ईशà¥à¤µà¤° का साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•à¤¾à¤° समाधि अवसà¥à¤¥à¤¾ में ही समà¥à¤à¤µ
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Manmohan Kumar AryaDate
09-Feb-2016Category
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UmeshUpload Date
10-Feb-2016Download PDF
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संसार के अधिकांश मत-समà¥à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯ और लोग ईशà¥à¤µà¤° के असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ को मानते हैं और यह à¤à¥€ सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करते हैं कि इस संसार को उसी ने बनाया है। यह बात अलग है कि सृषà¥à¤Ÿà¤¿ रचना के बारे में वेद मत के आचारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ व अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के अतिरिकà¥à¤¤ अनà¥à¤¯ मत के आचारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ व अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को वैसा यथारà¥à¤¥ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ नहीं था व है जैसा कि तरà¥à¤• व यà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ संगत यथारà¥à¤¥ मत वेदों व वैदिक साहितà¥à¤¯ में उपलबà¥à¤§ है। अब पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ यह उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ होता है कि यदि ईशà¥à¤µà¤° है तो वह अनà¥à¤¯ पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ की à¤à¤¾à¤‚ति हमें आंखों से दिखाई कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ नहीं देता? इसके अनेक कारण हैं। यह पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ वैदिक मत के अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से उतà¥à¤¤à¤° व समाधान की अधिक अपेकà¥à¤·à¤¾ रखता है। जो मत व समà¥à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯ ईशà¥à¤µà¤° को à¤à¤•à¤¦à¥‡à¤¶à¥€ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ à¤à¤• सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर रहने वाला मानते हैं, वह कह सकते हैं कि ईशà¥à¤µà¤° यहां पृथिवी पर है ही नहीं तो उसके दिखने का पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ ही नहीं होता। वैदिक धरà¥à¤® ईशà¥à¤µà¤° को सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• मानता है। अतः ईशà¥à¤µà¤° हमारे अनà¥à¤¦à¤° व बाहर दोनों सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ पर हमारे समीपसà¥à¤¥ है। अब यदि ईशà¥à¤µà¤° हमारे समीपसà¥à¤¥ है तो वह हमें अवशà¥à¤¯ दिखना चाहिये। ईशà¥à¤µà¤° वैदिक धरà¥à¤®à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ व अनà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को दिखाई नहीं देता तो इसका à¤à¤• कारण तो उसका सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• न होना वा à¤à¤•à¤¦à¥‡à¤¶à¥€ होना ही ठीक पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ होता है। यह बात कहने व सà¥à¤¨à¤¨à¥‡ में उचित लगती है परनà¥à¤¤à¥ यह सतà¥à¤¯ नहीं है। ईशà¥à¤µà¤° वसà¥à¤¤à¥à¤¤à¤ƒ सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• है जो कि हमारे समà¥à¤®à¥à¤–, पीछे, दायें, बायें, ऊपर व नीचे आदि सà¤à¥€ दशों दिशाओं में होने पर à¤à¥€ इस कारण दिखाई नहीं देता कि वह सरà¥à¤µà¤¾à¤¤à¤¿à¤¸à¥‚कà¥à¤·à¥à¤® है। हम वायॠके कणों वा परमाणà¥à¤“ं को कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ नहीं देख पाते? इसका कारण होता है कि वह परमाणॠइतने सूकà¥à¤·à¥à¤® हैं कि वह आंखों से दिखाई नहीं देते। सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के शरीर में à¤à¤• चेतन जीवातà¥à¤®à¤¾ होता है जो हमें अपनी आंखों से दूसरों के शरीर से पृथक दिखाई नहीं देता परनà¥à¤¤à¥ शरीर में पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ व अनà¥à¤¯ कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤“ं से ही उसका साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥ व पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤•à¥à¤· जà¥à¤žà¤¾à¤¨ होता है। ईशà¥à¤µà¤° जीवातà¥à¤®à¤¾ व वायॠके परमाणॠसे à¤à¥€ कहीं अधिक सूकà¥à¤·à¥à¤® होने के कारण दिखाई नहीं देता। यह तरà¥à¤• व यà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¸à¤‚गत सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करने योगà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ है। इसका दूसरा कारण है कि अति दूर व अति समीपसà¥à¤¥ वसà¥à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤‚ à¤à¥€ दिखाई नहीं देती हैं। हम अपने से 1 किमी. दूर की वसà¥à¤¤à¥ à¤à¥€ नहीं देख पाते। इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° हम आंखों में पड़े तिनके को à¤à¥€ अपनी ही आंख से नहीं देख पाते जिसका कारण होता कि आंखों का तिनका आंख के अति निकटसà¥à¤¥ है। ईशà¥à¤µà¤° दूरतम à¤à¥€ है और समीपतम à¤à¥€ है। इस कारण à¤à¥€ वह दिखाई नहीं देता। अनà¥à¤¯ कारणों में से à¤à¤• पà¥à¤°à¤®à¥à¤– कारण ईशà¥à¤µà¤° का अà¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• होना à¤à¥€ है। हम आंखों से केवल à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• पदारà¥à¤¥ जो à¤à¤• सीमा से आकार में अधिक बड़े होते है, उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ ही देख पाते हैं। उससे छोटे पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ को देखने के लिठहमें माइकà¥à¤°à¥‹à¤¸à¥à¤•à¥‹à¤ª की सहायता की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ होती है। ईशà¥à¤µà¤° इन सूकà¥à¤·à¥à¤®à¤¤à¤® à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ से à¤à¥€ अतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ सूकà¥à¤·à¥à¤® अà¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• पदारà¥à¤¥ होने के कारण आंखों से दिखाई नहीं देता। अतः ईशà¥à¤µà¤° का आंखों से दिखाई न देना आंखों की सीमित दृषà¥à¤¯ शकà¥à¤¤à¤¿ के कारण है। इससे यह सिदà¥à¤§ नहीं होता कि ईशà¥à¤µà¤° नहीं है।
हम पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‡à¤‚ पढ़ते हैं तो बहà¥à¤¤ सी बातों का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ हमें हो जाता है जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ हम पहले से जानते नहीं हैं। हमने सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ व हवन के मनà¥à¤¤à¥à¤° व उसकी विधि को पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• पढ़कर ही जाना व समà¤à¤¾ है। उपदेशों को सà¥à¤¨à¤•à¤° à¤à¥€ हमें नाना विषयों का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ होता है। ईशà¥à¤µà¤° विषयक जà¥à¤žà¤¾à¤¨ à¤à¥€ हमें वेद व वैदिक साहितà¥à¤¯ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करने वा वेदानà¥à¤•à¥‚ल अनà¥à¤¯ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‡à¤‚ मà¥à¤–à¥à¤¯à¤¤à¤ƒ सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶, ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦à¤¾à¤¦à¤¿à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯à¤à¥‚मिका, आरà¥à¤¯à¤¾à¤à¤¿à¤µà¤¿à¤¨à¤¯ तथा महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ का वेदà¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ पढ़कर हो जाता है। वैदिक विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के उपदेश à¤à¥€ ईशà¥à¤µà¤° का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ कराने में सहायक होते हैं। गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ को पढ़कर व उपदेशों की बातों पर विचार व चिनà¥à¤¤à¤¨ कर हम ईशà¥à¤µà¤° के सतà¥à¤¯ सà¥à¤µà¤°à¥à¤ª से परिचित होते हैं व हà¥à¤ हैं। हमें यह जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व अनà¥à¤à¤µ हà¥à¤† है कि ईशà¥à¤µà¤° सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• व सरà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤°à¥à¤¯à¤¾à¤®à¥€ है। इस कारण वह हमारी आतà¥à¤®à¤¾ में निहित व विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ है। यदि हम उसका धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ व चिनà¥à¤¤à¤¨ करते हैं वा उसकी सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿, पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ व उपासना करते हैं अथवा यजà¥à¤ž अगà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤° व अनà¥à¤¯ शà¥à¤-अशà¥à¤ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ को करते हैं, तो संसार में होने वाले पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• कारà¥à¤¯ का साकà¥à¤·à¥€ ईशà¥à¤µà¤° हमारी उस कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ को अपनी सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤•à¤¤à¤¾ व सरà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤°à¥à¤¯à¤¾à¤®à¤¿à¤¤à¥à¤µ के गà¥à¤£ से जान लेता है, यह जà¥à¤žà¤¾à¤¨, पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤à¥€ व अनà¥à¤à¥‚ति हमें ईशà¥à¤µà¤° के विषय में होती है। यह जानकर, अपने आप से तरà¥à¤•-वितरà¥à¤• करने व इस जà¥à¤žà¤¾à¤¨ को सà¥à¤¥à¤¿à¤° व दृण कर लेने पर हम इस निषà¥à¤•à¤°à¥à¤· पर पहà¥à¤‚चते हैं कि ईशà¥à¤µà¤° निराकार है अतः उसकी पूजा, उपासना à¤à¤µà¤‚ सतà¥à¤•à¤¾à¤° आदि कारà¥à¤¯ केवल उस ईशà¥à¤µà¤° का अपनी जीवातà¥à¤®à¤¾ में धà¥à¤¯à¤¾à¤¨, चिनà¥à¤¤à¤¨, सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿, पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ व उपासना आदि के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ ही हो सकता है। अनà¥à¤¯ कारà¥à¤¯ यथा मूरà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚जा, कà¥à¤› गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ का पाठव नाना पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के आसन आदि कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ करके हम उसे पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ व पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ नहीं कर सकते। ईशà¥à¤µà¤° के गà¥à¤£à¥‹à¤‚ व सà¥à¤µà¤°à¥‚प का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ तथा पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ आदि करने से हमारे अनà¥à¤¤à¤ƒà¤•à¤°à¤£ के दोष व मल दूर होने आरमà¥à¤ हो जाते हैं। यह कारà¥à¤¯ मà¥à¤–à¥à¤¯à¤¤à¤ƒ ‘ओ३मॠविशà¥à¤µà¤¾à¤¨à¤¿ देव सवितरà¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¤à¤¾à¤¨à¤¿ परासà¥à¤µà¥¤ यदॠà¤à¤¦à¥à¤°à¤¨à¥à¤¤à¤¨à¥à¤¨ आसà¥à¤µà¥¤à¥¤’ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ à¤à¤²à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° किया जा सकता है जिसमें ईशà¥à¤µà¤° से जीवातà¥à¤®à¤¾ के सà¤à¥€ दà¥à¤°à¥à¤—à¥à¤£, दà¥à¤µà¥à¤°à¥à¤¯à¤¸à¤¨ व दà¥à¤ƒà¤–ों को दूर करने तथा जीवातà¥à¤®à¤¾ के लिठजो कलà¥à¤¯à¤¾à¤£à¤•à¤¾à¤°à¤• गà¥à¤£, करà¥à¤®, सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ व पदारà¥à¤¥ हैं, वह पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करने की पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ की जाती है। जैसे-जैसे व जितने समय तक हम ईशà¥à¤µà¤° की उपासना आदि कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को करते हैं, उसे विधिपूरà¥à¤µà¤• करने से उसके पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ से हमारा अनà¥à¤¤à¤ƒà¤•à¤°à¤£ शà¥à¤¦à¥à¤§, पवितà¥à¤° व निरà¥à¤®à¤² हो जाता है और उसमें ईशà¥à¤µà¤° का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ का आà¤à¤¾à¤¸ होने लगता है। वेदों व ऋषियों के वचनों के सतà¥à¤¯ होने के कारण ईशà¥à¤µà¤°à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾ के हमारे साधनों व उपायों में दृणता व सà¥à¤¥à¤¿à¤°à¤¤à¤¾ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ होती है व उसके सतà¥à¤¯ होने से निà¤à¥à¤°à¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤ अनà¥à¤à¤µ होता है। यह उपासना वा योगाà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸ नियत समय पर करते रहने से समाधि की अवसà¥à¤¥à¤¾ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ होकर ईशà¥à¤µà¤° साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•à¤¾à¤° व ईशà¥à¤µà¤° का पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤•à¥à¤· किया जा सकता है। इसके लिये योगदरà¥à¤¶à¤¨ के अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ के साथ निषà¥à¤•à¤ªà¤Ÿ व निरà¥à¤²à¥‹à¤à¥€ अनà¥à¤à¤µà¥€ योग गà¥à¤°à¥‚ की शरण ली जा सकती है। सचà¥à¤šà¤¾ व सिदà¥à¤§ योगी ही गà¥à¤°à¥ हो सकता है। à¤à¤¸à¤¾ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ मिलना कठिन अवशà¥à¤¯ है।
ईशà¥à¤µà¤° साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•à¤¾à¤° को विसà¥à¤¤à¤¾à¤° से जानने व समà¤à¤¨à¥‡ के लिठमहरà¥à¤·à¤¿ पतंजलि रचित योगदरà¥à¤¶à¤¨ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ आवशà¥à¤¯à¤• है। इसके लिठमहातà¥à¤®à¤¾ नारायण सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ व दरà¥à¤¶à¤¨à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥à¤¯ पं. उदयवीर शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ जी के योगदरà¥à¤¶à¤¨ पर हिनà¥à¤¦à¥€ में à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ उपलबà¥à¤§ हैं, उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ देखा जा सकता है। इसके साथ ही आरà¥à¤¯à¤œà¤—त के विखà¥à¤¯à¤¾à¤¤ संनà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥€ व दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ के विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ सतà¥à¤¯à¤ªà¤¤à¤¿ जी के पà¥à¤°à¤µà¤šà¤¨à¥‹à¤‚ पर तीन खणà¥à¤¡à¥‹à¤‚ में आचारà¥à¤¯ शà¥à¤°à¥€ सà¥à¤®à¥‡à¤°à¥‚ पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦, समà¥à¤ªà¥à¤°à¤¤à¤¿ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤µà¤¿à¤¦à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦, दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ समà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¿à¤¤ ‘वृहती बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® मेधा’ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ à¤à¥€ उपयोगी है। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ ईशà¥à¤µà¤° का साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•à¤¾à¤° किये हà¥à¤ सिदà¥à¤§ योगी थे। ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦à¤¾à¤¦à¤¿à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯à¤à¥‚मिका के उपासना पà¥à¤°à¤•à¤°à¤£ में उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने ईशà¥à¤µà¤° साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•à¤¾à¤° का वरà¥à¤£à¤¨ करते हà¥à¤ लिखा है कि ‘जिस समय इन (योग, धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ व उपासना के) सब साधनों से परमेशà¥à¤µà¤° की उपासना करके उस (ईशà¥à¤µà¤°) में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ किया चाहें, उस समय इस रीति से करें कि कणà¥à¤ के नीचे, दोनों सà¥à¤¤à¤¨à¥‹à¤‚ के बीच में और उदर से ऊपर जो हृदय देश है, जिसको बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤ªà¥à¤° अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ परमेशà¥à¤µà¤° का नगर कहते हैं, उसके बीच में जो गरà¥à¤¤ है, उसमें कमल के आकार का वेशà¥à¤® अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ अवकाशरूप à¤à¤• सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ है और उसके बीच में जो सरà¥à¤µà¤¶à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨à¥ परमातà¥à¤®à¤¾ बाहर à¤à¥€à¤¤à¤° à¤à¤•à¤°à¤¸ होकर à¤à¤° रहा है, वह आननà¥à¤¦à¤¸à¥à¤µà¤°à¥‚प परमेशà¥à¤µà¤° उसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के बीच में खोज करने (धà¥à¤¯à¤¾à¤¨, चिनà¥à¤¤à¤¨, धारणा, सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿, पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ आदि करने) से मिल जाता है। दूसरा उसके मिलने का कोई उतà¥à¤¤à¤® सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ वा मारà¥à¤— नहीं है।’ यहां आननà¥à¤¦à¤¸à¥à¤µà¤°à¥‚प परमेशà¥à¤µà¤° मिल जाता है से महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ का अà¤à¤¿à¤ªà¥à¤°à¤¾à¤¯ समाधि अवसà¥à¤¥à¤¾ में योगी व उपासक को ईशà¥à¤µà¤° का साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•à¤¾à¤° हो जाता है, से ही है।
आजकल ईशà¥à¤µà¤° वा सृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¤°à¥à¤¤à¥à¤¤à¤¾ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने के लिठà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨-à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ मतों में जो करà¥à¤®à¤•à¤¾à¤£à¥à¤¡ व उपासना पदà¥à¤§à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ हैं, वह योगदरà¥à¤¶à¤¨ की वैदिक उपासना प़दà¥à¤§à¤¤à¤¿ के अनà¥à¤°à¥‚प न होने के कारण उनसे ईशà¥à¤µà¤° की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ व साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•à¤¾à¤° होने की संà¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ नहीं है। यम व नियमों में अहिंसा, सतà¥à¤¯, असà¥à¤¤à¥‡à¤¯, बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤šà¤°à¥à¤¯, अपरिगà¥à¤°à¤¹, शौच, सनà¥à¤¤à¥‹à¤·, तप, सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ व ईशà¥à¤µà¤° पà¥à¤°à¤£à¤¿à¤§à¤¾à¤¨ ये यà¥à¤•à¥à¤¤ जिस आचरण की अपेकà¥à¤·à¤¾ योगी से की गई है, वह à¤à¥€ अनà¥à¤¯ मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€ व आचारà¥à¤¯ पूरी नहीं करते। अतः वह ईशà¥à¤µà¤° साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•à¤¾à¤° व ईशà¥à¤µà¤° का पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤•à¥à¤· होने का अनà¥à¤à¤µ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ नहीं कर सकते। यदि किसी को ईशà¥à¤µà¤° का साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•à¤¾à¤° करना है और इससे जीवन का लकà¥à¤·à¥à¤¯ ‘ईशà¥à¤µà¤° साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•à¤¾à¤° सहित मोकà¥à¤·’ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करना है तो वेद व वैदिक साहितà¥à¤¯ के जà¥à¤žà¤¾à¤¨ सहित योग व वैदिक उपासना पदà¥à¤§à¤¤à¤¿ को अपनाना ही होगा। वैदिक उपासना पदà¥à¤§à¤¤à¤¿ ही ईशà¥à¤µà¤° साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•à¤¾à¤° की à¤à¤•à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤° वह प़à¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¤à¤¿ है जो ईशà¥à¤µà¤° का साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•à¤¾à¤° कराने के साथ मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन के लकà¥à¤·à¥à¤¯ ‘‘मोकà¥à¤·” को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कराती है। इनà¥à¤¹à¥€à¤‚ शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ के साथ इस लेख को विराम देते हैं।
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