“रामनवमी संसार के à¤à¤• पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ आदरà¥à¤¶ राजा राम से जà¥à¥œà¤¾ पावन परà¥à¤µ हैâ€
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Manmohan Kumar AryaDate
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13-Apr-2019Download PDF
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à¤à¤¾à¤°à¤¤ का सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ है कि इस देश की धरती पर सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के आरमà¥à¤ में सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• ईशà¥à¤µà¤° से चार ऋषियों को चार वेदों का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤† था। इन चार वेदों के विषय जà¥à¤žà¤¾à¤¨, करà¥à¤®, उपासना à¤à¤µà¤‚ विशिषà¥à¤Ÿ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ है। वेद ईशà¥à¤µà¤° से ही उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤ हैं। यह पौरूषेय रचना नहीं अपितॠअपौरूषेय रचना है। वेदों के अतिरिकà¥à¤¤ संसार के सà¤à¥€ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ रचित पौरूषेय रचनायें हैं। मनà¥à¤·à¥à¤¯ à¤à¤•à¤¦à¥‡à¤¶à¥€ अनादि सूकà¥à¤·à¥à¤® चेतन ततà¥à¤µ होने से अलà¥à¤ªà¤œà¥à¤ž है।
अलà¥à¤ªà¤œà¥à¤ž का अरà¥à¤¥ है मनà¥à¤·à¥à¤¯ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ अतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ अलà¥à¤ª होता है। ईशà¥à¤µà¤° अनादि, अननà¥à¤¤, सब विकारों से रहित, सà¥à¤– व दà¥à¤ƒà¤– से à¤à¥€ रहित, सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤•, सरà¥à¤µà¤¶à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ à¤à¤µà¤‚ सरà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤°à¤°à¥à¤¯à¤¾à¤®à¥€ होने से सरà¥à¤µà¤œà¥à¤ž है। वह सà¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ के आदिकालीन इतिहास से अब तक की सब वसà¥à¤¤à¥à¤“ं को जानता है तथा उसे इस सृषà¥à¤Ÿà¤¿ की रचना, पालन, पà¥à¤°à¤²à¤¯, जीवों के करà¥à¤®, उनके फल का विधान आदि सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° का सतà¥à¤¯, पूरà¥à¤£, यरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ à¤à¤µà¤‚ दोषरहित जà¥à¤žà¤¾à¤¨ है। ईशà¥à¤µà¤° निषà¥à¤ªà¤•à¥à¤· à¤à¤µà¤‚ नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤•à¤¾à¤°à¥€ अनादि à¤à¤µà¤‚ अविनाशी सतà¥à¤¤à¤¾ है। उसके नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ के समà¥à¤®à¥à¤– संसार के सà¤à¥€ नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ तà¥à¤šà¥à¤› है। मनà¥à¤·à¥à¤¯ अचà¥à¤›à¥‡ व बà¥à¤°à¥‡ करà¥à¤® करके सांसारिक नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ व दणà¥à¤¡ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ से तो बच सकता है परनà¥à¤¤à¥ ईशà¥à¤µà¤° का विधान है कि उसे अपने पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• शà¥à¤ व अशà¥à¤ करà¥à¤® का फल ईशà¥à¤µà¤° की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ से मिलता है। संसार में इसका à¤à¤²à¥€à¤à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿ पालन होता à¤à¥€ दिखाई दे रहा है। हमारे व सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ का कारण हमारे पूरà¥à¤µ जनà¥à¤®-जनà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ के वह करà¥à¤® हैं जिनका जनà¥à¤® लेने से पूरà¥à¤µ à¤à¥‹à¤— नहीं हà¥à¤† था। इसका कारण है कि सरकारी व शासकीय वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ किसी मनà¥à¤·à¥à¤¯ के सà¤à¥€ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ का फल व à¤à¥‹à¤— पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ नहीं करा सकती।
मरà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤® शà¥à¤°à¥€ राम तà¥à¤°à¥‡à¤¤à¤¾ यà¥à¤— में नà¥à¤¯à¥‚नतम 8.70 लाख वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ से à¤à¥€ पूरà¥à¤µ इस संसार में à¤à¤¸à¥‡ ही महापà¥à¤°à¥à¤· थे जैसे कि आज संसार में कà¥à¤› इन गिने शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ महापà¥à¤°à¥à¤· हो सकते हैं। उन सबसे अधिक गà¥à¤£à¤µà¤¾à¤¨, बल, शकà¥à¤¤à¤¿, शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ वेदों का आचरण करने में वह अगà¥à¤°à¤£à¥€à¤¯ थे। राम विशà¥à¤µ इतिहास के आदरà¥à¤¶ राजा हैं। उनके राजà¥à¤¯ में सबसे नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ होता था। मरà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤® राम के राजà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤² में सब को वेद पà¥à¤¨à¥‡ और अपने जीवन में शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ गà¥à¤£à¥‹à¤‚ को धारण करने का अधिकार था। लोग ऋषि मà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के आशà¥à¤°à¤® में जाकर निःशà¥à¤²à¥à¤• वेद वेदांगों का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करते थे। जनà¥à¤®à¤¨à¤¾ जातिवाद, दलित, अगड़े-पिछड़ों व असà¥à¤ªà¤°à¥à¤¶à¤¯à¤¤à¤¾ आदि की कोई समसà¥à¤¯à¤¾ नहीं थी। सब धनवान थे और सà¥à¤–ी व वैदिक मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं के अनà¥à¤°à¥‚प जीवन जीते थे। राम के नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ से डर कर किसी वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ में अपराध करने का विचार तक à¤à¥€ नहीं आता था।
यदि कोई करता था तो उसे राजà¥à¤¯ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ से ततà¥à¤•à¤¾à¤² व शीघà¥à¤°à¤¤à¤® दणà¥à¤¡ मिलता था। रामचनà¥à¤¦à¥à¤° जी में किसी मनà¥à¤·à¥à¤¯ में धारण करने योगà¥à¤¯ सà¤à¥€ गà¥à¤£ अपनी पराकाषà¥à¤ ा में थे। इसी से पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ होकर उस यà¥à¤— के महान महाकवि ऋषि बालà¥à¤®à¥€à¤•à¤¿ जी ने मरà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤® राम को अपने इतिहास लेखन का चरित नायक बनाया था। ऋषि वह होता है जो किसी के गà¥à¤£à¥‹à¤‚ की मिथà¥à¤¯à¤¾ पà¥à¤°à¤¶à¤‚सा या चापलूसी नहीं करता जैसा कि आजकल देश की राजनीति में पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ देखने को मिलता है। ऋषि यदि किसी के गà¥à¤£ का उलà¥à¤²à¥‡à¤– करता है तो वह उसमें अवशà¥à¤¯ होता है। वह अधिक को बहà¥à¤¤ अधिक न पà¥à¤°à¤•à¤Ÿ कर सनà¥à¤¤à¥à¤²à¤¿à¤¤ या समà¥à¤¯à¤• रूप में ही पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ करता है। हम अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ करते हैं कि बालà¥à¤®à¥€à¤•à¤¿ रामायण में शà¥à¤°à¥€ रामचनà¥à¤¦à¥à¤° जी के जिन गà¥à¤£à¥‹à¤‚ का वरà¥à¤£à¤¨ है, उनमें वह गà¥à¤£ कहीं अधिक विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ थे।
बालà¥à¤®à¥€à¤•à¤¿ रामायण को लिखे लाखों वरà¥à¤· हो गये। मधà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤² में कà¥à¤› दà¥à¤·à¥à¤Ÿ आतà¥à¤®à¤¾à¤“ं ने à¤à¤¾à¤°à¤¤ के ऋषियो ंके गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ में अपनी मिथà¥à¤¯à¤¾ व सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं का पà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¥‡à¤ª कर इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ दूषित करने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ किया। मनà¥à¤¸à¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ सहित रामायण à¤à¤µà¤‚ महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ आदि गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ में वेद विरà¥à¤¦à¥à¤§ अनेक पà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¥‡à¤ª किये गये। देश व संसार ऋषि दयाननà¥à¤¦ के ऋणी हैं जिनकी मेधा बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ ने मधà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤² में सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ लोगों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ किये गये पà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¥‡à¤ªà¥‹à¤‚ को जाना, पहचाना व उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पहचानने करने की कसौटी बताई। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा है कि वेद-विरà¥à¤¦à¥à¤§ पà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¥‡à¤ª विष-समà¥à¤ªà¥ƒà¤•à¥à¤¤ अनà¥à¤¨ के समान होता है। ऋषियों के गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ में कोई à¤à¥€ वेद विरà¥à¤¦à¥à¤§ या पà¥à¤°à¤¸à¤‚ग विरà¥à¤¦à¥à¤§ बात आती है तो वह पà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤ªà¥à¤¤ होती है। इसी आधार पर आरà¥à¤¯ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ ने मनà¥à¤¸à¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ का संशोधन à¤à¤µà¤‚ सà¥à¤§à¤¾à¤° किया है। ऋषि दयाननà¥à¤¦-à¤à¤•à¥à¤¤ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जगदीशà¥à¤µà¤°à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ जी ने à¤à¥€ इस सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ व नीति के आधार पर रामायण à¤à¤µà¤‚ महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ का परीकà¥à¤·à¤£ कर उनके शà¥à¤¦à¥à¤§ संसà¥à¤•à¤°à¤£ पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ किये हैं जिससे मानव जाति का अतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ उपकार हà¥à¤† है। अनेक उपनिषदें à¤à¥€ à¤à¤¸à¥€ हैं जिनमें वेदविरà¥à¤¦à¥à¤§ अंश पाया जाता है। à¤à¤¸à¥‡ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ या तो वेदों के सतà¥à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ से अनà¤à¤¿à¤œà¥à¤ž विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के लिखे गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ होते हैं या फिर वह पà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤ªà¥à¤¤ होते हैं। इसी कारण आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ उपनिषदों में केवल 11 उपनिषदों को पà¥à¤°à¤¾à¤®à¤¾à¤£à¤¿à¤• मानता है।
शà¥à¤°à¥€ रामचनà¥à¤¦à¥à¤° जी के जीवन की जो घटना मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को सबसे अधिक पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ करती है वह उनका माता-पिता का आजà¥à¤žà¤¾à¤•à¤¾à¤°à¥€ होना है। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने दिखा दिया कि पिता की आजà¥à¤žà¤¾ के समà¥à¤®à¥à¤– चकà¥à¤°à¤µà¤°à¥à¤¤à¥€ राजà¥à¤¯ à¤à¥€ महतà¥à¤µ नहीं रखता। पिता की आजà¥à¤žà¤¾ दिये बिना केवल परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को जानकर राजा रामचनà¥à¤¦à¥à¤° जी ने 14 वरà¥à¤· के लिये वन जाकर रहने का अपूरà¥à¤µ निरà¥à¤£à¤¯ किया था और वहां वह वनवासी लोगों के समà¥à¤ªà¤°à¥à¤• में आये थे। उनका सहयोग करते व लेते हà¥à¤ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने वहां की राजà¥à¤¯ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ को à¤à¥€ ठीक किया था। वनवास की अवधि में ही उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सà¥à¤—à¥à¤°à¥€à¤µ के महाबली à¤à¤¾à¤ˆ बाली का वध किया था। बाली से उनका किसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° का वैरà¤à¤¾à¤µ नहीं था परनà¥à¤¤à¥ बाली ने सà¥à¤—à¥à¤°à¥€à¤µ के साथ जो अधरà¥à¤®à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° किया था उसका दणà¥à¤¡ देने के लिये उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने à¤à¤• राजा होने के कारण दणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ कर उसे पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¦à¤£à¥à¤¡ दिया था।
यह à¤à¤• पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के उस समय के दà¥à¤·à¥à¤Ÿ राजाओं को à¤à¤• उदहारण था कि यदि कोई राजा अधरà¥à¤®à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ आचरण करेगा तो वह राम से दणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ हो सकता है। जिन दिनों रामचनà¥à¤¦à¥à¤° जी वन में थे, वहां ऋषि, मà¥à¤¨à¤¿, साधà¥, संनà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥€ व साधक ईशà¥à¤µà¤° का साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•à¤¾à¤° करने की साधना करते थे। उनका समय ईशà¥à¤µà¤° विषयक गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ के सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯, साधना, ईशà¥à¤µà¤°à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾ à¤à¤µà¤‚ अगà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤° यजà¥à¤ž आदि सहित गोपालन व कृषि कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ होता था। लंका के राजा रावण के राकà¥à¤·à¤¸ सैनिक उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ परेशान करते व मार देते थे। राम चनà¥à¤¦à¥à¤° जी के वन में आने से उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने ऋषियों की रकà¥à¤·à¤¾ का वà¥à¤°à¤¤ लिया और वनों को पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ सà¤à¥€ राकà¥à¤·à¤¸à¥‹à¤‚ से रहित कर दिया था। इससे सà¤à¥€ ऋषि मà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ जीवन सà¥à¤–मय उपलबà¥à¤§ हà¥à¤† था और सबने रामचनà¥à¤¦à¥à¤° जी को अपना आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦ दिया था जिससे आगे चलकर राम-रावण यà¥à¤¦à¥à¤§ में वह सफल हà¥à¤ थे।
वनवास में रहते हà¥à¤ राम चनà¥à¤¦à¥à¤° जी की धरà¥à¤®à¤ªà¤¤à¥à¤¨à¥€ माता सीता जी का रावण ने अपहरण कर लिया था। राम ने सà¥à¤—à¥à¤°à¥€à¤µ के सहयोग से सेना तैयार की और समà¥à¤¦à¥à¤° पर पà¥à¤² बांधने का अदà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ व आज à¤à¥€ असमà¥à¤à¤µ कारà¥à¤¯ किया था। उनके सà¤à¥€ सैनिक लंका पहà¥à¤‚चे थे और उस समय के सबसे शकà¥à¤¤à¤¿à¤¶à¤¾à¤²à¥€ राजा रावण से यà¥à¤¦à¥à¤§ कर उसके सà¤à¥€ सेनापतियों व योदà¥à¤§à¤“ं को मार डाला था। रावण सà¥à¤µà¤¯à¤‚ यà¥à¤¦à¥à¤§ में मारा गया। यह राम-रावण यà¥à¤¦à¥à¤§ धरà¥à¤®-अधरà¥à¤® के मधà¥à¤¯ यà¥à¤¦à¥à¤§ था जिसमें धरà¥à¤® की विजय हà¥à¤ˆ थी। राम वैदिक आरà¥à¤¯ राजनीति के मरà¥à¤®à¤œà¥à¤ž थे। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने लंका को अपना उपनिवेश न बनाकर रावण के धारà¥à¤®à¤¿à¤• पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿ के à¤à¤¾à¤ˆ विà¤à¥€à¤·à¤£ को वहां का राजा बना कर à¤à¤• पà¥à¤°à¤¶à¤‚सनीय उदाहरण पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ किया था। रावण की ही तरह पड़ोसी देश पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ का à¤à¥€ विगत 72 वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ से à¤à¤¾à¤°à¤¤ के साथ वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° है। वह आतंकवाद के माधà¥à¤¯à¤® से à¤à¤¾à¤°à¤¤ से छदà¥à¤® यà¥à¤¦à¥à¤§ कर रहा है। हमारे हजारों सैनिक इस कारण अपने पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ से हाथ धो बैठे हैं। यदि विगत समय में राम जैसा कोई राजा à¤à¤¾à¤°à¤¤ में होता तो उसकी वही दशा होती जो राम ने रावण की थी।
इस दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ मोदी जी कà¥à¤› अचà¥à¤›à¥‡ राजा अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ सिदà¥à¤§ हà¥à¤ हैं। रामायण में राम व सीता जी को हम हर परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में धरà¥à¤® का पालन व धरà¥à¤® की रकà¥à¤·à¤¾ करते हà¥à¤ देखते हैं। वह विपरीत से विपरीत परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में धैरà¥à¤¯ रखते थे। धैरà¥à¤¯ ही धरà¥à¤® का पà¥à¤°à¤¥à¤® लकà¥à¤·à¤£ है। इसका हमें à¤à¥€ धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ रखना चाहिये। राम चनà¥à¤¦à¥à¤° जी को à¤à¤• बलवान, बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤šà¤¾à¤°à¥€, वीर, साहसी, देशà¤à¤•à¥à¤¤, वेदà¤à¤•à¥à¤¤, ईशà¥à¤µà¤°à¤à¤•à¥à¤¤, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¤à¤•à¥à¤¤ शिषà¥à¤¯ व à¤à¤•à¥à¤¤ हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ मिले थे। राम को अपने वनवासी जीवन में उनसे अनेक पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की सहायता पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤ˆà¥¤ राम व हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ का सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€-सेवक समà¥à¤¬à¤¦à¥à¤§ आदरà¥à¤¶ समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ रहा है। इसे पà¥à¤•à¤° हम à¤à¤¸à¤¾ अनà¥à¤à¤µ करते हैं कि हमें अपना आदरà¥à¤¶ किसी सामानà¥à¤¯ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को नहीं अपितॠशà¥à¤°à¥€ राम जैसे वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को बनाना चाहिये जिसमें गà¥à¤£à¥‹à¤‚ की पराकाषà¥à¤ ा हो।
वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ समय में इसकी पूरà¥à¤¤à¤¿ मरà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤® राम, योगेशà¥à¤µà¤° शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ व महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ के जीवन को अपनाकर की जा सकती है। यदि हम à¤à¤¸à¤¾ करेंगे तà¤à¥€ देश सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ रहेगा अनà¥à¤¯à¤¥à¤¾ नहीं, à¤à¤¸à¤¾ हम अनà¥à¤à¤µ करते हैं। रामनवमी के अवसर पर हमें बालà¥à¤®à¥€à¤•à¥€ रामायण के पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤• पà¥à¤°à¤¸à¤‚गों को पà¥à¤•à¤° उनसे पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ लेकर अपने जीवन का कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ करना है। इस अवसर पर पौराणिक कथाओं व पूजा के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर शà¥à¤°à¥€ राम चनà¥à¤¦à¥à¤° के चरितà¥à¤° पर विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के पà¥à¤°à¤µà¤šà¤¨ होने चाहिये जो उनके गà¥à¤£à¥‹à¤‚ को पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ कर लोगों को उन जैसा बनने की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ करें। तà¤à¥€ रामनवमी का परà¥à¤µ मनाना सारà¥à¤¥à¤• हो सकता है।
रामचनà¥à¤¦à¥à¤° जी की à¤à¤• बात जो हमें बहà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ करती है उसे à¤à¥€ यहां लिख देते हैं। राम ने वनगमन से पूरà¥à¤µ जब पिता को अरà¥à¤§à¤®à¥‚रà¥à¤šà¥à¤›à¤¿à¤¤ अवसà¥à¤¥à¤¾ में देखा तो उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने उसका कारण बताने को कहा था। दशरथ जी के मौन रहने पर उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤œà¥à¤žà¤¾à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• कहा था कि आप मà¥à¤à¥‡ निःसंकोच अपने मन की बात कहें। यदि आपकी आजà¥à¤žà¤¾ पालन करने के लिये मà¥à¤à¥‡ चिता की अगà¥à¤¨à¤¿ में कूदना à¤à¥€ पड़े तो à¤à¥€ मैं उस पर बिना विचार किठकूद जाऊंगा। इतिहास में किसी पà¥à¤¤à¥à¤° ने अपने पिता को à¤à¤¸à¥€ बात कही हो इसका कोई उदाहरण नहीं मिलता। राम ने अपने जीवन में जो कारà¥à¤¯ किये वैसे कारà¥à¤¯ à¤à¥€ किसी अनà¥à¤¯ ने किये हों, विशà¥à¤µ इतिहास में इसका à¤à¥€ कोई उदाहरण नहीं मिलता। हम तो विगत अनेक शताबà¥à¤¦à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से लोगों को सतà¥à¤¤à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ के लिये पागल सा हà¥à¤† देख रहे हैं।
इतिहास में सतà¥à¤¤à¤¾ के लिठà¤à¤¾à¤ˆ ने à¤à¤¾à¤ˆ को मारा है परनà¥à¤¤à¥ वैदिक धरà¥à¤® व इतिहास इसके विपरीत है। रामचनà¥à¤¦à¥à¤° जी के इतिहास को अपनाकर ही देश की समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं का समाधान का हो सकता है। रामनवमी के दिन आरà¥à¤¯à¥‹à¤‚ व हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं को अपनी घटती जनसंखà¥à¤¯à¤¾ व उसके अनà¥à¤ªà¤¾à¤¤ पर à¤à¥€ धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ देना चाहिये। इसमें यदि असावधानी हà¥à¤ˆ तो वेद, वैदिक धरà¥à¤® व सनातन धरà¥à¤® इतिहास की वसà¥à¤¤à¥ बन कर रह जायेंगी। रामनवमी परà¥à¤µ के दिन हमें जनà¥à¤®à¤¨à¤¾ जातिवाद दूर करने की à¤à¥€ शपथ व संकलà¥à¤ª लेना चाहिये। इसी से आरà¥à¤¯ हिनà¥à¤¦à¥‚ जाति सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ हो सकती है। हमें शà¥à¤¦à¥à¤§ मन से मूरà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚जा, मृतक शà¥à¤°à¤¾à¤¦à¥à¤§, फलित जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· की अविशà¥à¤µà¤¸à¤¨à¥€à¤¯à¤¤à¤¾ व हानियों सहित अवतारवाद आदि की मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं पर वेद, दरà¥à¤¶à¤¨, उपनिषद à¤à¤µà¤‚ गà¥à¤£à¤¦à¥‹à¤· के आधार पर विचार à¤à¤µà¤‚ निरà¥à¤£à¤¯ करना चाहिये।
इसी में जाति का हित छिपा हà¥à¤† है। चैतà¥à¤° शà¥à¤•à¥à¤² अषà¥à¤Ÿà¤®à¥€ को जो बाल-नारी पूजन की पà¥à¤°à¤¥à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ हैं उस पर à¤à¥€ आधà¥à¤¨à¤¿à¤• परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¯à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤°à¥‚प चिनà¥à¤¤à¤¨ कर उसे सारà¥à¤¥à¤• रूप देने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ करना चाहिये। विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ का काम पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ वसà¥à¤¤à¥à¤“ं की नà¥à¤¯à¥‚नताओं को दूर कर उसे आधà¥à¤¨à¤¿à¤• समय के अनà¥à¤•à¥‚ल व अनà¥à¤°à¥‚प बनाना होता है तà¤à¥€ वह अधिक लाà¤à¤ªà¥à¤°à¤¦ व उपयोगी बनती हैं। लकीर को पीटने से समय à¤à¤µà¤‚ à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ में हितों की हानि होती है व होती आ रही है। ओ३मॠशमà¥à¥¤
-मनमोहन कà¥à¤®à¤¾à¤° आरà¥à¤¯
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