गाà¤à¤§à¥€ के राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¿à¤¤à¤¾ होने पर मेरे सवाल
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Rajeev ChoudharyDate
18-May-2019Category
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RajeevUpload Date
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मधà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ की à¤à¥‹à¤ªà¤¾à¤² संसदीय सीट से à¤à¤¾à¤œà¤ªà¤¾ उमà¥à¤®à¥€à¤¦à¤µà¤¾à¤° साधà¥à¤µà¥€ पà¥à¤°à¤œà¥à¤žà¤¾ ठाकà¥à¤° ने महातà¥à¤®à¤¾ गांधी की हतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥‡ नाथूराम गोडसे को देशà¤à¤•à¥à¤¤ बताया था। हालांकि à¤à¤¾à¤œà¤ªà¤¾ ने उनके उस बयान से किनारा कर लिया। जिसके बाद साधà¥à¤µà¥€ पà¥à¤°à¤œà¥à¤žà¤¾ ने उस बयान पर माफी मांगी। इसी दौरान à¤à¤• अनà¥à¤¯ à¤à¤¾à¤œà¤ªà¤¾ नेता अनिल सौमितà¥à¤° ने फेसबà¥à¤• पर à¤à¤• पोसà¥à¤Ÿ साà¤à¤¾ की इसमें उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने लिखा कि पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ का जनà¥à¤® बापू के आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦ से हà¥à¤† था। वे राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¿à¤¤à¤¾ थे लेकिन पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ के, à¤à¤¾à¤°à¤¤ राषà¥à¤Ÿà¥à¤° में उनके जैसे करोड़ों पà¥à¤¤à¥à¤° हà¥à¤ कà¥à¤› लायक तो नालायक।
हालंकि इसके बाद उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ उनके पद से हटा दिया गया है लेकिन दो दिनों तक चली इस राजनीति चरà¥à¤šà¤¾ में सवाल जरà¥à¤° खड़े हो गये और सवाल à¤à¤¸à¥‡ है कि जिन पर पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• राजनितिक दलों के अपने अलग-अलग विचार और मत है। पर सवाल ये है कि à¤à¤• आम à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ की इन सवालों पर कà¥à¤¯à¤¾ राय.है। कà¥à¤¯à¤¾ गाà¤à¤§à¥€ जी सच में देश के राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¿à¤¤à¤¾ है? और दूसरा ये कि गाà¤à¤§à¥€ जी और गोडसे की राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ के लिहाज से कौन बड़ा देशà¤à¤•à¥à¤¤ है?
अगर पहला सवाल ही देखा जाये तो कई चीजें सामने निकालकर आती है मसलन गाà¤à¤§à¥€ जी à¤à¤¾à¤°à¤¤ के राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¿à¤¤à¤¾ कैसे है? यही सवाल अकà¥à¤¤à¥‚बर साल 2012 में ककà¥à¤·à¤¾ 6 में पढने वाली à¤à¤• बचà¥à¤šà¥€ à¤à¤¶à¥à¤µà¤°à¥à¤¯à¤¾ ने सूचना के अधिकार के तहत माà¤à¤—ा था कि महातà¥à¤®à¤¾ गांधी को राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¿à¤¤à¤¾ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ कहा जाता है? उस समय देश में à¤à¤¾à¤œà¤ªà¤¾ की नहीं बलà¥à¤•à¤¿ कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ की सरकार थी और तब à¤à¤¾à¤°à¤¤ के केंदà¥à¤°à¥€à¤¯ गृह मंतà¥à¤°à¤¾à¤²à¤¯ ने कहा था वह राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¿à¤¤à¤¾ नहीं है और न ही सरकार महातà¥à¤®à¤¾ गांधी को राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¿à¤¤à¤¾ की उपाधि दे सकती। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि देश का संविधान शैकà¥à¤·à¤¿à¤• और सैनà¥à¤¯ उपाधि के अलावा कोई और उपाधि देने की इजाजत नहीं देता।
अब इसी में दूसरा सवाल छिपा है कि यदि सरकार à¤à¤¸à¥€ उपाधि नहीं दे सकती तो फिर à¤à¤• आम à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ गाà¤à¤§à¥€ को राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¿à¤¤à¤¾ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ माने? तीसरा सवाल ये à¤à¥€ कि à¤à¤¾à¤°à¤¤ देश करोड़ो वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ से कोई à¤à¥‚मि का टà¥à¤•à¥œà¤¾ नहीं बलà¥à¤•à¤¿ आसà¥à¤¥à¤¾ संसà¥à¤•à¤¾à¤° और संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ संजोये à¤à¤• जीता जागता महापà¥à¤°à¥à¤· है और इस महापà¥à¤°à¥à¤· का पिता ईशà¥à¤µà¤° के अलावा कोई दूसरा कैसे हो सकता है। à¤à¤¾à¤°à¤¤ देश गाà¤à¤§à¥€ से पहला है न कि गाà¤à¤§à¥€ जी के बाद इसका जनà¥à¤® हà¥à¤†à¥¤ हाठà¤à¤¾à¤œà¤ªà¤¾ नेता अनिल सौमितà¥à¤° के इस बयान में जरà¥à¤° दम है कि गाà¤à¤§à¥€ जी के कारण ही पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ का जनà¥à¤® हà¥à¤† जिसका 1947 से पहले कोई वजूद नहीं था इस कारण उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ का पिता कहने में कोई शरà¥à¤® की बात नहीं होनी चाहिà¤à¥¤
इसके अलावा अब यदि साधà¥à¤µà¥€ पà¥à¤°à¤œà¥à¤žà¤¾ ठाकà¥à¤° दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ नाथूराम गोडसे को देशà¤à¤•à¥à¤¤ कहा जाना à¤à¥€ कई सवाल लिठखड़ा है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि कानून नाथूराम को गाà¤à¤§à¥€ जी का हतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¤¾ तो कह सकता है लेकिन नाथूराम की देशà¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ पर सवाल कैसे खड़े कर सकता है? सिरà¥à¤« इस बात पर कि गाà¤à¤§à¥€ जी और नाथूराम में वैचारिक मतà¤à¥‡à¤¦ था और à¤à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ ने दूसरे पर हमला कर दिया था? तो à¤à¤• देशà¤à¤•à¥à¤¤ और दूसरा देशदà¥à¤°à¥‹à¤¹à¥€ कैसे हो गया? यदि à¤à¤¸à¤¾ है तो फिर इतिहास में देशà¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ की परिà¤à¤¾à¤·à¤¾ ही दूसरी लिखनी पड़ेगी कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤¨à¤‚द सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ के हतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥‡ को खà¥à¤¦ गांधी के बयान ने ही बचाया था। जब 1926 में जिस अबà¥à¤¦à¥à¤² राशिद नाम के वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ ने उनकी हतà¥à¤¯à¤¾ की थी गांधी ने उसका बचाव मेरा à¤à¤¾à¤ˆ कहकर किया था। गांधीजी पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ से राशिद को छोड़ दिया गया। यह जानते हà¥à¤ à¤à¥€ कि सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤¨à¤‚द सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ उस समय देश के सबसे बड़े आजादी के सिपाही थे। कà¥à¤¯à¤¾ अब हम सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ की देशà¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ और गाà¤à¤§à¥€ जी की देशà¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ को अलग-अलग तोले?
वैचारिक मतà¤à¥‡à¤¦ किसके नहीं थे कोई बदले में अपराध गया तो कोई नहीं कर पाया। कौन नहीं जानता कि नेहरॠऔर पटेल के à¤à¥€ वैचारिक मतà¤à¥‡à¤¦ थे तो à¤à¤—तसिंह और गाà¤à¤§à¥€ जी à¤à¥€à¥¤ यदि इतिहास के कà¥à¤› पनà¥à¤¨à¥‡ खोले तो दूसरे गोल मेज समà¥à¤®à¥‡à¤²à¤¨ के बाद बोस ने गांधी जी पर सीधे तौर पर हमला किया था। गांधी जी ने इस समà¥à¤®à¥‡à¤²à¤¨ में अलà¥à¤ªà¤¸à¤‚खà¥à¤¯à¤• का मà¥à¤¦à¥à¤¦à¤¾ उठाया था जबकि बोस का आरोप था कि यहां à¤à¤¾à¤°à¤¤ की आजादी को लेकर बात होनी चाहिठथी। इस मà¥à¤¦à¥à¤¦à¥‡ पर गांधी जी की वजह से नेहरू और बोस के बीच दूरियां बà¥à¤¨à¥€ शà¥à¤°à¥‚ हो गई थी। यही नहीं गांधी और नेहरू, बोस के आजाद हिंद फौज के गठन के फैसले के खिलाफ थे और बोस पर लिखी गई कई किताबों में इस तथà¥à¤¯ का à¤à¥€ जिकà¥à¤° है कि à¤à¤¾à¤°à¤¤ की आजादी के जिस दसà¥à¤¤à¤¾à¤µà¥‡à¤œ पर नेहरू ने हसà¥à¤¤à¤¾à¤•à¥à¤·à¤° किठथे उसमें यह à¤à¥€ लिखा था कि यदि बोस आजाद à¤à¤¾à¤°à¤¤ में à¤à¥€ लौटेंगे तो उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ गिरफà¥à¤¤à¤¾à¤° किया जाà¤à¤—ा। इसके बाद सà¥à¤µà¤¯à¤‚ à¤à¤¾à¤°à¤¤ के संविधान निरà¥à¤®à¤¾à¤¤à¤¾ आंबेडकर जी ने अपने लिखे à¤à¤• ख़त में गाà¤à¤§à¥€ जी की हतà¥à¤¯à¤¾ को जायज बताया था और गोपाल गोडसे की पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• गाà¤à¤§à¥€ वध कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में सरोजनी नायडू का कथन छपा है कि जब गाà¤à¤§à¥€ जी लाश के पास लोग रो रहे थे तब सरोजनी ने कहा था कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ रो रहे हो कà¥à¤› दिन बाद कबà¥à¤œ होकर à¤à¥€ तो मरता।
अब इस सवाल का जवाब कौन देगा कि जिन-जिन लोगों से गाà¤à¤§à¥€ जी के वैचारिक मतà¤à¥‡à¤¦ थे कà¥à¤¯à¤¾ वह सब देशदà¥à¤°à¥‹à¤¹à¥€ थे, कà¥à¤¯à¥‹à¤•à¤¿ इस हिसाब से बोस, पटेल, à¤à¤—तसिंह, बिसà¥à¤®à¤¿à¤² à¤à¤—वतीचरण बोहरा समेत सà¤à¥€ कà¥à¤°à¤¨à¥à¤¤à¤¿à¤•à¤¾à¤°à¥€ और नेता देशदà¥à¤°à¥‹à¤¹à¥€ हà¥à¤ और सिरà¥à¤« नेहरॠजी और गाà¤à¤§à¥€ जी देशà¤à¤•à¥à¤¤? जबकि 15 नवंबर 1949 को जब नाथूराम गोडसे और नारायण आपà¥à¤Ÿà¥‡ को फाà¤à¤¸à¥€ के लिठले जाया गया तो उनके à¤à¤• हाथ में गीता और अखंड à¤à¤¾à¤°à¤¤ का नकà¥à¤¶à¤¾ था और दूसरे हाथ में à¤à¤—वा धà¥à¤µà¤œà¥¤ फाà¤à¤¸à¥€ का फंदा पहनाठजाने से पहले उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने नमसà¥à¤¤à¥‡ सदा वतà¥à¤¸à¤²à¥‡ का उचà¥à¤šà¤¾à¤°à¤£ किया और नारे लगाà¤. कà¥à¤¯à¤¾ à¤à¤¸à¤¾ करने वाले देशदà¥à¤°à¥‹à¤¹à¥€ हो सकते है?
चलो कà¥à¤› लोगों के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° à¤à¤• पल को यदि à¤à¤¸à¤¾ मान à¤à¥€ ले तो गाà¤à¤§à¥€ के पà¥à¤¤à¥à¤° देवदास गाà¤à¤§à¥€ ने तो गोडसे को कà¥à¤·à¤®à¤¾à¤¦à¤¾à¤¨ देने के लिठà¤à¥œà¥€-चोटी का जोर लगा दिया था फिर कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ à¤à¤• देशदà¥à¤°à¥‹à¤¹à¥€ को गाà¤à¤§à¥€ जी का पà¥à¤¤à¥à¤° बचा रहा था। à¤à¤¸à¥‡ सवालों के जवाब न नेता देंगे और न वामपंथी इतिहासकार जबकि सवाल आज à¤à¥€ खड़े होकर पूछ रहे कि यदि गोडसे देशदà¥à¤°à¥‹à¤¹à¥€ और गाà¤à¤§à¥€ जी का हतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¤¾ था तो बंटवारे में 10 लाख लोग किनके कारण मारे गये थे बटवारे की लाशों का जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤° कौन है यह à¤à¥€ हमें जरà¥à¤° बताया जाये?
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