International Arya Mahasammelan of Nepal -2016

International Arya Mahasammelan of Nepal -2016

22 Oct 2016
Nepal
Nepal Arya Samaj

20, 21, 22 à¤…क्तूबर 2016 अंतर्राष्ट्रीय आर्य महासम्मेलन नेपाल, à¤…पने आप में एक सफल से भी बढ़कर सफलतम à¤¸à¤®à¥à¤®à¤²à¥‡à¤¨ कहा जाना चाहिए. देश विदेश से आये हजारों आर्यों द्वारा एक महान वैदिक उदघोष. आर्यों की भूमि पर आर्यों द्वारा यह प्रयास नेपाल के धार्मिक सामाजिक जीवन में नया रंग भरता नजर आया. राजधानी काठमांडू के टुंडीखेल मैदान से उठा वैदिक धर्म की जय का उद्धघोष नेपाल के समाचार पत्रों की पहले पन्ने की à¤à¤¸à¥€ à¤¸à¥à¤°à¥à¤–ियाँ à¤¬à¤¨à¥€ जो नेपाल के बुद्धिजीवी, समाज के चिंतको, लेखकों, विचारकों व सनातन वैदिक धर्म रक्षकों को à¤Ÿà¥à¤‚डीखेल मैदान में खींच लाया. à¤®à¤¹à¤¾à¤¸à¤®à¥à¤®à¤²à¥‡à¤¨ के उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता श्री सुरेशचंद अग्रवाल जी द्वारा व महासम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में नेपाल राष्ट्र की राष्ट्रपति श्रीमती विद्या देवी भंडारी व महाशय धर्मपाल जी रहे. à¤¯à¤¹ महासम्मेलन आर्य समाज के लिए गौरव के क्षण के साथ उसके आदर्शो के ऊँचे आयाम स्थापित करता नजर आया. à¤†à¤¨à¤¨à¥à¤¦ कन्द आदित्य ब्रह्मचारी à¤¸à¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयानन्द. जिन्होंने अपनी जवानी को इस देश और समाज के à¤ªà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¾à¤—रण के लिए खोए स्वाभिमान की पुन: प्राप्ति के लिए लुटा दिया  à¤¥à¤¾. स्वामी के कर्णवन्तो विश्वार्यम के आन्दोलन को आगे बढ़ाते हुए सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा ने नेपाल के राजधानी काठमांडू में इस वर्ष इसका बिगुल बजाया. देश विदेश से हजारों की संख्या में आये आर्यों से नेपाल की राजधानी ओ३म ध्वज के रंग में रंगी नजर आई |

 

सुबह 7 बजे भव्य शोभा यात्रा का आयोजन राजधानी काठमांडू की पर लहराती वैदिक पताका ऊँचे स्वरों में लगते वैदिक उदघोष रूककर देखने को विवश कर देने वाला नजारा था शोभा यात्रा के बाद यज्ञ का कार्य शुरू किया गया आचार्य संजीवनी जी एवं पाणिनि कन्या महाविद्यालय वाराणसी की ब्रह्मचारिणी किरण, स्नेहा, मोना, धृति व वैष्णवी के मुखारविंद से वैदिक मंत्रो से गुंजायमान वातावरण धर्म, आस्था में समाहित हो गया.महाशय धर्मपाल जी के द्वारा ध्वजारोहण करने के बाद पूरा मैदान स्वामी दयानंद सरस्वती, भारत माता की जय के उदघोष और नेपाल में आर्य समाज की नीव रखने वाले शहीद शुकराज शास्त्री के अमरता के नारे भी लगाये गये. राष्ट्रपति महोदया के आने से पहले दिल्ली प्रतिनिधि सभा के महामंत्री श्री विनय आर्य जी द्वारा आई दयानंद की टोली भजन प्रस्तुत किया गया. नेपाल की राष्ट्रपति श्रीमती विद्यादेवी भंडारी ने अपने सम्बोधन में कहा कि वैदिक संस्कृति को आदर्श में लाने से समाज में व्याप्त कुसंस्कार, विसंगतियां, छुआछूत जातीय भेद समाप्त हो जाते है इन समस्याओं से निराकरण पाने के लिए वैदिक संस्कृति अति आवश्यक है. उन्होंने समाज को भौतिक व संस्कृतिक रूप में सम्रध बनाने के लिए सर्वे भवन्तु सुखिन तथा वसुधैव कुटुम्बकम को व्यावहारिक रूप लाने को अतिआवश्यक बताया. पुरे सम्मलेन में वैदिक धर्म के गंभीर मुद्दों पर वैदिक धर्म परिचय यज्ञ का वैज्ञानिक स्वरूप महिला सम्मलेन शाकाहार पर भाषण देश विदेश से पधारे बुद्दिजीवी, विद्वानों ने सरल भाषा में अपने विचार रखे. à¤¯à¥à¤µà¤¾ वर्ग में चरित्र और सदाचार भाव की à¤…भिवृद्धि. भौतिक. बौद्धिक और आर्थिक विकास की संभावनाओं की खोज आदि सामयिक à¤šà¤¿à¤‚तन द्वारा संसार में नई चेतना. उत्साह और प्रेरणा का भाव प्रवाहित करने à¤•à¥‡ उद्देश्य से नेपाल में होने वाले इस महासम्मेलन में विश्व के अनेक à¤¦à¥‡à¤¶à¥‹à¤‚ के हजारों प्रतिनिधियों ने भाग लिया |

महिला सम्मलेन

नारी शक्ति, को आगे रखते हुए अथितियों को आसन ग्रहण कराया जिसका सञ्चालन श्रीमती राधा उप्रेती जी व् श्रीमती शारदा आर्य (आर्य वीरांगना दल दिल्ली प्रदेश) ने किया. मंच पर उपस्थित डॉ अन्नपूर्णा आचार्य, आचार्य अमृता आर्य एवं अनेक माताओं, बहनों ने अपने विचार प्रस्तुत किये. जिसका नेपाली प्रिन्ट मीडिया से लेकर इलेक्ट्रोनिक मीडिया में खूब सराहा गया. लगभग 32 देशों से पहुंचे प्रतिनिधि में सबसे बड़ा दल मारीशस से 100 से ज्यादा लोग इस आयोजन का हिस्सा बनने पहुंचे. सबसे अधिक दुरी लगभग 17 हजार किलोमीटर न्यूजीलेंड आर्य प्रतिनिधि सभा के प्रधान श्री हरीश सचदेवा जी अपनी धर्मपत्नी उर्मिला सचदेवा के साथ पधारें. भारत का आदिवासी इलाका समझा जाने वाला राज्य (छतीसगढ़) यहाँ से आचार्य अंशुदेव के नेतृत्व में 10 बसे भरकर लोग सम्मलेन का हिस्सा बनने आये |

पश्चिम बंगाल सभा से पंडित मधुसुदन शास्त्री के साथ बहुत लोग पधारें. हरियाणा, दिल्ली, पंजाब, राजस्थान एवं उत्तर प्रदेश बिहार इन राज्यों से बहुत अधिक संख्या में लोगों ने आर्य समाज के महान आन्दोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. नेपाल और भारत का सांस्कृतिक और आध्यात्मिकता का एक अनूठा संगम यहाँ देखने को मिल रहा था. हर रोज हजारों लोगों के भोजन की व्यवस्था का प्रबंध यहाँ किया गया था. आगे बढ़ने से पहले थोडा काठमांडू के बीचोबीच टुंडीखेल मैदान के बारे में बताते चले तो टुंडीखेल मैदान नेपाल सेना का अपना मैदान है जो कभी किसी को किसी आयोजन के लिए उपलब्ध नही कराते. किन्तु वैदिक धर्म के प्रचार-प्रसार या कहो आर्य समाज के इस महान आन्दोलन के कार्यक्रम लिए नेपाली सेना ने इसे निशुल्क समर्पित कर दिया. जिसमे विशाल पंडाल लगाये गये. यहाँ स्थान-स्थान पर पानी एवं चाय इत्यादि का प्रबंध किया गया था. हर रोज हजारों लोगों के खाने-पीने का प्रबंध किया गया था |

महासम्मलेन का दूसरा दिन यज्ञ एवं यज्ञपवित संस्कार के उपरांत विनय आर्य जी द्वारा मंच पर उपस्थित सभी आर्य महानुभावो का स्वागत किया गया और मंच से नेपाली गायक किशोर कुमार सेढाई द्वारा भज ओम भज ओम सततम भजन प्रस्तुत किया गया यह भजन नेपाली रेडियो पर भी काफी प्रचलित है. इसके बाद संस्कृत सत्र सम्मलेन का आरम्भ किया गया जिसके संयोजनकर्ता श्री विनय विद्यालंकार (आर्य समाज उत्तराखंड) डॉ गौरव भट्टाराई ने किया मंच पर उपस्थित विद्वान् एवं भारी संख्या श्रोतागण बिना किसी कोलाहल के शांति पूर्ण अनुशासित व पूर्ण आस्था से अपने कानों से वैदिक ज्ञान का पान कर रहे थे. नेपाल संस्कृत विश्वविद्यालय के उपकुलपति कुल प्रसाद कोइराला ने अपने विचार रखते हुए वेद और संस्कृत को भगवान का दीपक कहा. तो स्वामी धर्मानन्द जी महाराज ने हजारों आर्यजनों की भीड़ को संभोदित करते हुए आहवान किया कि संस्कृत की रक्षा करने वाले मंच पर पधारे  à¤‰à¤¨à¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि संस्कृत की रक्षा यानि के संस्कृति की रक्षा, वेद की रक्षा, संसार में मानवता की रक्षा का सन्देश बिना संस्कृत के नहीं जा सकता |

इस सत्र के मुख्य अथिति पूर्व मुम्बई पुलिस आयुक्त व वर्तमान बागपत (उत्तर प्रदेश) से भाजपा सांसद सत्यपाल सिंह, पंडित चिंतामणी जी एवं गोरखपुर से पांच बार सांसद योगी आदित्यनाथ जी थे. पंडित चिंतामणि ने अपने विचार रखते हुए कहा वेदवाणी संस्कृत साहित्य की सम्पदा है इसके बिना मानवता का विकास नहीं हो सकता लेकिन दुर्भाग्य कि लोगों ने संस्कृत जानने का प्रयास शुरू नहीं किया उन्होंने संस्कृत को माँ का दर्जा देते हुए कहा कि माँ से प्यार करना पड़ेगा तभी उसकी ममता की बरसात होगी. मंच से सांसद सत्यपाल ने स्वामी दयानन्द जी महाराज के लिए भारत रत्न की मांग दोहराते हुए कहा कि वेद और संस्कृत भगवान के दिए वरदान है जब खाने में शुद्धता, पीने के पानी के लिए शुद्धता की मांग उठ सकती है तो संस्कृति की शुद्धता की बात क्यों नहीं होती आज हमें शुद्ध संस्कृति की आवश्यकता है उन्होंने आर्य समाज को संस्कृति का रक्षक बताते हुए कहा कि भारतीय संसद स्वामी जी के चित्र बिना अधुरा है |

योगी आदित्यनाथ जी ने इस महासम्मेलन में पधारकर इसकी गरिमा को बढ़ाते हुए कहा कि आर्य समाज संसार का कल्याण मार्ग है जो धर्म का सबसे बड़ा रक्षक है वही आर्य है यदि आर्य समाज और स्वामी श्रद्धानंद न होते तो शुद्धी आन्दोलन की शुरुआत ना होती यदि स्वामी दयानंद न होते तो देश आजाद न हुआ होता. सीकर राजस्थान से सांसद स्वामी सुमेधानंद जी का प्रकाश आर्य जी द्वारा ओ३म पटका पहनकर स्वागत किया गया. वैदिक विदुषी जयपुर साहित्य विभाग प्रोफ़ेसर बहन स्नेहलता शर्मा जी ने कहा कि भाषाई और सामाजिक मर्यादा लांघने वाले समाज में अशांति फैलाकर शांति का पर्दुभाव पैदा कर रहे है.

द्वितीय सत्र वेद विज्ञानं

वेद विज्ञानं सत्र मारीशस से आई टीम द्वारा मेरे मन मंदिर में भगवान तू और वेद शास्त्र का विनय प्रकाश पढो ग्रन्थ सत्यार्थ प्रकाश भजन से आरम्भ किया गया. मारीशस यदि बात करे तो उस देश की आबादी मात्र 13 लाख के लगभग है किन्तु सबसे बड़ा आश्चर्य यह है कि वहां 700 आर्यसमाज मंदिर गुरुकुल है वहां आई बहन अमृता जी द्वारा एक बड़ा सुन्दर भजन प्रभुगान तुम्हारा कर पाए ऐसी कृपा करो भगवान कि मेरा मन डोले ना प्रस्तुत किया गया |

वेद विज्ञान सम्मलेन की अध्यक्षता स्वामी देवव्रत जी की अमेरिका से आये डॉ सतीश प्रकाश जी जो 7 भाषाओ के जानकर है ने आरम्भ करते हुए कहा मेकाले द्वारा भेजा गया मेक्स्मुलर जिसने वेद को असभ्य कहा लेकिन आज सभी विज्ञान से जुडी संस्थाओं ने माना कि वैदिक विज्ञान ही सर्वोपरी है. युवा आचार्य सनथ कुमार ने वेद को विज्ञान की जड़ बताते हुए कहा कि सभी समस्याओ का समाधान यदि कहीं है तो वेद में निहित है उन्होंने योग दिवस की तरह ही वेद दिवस और यज्ञ दिवस मनाने की सलाह का विचार सबके समक्ष रखा. भुवनेश्वर उड़ीसा से आये डॉ पी.वी. दास ने कहा कि वेद सबके लिए है आर्य समाज की पहचान दयानन्द और स्वामी दयानन्द की पहचान वेद है उन्होंने वेद को संसार का एकमात्र रक्षक बताया. नेपाल से डॉ जनार्दन धिमरेजी ने संस्कृत भाषा पर जोर देते हुए कहा कि यदि इसी तरह अंग्रेजी का चलन चलता रहा तो एक दिन नेपाल चला जायेगा. यदि आने वाली पीढ़ी वेद नहीं पढेगी विज्ञान कहाँ से सीखेगी? क्योकि आग बिना कोई उर्जा उत्पन्न नहीं होती और वेद ज्ञान में आग की तरह है. उन्होंने भारत और नेपाल में वेद प्रयोगशाला बनाने का आहवान किया. जींद हरियाणा से श्री ओमप्रकाश जी ने वेद को माँ की लोरी बताते हुए कहा कि मुझे दुःख होता है मेक्समुलर की सोच पर जिसने जब धन और पद के लिए अपनी वाणी और कलम को बेच दिया |

विनय विद्यालंकार जी ने अपने ओजस्वी भाषण से सबको आनंदित कर दिया हजारों तालियों की गडगडाहट और वैदिक धर्म जय के नाद से टुंडीखेल मैदान गूंज उठा. मंच से सांसद स्वामी सुमेधानंद जी ने ज्यादा से ज्यादा गुरुकुल की स्थापना करने का संकल्प लेने को कहा. उन्होंने कहा ऋषि दयानन्द की ध्वजा लेकर चलने वाला सिर्फ आर्य है. आज आर्य समाज सामाजिक उद्धार से साथ राजधर्म का निर्वहन कर रहा है. हम भारतीय संस्कृति के उद्धार के लिए सरकारी स्तर पर भी प्रयासरत इसके लिए आने वाले शीतकालीन सत्र में प्रधानमंत्री जी के सामने अपना पक्ष रखेंगे क्योकि आज के समय में बिना दयानन्द की विचारधारा के कुछ नही है जिसके लिए ज्यादा से ज्यादा गुरुकुल की स्थापना की जानी चाहिए. मंच से स्वामी सम्पूर्णानन्द जी ने वेद को विज्ञानं का मूल बताते हुए कहा कि चारों वेदों में सारा ब्रह्माण्ड है. वेद केवल कोई ग्रन्थ नहीं अपितु जीवन की वो बहती धारा है जिसके शब्द-शब्द में वेद है अर्थ-अर्थ में वेद निहित है. आचार्य देववृत जी ने सम्मलेन को संबोधित करते हुए कहा कि शब्द विज्ञान से वेद विज्ञान समझे जा सकते है. मनु महाराज कहते है जो वेद नहीं पढता वो अपने परिवार के साथ शुद्र बन जाते है. आज इलेक्ट्रोनिक मीडिया से हमारे युवाओं का पतन हो रहा है वो वेद से दूर हो रहा है जबकि सभी धर्मो का मूल वेद है और जब तक आर्य समाज है वेद सुरक्षित है.

चतुर्थ सम्मलेन शिक्षा सम्मलेन

शिक्षा सम्मलेन का सञ्चालन भारत से अशोक आर्य जी एवं नेपाल से महेश पोडल जी द्वारा किया गया जिसमें मुख्य अतिथि डॉ स्वागत श्रेष्ठ, डॉ विद्यानाथ जी कोइराला, श्री एल.पी भानु जी, आचार्य ज्ञानेश्वर जी, श्री सुभाष नोपानी, विचार टीवी से श्री धर्मेश जी आदि स्वागत योग्य अतिथि उपस्थित थे. अशोक आर्य जी ने मंच का सञ्चालन करते हुए कहा कि संसार की समस्त बुराई अशिक्षा है आज आधुनिक शिक्षा का मूल खो गया वह केवल जीविकापार्जन का साधन बनकर रह गयी. जिस असली ज्ञान की शिक्षा वैदिक शिक्षा कराह रही है. महेश पोडल जी ने नेपाली भाषा को संस्कृत की भगिनी भाषा बताते हुए कहा नेपाल की राष्ट्रीय भाषा में केवल संस्कृत की छाप दिखाई देगी. श्री सुभाष नोपानी जी ने मंच से हजारों लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि जिस भूमि में वेद गीता की रचना हुई हमारे पूर्वज सामाजिक, धार्मिक  और आर्थिक रूप संपन्न थे पर आज हम दण्डित क्यों? क्योंकि हमने वेद भुला दिए और आडम्बर उठा लिए उन्होंने शिक्षा में वेदों को अनिवार्य करने की बात कही ताकि आधुनिक शिक्षा से विसंगतियां दूर की जा सके. उन्होंने नेपाल के हिन्दू राष्ट्र होने की गरिमा का छिनना भी बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण करार देते कहा कि इसमें विदेशी मिशनरीज की साजिश रही नोपानी जी आर्य समाज सार्वदेशिक सभा का नेपाल की भूमि में आयोजन का आभार व्यक्त किया. 

 

एल.पी भानू जी ने शिक्षा की प्रक्रिया में आने वाली बाधा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वेदों से दूर होकर आज शिक्षा आनंद का विषय न होकर एक बोझ बन गयी. उन्होंने वैदिक विजन को शिक्षा का दर्पण बताते हुए कहा कि विद्या धनम सर्व धनम प्रधानम सभी समाज इसी शिक्षा से महान बने है. आचार्य ज्ञानेश्वर जी आधुनिक शिक्षा पर दुःख जताते हुए सलाह दी कि आज कच्चे बच्चे बिगड़ रहे है यदि माता पिता अपने बच्चों को गुरुकुल नहीं भेज सकते तो घर को गुरुकुल बनाये. उन्होंने कहा आज आधुनिक शिक्षा प्रणाली अपने उद्देश्य से विमुख हो गयी शिक्षा का अपने मूल उद्देश्य हट जाना किसी भी समाज के पतन का पहला कारण बनता है. आज हमें वैदिक शिक्षा की जरूरत है ताकि आने वाली नस्लें राष्ट्रभक्त, सेवाभक्त समाजभक्त, और ईश्वर भक्त बने. नेपाल से श्री लक्ष्य बहादुर केसी जी अपने विचार रखते हुए गुरुकुल शिक्षा प्रणाली पर जोर दिया उन्होंने कहा कि संस्कृत के अलावा अन्य भाषाओँ में नम्बर ज्यादा आने पर ख़ुशी मनाई जाती है संस्कृत को लोग एक शिक्षा के विषय के तौर पर भुला बैठे है. जब तक आंतरिक ज्ञान नहीं होगा तब तक अन्य शिक्षा का कोई ओचित्य नहीं है.

समुदघाटन समरोह

अंतर्राष्ट्रीय आर्य महासम्मलेन तीसरा दिन समुदघाटन समरोह आर्यों द्वारा नेपाल में आर्य समाज मंदिर की घोषणा करते हुए मुख्य अतिथि के रूप में श्री सुरेशचंद्र अग्रवाल प्रधान सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा, स्वामी सुमेधानन्द जी सांसद सीकर राजस्थान, स्वामी सम्पूर्णानन्द जी व माधव प्रसाद जी नेपाल आर्य समाज समेत आदि आर्यजन उपस्थित थे. आरम्भ में ओ३म कहने से तर जायेगा और महापुरुष जन्म लेंगे सूना ना जहाँ होगा भजन का आयोजन हुआ. विनय आर्य जी ने मंच से संबोधित करते हुए कहा कि वेद का प्रचार जितनी जितनी ज्यादा भाषाओँ में होगा आर्य समाज और वैदिक संस्कृति का उतना ही ज्यादा प्रचार-प्रसार होगा. उन्होंने हर्ष जताते हुए कहा कि मुझे बड़ी ख़ुशी हुई जब यज्ञ प्रार्थना यज्ञ रूप प्रभु हम

125th Maharshi Dayanand Saraswati Nirvan Utsav