शहीद à¤à¤—त सिंह के दादा सरदार अरà¥à¤œà¥à¤¨ सिंह और ऋषि दयाननà¥à¤¦
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Manmohan Kumar AryaDate
23-May-2016Category
लेखLanguage
HindiTotal Views
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SaurabhUpload Date
25-May-2016Download PDF
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देश की गà¥à¤²à¤¾à¤®à¥€ को दूर कर उसे सà¥à¤µà¤¤à¤¨à¥à¤¤à¥à¤° कराने के लिठअपने पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ की आहà¥à¤¤à¤¿ देने वाले शहीद à¤à¤—त सिंह के पिता का नाम सरदार किशन सिंह और दादा का नाम सरदार अरà¥à¤œà¥à¤¨ सिंह था। सरदार अरà¥à¤œà¥à¤¨ सिंह जी ने महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ के साकà¥à¤·à¤¾à¤¤ दरà¥à¤¶à¤¨ किये थे और उनके शà¥à¤°à¥€à¤®à¥à¤– से अनेक उपदेशों को à¤à¥€ सà¥à¤¨à¤¾ था। ऋषि दयाननà¥à¤¦ जी के उपदेशों का उनके मन व मसà¥à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤• पर गहरा पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ पड़ा था और उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने मन ही मन वैदिक विचारधारा को अपना लिया था। आप जालनà¥à¤§à¤° जिले के खटकड़कलां गà¥à¤°à¤¾à¤® के रहने वाले थे। सनॠ1890 में आपने विधिवत आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ की सदसà¥à¤¯à¤¤à¤¾ सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° की और आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ की वैदिक विचारधारा व सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ का उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° करने लगे। आपका आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ और वैदिक धरà¥à¤® से गहरा à¤à¤¾à¤µà¤¾à¤¨à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤• संबंध था। इसका पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ था कि आपने अपने दो पोतों शà¥à¤°à¥€ जगतसिंह और à¤à¤—तसिंह का यजà¥à¤žà¥‹à¤ªà¤µà¥€à¤¤ संसà¥à¤•à¤¾à¤° वैदिक विघि से कराया था। यह संसà¥à¤•à¤¾à¤° आरà¥à¤¯à¤œà¤—त के विखà¥à¤¯à¤¾à¤¤ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¥‹à¤¹à¤¿à¤¤ और शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ महारथी पंडित लोकनाथ तरà¥à¤•à¤µà¤¾à¤šà¤¸à¥à¤ªà¤¤à¤¿ के आचारà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤µ में महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ लिखित संसà¥à¤•à¤¾à¤° विधि के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° समà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤ थे। यह पं. लोकनाथ तरà¥à¤•à¤µà¤¾à¤šà¤¸à¥à¤ªà¤¤à¤¿ शà¥à¤°à¥€ राकेश शरà¥à¤®à¤¾ के दादा थे जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अमेरिका के चनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¨ में जाकर चनà¥à¤¦à¥à¤°à¤®à¤¾ के चकà¥à¤•à¤° लगाये थे।
सरदार अरà¥à¤œà¥à¤¨ सिंह जी ने सिख गà¥à¤°à¥à¤“ं की शिकà¥à¤·à¤¾à¤“ं को वेदों के अनà¥à¤•à¥‚ल सिदà¥à¤§ करते हà¥à¤ à¤à¤• उरà¥à¤¦à¥‚ की पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• ‘हमारे गà¥à¤°à¥ साहबान वेदों के पैरोकार थे’ लिखी थी जो वरà¥à¤®à¤¨ à¤à¤£à¥à¤¡ कमà¥à¤ªà¤¨à¥€ लाहौर से छपी थी। वह यजà¥à¤ž कà¥à¤£à¥à¤¡ अपने साथ रखते थे और पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ यजà¥à¤ž-हवन-अगà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤° à¤à¥€ करते थे। उनका वैदिक धरà¥à¤® व संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ à¤à¤µà¤‚ महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ दीवानापन अनà¥à¤•à¤°à¤£à¥€à¤¯ था। सरदार अरà¥à¤œà¥à¤¨ सिंह जी का निधन महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ अरà¥à¤§à¤¨à¤¿à¤°à¥à¤µà¤¾à¤£ षताबà¥à¤¦à¥€ वरà¥à¤· सनॠ1933 में हà¥à¤† था। यह सà¥à¤µà¤¾à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤• नियम है कि पिता के गà¥à¤£ उसके पà¥à¤¤à¥à¤° में सृषà¥à¤Ÿà¤¿ नियम के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° आते हैं। पिता पà¥à¤°à¤¦à¤¤à¥à¤¤ यह संसà¥à¤•à¤¾à¤° à¤à¤¾à¤µà¥€ संनà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ में पीà¥à¥€ दर पीà¥à¥€ चलते हैं। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ने सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ और आरà¥à¤¯à¤¾à¤à¤¿à¤µà¤¿à¤¨à¤¯ में देश à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ की अनेक बातें कहीं है जिसका पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ उनके अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤¯à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ पर पड़ा। हमारा अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ है कि दयाननà¥à¤¦ जी की देशà¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ के गà¥à¤£à¥‹à¤‚ का संचरण परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ से सरदार अरà¥à¤œà¥à¤¨ सिह जी व उनके परिवार में हà¥à¤† था।
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