अबकी बार पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ कहाठबनेगा
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Rajeev ChoudharyDate
27-Jul-2019Category
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RajeevUpload Date
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किसी ने कहा है..हो तà¥à¤® अदीब कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ बांटने की बात करते हो, कलम ले हाथ में कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ काटने की बात करते हो। सियासत और अदब में फरà¥à¤• कà¥à¤› तो है मेरे à¤à¤¾à¤ˆ, à¤à¤²à¤¾ तà¥à¤® फिर कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ à¤à¤¸à¥‡ जाहिलों की बात करते हो।
à¤à¤• सीनियर à¤à¤¡à¤µà¥‹à¤•à¥‡à¤Ÿ और सामाजिक कारà¥à¤¯à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾ है नाम है महमूद पà¥à¤°à¤¾à¤šà¤¾à¥¤ इनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ दिलà¥à¤²à¥€ के पà¥à¤°à¥‡à¤¸ कà¥à¤²à¤¬ ऑफ इंडिया में मीडिया को बà¥à¤²à¤¾à¤•à¤° कहा कि अब वकà¥à¤¤ आ गया है कि अलà¥à¤ªà¤¸à¤‚खà¥à¤¯à¤• को अपनी हिफाजत के लिठकानूनी तौर पर हथियार रखने चाहिये। साफ़ कहे महमूद पà¥à¤°à¤¾à¤šà¤¾ का कहना है कि मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® लोगों को आतà¥à¤®à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ में हथियार रखने चाहिà¤à¥¤ सवाल ये है कि कà¥à¤¯à¤¾ मॉ़ब लिंचिंग के खिलाफ हथियार रखने के लिठउकसाना सही है। कà¥à¤¯à¤¾ ये हिंसा का जवाब हिंसा से देने जैसा नहीं है? कà¥à¤¯à¤¾ इससे देश में गन कलà¥à¤šà¤° को बà¥à¤¾à¤µà¤¾ नहीं मिलेगा और कà¥à¤¯à¤¾ कानून के जानकार पà¥à¤°à¤¾à¤šà¤¾ साहब जैसे लोगों को कठोर कानून पर à¤à¤°à¥‹à¤¸à¤¾ नहीं है?
असल में कà¥à¤› लोग इसे वोट की राजनीती से जोड़कर देख रहे है जो à¤à¤¸à¤¾ कर रहे है वो à¤à¤• अंधकार में जी रहे है। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि जिनà¥à¤¨à¤¾ ने कà¤à¥€ à¤à¥€ ‘जेहाद’ शबà¥à¤¦ का इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² नहीं किया लेकिन उनके अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ ने खूब किया। जबकि जिनà¥à¤¨à¤¾ जिस राजनीति को बà¥à¤¾à¤µà¤¾ दिया, उसे उस समय ‘जेहाद’ का नाम दिया जा सकता था।
आज ठीक महमूद पà¥à¤°à¤¾à¤šà¤¾ à¤à¥€ वही करा रहे है जो अगसà¥à¤¤ 1946 में जिनà¥à¤¨à¤¾ ने अपने सीधी कारà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¹à¥€ कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® में उनके अनà¥à¤¦à¤° सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ ‘जेहाद’ को उà¤à¤¾à¤°à¤¾ था और मà¥à¤¸à¤²à¤¿à¤® राषà¥à¤Ÿà¥à¤° पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ करने में मदद दी थी। देखा जाये आज à¤à¥€ सब कà¥à¤› ठीक उसी सिसà¥à¤Ÿà¤® से चल रहा है। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि आज ओवैसी को इतने वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ बाद à¤à¤• मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ होने के नाते अचानक कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ लगने लगा है कि वे à¤à¤¾à¤°à¤¤ में बराबर के नागरिक हैं, किराà¤à¤¦à¤¾à¤° नहीं हैं और हिसà¥à¤¸à¥‡à¤¦à¤¾à¤° रहेंगे जैसी बातें करने लगे हैं। सोचने वाली बात है कि पद से उतरते हà¥à¤ à¤à¤• उपराषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¿ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ डर जाते हैं। फिर नसीरà¥à¤¦à¥à¤¦à¥€à¤¨ शाह कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ डर जाते हैं? डर कà¥à¤› à¤à¤¸à¤¾ है कि कà¤à¥€ आमिर खान इसी डर के बारे में सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ देश खोजने की बात करते हैं तो कà¤à¥€ शबाना आजमी डर जाती है।
सवाल ये नहीं है कि आज à¤à¤• घटना पर डरने वाले यह लोग 1984 के दंगों पर कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ नहीं डरे? 90 के दशक में कशà¥à¤®à¥€à¤° में पंडितों के साथ हà¥à¤ˆ à¤à¤¯à¤¾à¤¨à¤• सामà¥à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯à¤¿à¤• तà¥à¤°à¤¾à¤¸à¤¦à¥€ के वकà¥à¤¤ इनका डर कहां था? ताज होटल पर हमले के वकà¥à¤¤ या दिलà¥à¤²à¥€ मà¥à¤‚बई में हà¥à¤ सिलसिलेवार बम धमाकों के समय इन लोगों को डर कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ नहीं लगा?
सवाल ये है कि ये राजनीती है सीधा à¤à¤œà¥‡à¤‚डा है जो देश 15 अगसà¥à¤¤ 1947 को दो टà¥à¤•à¥œà¥‹à¤‚ में होकर देख चूका है। देश विà¤à¤¾à¤œà¤¨ से जà¥à¥œà¥€ सचà¥à¤šà¤¾à¤‡à¤¯à¥‹à¤‚ को इतिहास से कà¤à¥€ हटाया नहीं जा सकता है। इतिहासकार वामपंथी हो या दकà¥à¤·à¤¿à¤£à¤ªà¤‚थी अथवा सà¥à¤µà¤¯à¤‚ को तटसà¥à¤¥ कहनेवाले। à¤à¤¾à¤°à¤¤ विà¤à¤¾à¤œà¤¨ और देश की सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ को लेकर कà¥à¤› तथà¥à¤¯ à¤à¤¸à¥‡ हैं जिन पर सà¤à¥€ à¤à¤•à¤®à¤¤ हैं। कि देश के विà¤à¤¾à¤œà¤¨ के लिठमà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ का धरà¥à¤® पà¥à¤°à¥‡à¤® सबसे अधिक जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤° रहा था।
हालांकि इतिहास का à¤à¤• सच यह à¤à¥€ है कि मौलाना आजाद, खान अबà¥à¤¦à¥à¤² गफà¥à¤«à¤¾à¤° खान, मौलाना सजà¥à¤œà¤¾à¤¦, तà¥à¤«à¥ˆà¤² अहमद मंगलौरी जैसे कà¥à¤› लोग à¤à¤¸à¥‡ à¤à¥€ थे जो इस विà¤à¤¾à¤œà¤¨ के विरोधी थे। à¤à¤¸à¤¾ कà¥à¤› लोग आज à¤à¥€ है लेकिन इन मà¥à¤Ÿà¥à¤ ीà¤à¤° लोगों की अपनी कौम में सà¥à¤¨à¤¨à¥‡à¤µà¤¾à¤²à¤¾ कौन था?
हिंसा और हतà¥à¤¯à¤¾ हर à¤à¤• शासक के काल में होते रहे हैं और इससे कोई à¤à¥€ यà¥à¤— अछूता नहीं रहा है। बड़े-बड़े समà¥à¤°à¤¾à¤Ÿà¥‹à¤‚ से लेकर आज की वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ लोकतांतà¥à¤°à¤¿à¤• पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¥€ तक, कोई à¤à¤• वरà¥à¤· à¤à¤¸à¤¾ नहीं रहा होगा जब काल के चेहरे पर रकà¥à¤¤ के छींटे ना पड़े हों। लेकिन आस-पास डर का माहौल रचा जाता है। यही वो माहौल है जहां से à¤à¤• बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤œà¥€à¤µà¥€ दूसरे बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤œà¥€à¤µà¥€ को, à¤à¤• नेता दूसरे नेता को, à¤à¤• अà¤à¤¿à¤¨à¥‡à¤¤à¤¾ दूसरे अà¤à¤¿à¤¨à¥‡à¤¤à¤¾ को डरा रहा है। इसके बाद इस डर को मीडिया परà¥à¤¦à¥‡ पर लेकर आती है और लोग à¤à¥€ इस डर को महसूस करें।
इन लोगों के मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¿à¤• देश का आम आदमी कà¥à¤› बोल नहीं पा रहा है, वह डरा हà¥à¤† है लेकिन कà¥à¤¯à¤¾ सच में à¤à¤¸à¤¾ हो रहा है? या फिर डर का à¤à¤• माहौल बनाने की कोशिश की जा रही है, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि मà¥à¤à¥‡ बाजारों में, सड़कों पर, मेटà¥à¤°à¥‹ या किसी सारà¥à¤µà¤œà¤¨à¤¿à¤• सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर डरे हà¥à¤ लोग नहीं मिल रहे हैं। किनà¥à¤¤à¥ इसके बावजूद à¤à¥€ कà¥à¤› बिकाऊ पतà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° वाशिंगटन डी सी से लेकर नà¥à¤¯à¥‚यारà¥à¤• टाइमà¥à¤¸ तक इस डर के बारे में लेख लिख रहे है। यह जताने की पूरी कोशिश जारी है कि à¤à¤¾à¤°à¤¤ में डर का माहौल है इसका अगला चरण होगा अलग देश की मांग लेकिन सवाल ये है। अगर à¤à¤¸à¤¾ हà¥à¤† तो अबकी बार à¤à¤¾à¤°à¤¤ का कौनसा हिसà¥à¤¸à¤¾ पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ बनेगा।
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