नारियां शà¥à¤, शोà¤à¤¾, शोà¤à¤¨à¥€à¤¯à¤¤à¤¾ गà¥à¤£à¥‹à¤‚ से सà¥à¤¶à¥‹à¤à¤¿à¤¤ हों -ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦
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Manmohan Kumar AryaDate
23-May-2016Category
लेखLanguage
HindiTotal Views
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SaurabhUpload Date
25-May-2016Download PDF
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हम सनॠ1970 व उसके कà¥à¤› माह बाद आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के समà¥à¤ªà¤°à¥à¤• में आये थे। हमारे ककà¥à¤·à¤¾ 12 के à¤à¤• पड़ोसी मितà¥à¤° सà¥à¤µ. शà¥à¤°à¥€ धरà¥à¤®à¤ªà¤¾à¤² सिंह आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œà¥€ थे। हम दोनों में धीरे धीरे निकटतायें बà¥à¤¨à¥‡ लगी। सायं को जब à¤à¥€ अवकाश होता दोनों घूमने जाते और यदि कहीं किसी à¤à¥€ मत व संसà¥à¤¥à¤¾ का सतà¥à¤¸à¤‚ग हो रहा होता तो वहां पहà¥à¤‚च कर उसे सà¥à¤¨à¤¤à¥‡ थे। उसके बाद आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ में à¤à¥€ आना जाना आरमà¥à¤ हो गया। वैदिक साधन आशà¥à¤°à¤® तपोवन, देहरादून वैदिक विचारधारा मà¥à¤–à¥à¤¯à¤¤à¤ƒ योग साधना और वृहत यजà¥à¤ž की पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤°à¤• संसà¥à¤¥à¤¾ है। यहां उन दिनों उतà¥à¤¸à¤µ आदि के अवसर पर अजमेर के वैदिक विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ विदà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ विदेह (1899-1978) उपदेशारà¥à¤¥ आया करते थे। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी का वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ à¤à¤¸à¤¾ था जैसा कि शà¥à¤°à¥€ रवीनà¥à¤¦à¥à¤° नाथ टैगोर जी का। उनकी सफेद चमकीली लमà¥à¤¬à¥€ आकरà¥à¤·à¤• दाà¥à¥€ होती थी। गौरवरà¥à¤£ चेहरा कानà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ à¤à¤µà¤‚ देदीपà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ रहता था। वाणी में मधà¥à¤°à¤¤à¤¾ इतनी की यदि कोई उनकी वाणी को सà¥à¤¨ ले तो चà¥à¤®à¥à¤¬à¤• के समान आकरà¥à¤·à¤£ अनà¥à¤à¤µ होता था। हम à¤à¥€ उनके वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ के समà¥à¤®à¥‹à¤¹à¤¨ से पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ हà¥à¤à¥¤ अनेक वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ तक वह आते रहे और हम à¤à¥€ उनके पà¥à¤°à¤µà¤šà¤¨à¥‹à¤‚ से लाà¤à¤¾à¤¨à¥à¤µà¤¿à¤¤ होते रहे। उनकी पà¥à¤°à¤µà¤šà¤¨ शैली यह होती थी कि वह à¤à¤• वेद मनà¥à¤¤à¥à¤° पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ करते थे। वेद मनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤šà¥à¤šà¤¾à¤° से पूरà¥à¤µ वह सामूहिक पाठकराते थे ‘ओ३मॠसं शà¥à¤°à¥à¤¤à¥‡à¤¨ गमेमहि मां शà¥à¤°à¥à¤¤à¥‡à¤¨ वि राधिषि’ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ हे ईशà¥à¤µà¤° ! हम वेदवाणी से सदैव जà¥à¥œà¥‡ रह वा उसका शà¥à¤°à¤µà¤£ करें तथा हम उससे कà¤à¥€ पृथक न हों। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¥‡à¤¯ वेद मनà¥à¤¤à¥à¤° का पदचà¥à¤›à¥‡à¤¦ कर पदारà¥à¤¥ पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ करते थे। फिर पà¥à¤°à¤®à¥à¤– पदों की वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾ करते हà¥à¤ उसके अरà¥à¤¥ के साथ साथ उससे जà¥à¥œà¥€à¤‚ पà¥à¤°à¤®à¥à¤– व पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¶à¤¾à¤²à¥€ कहानियां-किसà¥à¤¸à¥‡ व उदाहरण आदि दिया करते थे। हमें पता ही नहीं चला कि हम कब पौराणिक व धरà¥à¤® अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ से वैदिक धरà¥à¤®à¥€ आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œà¥€ बन गये। आरमà¥à¤ में ही हमें पता चला कि सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी अजमेर से ‘सविता’ नाम से à¤à¤• मासिक पतà¥à¤°à¤¿à¤•à¤¾ का समà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ करते हैं जिसमें अधिकांश व पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ सà¤à¥€ लेख à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ शीरà¥à¤·à¤•à¥‹à¤‚ से उनà¥à¤¹à¥€à¤‚ के होते थे जिनका आधार कोई वेद मनà¥à¤¤à¥à¤° व वेद की सूकà¥à¤¤à¤¿ होता था। वह अचà¥à¤›à¥‡ कवि à¤à¥€ थे। वेद मनà¥à¤¤à¥à¤° की वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾ के बाद वह मनà¥à¤¤à¥à¤° के à¤à¤¾à¤µà¤¾à¤¨à¥à¤°à¥‚प à¤à¤• कविता à¤à¥€ दिया करते थे। हम जिस पà¥à¤°à¤¥à¤® पतà¥à¤°à¤¿à¤•à¤¾ के सदसà¥à¤¯ बने वह यह मासिक पतà¥à¤°à¤¿à¤•à¤¾ सविता ही थी। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने छोटे छोटे अनेक गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ à¤à¥€ लिखे थे जिनका मूलà¥à¤¯ उन दिनों बहà¥à¤¤ कम होता था और हम अपनी सामरà¥à¤¥à¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥à¤¸à¤¾à¤° à¤à¤•, दो या तीन पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‡à¤‚ à¤à¤• बार में खरीद लेते थे और उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पà¥à¤¤à¥‡ थे। उनकी पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‹à¤‚ के नाम थे गृहसà¥à¤¥ विजà¥à¤žà¤¾à¤¨, अजà¥à¤žà¤¾à¤¤ महापà¥à¤°à¥à¤·, वैदिक सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ शिकà¥à¤·à¤¾, मानव धरà¥à¤®, सतà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¤¾à¤°à¤¾à¤¯à¤£ की कथा, वैदिक सतà¥à¤¸à¤‚ग, सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¤à¤¿-याग, विजय-याग, विदेह गाथा, सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾-योग, जीवन-पाथेय, विदेह-गीतावली, दयाननà¥à¤¦-चरितामृत, कलà¥à¤ªà¤ªà¥à¤°à¥à¤· दयाननà¥à¤¦ और शिव-संकलà¥à¤ª, अनेक वेद-वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ आदि। यह सà¤à¥€ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‡à¤‚ वेद व उसके मनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में निहित शिकà¥à¤·à¤¾ के आधार पर ही लिखी गई हैं। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने अजमेर व दिलà¥à¤²à¥€ में दो वेद ससà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ की थी। अजमेर के वेदसंसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ का कारà¥à¤¯ उनके पà¥à¤¤à¥à¤° शà¥à¤°à¥€ विशà¥à¤µà¤¦à¥‡à¤µ शरà¥à¤®à¤¾ देखते थे तो दिलà¥à¤²à¥€ संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ का वह सà¥à¤µà¤¯à¤‚ वा उनके दूसरे पà¥à¤¤à¥à¤° शà¥à¤°à¥€ अà¤à¤¯à¤¦à¥‡à¤µ शरà¥à¤®à¤¾ जी। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ विदà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ विदेह जी के कà¥à¤› यà¥à¤µà¤¾ संनà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥€ शिषà¥à¤¯ à¤à¥€ थे जिनमें से à¤à¤• थे सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ विदेह। इनको à¤à¥€ हमने वैदिक साधन आशà¥à¤°à¤® तपोवन में सà¥à¤¨à¤¾ जो अपने गà¥à¤°à¥ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ विदà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ विदेह की शैली को अकà¥à¤·à¤°à¤•à¥à¤·à¤ƒ आतà¥à¤®à¤¸à¤¾à¤¤ किये हà¥à¤ थे। समà¥à¤à¤µà¤¤à¤ƒ उनके और à¤à¥€ दो-तीन शिषà¥à¤¯ थे जिनके दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ का सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ हमें पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ नहीं हà¥à¤†à¥¤ यह à¤à¥€ बता दे कि हमने मासिक पतà¥à¤° सविता का सदसà¥à¤¯ बनने के कà¥à¤› दिनों बाद अपनी पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ देते हà¥à¤ à¤à¤• पतà¥à¤° लिखा था जो पाठको के पतà¥à¤° सà¥à¤¤à¤®à¥à¤ में सनॠ1978 के किसी अंक में पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ हà¥à¤† था। यह हमारे जीवन का पà¥à¤°à¤¥à¤® पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ पतà¥à¤° था। समà¥à¤ªà¥à¤°à¤¤à¤¿ पतà¥à¤°à¤¿à¤•à¤¾ का नाम संशोधित कर दिलà¥à¤²à¥€ से तà¥à¤°à¥ˆà¤®à¤¾à¤¸à¤¿à¤• पतà¥à¤°à¤¿à¤•à¤¾ ‘वेद सविता’ के नाम से पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ की जाती है जिसके हम à¤à¤•-दो वरà¥à¤· से सदसà¥à¤¯ बने हैं। इतना और बता दें कि सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी की मृतà¥à¤¯à¥ सनॠ1978 में सहारनपà¥à¤° क à¤à¤• आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ में मंच से उपदेश करते हà¥à¤ हà¥à¤ˆ थी। मृतà¥à¤¯à¥ का कारण हृदयाघात था। उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पूरà¥à¤µ à¤à¥€ à¤à¤• या दो अवसरों पर हृदयाघात हà¥à¤† था। तब उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने लिखा था कि मेरा जीवन à¤à¤• कांच के गिलास के समान है। इसे समà¥à¤à¤¾à¤² कर रखोगे तो यह कà¥à¤› चल सकता है अनà¥à¤¯à¤¥à¤¾ कांच के गिलास की तरह अचानक टूट à¤à¥€ सकता है। शायद à¤à¤¸à¤¾ ही सहारनपà¥à¤° में मृतà¥à¤¯à¥ के अवसर पर हà¥à¤† à¤à¥€à¥¤
सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने ‘वैदिक सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€-शिकà¥à¤·à¤¾’ नाम से à¤à¤• लघॠपà¥à¤¸à¥à¤¤à¤¿à¤•à¤¾ लिखी है। इस पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• में सातवां विचारातà¥à¤®à¤• उपदेश ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦ के 7-56-6 मनà¥à¤¤à¥à¤° ‘यामं येषà¥à¤ ाः शà¥à¤à¤¾ शोà¤à¤¿à¤·à¥à¤ ाः शà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ संमिशà¥à¤²à¤¾à¥¤ ओजोà¤à¤¿à¤°à¥à¤—à¥à¤°à¤¾à¤ƒà¥¤à¥¤’ पर है। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने इस मनà¥à¤¤à¥à¤° की वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾ व उपदेश में कहा है कि नारियां धरà¥à¤® पथ का अतिशय गमन करनेवाली हों। नारियां धरà¥à¤®à¤¶à¥€à¤²à¤¾ हों। सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ से ही नारियां पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ की अपेकà¥à¤·à¤¾ कहीं अधिक धरà¥à¤®à¤¶à¥€à¤²à¤¾ होती हैं। परिवार, समाज और राषà¥à¤Ÿà¥à¤° की ओर से नारियों की शिकà¥à¤·à¤¾ दीकà¥à¤·à¤¾ का à¤à¤¸à¤¾ सà¥à¤ªà¥à¤°à¤¬à¤¨à¥à¤§ होना चाहिये कि वे अतिशय धरà¥à¤®à¤¶à¥€à¤²à¤¾, सà¥à¤ªà¤¥à¤—ामिनी और सदाचारिणी हों। विदà¥à¤·à¥€, धरà¥à¤®à¤¶à¥€à¤²à¤¾ और सदाचारिणी माताओं की सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨ ही विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥, घरà¥à¤®à¤¶à¥€à¤² और सदाचारी होती हैं। माता के अंग-अंग से सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨ का अंग-अंग बनता है। माता की बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ से सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨ की बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ और माता के हृदय से सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨ का हृदय बनता है। पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ से अधिक नारियों के सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯, शील और धारà¥à¤®à¤¿à¤• जीवन के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ रखा जाना चाहिये।
नरियां शà¥à¤, शोà¤à¤¾, शोà¤à¤¨à¥€à¤¯à¤¤à¤¾ से अतिशय शोà¤à¤¨à¥€à¤¯ हों। नारियां सà¥à¤¶à¥‹à¤à¤¨à¥€à¤¯à¤¾-सà¥à¤°à¥‚पा होनी चाहियें। उनकी आकृति दरà¥à¤¶à¤¨à¥€à¤¯ और उनकी छवि शोà¤à¤¨à¥€à¤¯ होनी चाहिये। उनका शरीर सà¥à¤µà¤šà¥à¤› और सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ होना चाहिये। वे पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨à¤µà¤¦à¤¨à¤¾ हों। वे सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° वसà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤à¥‚षण धारण करें। शील और सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ का शोà¤à¤¨à¥€à¤¯à¤¤à¤¾ से बड़ा गहरा समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ है। शालीन, शील और साधॠसà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ से शोà¤à¤¨à¥€à¤¯à¤¤à¤¾ जितनी सà¥à¤¶à¥‹à¤à¤¿à¤¤ होती है, उतनी अनà¥à¤¯ किसी à¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से नहीं होती। अशालीन और करà¥à¤•à¤¶ नारियां सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° वसà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤à¥‚षण पहिनकर à¤à¥€ अशोà¤à¤¨à¥€à¤¯ पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ होती हैं। शालीन व हंसमà¥à¤– नारियां साधारण वसà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में à¤à¥€ बड़ी शोà¤à¤¨à¥€à¤¯ पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ होती हैं। ईरà¥à¤·à¥à¤¯à¤¾, दà¥à¤µà¥‡à¤·, लड़़ाई à¤à¤—ड़ा करनेवाली नारियों का रूप लावणà¥à¤¯ बहà¥à¤¤ शीघà¥à¤° विनषà¥à¤Ÿ हो जाता है। शोà¤à¤¨à¥€à¤¯ माताओं की सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨ शोà¤à¤¨à¥€à¤¯ और करà¥à¤•à¤¶à¤¾ माताओं की सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨ अशोà¤à¤¨à¥€à¤¯ होती हैं। अतः नारियों का सरà¥à¤µà¤¤à¤ƒ शोà¤à¤¨à¥€à¤¯ होना योगà¥à¤¯ है।
नारियां (शà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾) लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ से (समिशà¥à¤²à¤¾à¤ƒ) संयà¥à¤•à¥à¤¤ हों। नारियां सà¥à¤µà¤¯à¤‚ लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ होती हैं। जहां लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€à¤°à¥‚प नारी हों, वहां लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ होनी ही चाहिये। लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ नाम धन समà¥à¤ªà¤¦à¤¾ का है। पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ कमाई गई लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ का जब नारियां सà¥à¤ªà¥à¤°à¤¬à¤¨à¥à¤§ तथा मितवà¥à¤¯à¤¯ करती हैं तो उनका गृह लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ से पूरित रहता है। नारियों को चाहिये कि परिशà¥à¤°à¤® करके गृह के सब कारà¥à¤¯ सà¥à¤·à¥à¤ à¥à¤¤à¤¾ से करें। वà¥à¤¯à¤¸à¤¨à¥‹à¤‚ और विलासों पर धन लेशमातà¥à¤° à¤à¥€ वà¥à¤¯à¤¯ न होने दें। à¤à¥‹à¤œà¤¨ छादन और रहन सहन के सà¥à¤ªà¥à¤°à¤¬à¤¨à¥à¤§ से रोग नहीं होते। सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ परिवार में लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ का सतत शà¥à¤à¤¾à¤—मन होता है। विवाह आदि सामाजिक कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में à¤à¥€ वà¥à¤¯à¤°à¥à¤¥ वà¥à¤¯à¤¯ न होने दें। आय वà¥à¤¯à¤¯ पर नियनà¥à¤¤à¥à¤°à¤£ रखने से à¤à¥€ लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ की वृदà¥à¤§à¤¿ होती है। लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ पविर में सब पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° का सà¥à¤– होता है और सब पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ होती है।
नारियां (ओजोà¤à¤¿à¤ƒ) ओजों से (उगà¥à¤°à¤¾à¤ƒ) उगà¥à¤° हों। नारियां à¤à¥€à¤°à¥, डरपोक और ओजविहीन न होकर निरà¥à¤à¤¯, साहसी, अदमà¥à¤¯ और ओजसà¥à¤µà¤¿à¤¨à¥€ हों। वे सà¥à¤²à¤•à¥à¤·à¤£à¤¾ और लजà¥à¤œà¤¾à¤µà¤¤à¥€ तो हों, किनà¥à¤¤à¥ दीन और ओजहीन न हों। नारियों के सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ में à¤à¤¿à¤à¤• और संकोच का होना ओजहीनता का लकà¥à¤·à¤£ है। नारियों में सहनशीलता का होना जहां à¤à¥‚षण है, वहां उनमें उगà¥à¤°à¤¤à¤¾ का होना à¤à¥€ परम आवशà¥à¤¯à¤• है। बड़ी से बड़ी आपतà¥à¤¤à¤¿ को अपनी सहनशीलता से सहने का सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ नारियों की विशेषता है, किनà¥à¤¤à¥ उनमें इतनी उगà¥à¤°à¤¤à¤¾ à¤à¥€ होनी चाहिठकि उनकी कहीं à¤à¥€ उपेकà¥à¤·à¤¾ और उनका अपमान या अवमान न होने पाये। ओज से साहस का विकास और उगà¥à¤°à¤¤à¤¾ से मान की रकà¥à¤·à¤¾ होती है। अतः नारियां अपने ओज और उगà¥à¤°à¤¤à¤¾ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ करें।
हम समà¤à¤¤à¥‡ हैं कि वेद मनà¥à¤¤à¥à¤° में नारियों को जो उपदेश दिया गया है वह नारियों के लिठपरम औषध के समान है। इसका आचरण करने से उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अपने जीवन में लाठही लाठहोगा और इन शिकà¥à¤·à¤¾à¤“ं की उपेकà¥à¤·à¤¾ उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पतन की ओर ले जा सकती है। हम आशा करते हैं कि सà¤à¥€ पाठक लेख व उसमें निहित शिकà¥à¤·à¤¾ को उपयोगी पायेंगे। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ विदà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ जी ने इस मनà¥à¤¤à¥à¤° को वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾ व उपदेश के लिठचà¥à¤¨à¤¾, उनका सादर सà¥à¤®à¤°à¤£ कर धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ करते हैं।
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