स�वामी श�रद�धानंद जी के बलिदान दिवस 23 दिसम�बर पर हिन�दू महासभा द�वारा प�रकाशित

1. परिचय 

सà¥?वामी शà¥?रदà¥?धानंद à¤?क à¤?से हिंदू नेता थे, जिनका पà¥?राणहरण अबà¥?दà¥?ल रशीद नामक à¤?क कटà¥?टरपंथी दà¥?वारा, हिंदू घृणा की पà¥?राणहारी हतà¥?यारी परंपराके कारण 23 दिसंबर 1926 में हà¥?आ । हिंदू अपने नेता की हतà¥?या होने की सà¥?थिति में, दिशाहीन हो जाते हैं, इस तथà¥?य को समà¤?कर हिंदू नेताओं की à¤¹à¤¤à¥?यायें हिंदू घृणा के कारण बहà¥?त सूà¤?-बूà¤? के साथ की जा रहीं हैं । संघ परिवारके 125 लोगोंकी हतà¥?यायें केरल राजà¥?यमें पिछले कà¥?छ वरà¥?षोंमे की जा चà¥?की हैं । सà¥?वामी लकà¥?षà¥?मणानंद की हतà¥?या ओडीशा में सन 2008 की गई थी ।

2. संपूर�ण जीवन वैदिक परंपरा �वं वैदिक धर�म के उत�कर�ष के लि� समर�पित कर, अपना नामकरण स�वामी श�रद�धानंद किया

 

स�वामी श�रद�धानंद उर�फ लाला म�ंशीरामने अपनी आय� के 35वें वर�ष में वानप�रस�थ आश�रम (मानव जीवन का तृतीय सोपान ) कर वे महात�मा म�ंशीराम बने । उन�होंने हरिद�वार के समीप कांगडी क�षेत�र में सन� 1902 में �क ग�र�क�ल की ( प�रातन भारत की परंपरा के अन�सार �क निवासी शैक�षणिक संस�थान, जहां अध�यात�म के साथ-साथ शिक�षा के अन�य विषय भी पढाये जाते हैं ।) स�थापना की । प�रारंभ मे उनके दो प�त�र हरिशचंद�र �वं इंद�र उनके विद�यार�थी तथा महात�मा स�वयं उनके आचार�य थे । वर�तमान में सैकडों विद�यार�थी वहां शिक�षा ले रहे हैं �वं ग�र�क�ल कांगडी अब �क विश�वविद�यालय है ।

महातà¥?मा मà¥?ंशीराम गà¥?रà¥?कà¥?ल में लगातार 15 वरà¥?षों तक कारà¥?यरत रहे। तदà¥?परांत सनà¥? 1917 मे उनà¥?होंने सनà¥?यास आशà¥?रम ( मानव जीवनके चार आशà¥?रमों का अंतिम सोपान – सरà¥?वतà¥?याग की अवसà¥?था ) सà¥?वीकार किया । सनà¥?यास आशà¥?रमके सà¥?वीकार समारोहमें भाषण देते समय वे बोले, मैं सà¥?वयं अपना नामकरण करूंगा । चà¥?की मैने अपना संपूरà¥?ण जीवन वेद à¤?वं वैदिक धरà¥?म के उतà¥?करà¥?ष में वà¥?यतीत किया है, तथा भविषà¥?य में भी वही कारà¥?य करूंगा, इसलिये मैं अपना नामकरण शà¥?रदà¥?धानंद कर रहा हूं ।

3. सà¥?वामी शà¥?रदà¥?धानंदका सà¥?वतंतà¥?रता संगà¥?राममें सकà¥?रिय सहभाग ! 


राषà¥?टà¥?र को सà¥?वतंतà¥?र करवाना सà¥?वामी शà¥?रदà¥?धानंद का अमूलà¥?य संकलà¥?प था । भारतीय जनसमà¥?दाय पर पजाब में ’मारà¥?शल ला ‘ à¤?वं ‘रोलेट à¤?कà¥?ट ’ थोप दिये गये थे । दिलà¥?ली में दमनकारी रोलेट à¤?कà¥?ट के विरोध में जनआकà¥?रोश चरम पर था और आनंदोलन हो रहे थे । सà¥?वामी शà¥?रदà¥?धानंद जनांदोलन की नेतृतà¥?व कर रहे थे । उस समय जà¥?लूस निकालने पर बंदी लगा दी गई थी । सà¥?वामीजीने बंदी को चà¥?नौती देकर दिलà¥?ली में जà¥?लूस निकालने की घोषणा की । तदानà¥?सार सहसà¥?तà¥?रों की संखà¥?या में देशभकà¥?त जà¥?लूस में सहभागी हà¥?à¤? । जब तक जà¥?लूस चांदनी चौक में पहà¥?ंचता, गà¥?रखा रेजिमेंट की टà¥?कडी बंदूकों आदि के साथ अंगà¥?रेजों के आदेश पर तैयार थी । साहसी शà¥?रदà¥?धानंद हजारों अनà¥?यायियों के साथ सभा सà¥?थल पर पहà¥?ंचे । जब सैनिक गोलियां चलाने वाले ही थे, कि वह निरà¥?भय होकर आगे बडे और जोर से गरà¥?जना करते हà¥?à¤? ललकारा कि, निरीह जनसमà¥?दाय को मारने के पहले, मà¥?à¤?े मारो । बंदूकें तà¥?वरित नीचे à¤?à¥?का दी गयीं तथा जà¥?लूस शांतिपूरà¥?वक आगे बढ गया ।

4. साहसी तà¥?यागमà¥?रà¥?ति का दिलà¥?ली की जामा मसà¥?जिद में वैदिक मंतà¥?रों के पठन से ओत पà¥?रोत भाषण 


सन� 1922 में स�वामी श�रद�धानंदने दिल�ली की जामा मस�जिद में �क भाषण दिया था । उन�होंने प�रारंभ में वेद मेंत�रों का पठन किया तदनंतर प�रेरणादायी भाषण दिया । स�वामी श�रद�धानंद ही मात�र �क �से वक�ता थे, जिन�होंने वैदिक मंत�रोच�चार के साथ अपना भाषण दिया । जागतिक इतिहास का यह अभूतपूर�व क�षण था ।

5. कांगà¥?रेस छोडकर हिंदू महासभा में शामिल होना 


सà¥?वामी शà¥?रदà¥?धानंद ने जब परिसà¥?थिति का गहराई से अधà¥?ययन किया तो उनà¥?हें इसका बोध हà¥?आ कि, मà¥?सलमान कांगà¥?रेस में शामिल होने पर भी मà¥?सलमान ही रहता है । वे नमाज पढने के लिà¤? कांगà¥?रेस सतà¥?र को भी रोक सकते थे । हिंदू धरà¥?म पर कांगà¥?रेसमें अनà¥?याय हो रहा था । जब उनà¥?हें सतà¥?य का पता लगा, उनà¥?होंने तà¥?वरित कांगà¥?रेस का तà¥?याग किया à¤?वं पं. मदन मोहन मालवीय की सहायतासे ‘हिंदू महासभा’ की सà¥?थापना की ।

6. सà¥?वामी शà¥?रदà¥?धानंद का धरà¥?मांतरित हिंदà¥?ओं को सà¥?वधरà¥?म मे वापस लाने का महान कारà¥?य 


हिंद�ओं के सापेक�ष म�सलमानों की बढती संख�या को रोकने के लि�, उन�होंने धर�मांतरित हिंद�ओं के श�द�धिकरण का पवित�र अभियान प�रारंभ किया । उन�होंने आगरा में �क कार�यालय खोला । आगरा, भरतपूर, मथ�रा आदि स�थानों मे अनेक राजपूत थे, जिन�हें उसी समय इस�लाम में धर�मांतरित किया गया था किन�त� वे हिंदू धर�म में वापस आना चाहते थे । पांच लाख राजपूत हिंदू धर�म स�वीकारने के लि� तैयार थे । स�वामी श�रद�धानंद इस अभियान का नेतृत�व कर रहे थे । उन�हों इस प�रयोजनार�थ �क बह�त बडी सभा का आयोजन किया �वं उन राजपूतों का श�द�धीकरण किया । उनके नेतृत�व में अनेक गांवों का श�द�धिकरण ह�आ । इस अभियान ने हिंद�ओं मे �क नवीन चेतना, शक�ति �वं उत�साह का निर�माण किया । इसके साथ ही हिंद� संस�थांओं का भी विस�तार ह�आ । कराची निवासी �क म�सलमान महिला जिनका नाम अजगरी बेगम था, उन�हें हिंदू धर�म में समाहित किया गया । इस घटना ने म�सलमानों के बीच �क हंगामा खडा कर दिया �वं स�वामी जी विश�व में प�रसिद�ध हो ग� ।

7. पà¥?राणहारी परंपरा के शिकार 


अब�द�ल रशीद नामक �क कट�टरपंथी म�सलमान स�वामी जी के दिल�ली स�थित निवास पर 23 दिसंबर को पंह�ंचा और उसने कहा कि, उसे स�वामी जी के साथ इस�लाम पर चर�चा करनी है । उसने अपने आपको �क कंबल से ढक रखा था । श�री धर�मपाल जो स�वामीजी की सेवामें थे, वे स�वामी जी के साथ थे, फलस�वरूप वह क�छ न कर सका । उसने �क प�याला पानी मांगा । उसे पानी देकर जब धर�मपाल प�याला लेकर अंदर ग�, रशीद ने स�वामीजी पर गोली दाग दी । धर�मपाल ने रशीद को पकड लिया । जब तक अन�य लोग वहां पर पह�चते स�वामी जी प�राणार�पण कर च�के थे । रशीद के विर�द�ध कार�यवाही ह�ई । इस प�रकार स�वामी श�रद�धानंद जी इस�लाम की हत�यारी परंपरा के शिकार ह�� किन�त� उन�होंने शहादत देकर अपना नाम अमर कर दिया ।

8. स�वामी श�रद�धानंद ने जैसे ही इस�लाम में धर�मांतरणका विरोध किया,
गांधीजी �वं म�सलमानों की उनके प�रति र�चि समाप�त �वं कट�टरवादी द�वारा उनकी हत�या


गांधीजी सà¥?वामी शà¥?रदà¥?धानंद को बहà¥?त चाहते थे, किंतà¥? जब से उनà¥?होंने हिंदà¥?ओं का हिंदà¥?तà¥?वमें पà¥?रà¥?नपरिवरà¥?तन करने का अभियान पà¥?रारंभ किया, गांधी जी और मà¥?सलमानों की उनमें रà¥?चि समापà¥?त हो गई । इतना ही नहीं अबà¥?दà¥?ल रशीद ने बंदूक से उनकी अति समीप से हतà¥?या कर दी । सà¥?वामी शà¥?रदà¥?धानंद के हतà¥?यारे अबà¥?दà¥?ल रशीद को, गांधीजी ने अति सनà¥?मान से संबोधित करते हà¥?à¤? ‘मेरा भाई !‘ कहा । इससे यह सà¥?पषà¥?ट होता है कि, यदि à¤?क हिंदू भी किसी घटना में मारा जाता तो गांधी जी उसे राजनैतिक मà¥?दà¥?दा बना देते ।

स�वयं का संपूर�ण जीवन वैदिक परंपरा �वं वैदिक धर�म के उत�कर�ष के लि� समर�पित करने वाले तथा धर�मांतरित हिंद�ओं को स�वधर�म मे वापस लाने वाले साहसी त�यागम�र�ति स�वामी श�रद�धानंदजी का महान कार�य आगे बढाना, यहीं उनके चरणों में यथार�थ रूप से श�रद�धांजली अर�पण करने जैसे होगी !

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