सबसे बड़ा गà¥à¤°à¥ कौन
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Dr. Vivek AryaDate
12-Jul-2014Category
लेखLanguage
HindiTotal Views
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amitUpload Date
09-Feb-2016Download PDF
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गà¥à¤°à¥ पूरà¥à¤£à¤¿à¤®à¤¾ पर विशेष
आज गà¥à¤°à¥ पूरà¥à¤£à¤¿à¤®à¤¾ हैं। हिनà¥à¤¦à¥‚ समाज में आज के दिन तथाकथित गà¥à¤°à¥ लोगों की लॉटरी लग जाती हैं। सà¤à¥€ तथाकथित गà¥à¤°à¥à¤“ं के चेले अपने अपने गà¥à¤°à¥à¤“ं के मठों, आशà¥à¤°à¤®à¥‹à¤‚, गदà¥à¤¦à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ पर पहà¥à¤à¤š कर उनके दरà¥à¤¶à¤¨ करने की हौड़ में लग जाते हैं। खूब दान, मान à¤à¤•à¤¤à¥à¤° हो जाता हैं। à¤à¤¸à¤¾ लगता हैं की यह दिन गà¥à¤°à¥à¤“ं ने अपनी पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ा के लिठपà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤¦ किया हैं। à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ को यह विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ हैं की इस दिन गà¥à¤°à¥ के दरà¥à¤¶à¤¨ करने से उनके जीवन का कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ होगा। अगर à¤à¤¸à¤¾ हैं तब तो इस जगत के सबसे बड़े गà¥à¤°à¥ के दरà¥à¤¶à¤¨ करने से सबसे अधिक लाठहोना चाहिà¤à¥¤ मगर शायद ही किसी à¤à¤•à¥à¤¤ ने यह सोचा होगा की इस जगत का सबसे बड़ा गà¥à¤°à¥ कौन हैं? इस पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ का उतà¥à¤¤à¤° हमें योग दरà¥à¤¶à¤¨ में मिलता हैं।
स à¤à¤· पूरà¥à¤µà¥‡à¤·à¤¾à¤®à¤ªà¤¿ गà¥à¤°à¥à¤ƒ कालेनानवचà¥à¤›à¥‡à¤¦à¤¾à¤¤à¥ || ( योगदरà¥à¤¶à¤¨ : 1-26 )
वह परमेशà¥à¤µà¤° कालदà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ नषà¥à¤Ÿ न होने के कारण पूरà¥à¤µ ऋषि-महरà¥à¤·à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का à¤à¥€ गà¥à¤°à¥ है ।
अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ ईशà¥à¤µà¤° गà¥à¤°à¥à¤“ं का à¤à¥€ गà¥à¤°à¥ हैं। अब दूसरी शंका यह आती हैं की कà¥à¤¯à¤¾ सबसे बड़े गà¥à¤°à¥ को केवल गà¥à¤°à¥ पूरà¥à¤£à¤¿à¤®à¤¾ के दिन सà¥à¤®à¤°à¤£ करना चाहिà¤à¥¤ इसका सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ उतà¥à¤¤à¤° हैं की नहीं ईशà¥à¤µà¤° को सदैव सà¥à¤®à¤°à¤£ रखना चाहिठऔर सà¥à¤®à¤°à¤£ रखते हà¥à¤ ही सà¤à¥€ करà¥à¤® करने चाहिà¤à¥¤ अगर हर वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• à¤à¤µà¤‚ निराकार ईशà¥à¤µà¤° को मानने लगे तो कोई à¤à¥€ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ पापकरà¥à¤® में लिपà¥à¤¤ न होगा। इसलिठधरà¥à¤® शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में ईशà¥à¤µà¤° को अपने हृदय में मानने à¤à¤µà¤‚ उनकी उपासना करने का विधान हैं।
ईशà¥à¤µà¤° और मानवीय गà¥à¤°à¥ में समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ को लेकर कबीर दास के दोहे को पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤¦ किया जा रहा हैं।
गà¥à¤°à¥ गोविंद दोनों खड़े, काके लागूं पाà¤à¤¯ । बलिहारी गà¥à¤°à¥ आपनो, गोविंद दियो मिलाय ॥
गà¥à¤°à¥à¤¡à¤® कि दà¥à¤•à¤¾à¤¨ चलाने वाले कà¥à¤› अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ लोगों ने कबीर के इस दोहे का नाम लेकर यह कहना आरमà¥à¤ कर दिया हैं कि ईशà¥à¤µà¤° से बड़ा गà¥à¤°à¥ हैं कà¥à¤¯à¥‚ंकि गà¥à¤°à¥ ईशà¥à¤µà¤° तक पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ का मारà¥à¤— बताता हैं। à¤à¤• सरल से उदहारण को लेकर इस शंका को समà¤à¤¨à¥‡ का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ करते हैं। मान लीजिये कि मैं à¤à¤¾à¤°à¤¤ के राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤£à¤µ मà¥à¤–रà¥à¤œà¥€ से मिलने के लिये राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¿ à¤à¤µà¤¨ गया। राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¿ à¤à¤µà¤¨ का à¤à¤• करà¥à¤®à¤šà¤¾à¤°à¥€ मà¥à¤à¥‡ उनके पास मिलवाने के लिठले गया। अब यह बताओ कि राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¿ बड़ा या उनसे मिलवाने वाला करà¥à¤®à¤šà¤¾à¤°à¥€ बड़ा हैं?आप कहेगे कि निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ रूप से राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¿ करà¥à¤®à¤šà¤¾à¤°à¥€ से कही बड़ा हैं, राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¿ के समकà¥à¤· तो उस करà¥à¤®à¤šà¤¾à¤°à¥€ कि कोई बिसात ही नहीं हैं। यही अंतर उस गà¥à¤°à¥à¤“ं कि à¤à¥€ गà¥à¤°à¥ ईशà¥à¤µà¤° और ईशà¥à¤µà¤° पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ का मारà¥à¤— बताने वाले गà¥à¤°à¥ में हैं। हिनà¥à¤¦à¥‚ समाज के विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ मतों में गà¥à¤°à¥à¤¡à¤® कि दà¥à¤•à¤¾à¤¨ को बà¥à¤¾à¤µà¤¾ देने के लिठगà¥à¤°à¥ कि महिमा को ईशà¥à¤µà¤° से अधिक बताना अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¤à¤¾ का बोधक हैं। इससे अंध विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ और पाखंड को बà¥à¤¾à¤µà¤¾ मिलता हैं।
पाया गà¥à¤°à¥ मनà¥à¤¤à¥à¤° बृहसà¥à¤ªà¤¤à¤¿ से, फिर अनà¥à¤¯ गà¥à¤°à¥ से करना कà¥à¤¯à¤¾à¥¤
की माà¤à¤— विशà¥à¤µà¤ªà¤¤à¤¿ अधिपति से, फिर और किसी से करना कà¥à¤¯à¤¾à¥¤à¥¤
वरणीय वरà¥à¤£ पà¥à¤°à¤à¥ वरà¥à¤ªà¤¤à¤¿ हों, अरà¥à¤¯à¥à¤¯à¤®à¤¾ नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ के अधिपति हों।
हमको परमेश ईशता दो, तà¥à¤® इनà¥à¤¦à¥à¤° हमारे धनपति हों।।
की याचना इनà¥à¤¦à¥à¤° धनपति से, फिर दर दर हमें à¤à¤Ÿà¤•à¤¨à¤¾ कà¥à¤¯à¤¾à¥¤
की माà¤à¤— विशà¥à¤µà¤ªà¤¤à¤¿ अधिपति से, फिर और किसी से करना कà¥à¤¯à¤¾à¥¤à¥¤
अतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ पराकà¥à¤°à¤® बलपति हो, तà¥à¤® वेद बृहसà¥à¤ªà¤¤à¤¿ शà¥à¤°à¥à¤¤à¤¿à¤ªà¤¤à¤¿ हो।
तन मानस का बल हमको दो, तà¥à¤® विषà¥à¤£à¥ वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ जग वसà¥à¤ªà¤¤à¤¿ हो।।
की सनà¥à¤§à¤¿ शौरà¥à¤¯ के सतपति से, फिर हमें शतà¥à¤°à¥ से डरना कà¥à¤¯à¤¾à¥¤
की माà¤à¤— विशà¥à¤µà¤ªà¤¤à¤¿ अधिपति से, फिर और किसी से करना कà¥à¤¯à¤¾à¥¤à¥¤
पà¥à¤°à¤¿à¤¯ सखा सà¥à¤®à¤‚गल उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ हो, हर समय तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥€ संगति हो।
बन मितà¥à¤° मधà¥à¤°à¤¤à¤¾ अपनी दो, सà¥à¤– वैà¤à¤µ बल की समà¥à¤ªà¤¤à¤¿ दो।।
मितà¥à¤°à¤¤à¤¾ विषà¥à¤£à¥ पà¥à¤°à¤¿à¤¯ जगपति से, फिर पलपल हमें तरसना कà¥à¤¯à¤¾à¥¤
की माà¤à¤— विशà¥à¤µà¤ªà¤¤à¤¿ अधिपति से, फिर और किसी से करना कà¥à¤¯à¤¾à¥¤à¥¤
(पं. देवनारायण à¤à¤¾à¤°à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤œ रचित गीत सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ का पà¥à¤°à¤¥à¤® पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶)
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