साई बाबा का विरोध कितना सही कितना गलत
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Dr. Vivek AryaDate
04-Jul-2014Category
लेखLanguage
HindiTotal Views
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amitUpload Date
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साईं बाबा के नाम को सà¥à¤°à¥à¥™à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में लाने का शà¥à¤°à¥‡à¤¯ शंकराचारà¥à¤¯ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ सà¥à¤µà¤°à¥‚पानंद जी को जाता हैं जिनका कहना हैं की साई बाबा की पूजा हिनà¥à¤¦à¥‚ समाज को नहीं करनी चाहिठकà¥à¤¯à¥‚ंकि न साई ईशà¥à¤µà¤° के अवतार हैं न ही साई का हिनà¥à¤¦à¥‚ धरà¥à¤® से कà¥à¤› लेना देना हैं। साई बाबा जनà¥à¤® से मà¥à¤¸à¥à¤²à¤®à¤¾à¤¨ थे और मसà¥à¤œà¤¿à¤¦ में रहते थे à¤à¤µà¤‚ सबका मालिक à¤à¤• हैं कहते थे। शंकराचारà¥à¤¯ जी को कहना हैं की ओम साई राम में राम के नाम साई के नाम के साथ जोड़ना गलत हैं और जो राम का नाम लेते हैं वे साई का नाम कदापि न ले, यह हिनà¥à¤¦à¥‚ धरà¥à¤® की मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं के विरà¥à¤¦à¥à¤§ हैं। कà¥à¤› लोग शंकराचारà¥à¤¯ जी की दलीलों को सही ठहरा रहे हैं कà¥à¤¯à¥‚ंकि साई बाबा के नाम के साथ मà¥à¤¸à¥à¤²à¤®à¤¾à¤¨ शबà¥à¤¦ का जà¥à¥œà¤¾ होना होना उनके लिठअसहनीय हैं जबकि कà¥à¤› लोग जो अपने आपको साई बाबा का à¤à¤—त बताते हैं शंकराचारà¥à¤¯ जी के विरोध में उनके पà¥à¤¤à¤²à¥‡ फूंक रहे हैं।
हमें यह जानना आवशà¥à¤¯à¤• हैं की साई बाबा का पिछले à¤à¤• दशक में इतने अधिक पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ होने के पीछे कà¥à¤¯à¤¾ कारण हैं? कà¥à¤¯à¤¾ कारण हैं की à¤à¤•à¤¾à¤à¤• हिनà¥à¤¦à¥‚ मंदिरों में साई बाबा की मूरà¥à¤¤à¤¿ सबसे बड़ी होने लगी और बाकि हिनà¥à¤¦à¥‚ देवी देवता उसके समकà¥à¤· बौने दिखने लगे हैं? कà¥à¤¯à¤¾ कारण हैं की पà¥à¤°à¤¾à¤¯: हर हिनà¥à¤¦à¥‚ के घर में रामायण, गीता, à¤à¤¾à¤—वत आदि के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर साई आरती के गà¥à¤Ÿà¤•à¥‡ पà¥à¥‡ जाते हैं? कà¥à¤¯à¤¾ कारण हैं की राम और कृषà¥à¤£ के नामों से अपने बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ का नामकरण करने वाले हिनà¥à¤¦à¥‚ लोग साई के नाम से अपने बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को पà¥à¤•à¤¾à¤°à¤¨à¥‡ में गरà¥à¤µ करने लगे हैं? उतà¥à¤¤à¤° सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ हैं की सामानà¥à¤¯ जन साई बाबा दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ चमतà¥à¤•à¤¾à¤° करने, बिगड़े कारà¥à¤¯ बनाने, अधूरे काम बनाने, वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¾à¤°, नौकरी, संतान पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿, पà¥à¤°à¥‡à¤® समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ आदि कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में सफलता पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ करने हेतॠकरते हैं। अगर विसà¥à¤¤à¥ƒà¤¤ रूप से देखा जाये तो हिनà¥à¤¦à¥‚ समाज में जितनी à¤à¥€ पूजा-उपासना की विधियाठपà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ हैं उनका लकà¥à¤·à¥à¤¯ ईशà¥à¤µà¤° पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ नहीं अपितॠजीवन में सफलता पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ अधिक हैं। जैसे कोई तीरà¥à¤¥à¥‹à¤‚ में ,कोई पहाड़ों में,कोई नदियों में, कोई जीवित गà¥à¤°à¥à¤“ं के चरणों में या गà¥à¤°à¥ नाम में , कोई मृत गà¥à¤°à¥à¤“ं के चितà¥à¤° और वसà¥à¤¤à¥à¤“ं में, कोई पीरों में, कोई कबà¥à¤°à¥‹à¤‚ में, कोई निरà¥à¤®à¤² बाबा के गोलगपà¥à¤ªà¥‹à¤‚ में, कोई वà¥à¤°à¤¤ कथाओं में, कोई हवनों में, कोई पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ के महातà¥à¤®à¥à¤¯ में, कोई निरीह पशà¥à¤“ं की बलि में, कोई आडमà¥à¤¬à¤°à¥‹à¤‚ में, कोई गंडा-तावीज़ में सफलता की खोज कर रहा हैं। वैसे हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं के समान मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® समाज à¤à¥€ मकà¥à¤•à¤¾ मदीना से लेकर दरगाहों और कबà¥à¤°à¥‹à¤‚ में तो ईसाई समाज à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ रूपी पूजा, ईसाई संतों के चमतà¥à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ में सफलता खोज रहा हैं।
सतà¥à¤¯ यह हैं की हिनà¥à¤¦à¥‚ समाज की ईशà¥à¤µà¤° के गà¥à¤£, करà¥à¤®, सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ से अनà¤à¤¿à¤œà¥à¤žà¤¤à¤¾, चमतà¥à¤•à¤¾à¤° को करà¥à¤®-फल वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ से अधिक महता , वेदादि शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में वरà¥à¤£à¤¿à¤¤ ईशà¥à¤µà¤° की पूजा करने समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§à¥€ अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¤à¤¾ इस अवà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ के लिठमà¥à¤–à¥à¤¯ रूप से दोषी हैं। खेद हैं की शंकराचारà¥à¤¯ जी à¤à¥€ इस समसà¥à¤¯à¤¾ का समाधान करने में विफल हैं कà¥à¤¯à¥‚ंकि उनके अनà¥à¤¸à¤¾à¤° साई के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर गंगा सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ और राम नाम के सà¥à¤®à¤°à¤£ से ईशà¥à¤µà¤° की पूजा करनी चाहिà¤à¥¤ जब तक सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤•, अजनà¥à¤®à¤¾, सरà¥à¤µà¤œà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€, सरà¥à¤µà¤¶à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ à¤à¤µà¤‚ निराकार ईशà¥à¤µà¤° की सतà¥à¤¤à¤¾ में पूरà¥à¤£ विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ नहीं होगा तब तक धरà¥à¤® के नाम पर इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से पाखंड फैलते रहेंगे। जब तक मनà¥à¤·à¥à¤¯ को यह नहीं सिखाया जायेगा की हम ईशà¥à¤µà¤° की उपासना इसलिठकरते हैं ताकी अनादि ईशà¥à¤µà¤° के सतà¥à¤¯à¤¤à¤¾, नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤•à¤¾à¤°à¤¿à¤¤à¤¾, निषà¥à¤ªà¤•à¥à¤·à¤¤à¤¾, दयालà¥à¤¤à¤¾ जैसे गà¥à¤£ हमारे à¤à¥€ हो जाये तब तक मनà¥à¤·à¥à¤¯ इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से सफलता पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ के लिठविà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के अंधविशà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ में à¤à¤Ÿà¤•à¤¤à¤¾ रहेगा। जब तक मनà¥à¤·à¥à¤¯ को यह नहीं सिखाया जायेगा की जीवन का उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ आतà¥à¤®à¤¿à¤• उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ कर मोकà¥à¤· की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ हैं तब तक मनà¥à¤·à¥à¤¯ अपने आपको à¤à¥à¤°à¤® में रखकर दà¥à¤ƒà¤– à¤à¥‹à¤—ता रहेगा।
इसलिठकेवल साई बाबा का विरोध इस समसà¥à¤¯à¤¾ का समाधान नहीं हैं अपितॠवेद विदित सतà¥à¤¯ का पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° से ही इस समसà¥à¤¯à¤¾ का समाधान संà¤à¤µ हैं।
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