Gyanjyoti Mahotsav

Gyanjyoti Mahotsav organised by Arya Samaj Gandhidham

05 Mar 2016
India
Arya Samaj Gandhidham

5 मार्च 2016 को आर्यसमाज गांधीधाम द्वारा युगप्रवर्तक क्रांतिकारी विचारक महर्षि दयानन्द सरस्वती की 193वीं जन्मजयंती ज्ञानज्योति महोत्सव के रूप में हर्शाेल्लास से मनायी गयी। आर्यसमाज गांधीधाम संचालित डी ए वी पब्लिक स्कूल के प्रांगण में आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में माननीय श्री ओमप्रकाष कोहली जी (महामहिम राज्यपाल गुजरात) पधारे थे। उन्होंने  वेद, भारतीय संस्कृति और महर्षि दयानंद के जीवन पर उदबोधन दिया - आर्यसमाज गांधीधाम संचालित जीवन प्रभात(निराधार बच्चों का आश्रयस्थान) की प्रशंसा  करते हुए उन्हों ने जीवनप्रभात को धर्म का प्रेक्टीकल रूप बताते हुए कहा कि संवेदना ही धर्म का सच्चा स्वरूप है। महर्षि जी के विचारों को प्रकट करते हुए उन्हों ने महर्षि के वाक्य ‘परराज्य कितना ही अच्छा क्यों न हो लेकिन स्वराज्य पर राज्य से अच्छा होता है’ पर टिप्पणी करते हुए बताया कि स्वराज का चिंतन सर्वप्रथम दयानन्द ने दिया था- सामाजिक कुरितियों, पाखंड, अंधश्रद्धा, दलिताद्वार, बाल विवाह, विधवा विवाह जैसे क्रान्तीकार कदम उस समय दयानन्द सरस्वती ने उठाये थे। महर्षि जी ने यह भी बताया कि वेद और टेकनोलोजि के मूल सिद्धांत वेद में है, महर्षि जी ने उस समय वेद के लिए भारतवासियों में अनुराग जताया जब युरोप के लोग वेद को गडरियों का गीत बताते थे। तके गुजरात की भूमि को धन्य बताते हुए उन्होंने कहा कि गुजरात ने महर्शि दयानन्द, सरदार पटेल और गांधीजी जैसे सपूत राष्ट्र को दिये है। वेद को ज्ञान विज्ञान से भरा ग्रंथ बताते हुए कहा कि वेद के माध्यम से देश समाज और विश्व का कल्याण हो सकता है। राज्यपालजी ने आर्यसमाज गांधीधाम एवं उनके प्रकल्प और श्री वाचोनिधि आचार्य की ओर इशारा करते हुए रामायण के प्रसंग को अंकित करते हुए कहा कि जिस राजा का छत्र भरत जैसा मंत्री धारण करता हो वह राजा और उसका राज्य अक्षय होता है।

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