पाप दूर करने का वैदिक साधन अघमरà¥à¤·à¤£ के तीन मनà¥à¤¤à¥à¤° व उनके अरà¥à¤¥
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Manmohan Kumar AryaDate
11-Feb-2016Category
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11-Feb-2016Download PDF
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मनà¥à¤·à¥à¤¯ जागà¥à¤°à¤¤ अवसà¥à¤¥à¤¾ में कोई न कोई करà¥à¤® अवशà¥à¤¯ करता है। यह करà¥à¤® दो पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के होते हैं जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ शà¥à¤ व अशà¥à¤ अथवा पà¥à¤£à¥à¤¯ व पाप कह सकते हैं। मनà¥à¤·à¥à¤¯ का जनà¥à¤® ही पूरà¥à¤µà¤œà¤¨à¥à¤®à¥‹à¤‚ के शà¥à¤ व अशà¥à¤ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ के फलों के à¤à¥‹à¤— के लिठहà¥à¤† है। शà¥à¤ व सतॠकरà¥à¤®à¥‹à¤‚ का फल सà¥à¤– व विपरीत करà¥à¤®à¥‹à¤‚ का फल दà¥à¤ƒà¤– होता है। संसार में मनà¥à¤·à¥à¤¯ अनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से इस अरà¥à¤¥ में à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ है कि उसके पास निशà¥à¤šà¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤• बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ होती है जिससे निरà¥à¤£à¤¯ करके वह किसी करà¥à¤® को करता है। मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‡à¤¤à¤° अनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ होती तो है परनà¥à¤¤à¥ वह अपने सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µà¤¿à¤• जà¥à¤žà¤¾à¤¨ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° ही कारà¥à¤¯ करती है। वह सतà¥à¤¯ व असतà¥à¤¯ का निरà¥à¤£à¤¯ नहीं कर सकती। यदि वह विचार व चिनà¥à¤¤à¤¨ कर सकते तो समà¥à¤à¤µ था कि वह मनà¥à¤·à¥à¤¯ की तà¥à¤²à¤¨à¤¾ में अधिक अचà¥à¤›à¥‡ व शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ करà¥à¤® करते। वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ में à¤à¥€ गाय, बैल, घोड़ा, à¤à¥ˆà¤‚स, à¤à¥‡à¤¡à¤¼, बकरी आदि पशॠमनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ से कहीं अधिक मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ का उपकार करते हà¥à¤ दिखते हैं। मनà¥à¤·à¥à¤¯ तो इन पशà¥à¤“ं का उपयोग व दà¥à¤°à¥à¤ªà¤¯à¥‹à¤— ही करता है। मनà¥à¤·à¥à¤¯ योनी उà¤à¤¯-योनी है। इसमें मनà¥à¤·à¥à¤¯ पूरà¥à¤µ व वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ जनà¥à¤®à¥‹à¤‚ के करà¥à¤® à¤à¥‹à¤—ने के साथ नये शà¥à¤-अशà¥à¤ करà¥à¤® à¤à¥€ करता है। अशà¥à¤ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ का परिणाम दà¥à¤ƒà¤– होता है जिससे मनà¥à¤·à¥à¤¯ बच सकता है यदि दà¥à¤ƒà¤–ों का कारण अशà¥à¤ करà¥à¤®à¥‹ वा पाप को हटा दे अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ अशà¥à¤ करà¥à¤® न करे। अतः मनà¥à¤·à¥à¤¯ को शà¥à¤ व अशà¥à¤ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ होना चाहिये और à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ में दà¥à¤ƒà¤–ों से बचने के लिठउसे केवल शà¥à¤ करà¥à¤® ही करने चाहिये। बà¥à¤°à¥‡ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ को विवेक पूरà¥à¤µà¤• रोक देना चाहिये। इन पाप करà¥à¤®à¥‹à¤‚ से बचने के लिठमहरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ने अपनी ‘वैदिक सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ पदà¥à¤§à¤¤à¤¿’ में ‘अघमरà¥à¤·à¤£ मनà¥à¤¤à¥à¤°’ को लिखकर कर व इनकी वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾ करके शà¥à¤ व अशà¥à¤ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ के परिणाम व फलों को जानकर पाप करà¥à¤®à¥‹à¤‚ के तà¥à¤¯à¤¾à¤— करने का विधान किया है जिससे हमारा à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ व सà¥à¤–ी हो।
जिन अघमरà¥à¤·à¤£ मनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ की चरà¥à¤šà¤¾ हमने की है वह वैदिक सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ पदà¥à¤§à¤¤à¤¿ का à¤à¤• à¤à¤¾à¤— है। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ने ईशà¥à¤µà¤° के समà¥à¤¯à¤•à¥ धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ के लिठकी जाने वाली वैदिक सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ में गायतà¥à¤°à¥€ मनà¥à¤¤à¥à¤° से शिखा बनà¥à¤§à¤¨, आचमन मनà¥à¤¤à¥à¤°, इनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¸à¥à¤ªà¤°à¥à¤¶à¤®à¤¨à¥à¤¤à¥à¤°, मारà¥à¤œà¤¨à¤®à¤¨à¥à¤¤à¥à¤°, पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¾à¤¯à¤¾à¤®à¤®à¤¨à¥à¤¤à¥à¤°, अघमरà¥à¤·à¤£à¤®à¤¨à¥à¤¤à¥à¤°, मनसापरिकà¥à¤°à¤®à¤¾à¤®à¤¨à¥à¤¤à¥à¤°, उपसà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¤®à¤¨à¥à¤¤à¥à¤°, समरà¥à¤ªà¤£à¤®à¤¨à¥à¤¤à¥à¤° और समापà¥à¤¤à¥€ पर नमसà¥à¤•à¤¾à¤°à¤®à¤¨à¥à¤¤à¥à¤° के मनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ का पाठकरने का विधान किया है। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ के यह विधान बहà¥à¤¤ ही यà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¸à¤‚गत हैं और साधक व उपासक को सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ के फल पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कराने में पूरà¥à¤£à¤¤à¤ƒ समरà¥à¤¥ हैं। सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ करने का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤œà¤¨ है कि ईशà¥à¤µà¤° से हमें मनोवांछित आननà¥à¤¦ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ à¤à¤¹à¤¿à¤• सà¥à¤–-समृदà¥à¤§à¤¿, हम पर सरà¥à¤µà¤¦à¤¾ सà¥à¤–ों की वरà¥à¤·à¤¾ और पूरà¥à¤£à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ वा मोकà¥à¤· के आननà¥à¤¦ की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ हो। इन लाà¤à¥‹à¤‚ के अतिरिकà¥à¤¤ सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ में शरीर की रकà¥à¤·à¤¾ व इसको सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ रखने आदि की अनेक पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ निहित हैं। अघमरà¥à¤·à¤£ के सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ में समà¥à¤®à¤¿à¤²à¤¿à¤¤ तीन मनà¥à¤¤à¥à¤° हैं-‘ओ३मà¥à¥¤ ऋतं च सतà¥à¤¯à¤‚ चाà¤à¥€à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤¤à¥à¤¤à¤ªà¤¸à¥‹à¤½à¤§à¥à¤¯à¤œà¤¾à¤¯à¤¤à¥¤ ततो रातà¥à¤°à¥à¤¯à¤œà¤¾à¤¯à¤¤ ततः समà¥à¤¦à¥à¤°à¥‹à¤½à¤…रà¥à¤£à¤µà¤ƒà¥¤à¥¤1।। समà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤¦à¤°à¥à¤£à¤µà¤¾à¤¦à¤§à¤¿ संवतà¥à¤¸à¤°à¥‹à¤½à¤…जायत। अहोरातà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿ विदधदà¥à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¸à¥à¤¯ मिषतो वशी।।2।। सूरà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¨à¥à¤¦à¥à¤°à¤®à¤¸à¥Œ धाता यथापूरà¥à¤µà¤®à¤•à¤²à¥à¤ªà¤¯à¤¤à¥à¥¤ दिवं च पृथिवीं चानà¥à¤¤à¤°à¤¿à¤•à¥à¤·à¤®à¤¥à¥‹ सà¥à¤µà¤ƒà¥¤à¥¤3।।’ अपने जीवन से पापों को दूर करने के लिठइन मनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ का पाठकरने के बाद इनके यथारà¥à¤¥ अरà¥à¤¥à¥‹à¤‚ पर विचार करना व उससे मिलने वाली शिकà¥à¤·à¤¾ का पालन करना आवशà¥à¤¯à¤• है। पहले मनà¥à¤¤à¥à¤° का अरà¥à¤¥ है कि सब जगत का धारण और पोषण करनेवाला और सबको वश में करनेवाला परमेशà¥à¤µà¤°, जैसा कि उसके सरà¥à¤µà¤œà¥à¤ž विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ में जगतॠके रचने का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ था और जिस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° पूरà¥à¤µà¤•à¤²à¥à¤ª की सृषà¥à¤Ÿà¤¿ में जगतॠकी रचना थी और जैसे जीवों के पà¥à¤£à¥à¤¯-पाप थे, उनके अनà¥à¤¸à¤¾à¤° ईशà¥à¤µà¤° ने मनà¥à¤·à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के देह बनाये हैं। जैसे पूरà¥à¤µ कलà¥à¤ª में सूरà¥à¤¯-चनà¥à¤¦à¥à¤°à¤²à¥‹à¤• रचे थे, वैसे ही इस कलà¥à¤ª में à¤à¥€ रचे हैं जैसा पूरà¥à¤µ सृषà¥à¤Ÿà¤¿ में सूरà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ लोकों का पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ रचा था, वैसा ही इस कलà¥à¤ª में रचा है तथा जैसी à¤à¥‚मि पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤•à¥à¤· दीखती है, जैसा पृथिवी और सूरà¥à¤¯à¤²à¥‹à¤• के बीच में पोलापन है, जितने आकाश के बीच में लोक हैं, उनको ईशà¥à¤µà¤° ने रचा है। जैसे अनादिकाल से लोक-लोकानà¥à¤¤à¤° को जगदीशà¥à¤µà¤° बनाया करता है, वैसे ही अब à¤à¥€ बनाये हैं और आगे à¤à¥€ बनावेगा, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि ईशà¥à¤µà¤° का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ विपरीत कà¤à¥€ नहीं होता, किनà¥à¤¤à¥ पूरà¥à¤£ और अननà¥à¤¤ होने से सरà¥à¤µà¤¦à¤¾ à¤à¤•à¤°à¤¸ ही रहता है, उसमें वृदà¥à¤§à¤¿, कà¥à¤·à¤¯ और उलटापन कà¤à¥€ नहीं होता। इसी कारण से ‘यथापूरà¥à¤µà¤®-कलà¥à¤ªà¤¯à¤¤à¥’ इस पद का गà¥à¤°à¤¹à¤£ किया है। इस मनà¥à¤¤à¥à¤° व मनà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ में सृषà¥à¤Ÿà¤¿ रचना, उसका पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤œà¤¨, जीवों के पूरà¥à¤µ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° मनà¥à¤·à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ देह बनाने पर पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ डाला है। इससे यह à¤à¥€ जà¥à¤žà¤¾à¤¤ होता है कि इस सृषà¥à¤Ÿà¤¿ का सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ ईशà¥à¤µà¤° है और जीवों के करà¥à¤®à¥‹à¤‚ के फल, दणà¥à¤¡-दà¥à¤ƒà¤– व सà¥à¤–, देने के लिठउसने मनà¥à¤·à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के देह बनाये है।
अघमरà¥à¤·à¤£ के दूसरे मनà¥à¤¤à¥à¤° का अरà¥à¤¥ है कि उसी ईशà¥à¤µà¤° ने सहजसà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ से जगतॠके रातà¥à¤°à¤¿, दिवस, घटिका, पल और कà¥à¤·à¤£ आदि को जैसे पूरà¥à¤µ थे वैसे ही रचे हैं। इसमें कोई à¤à¤¸à¥€ शंका करे कि ईशà¥à¤µà¤° ने किस वसà¥à¤¤à¥ से जगतॠको रचा है? उसका उतà¥à¤¤à¤° यह है कि ईशà¥à¤µà¤° ने अपने अननà¥à¤¤ सामरà¥à¤¥à¥à¤¯ से सब जगतॠको रचा है। ईशà¥à¤µà¤° के पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ से जगतॠका कारण पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ होता और सब जगत के बनाने की सामगà¥à¤°à¥€ ईशà¥à¤µà¤° के अधीन है। उसी अननà¥à¤¤ जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤®à¤¯ सामरà¥à¤¥à¥à¤¯ से सब विदà¥à¤¯à¤¾ के खजाने वेदशासà¥à¤¤à¥à¤° को पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ किया है जैसाकि पूरà¥à¤µ सृषà¥à¤Ÿà¤¿ में पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ था और आगे के कलà¥à¤ªà¥‹à¤‚ में à¤à¥€ इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से वेदों का पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ करेगा। जो तà¥à¤°à¤¿à¤—à¥à¤£à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤• अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ सतà¥à¤µ, रज और तमोगà¥à¤£ से यà¥à¤•à¥à¤¤ है, जो सà¥à¤¥à¥‚ल और सूकà¥à¤·à¥à¤® जगतॠका कारण है, सो à¤à¥€ कारà¥à¤¯à¤°à¥‚प होके पूरà¥à¤µà¤•à¤²à¥à¤ª के समान उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤† है। उसी ईशà¥à¤µà¤° के सामरà¥à¤¥à¥à¤¯ से जो पà¥à¤°à¤²à¤¯ के पीछे à¤à¤• हजार चà¥à¤¤à¥à¤°à¥à¤¯à¥à¤—ी के पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ से रातà¥à¤°à¤¿ कहाती है, सो à¤à¥€ पूरà¥à¤µ पà¥à¤°à¤²à¤¯ के तà¥à¤²à¥à¤¯ ही होती है। इसमें ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦ का पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ है कि--‘‘जब जब विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ सृषà¥à¤Ÿà¤¿ होती है, उसके पूरà¥à¤µ सब आकाश अनà¥à¤§à¤•à¤¾à¤°à¤°à¥‚प रहता है, उसी का नाम महारातà¥à¤°à¤¿ है।” तदननà¥à¤¤à¤° उसी सामरà¥à¤¥à¥à¤¯ से पृथिवी और मेघ मणà¥à¤¡à¤²=अनà¥à¤¤à¤°à¤¿à¤•à¥à¤· में जो महासमà¥à¤¦à¥à¤° है, सो पूरà¥à¤µ सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के सदृश ही उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤† है। तीसरे मनà¥à¤¤à¥à¤° में ईशà¥à¤µà¤° ने मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को शिकà¥à¤·à¤¾ देते हà¥à¤ कहा है कि उसी समà¥à¤¦à¥à¤° की उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ संवतà¥à¤¸à¤°, अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ कà¥à¤·à¤£, मà¥à¤¹à¥à¤°à¥à¤¤, पà¥à¤°à¤¹à¤° आदि काल à¤à¥€ पूरà¥à¤µ सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के समान उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤† है। वेद से लेके पृथिवीपरà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ जो यह जगतॠहै, सो सब ईशà¥à¤µà¤° के नितà¥à¤¯ सामथà¥à¤°à¥à¤¯ से ही पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ हà¥à¤† है और ईशà¥à¤µà¤° सबको उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ करके, सबमें वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• होके अनà¥à¤¤à¤°à¥à¤¯à¤¾à¤®à¤¿à¤°à¥‚प से सबके पाप-पà¥à¤£à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को देखता हà¥à¤†, पकà¥à¤·à¤ªà¤¾à¤¤ छोड़के सतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¯à¤¾à¤¯ से सबको यथावतॠफल दे रहा है।
इन अरà¥à¤¥à¥‹à¤‚ को पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ कर महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ कहते हैं कि कि à¤à¤¸à¤¾ निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ जान के ईशà¥à¤µà¤° से à¤à¤¯ करके सब मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को उचित है कि मन, वचन और करà¥à¤® से पापकरà¥à¤®à¥‹à¤‚ को कà¤à¥€ न करें। इसी का नाम अघमरà¥à¤·à¤£ है अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ ईशà¥à¤µà¤° सबके अनà¥à¤¤à¤ƒà¤•à¤°à¤£ के करà¥à¤®à¥‹à¤‚ को देख रहा है, इससे पापकरà¥à¤®à¥‹à¤‚ का आचरण मनà¥à¤·à¥à¤¯ लोग सरà¥à¤µà¤¥à¤¾ छोड़ देवें। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ के इस सतà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤®à¤°à¥à¤¥ और पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒ व सायं दोनों समय सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ करते समय अघमरà¥à¤·à¤£ मनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ के अरà¥à¤¥à¥‹à¤‚ पर विचार करते हà¥à¤ मनà¥à¤·à¥à¤¯ जान लेता है कि वह जैसे पाप व पà¥à¤£à¥à¤¯ करà¥à¤® करेगा, ईशà¥à¤µà¤° की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ से उसको उन करà¥à¤®à¥‹à¤‚ का सà¥à¤– व दà¥à¤ƒà¤– रूपी फल वा दणà¥à¤¡ आदि यथायोगà¥à¤¯ अवशà¥à¤¯ मिलेगा। इससे वह पाप व अशà¥à¤ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ को छोड़ देता है। अतः सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ के यह तीन मनà¥à¤¤à¥à¤° à¤à¤µà¤‚ इनके अरà¥à¤¥ पर विचार करने से मनà¥à¤·à¥à¤¯ पापों को करना छोड़ देता है। इस पर à¤à¥€ यदि कोई पाप करता रहता है तो उसे बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤¹à¥€à¤¨ व मलिन मन व आतà¥à¤®à¤¾ वाला मनà¥à¤·à¥à¤¯ ही कह सकते हैं जो अनà¥à¤§à¤•à¤¾à¤° में पड़कर दà¥à¤ƒà¤– का à¤à¤¾à¤—ी होता है। यदि मनà¥à¤·à¥à¤¯ व संसार को पापों से बचाना है तो उसे वेदों की शरण में लाकर वेदों का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ कराकर अटल करà¥à¤®-फल सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ को जनाकर अशà¥à¤ व पाप करà¥à¤®à¥‹à¤‚ को करने से छà¥à¤¡à¤¼à¤¾à¤¨à¤¾ ही होगा। पाप करà¥à¤®à¥‹à¤‚ को छोड़ने व सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ करने से मनà¥à¤·à¥à¤¯ व जीवातà¥à¤®à¤¾ को अनेकानेक लाठहोंगे जिसमें इहलौकिक उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ सहित परजनà¥à¤®à¥‹à¤‚ में उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ होने के साथ मोकà¥à¤· की सिदà¥à¤§à¤¿ à¤à¥€ हो सकती है। हम आशा करते हैं पाठक पाप तà¥à¤¯à¤¾à¤— के लिठइन मनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ का पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒà¤¸à¤¾à¤¯à¤‚ पाठकरने के साथ इनके अरà¥à¤¥à¥‹à¤‚ पर à¤à¥€ गमà¥à¤à¥€à¤°à¤¤à¤¾ से विचार करेंगे और वैदिक साहितà¥à¤¯ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ कर अपने-अपने जीवन को वेदानà¥à¤•à¥‚ल बनायेंगे।
मनà¥à¤·à¥à¤¯ बà¥à¤°à¥‡ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ के कठोर दणà¥à¤¡ के à¤à¤¯ से ही बà¥à¤°à¤¾à¤ˆà¤¯à¥‹à¤‚ व पापों से दूर रहता है। देश व समाज में जो लोग अपराध नहीं करते उनका à¤à¤• कारण यह है कि वह ईशà¥à¤µà¤° व सरकारी दणà¥à¤¡ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ दोनों से डरते हैं। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ने सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ में विधान किये अघमरà¥à¤·à¤£ मनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में à¤à¥€ ईशà¥à¤µà¤° की सरà¥à¤µà¥‹à¤ªà¤°à¤¿ सतà¥à¤¤à¤¾ व उसके दणà¥à¤¡ विधान ‘करà¥à¤®-फल सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤’ का उलà¥à¤²à¥‡à¤– किया है जो अनादि काल से चला आ रहा और अननà¥à¤¤ काल यथापूरà¥à¤µ चलता रहेगा। जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ व सजà¥à¤œà¤¨ पà¥à¤°à¥‚ष ईशà¥à¤µà¤° के दणà¥à¤¡ व मोकà¥à¤· विधान को जानकर अपने समसà¥à¤¤ जीवन में अपराध, पाप व अशà¥à¤ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ से बचे रहते हैं व सà¥à¤–-शानà¥à¤¤à¤¿-समृ़िदà¥à¤§ का अनà¥à¤à¤µ व à¤à¥‹à¤— करते हैं। अतः महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ अघमरà¥à¤·à¤£ मनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ का विधान सरà¥à¤µà¤¥à¤¾ उपयà¥à¤•à¥à¤¤ व समाज को अपराध मà¥à¤•à¥à¤¤ बनाने की दिशा में à¤à¤• पà¥à¤°à¤¶à¤‚सनीय कारà¥à¤¯ है। अनà¥à¤¯ मतों में तो संखà¥à¤¯à¤¾ बढ़ाने के लिठपाप कà¥à¤·à¤®à¤¾ का विधान किया गया है जो कि सतà¥à¤¯ नहीं हो सकता कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि पापों को कà¥à¤·à¤®à¤¾ करना à¤à¤• पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° पाप को बढ़ावा देना है जिसे ईशà¥à¤µà¤° कदापि नहीं करेगा।
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