जेà¤à¤¨à¤¯à¥‚ में बार-बार तांडव का कारण
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Vinay AryaDate
13-Jan-2020Category
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RajeevUpload Date
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खबर कौनसी बड़ी होनी चाहिठऔर कौनसी छोटी यह बात राजनेता और मीडिया मिलकर तय करते है। पिछले दिनों पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ दिलà¥à¤²à¥€ में हà¥à¤ˆ आग की घटना में 43 लोगों की मौत के मामले में à¤à¥€ मीडिया चà¥à¤ªà¥à¤ªà¥€ साधे रहा कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि दिलà¥à¤²à¥€ सरकार के करोड़ों के विजà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨à¥‹à¤‚ का दम था कि इस अगà¥à¤¨à¤¿à¤•à¤¾à¤‚ड के लिठकहीं à¤à¥€ दिलà¥à¤²à¥€ सरकार पर उंगली न उठे। दà¥à¤°à¥à¤˜à¤Ÿà¤¨à¤¾ के बाद मà¥à¤–à¥à¤¯à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ दिलà¥à¤²à¥€ में ही चà¥à¤¨à¤¾à¤µà¥€ रैलियां करते रहे, लेकिन किसी चैनल ने इस बारे में कोई सवाल नहीं पूछा गया। इसके बाद राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के कोटा में 100 सौ अधिक नवजात बचà¥à¤šà¥‡à¤‚ मौत के मà¥à¤‚ह में समा गये लेकिन छà¥à¤Ÿ पà¥à¤Ÿ बयानबाजी के अलावा कोई ठोस कदम धरातल पर उतरता दिखाई नहीं दिया।
किनà¥à¤¤à¥ जैसे ही अब जवाहर लाल नेहरू में छातà¥à¤°à¥‹à¤‚ का आपसी विवाद गहराया इस विवाद के बाद राजनीति गरमाती जा रही है। बड़े-बड़े नेताओं के बयान सामने आते जा रहे हैं। राहà¥à¤² गांधी से लेकर पà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤‚का गांधी जहां पहले ही घटना की निंदा कर चà¥à¤•à¥‡ हैं वहीं गृहमंतà¥à¤°à¥€ अमित शाह ने हमले की जांच के आदेश à¤à¥€ दे दिà¤à¥¤ अचानक बवाल के खिलाफ जवाहरलाल नेहरू यूनिवरà¥à¤¸à¤¿à¤Ÿà¥€, जाधवपà¥à¤° यूनिवरà¥à¤¸à¤¿à¤Ÿà¥€ समेत देश à¤à¤° में फिर अचानक हर बार की तरह à¤à¤• चिनà¥à¤¹à¤¿à¤¤ वरà¥à¤— विरोध पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨ करने पर उतारू हो गया। विरोध का आलम ये बना कि मà¥à¤‚बई में हाथ में पोसà¥à¤Ÿà¤° लेकर और हिंसा के खिलाफ नारे लगाते हà¥à¤ गेटवे ऑफ इंडिया पर बड़ी संखà¥à¤¯à¤¾ में लोगों ने आंदोलन किया। यहाठतक फà¥à¤°à¥€ कशà¥à¤®à¥€à¤° के पोसà¥à¤Ÿà¤° à¤à¥€ इसमें लहराठगये।
साफ़ कहा जाये तो कà¥à¤› वरà¥à¤· पहले आतंकी मकबूल à¤à¤Ÿà¥à¤Ÿ की बरसी मनाने से चला जेà¤à¤¨à¤¯à¥ विवाद अब फà¥à¤°à¥€ कशà¥à¤®à¥€à¤° जैसे नारे तक पहà¥à¤à¤š गया। हर à¤à¤• राजनितिक मà¥à¤¦à¥à¤¦à¥‡ पर सड़कों पर निकलकर शोर मचाने वाले छातà¥à¤° सोचते है कि वह रोजगार समाजवाद à¤à¤¯ à¤à¥‚ख के खिलाफ कोई यà¥à¤¦à¥à¤§ कर रहे है। जबकि अगर धà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• देखा जाये तो इसकी आड़ में ये छातà¥à¤° à¤à¤• कलà¥à¤·à¤¿à¤¤ मानसिकता के शिकार बन रहे है। हर वकà¥à¤¤ इस विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ में आइसा (आल इंडिया सà¥à¤Ÿà¥‚डेंटà¥à¤¸ à¤à¤¸à¥‹à¤¸à¤¿à¤à¤¶à¤¨) और à¤à¤¸à¤à¤«à¤†à¤ˆ (सà¥à¤Ÿà¥‚डेनà¥à¤Ÿ फेडरेशन आफ इंडिया) को वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ से लड़ते हà¥à¤ दिखना ही पड़ेगा। उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ वजह बेवजह सरकार से लड़ते हà¥à¤ दिखना है, उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ खà¥à¤¦ को पीड़ित की तरह पेश करना है। छातà¥à¤°à¥‹à¤‚ के पकà¥à¤· में यदि सरकार अपने फैसले पर पà¥à¤¨à¤°à¥à¤µà¤¿à¤šà¤¾à¤° करे तो उसे अपनी जीत के तौर पर पेश करना है। किसी à¤à¥€ दà¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¥Œà¤£ से देखा जाये तो आज ये घायल छातà¥à¤° इस अपने à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ के बजाय चंद राजनितिक परिवारों और पारà¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के लिठजà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ लड़ रहे है। à¤à¤• à¤à¤¸à¥€ विचारधारा के पोषण के लिठजिसमें नकà¥à¤¸à¤² और à¤à¤¾à¤°à¤¤ विरोध का वायरस लगा हà¥à¤† है।
आइसा की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ 1990 में हà¥à¤ˆ थी। अब यह सवाल हो सकता है कि इतने नठसंगठन को à¤à¤• हिंसक आंदोलन से जोड़ना कà¥à¤¯à¤¾ उचित होगा? यहां महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ है कि आइसा की राजनीति जिन दीपांकर à¤à¤Ÿà¥à¤Ÿà¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥à¤¯ और कविता कृषà¥à¤£à¤¨ ने पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ पाती है, उनकी सहानà¥à¤à¥‚ति किस तरफ है, यह किसी से छà¥à¤ªà¤¾ है? कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि नाम बदल लेने से राजनीति कब बदल जाती है? कविता कृषà¥à¤£à¤¨ खà¥à¤²à¥‡ तौर पर कशà¥à¤®à¥€à¤° में चरमपंथ को पà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤¿à¤¤ करती है। à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ सेना की आलोचना इनका पेशा है। कà¥à¤› समय पहले धारा 370 हटाने के 30 दिन होने के बाद कविता ने बंधक में कशà¥à¤®à¥€à¤° à¤à¤• तसà¥à¤µà¥€à¤° को अपना पà¥à¤°à¥‹à¤«à¤¾à¤‡à¤² पिकà¥à¤šà¤° पर लगाया था। इस पà¥à¤°à¥‹à¤«à¤¾à¤‡à¤² पिकà¥à¤šà¤° में कशà¥à¤®à¥€à¤° के हिसà¥à¤¸à¥‡ को रकà¥à¤¤ रंजित बताया गया और साथ ही अंधकार के 30 दिन, कशà¥à¤®à¥€à¤° को धोखा और कशà¥à¤®à¥€à¤° के साथ खड़े रहने जैसे संदेश वाले हैशटैग दिठगठथे।
दूसरा à¤à¤¾à¤•à¤ªà¤¾ माले के राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ महासचिव दीपांकर à¤à¤Ÿà¥à¤Ÿà¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥à¤¯ à¤à¥€ समय समय पर अपने बयानों से नकà¥à¤¸à¤²à¤µà¤¾à¤¦ को समरà¥à¤¥à¤¨ करते रहते है। किनà¥à¤¤à¥ जब मीडिया में जेà¤à¤¨à¤¯à¥‚ को लेकर चल रही बहसों को देखते है तो विचार आता है कि यह वामपंथ का विचार पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¥€ होने के बावजूद सिमटता कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ जा रहा है? कà¤à¥€ इस आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ में किसान था, मजदूर था दकà¥à¤·à¤¿à¤£ अफà¥à¤°à¥€à¤•à¤¾ की गरीबी से लेकर इथोपिया के कà¥à¤ªà¥‹à¤·à¤£ तक की चिनà¥à¤¤à¤¾ थी लेकिन आज ईरान, इराक, सीरिया में चल रही गतिविधियों पर इनकी पैनी नजर है। अमेरिका इजराइल विरोध है, हिनà¥à¤¦à¥‚ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का विरोध हो या कशà¥à¤®à¥€à¤° में कटà¥à¤Ÿà¤°à¤ªà¤‚थ का बà¥à¤¾à¤µà¤¾ देने की इन तमाम चिनà¥à¤¤à¤¾à¤“ं के साथ महंगी शराब और अचà¥à¤›à¥€ सिगरेट के लिठदà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ à¤à¤° के फेलोशिप जà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨à¥‡ में लगे हैं। इन सबके बीच उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ देश की गरीबी का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ अचानक उस वकà¥à¤¤ आता है, जब छातà¥à¤°à¤¾à¤µà¤¾à¤¸ की फीस 30 रà¥à¤ªà¤ से बà¥à¤¾à¤•à¤° 300 रà¥à¤ªà¤ कर दी जाती है। यदि वासà¥à¤¤à¤µ में उनकी लड़ाई गरीबी के खिलाफ और अचà¥à¤›à¥€ शिकà¥à¤·à¤¾ के लिठहै फिर यह सारी सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤à¤‚ महज दो-चार विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯à¥‹à¤‚ तक सिमट कर कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ रह जानी चाहिà¤? कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि इन मà¥à¤Ÿà¥à¤ ी à¤à¤° विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯à¥‹à¤‚ में उन छातà¥à¤°à¥‹à¤‚ का बहà¥à¤®à¤¤ है, जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ ये अपने लोग कहते हैं।
जरा सी बात का होवà¥à¤µà¤¾ खड़ा करना हो या à¤à¤¾à¤°à¤¤ की छवि को अंतरà¥à¤°à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ सà¥à¤¤à¤° पर नीचा दिखाना वामपंथी संगठनों के पास अपनी बात कहने के लिठसकà¥à¤·à¤® कैडर है और उसे ठीक तरीके से देश à¤à¤° में फैलाने के लिठà¤à¤• मजबूत तंतà¥à¤° à¤à¥€à¥¤ ताजा मामले को ही देखें तो किस तरह रातों-रात बैनर पोसà¥à¤Ÿà¤° छप गये और सà¥à¤¬à¤¹ दिलà¥à¤²à¥€ से लेकर मà¥à¤®à¥à¤¬à¤ˆ समेत देश à¤à¤° में नाटक किया गया। इसमें इनके पतà¥à¤°à¤•à¤¾à¤°, अà¤à¤¿à¤¨à¥‡à¤¤à¤¾- अà¤à¤¿à¤¨à¥‡à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤ समेत पà¥à¤°à¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤•, à¤à¤¨à¤œà¥€à¤“करà¥à¤®à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का à¤à¤• विशाल नेटवरà¥à¤• शामिल है। इसके माधà¥à¤¯à¤® से कोई à¤à¥€ बात वे बार-बार कहकर समाज के मन में इस तरह बिठा देते हैं कि हम इस बात का कोई दूसरा पकà¥à¤· हो सकता है, इस पर विचार ही नहीं कर पाते। पिछले कà¥à¤› दिनों से जेà¤à¤¨à¤¯à¥‚ में पà¥à¥‡ छातà¥à¤°à¥‹à¤‚ की गरीबी और उस गरीबी से निकल कर सफल हà¥à¤ लोगों के à¤à¤¸à¥‡ ही किसà¥à¤¸à¥‡ पà¥à¤¨à¥‡ को मिल रहे हैं। यह सब पà¥à¤•à¤° à¤à¤¸à¤¾ लग रहा है कि गरीबी सिरà¥à¤« जेà¤à¤¨à¤¯à¥‚ के वामपंथी छातà¥à¤°à¥‹à¤‚ के हिसà¥à¤¸à¥‡ है बाकि सारा देश समृदà¥à¤§ है। यही कारण है कि जेà¤à¤¨à¤¯à¥ आइसा, à¤à¤¸à¤à¤«à¤†à¤ˆ का गॠहै, इसलिठबार-बार वह खà¥à¤¦ को अपने नाखूनों से नोचकर नाटकीय रूप से वह हमले का शिकार हो रहा है।
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