“आरà¥à¤·-अनारà¥à¤· कसौटी के जà¥à¤žà¤¾à¤¤à¤¾ पà¥à¤°à¤œà¥à¤žà¤¾à¤šà¤•à¥à¤·à¥ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ विरजाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€â€
Author
Manmohan Kumar AryaDate
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Vikas KumarUpload Date
16-Apr-2019Download PDF
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सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ विरजाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ जी सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ जी के विदà¥à¤¯à¤¾à¤—à¥à¤°à¥ थे। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ जी को विदà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¨ देकर आपने ही उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ वेदारà¥à¤· जà¥à¤žà¤¾à¤¨ से आलोकित किया था। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ विरजाननà¥à¤¦ जी जनà¥à¤® पंजाब में करतारपà¥à¤° के निकट के à¤à¤• गांव गंगापà¥à¤° में हà¥à¤† था। शà¥à¤°à¥€ नारायण दतà¥à¤¤ जी आपके पिता थे। बचपन में ही सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ विरजाननà¥à¤¦ जी के माता-पिता का देहानà¥à¤¤ हो गया था। बचपन में शीतला रोग हो जाने के कारण आपके दोनों नेतà¥à¤°à¥‹à¤‚ की जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿ चली गई थी।
इनकी à¤à¤¾à¤à¥€ का इनके पà¥à¤°à¤¤à¤¿ सनà¥à¤¤à¥‹à¤·à¤œà¤¨à¤• वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° नहीं था। इस कारण इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ घर छोड़ना पड़ा। यह उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ आये और यहां रहकर ऋषिकेश à¤à¤µà¤‚ हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° आदि सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ में गायतà¥à¤°à¥€ मनà¥à¤¤à¥à¤° आदि की साधना की। उसके बाद आप कनखल गये। आपकी सà¥à¤®à¤°à¤£ शकà¥à¤¤à¤¿ तीवà¥à¤° थी। आप सà¥à¤¨à¥€ बातों को कणà¥à¤ कर लेते थे। इनके समय में अषà¥à¤Ÿà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€ महाà¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ आदि का अधà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¨ अपà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ हो चà¥à¤•à¤¾ था। आपने किसी को अषà¥à¤Ÿà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€ का पाठकरते सà¥à¤¨à¤¾ तो उसे सà¥à¤®à¤°à¤£ कर लिया और निरà¥à¤¦à¥‹à¤· à¤à¤µà¤‚ शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ जानकर उसी का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨-अधà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¨ à¤à¤µà¤‚ पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° किया।
आपकी मथà¥à¤°à¤¾ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ पाठशाला में न जाने कितने विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ आये और गये परनà¥à¤¤à¥ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ जी को विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ रूप में पाकर सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ विरजाननà¥à¤¦ जी की पाठशाला धनà¥à¤¯ हो गई। यह दोनों गà¥à¤°à¥ व शिषà¥à¤¯ इतिहास में सदैव अमर रहेंगे। à¤à¤¸à¤¾ गà¥à¤°à¥ व दयाननà¥à¤¦ जी जैसा शिषà¥à¤¯ शायद इतिहास में दूसरा नहीं हà¥à¤† है। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ जी में जो गà¥à¤£à¥‹à¤‚ का à¤à¤£à¥à¤¡à¤¾à¤° था इसमें सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ विरजाननà¥à¤¦ जी की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ à¤à¤µà¤‚ दोनों का परसà¥à¤ªà¤° सानà¥à¤¨à¤¿à¤§à¥à¤¯ कारण था।
हम कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ करते हैं कि यदि सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ विरजाननà¥à¤¦ जी की à¤à¤¾à¤à¥€ का उनके पà¥à¤°à¤¤à¤¿ कड़ा व उपेकà¥à¤·à¤¾à¤œà¤¨à¤• वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° न होता तो तो सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ विरजाननà¥à¤¦ जी वà¥à¤¯à¤¾à¤•à¤°à¤£ के शिरोमणी विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ न बनते और यदि सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ विरजाननà¥à¤¦ जी न होते तो देश व संसार को सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ जैसा वेदों का अपूरà¥à¤µ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨, धरà¥à¤® पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤°à¤•, वेदोदà¥à¤§à¤¾à¤°à¤•, वेदà¤à¤¾à¤·à¥à¤¯à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾, देश की आजादी का मनà¥à¤¤à¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¤à¤¾, समाज सà¥à¤§à¤¾à¤°à¤• तथा मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ की अविदà¥à¤¯à¤¾ वा उनकी सचà¥à¤šà¤¾à¤ˆ बताने वाला वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ इतिहास में न हà¥à¤† होता।
धनà¥à¤¯ हैं सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ विरजाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ व उनके विदà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥à¤°à¤¾à¤—ी शिषà¥à¤¯, आदरà¥à¤¶ ईशà¥à¤µà¤°à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤•, वेदà¤à¤•à¥à¤¤ à¤à¤µà¤‚ देशà¤à¤•à¥à¤¤ ऋषि दयाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€à¥¤
--मनमोहन आरà¥à¤¯
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