करà¥à¤® व सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ का लगà¤à¤— पूरà¥à¤£ वा परà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ वैदिक धरà¥à¤® को जानने व पालन करने से हो जाता है। देवयजà¥à¤ž अगà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤° की लाà¤à¤•à¤¾à¤°à¥€ विधि का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ केवल वेदानà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को ही है।
उसका कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤• आचरण à¤à¥€ केवल आरà¥à¤¯ वैदिक धरà¥à¤®à¥€ ही विशà¥à¤µ में करते हैं। इससे जो लाठहोता है वह यजà¥à¤ž करने से यजà¥à¤žà¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾à¤“ं को ही होता है। अनà¥à¤¯ मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ के लोग इससे सरà¥à¤µà¤¥à¤¾ अनà¤à¤¿à¤œà¥à¤ž à¤à¤µà¤‚ वंचित हैं। ऋषियों ने शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में यजà¥à¤ž को शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ तम करà¥à¤® की संजà¥à¤žà¤¾ दी है। यह à¤à¥€ कहा है कि सà¥à¤– व सà¥à¤µà¤°à¥à¤— की कामना की पूरà¥à¤¤à¤¿ के लिये यजà¥à¤ž ही सबसे मà¥à¤–à¥à¤¯ उपाय है। ऋषियों का विधान है कि सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को अपने जीवन की उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ के लिये पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒ व सायं गोघृत व साकलà¥à¤¯ की नà¥à¤¯à¥‚नतम 16 आहà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ यजà¥à¤žà¤¾à¤—à¥à¤¨à¤¿ में देनी चाहिये। à¤à¤¸à¤¾ करके वह पापमà¥à¤•à¥à¤¤ होता है। हमारे निमितà¥à¤¤ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ खान-पान व रहन-सहन से जितना वायà¥, जल व परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ पà¥à¤°à¤¦à¥à¤·à¤£ होता है उसी मातà¥à¤°à¤¾ में हमें पाप लगता है। यह पाप यजà¥à¤ž करने से ही दूर होता है। अगà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤°-यजà¥à¤ž वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ समय में केवल ऋषि दयाननà¥à¤¦ à¤à¤µà¤‚ आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€ ही करते हैं। इसलिये आरà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ व à¤à¤¾à¤µà¥€ जीवन यजà¥à¤ž के परिणाम से सà¥à¤–दायक होकर दà¥à¤ƒà¤–ों से रहित होता है। इन कारणों से वैदिक धरà¥à¤® ही सà¤à¥€ मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ की तà¥à¤²à¤¨à¤¾ में शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ व आचरणीय है। हमें वेदों की आतà¥à¤®à¤¾ व à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ के अनà¥à¤°à¥‚प आचरण व वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° करना चाहिये। à¤à¤¸à¤¾ करने से हमें इसका लाठपà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होगा।
वैदिक धरà¥à¤® में सतà¥à¤¯ वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° पर विशेष बल दिया जाता है। अनेक मत à¤à¤¸à¥‡ हैं जहां के मताचारà¥à¤¯ सतà¥à¤¯ का वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° नहीं करते। वहां दूसरे मतों के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ छल व कपट का वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° किया जाता है। अनेक मतों में पशà¥à¤“ं का मांस खाने की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ मिलती है व उनके अधिकांश अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€ à¤à¤¸à¤¾ करते à¤à¥€ हैं। वैदिक धरà¥à¤® मांसाहार, अणà¥à¤¡à¥‹ का सेवन, धूमà¥à¤°à¤ªà¤¾à¤¨, व किसी à¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के सामिष à¤à¥‹à¤œà¤¨ का निषेध करता है। वैदिक धरà¥à¤® में यहां तक विधान है कि हमें अपनी पवितà¥à¤° कमाई वा साधनों से à¤à¥‹à¤œà¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करना चाहिये। किसी के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ शोषण à¤à¤µà¤‚ अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯ करने की à¤à¥€ वैदिक धरà¥à¤® में मनाही है। अनà¥à¤¯ मतों में दूसरे मत के लोगों व इतर पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को पीड़ित व कषà¥à¤Ÿ देने सहित अनेक पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की हानि पहà¥à¤‚चाने तक का विधान है। कà¥à¤² मत à¤à¤¸à¥‡ à¤à¥€ हैं जो छदà¥à¤® वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° कर लोठव à¤à¤¯ से मतानà¥à¤¤à¤°à¤£ वा धरà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤°à¤£ करते हैं।
वैदिक मत असतà¥à¤¯ मतों के मानने वालों को सतà¥à¤¯ का पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° कर उनकी शà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ करने का विधान करते हैं। à¤à¤¸à¥‡ अनेक कारण बतायें जा सकते हैं जिससे वैदिक धरà¥à¤® ही संसार का शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ धरà¥à¤® सिदà¥à¤§ होता है। वैदिक धरà¥à¤® को अपनाने से पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® में उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ होती है। कà¥à¤› मत à¤à¤¸à¥‡ à¤à¥€ हैं जो अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ के कारण पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® को नहीं मानते हैं। अतः जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ व विवेकी वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को वेदाधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करने सहित सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ का गमà¥à¤à¥€à¤°à¤¤à¤¾ से अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ कर सतà¥à¤¯ को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° और असतà¥à¤¯ का तà¥à¤¯à¤¾à¤— करना चाहिये। इससे उसे जनà¥à¤®-जनà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ में लाठहोगा। हम ईशà¥à¤µà¤°à¥€à¤¯ की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ से दà¥à¤ƒà¤–ों से बच सकेंगे। ओ३मॠशमà¥à¥¤
--मनमोहन कà¥à¤®à¤¾à¤° आरà¥à¤¯
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