पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ संरकà¥à¤·à¤£ ही जीवन संरकà¥à¤·à¤£ है
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Acharya AnoopdevDate
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Vikas KumarUpload Date
27-Jul-2019Download PDF
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इस समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ संसार की सबसे अमूलà¥à¤¯ वसà¥à¤¤à¥ यदि कà¥à¤› है, तो वो हैं पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¥¤ इसके बिना किसी à¤à¥€ जीव का जीवन जीना, कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ मातà¥à¤° है। मनà¥à¤·à¥à¤¯ कि आरà¥à¤¥à¤¿à¤• उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ का आधार पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ ही है। यदि हमने पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ संरकà¥à¤·à¤£ पर धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ नही दिया तो इसके बहà¥à¤¤ ही à¤à¤¯à¤‚कर दà¥à¤·à¥à¤ªà¤°à¤¿à¤£à¤¾à¤® हो सकते हैं। लोगों को इस बात का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ होना चाहिठकि पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का संरकà¥à¤·à¤£ ही हमारे और हमारी आने वाली पीà¥à¥€ के सà¥à¤¨à¤¹à¤°à¥‡ à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ का आधार है।
हमें अपनी दिनचरà¥à¤¯à¤¾ में à¤à¤¸à¥€ गतिविधियों को à¤à¥€ शामिल करना चाहिà¤, जिससे पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का संरकà¥à¤·à¤£ हो। हमें यह धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ रखना चाहिठकि हमारी किनà¥à¤¹à¥€à¤‚ à¤à¥€ गतिविधियों से परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ को कोई नà¥à¤•à¤¸à¤¾à¤¨ न हो। हम किसी à¤à¥€ शà¥à¤ कारà¥à¤¯ की शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ à¤à¤• पौधा लगाकर कर सकते हैं या उपहार में देकर कर सकते हैं।
हमारे घर के आस-पास या सड़क के किनारे जहां à¤à¥€ खाली जगह दिखाई दे, वहां à¤à¤• पौधा जरूर रोपित करें। विशà¥à¤µ पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ संरकà¥à¤·à¤£ दिवस पर à¤à¤• संकलà¥à¤ª ले और पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के संरकà¥à¤·à¤£ की आदत बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को à¤à¥€ सिखाà¤à¤‚, इससे हमारी आने वाली पीà¥à¥€ à¤à¥€ परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ को बचाने के लिठसहयोग करेगी।
गà¥à¤²à¥‹à¤¬à¤² वारà¥à¤®à¤¿à¤‚ग तथा जलवायॠपरिवरà¥à¤¤à¤¨ के कारण उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ होने वाले इस परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ संकट की समसà¥à¤¯à¤¾ के समाधान का कोई उपाय आज विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ और पà¥à¤°à¥Œà¤¦à¥à¤¯à¥‹à¤—िकी के पास à¤à¥€ नहीं है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि इसी पà¥à¤°à¥Œà¤¦à¥à¤¯à¥‹à¤—िकी ने गà¥à¤°à¥€à¤¨ हाउस गैसों के उतà¥à¤¸à¤°à¥à¤œà¤¨ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ गà¥à¤²à¥‹à¤¬à¤² वारà¥à¤®à¤¿à¤‚ग के इस संकट को गहराया है। गà¥à¤²à¥‹à¤¬à¤² वारà¥à¤®à¤¿à¤‚ग को रोकने के लिà¤, पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को जागरूक होना होगा, तथा हमें वायà¥, जल, पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का रकà¥à¤·à¤£, संरकà¥à¤·à¤£ करना होगा।
हमारे वेदों में पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के बारे में कहा गया है –
‘माता à¤à¥‚मिः पà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤½à¤¹à¤‚ पृथिवà¥à¤¯à¤¾à¤ƒ’।
अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ à¤à¥‚मि को माता तथा वहां के निवासी को उसका पà¥à¤¤à¥à¤° बताया गया है - यजà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ के à¤à¤• मनà¥à¤¤à¥à¤° में विशà¥à¤µ परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ की रकà¥à¤·à¤¾ हेतॠदà¥à¤¯à¥à¤²à¥‹à¤•, अनà¥à¤¤à¤°à¤¿à¤•à¥à¤·à¤²à¥‹à¤•, पृथिवीलोक और समसà¥à¤¤ वनसà¥à¤ªà¤¤à¤¿ जगत की शानà¥à¤¤à¤¿ हेतॠपà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ की गई है-
“दà¥à¤¯à¥Œà¤ƒ शानà¥à¤¤à¤¿à¤ƒ अनà¥à¤¤à¤°à¤¿à¤•à¥à¤·à¤‚ शानà¥à¤¤à¤¿à¤ƒ पृथिवी शानà¥à¤¤à¤¿à¤°à¤¾à¤ªà¤ƒ शानà¥à¤¤à¤¿à¤ƒ‚ओषधयः शानà¥à¤¤à¤¿à¤ƒà¥¤ वनसà¥à¤ªà¤¤à¤¯à¤ƒ शानà¥à¤¤à¤¿à¤ƒ विशà¥à¤µà¥‡à¤¦à¥‡à¤µà¤¾à¤ƒ शानà¥à¤¤à¤¿à¤ƒ‚ बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® शानà¥à¤¤à¤¿à¤ƒ सरà¥à¤µà¤‚ शानà¥à¤¤à¤¿à¤ƒ शानà¥à¤¤à¤¿à¤°à¥‡à¤µ शानà¥à¤¤à¤¿à¤ƒ सा मा शानà¥à¤¤à¤¿à¤°à¥‡à¤§à¤¿ ।”
NDND माइकà¥à¤°à¥‹à¤¬à¤¾à¤¯à¤²à¥‰à¤œà¥€ के वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• डॉ.मोनकर ने हवन के पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¥‹à¤‚ के अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ के बाद यह साबित करने में कामयाबी पाई है कि हवन के बाद जो वातावरण निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ होता है उसमें विषैले जीवाणॠबहà¥à¤—à¥à¤£à¤¿à¤¤ नहीं हो पाते और बेअसर हो जाते हैं। à¤à¤¸à¤Ÿà¤¾à¤ˆà¤ªà¥€ नामक पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤˜à¤¾à¤¤à¤• बैकà¥à¤Ÿà¥€à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ हवन के बाद के वातावरण में सकà¥à¤°à¤¿à¤¯ ही नहीं रह पाता।
यह जानना बहà¥à¤¤ ही जरà¥à¤°à¥€ है कि यदि वनà¥à¤¯ जीव à¤à¥‚मंडल पर न रहें तो परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ पर तथा मनà¥à¤·à¥à¤¯ के आरà¥à¤¥à¤¿à¤• विकास पर कà¥à¤¯à¤¾ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ पड़ेगा? पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ à¤à¤¸à¤¾ है जिसका जवाब à¤à¥€ हमारे सामने है कि यदि ये ना रहे तो हमारी पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤¤à¤¿ पर बहà¥à¤¤ ही बà¥à¤°à¤¾ असर हो सकता है। लेकिन इनà¥à¤¹à¥‡ बचने के à¤à¥€ कà¥à¤› तरीके है जोकि हमें अपनी नियमित जीवन में शामिल करना बहà¥à¤¤ जरà¥à¤°à¥€ है। जैसे :-
- 1. जंगलों को न काटे, यदि हम वृकà¥à¤·à¥‹à¤‚ को काटते रहे तो इससे कारण मिटà¥à¤Ÿà¥€ का कटाव मिटà¥à¤Ÿà¥€ के पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹ को बढ़ाता है जिसके कारण बाढ़ और सूखा का विशिषà¥à¤Ÿ चकà¥à¤° शà¥à¤°à¥‚ होता है। अधिक से अधिक वृकà¥à¤· लगायें।
- 2. जमीन में उपलबà¥à¤§ पानी का उपयोग तब ही करें जब आपको बहà¥à¤¤ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ जरूरत हो। कà¥à¤¯à¥‹à¤•à¤¿ पृथà¥à¤µà¥€ के 78% à¤à¤¾à¤— पर महासागर पाठजाते हैं जिनमें नमकीन जल मिलता है परंतॠयह पीने के योगà¥à¤¯ नहीं होता है। पीने योगà¥à¤¯ जल को मीठा जल या मीठा पानी कहते हैं। पृथà¥à¤µà¥€ पर मौजूद कà¥à¤² जल में से 3 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ जल ही पीने योगà¥à¤¯ है।
- 3. कारà¥à¤¬à¤¨ जैसी नशीली गैसों का उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ बंद करे, औदà¥à¤¯à¥‹à¤—िक कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° से निकले जल में तेल. कà¥à¤·à¤¾à¤°, अमोनिया, फिनाइल, हाइडà¥à¤°à¥‹à¤œà¤¨, सलफाइड à¤à¤µà¤‚ कारà¥à¤¬à¤¨à¤¿à¤• रसायन होते हैं। जिससे जल, वायà¥, मिटà¥à¤Ÿà¥€ सब दूषित हो जाते हैं। यह जलीय जीवों, और मानव जीवन के लिठबेहत हानिकारक हैं। इसके कारण जल का गंध व सà¥à¤µà¤¾à¤¦ à¤à¥€ खराब हो जाता है।
- 4. पà¥à¤²à¤¾à¤¸à¥à¤Ÿà¤¿à¤• के लिफाफे छोड़ें और रदà¥à¤¦à¥€ कागज के लिफाफे या कपड़े के थैले इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² करें। पà¥à¤²à¤¾à¤¸à¥à¤Ÿà¤¿à¤• पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤¦à¥à¤·à¤£ का सबसे बड़ा कारण है। हमारे à¤à¤¾à¤°à¤¤ देश में 2016 की à¤à¤• रिपोरà¥à¤Ÿ के मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¿à¤• पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ 15000 टन पà¥à¤²à¤¾à¤¸à¥à¤Ÿà¤¿à¤• अपशिषà¥à¤Ÿ निकलता है। जो कि दिन पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ बढ़ता ही जा रहा है। पà¥à¤²à¤¾à¤¸à¥à¤Ÿà¤¿à¤• के बढ़ते उपयोग का इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि पूरे विशà¥à¤µ में इतना पà¥à¤²à¤¾à¤¸à¥à¤Ÿà¤¿à¤• हो गया है कि इस पà¥à¤²à¤¾à¤¸à¥à¤Ÿà¤¿à¤• से पृथà¥à¤µà¥€ को 5 बार लपेटा जा सकता है।
बदलें हम तसà¥à¤µà¥€à¤° जहाठकि, सà¥à¤‚दर सा à¤à¤• दृशà¥à¤¯ बनायें ।
संदेश ये हम सब तक फैलाà¤à¤‚, कि आओं परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ बचाà¤à¤‚ ।।
-आचारà¥à¤¯ अनूपदेव
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