One Day Seminar held of Delhi ‘s Arya Purohit, Dharmcharya Mahnubhav

24 Jul 2016
Delhi, India
आरय सामाज राजेंदर नगर

दिल्ली आर्य प्रतिनिधि सभा के तत्वाधान में दिल्ली की समस्त आर्यसमाजों के माननीय पुरोहितों/धर्माचार्यों की पूर्णकालिक संगोष्ठी रविवार 24 जुलाई, 2016 को आर्यसमाज राजेंद्र नगर नई दिल्ली के वातानुकूलित सभागार में प्रातः 10:45 बजे से सायं 4 बजे अत्यन्त सौहार्दपूर्ण वातावरण में सम्पन्न हुई। सर्वप्रथम आर्यसमाज राजेन्द्र नगर के उप प्रधान श्री सुरेश चुघ ने संगोष्ठी में उपस्थित समस्त पुरोहितों एवं अधिकारियों का आर्यसमाज राजेन्द्र नगर में पधारने स्वागत किया। बैठक के संयोजक श्री कीर्ति शर्मा ने सभी पुरोहितों का स्वागत करते हुए कहा कि आप आर्य जगत का गौरव और संगठन सरंचना में रीढ की हड्डी  है | उन्होंने बताया कि संगोष्ठी का मुख्य उद्देश्य आर्य समाज की प्रगति एवं विकास में पुरोहित वर्ग की सक्रिय सहभागिता एवं अधिकारियों के साथ इस लक्ष्य प्राप्ति हेतु और अधिक समन्वय रखा गया है। बैठक को चार सत्र में रखा गया। प्रथम पुरोहितों हेतु 60 मिनट की कार्यशाला ‘‘पुरोहित भव’’ द्वितीय सत्र में प्रतिष्ठित विद्वान पुरोहितों द्वारा बैठक के उद्देश्य पर विचार प्रस्तुति। तृतीय सत्र में भोजन उपरान्त पांच विषयों पर सामूहिक चर्चा। चतुर्थ सत्र में गणानुसार हुए विचारों को मूल बिन्दुओं को सामूहिक बैठक में प्रस्तुत करना।

संगोष्ठी में सर्वप्रथम आर्य विद्या परिषद के प्रस्तोता श्री सुरेन्द्र कुमार रैली जी सुप्रसिद्ध शिक्षाविद् और प्रेरक ने ‘‘पुरोहित भव’’ विषय पर एक कार्यशाला का आयोजन किया।  उनकी प्रस्तुति वास्तव में प्रशंसनीय थी और उन्होंने सभी पुरोहितों को 70 मिनटों तक ऐसे बांधे रखा कि समय का ज्ञान ही नहीं रहा। उन्होंने अपने सम्बोधन में पुरोहितों में क्या-क्या गुण होने चाहिए का विस्तार से विवरण प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि पुरोहित का सदैव सकारात्मक दृष्टिकोण होना चाहिए क्योंकि इससे ही उनका आकर्षक व्यक्तित्व बनता है। सकारात्मक दृष्टिकोण बनाने के लिए उन्होंने 11 नियमों का वर्णन किया और एक-एक नियम को बड़े सुन्दर ढंग से अपनी विशिष्ट शैली में समझाया। उन्होंने à¤ªà¥à¤°à¥‹à¤¹à¤¿à¤¤à¥‹à¤‚ से आग्रह किया कि उनको विषय का पूरा ज्ञान होना चाहिए और उसके लिये निरंतर स्वाध्याय और सीखने की जिज्ञासा बनी रहनी चाहिए। प्रेम एवं सम्मान पुरोहितों के वह जबरदस्त हथियार हैं जिन से वह अपने यजमानों और आर्य समाज के अधिकारियों का मन जीत सकते हैं और सर्वप्रिय हो सकते हैं। इसके साथ-साथ यदि पुरोहित व्यक्तिगत सम्बन्ध बनाए रखने में निपुणता हासिल करें तो सोने पर सुहागा हो जाएगा। पुरोहितों को लगातार चिंतन करते रहना चाहिए जिससे à¤‰à¤¨à¤®à¥‡à¤‚ नवप्रवर्तक विचार आते रहेंगे और उनको अपने जीवन में और आर्य समाज की गतिविधियों में  à¤²à¤¾à¤—ू करने से वह दूसरों से अलग ही नज़र आएंगे और उनका जीवन उत्साही और प्रेरक बनेगा। रैली जी ने अपनी कार्यशाला में छोटी से छोटी बात, ‘‘नमस्ते जी’’ के अभिवादन से लेकर उच्च चिन्तन ‘‘ब्रह्म मुहूर्त’’ तक के विषयों को लेकर जो चर्चा की वह अद्भुत थी। उन्होंने कहा समय कम है अतः अगली बार पूरे चार घण्टे की कार्यशाला करने का प्रयास किया जाएगा।

दूसरे सत्र में आर्य जगत के विद्वान पुरोहित आचार्य प्रेम पाल शास्त्री जी ने कहा कि पुरोहित वर्ग आर्य समाज की उन्नति के लिए सदैव उद्यृत रहता है परन्तु कुछ व्यवहारिक कठिनाईयों का भी सामना उसे करना पड़ता है। कभी-कभी आर्य समाज में अपने को असुरक्षित अनुभव करता है कि वह कितने समय तक आर्य समाज में कार्यरत रहेगा? आवास की व्यवस्था भी उसके लिए कई बार समस्या का कारण बन जाती है। कम धनोपार्जन के कारण भी अपने दायित्व को निभाने में भी कठिनाई अनुभव करता है। पुरोहित के प्रति कई बार अधिकारियों में अविश्वास भी उसे कार्य करने में भी हतोत्साहित करता है। यदि अधिकारी वर्ग इन बातों का ध्यान रखें तो मैं आश्वासन दिलाता हूं कि दिल्ली à¤•à¤¾ सम्पूर्ण पुरोहित वर्ग अधिकारियों से कंधे से कंधे मिलाकर आर्य समाज की प्रगति के लिए समर्पित रहेगा। आचार्य श्याम यादव जी ने भी इन्हीं विचारों को आगे बढ़ाते हुए कहा कि यदि अधिकारियों का साथ मिले तो पुरोहित वर्ग कभी भी अपना दायित्व निभाने में पीछे नहीं हटेगा। भोजनावकाश के उपरान्त उपस्थित सभी पुरोहित महानुभावों एवं सभा अधिकारियों को ग्रुप डिस्कशन के लिए पांच विषय दिए गए तथा विषयों के अनुसार अपने विचार देने का निवेदन किया गया।

ये विषय निम्न प्रकार थे –

प्रथम: आर्य समाजों में उपस्थिति वृद्धि कैसे हो?

दूसराः यज्ञ की एकरूपता।

तीसरा: आर्य समाजों को योग एवं संस्कृत का केंद्र बनाना।

चतुर्थ: पुरोहितों द्वारा सोशल मीडिया का प्रयोग करके वैदिक विचारधारा का विस्तार करना।

पांचवां: समाज के अन्य वर्गों से सम्पर्क की योजना एवं पद्दिती पर विचार।

तीसरे सत्र में गणानुसार बैठकें हुईं। उनके मूल बिन्दुओं पर सर्व सहमति बनी। आर्य समाज में संख्या वृद्धि हेतु अधिक लोगों से सम्पर्क किया जाए तथा उन्हें समाज में आने हेतु आग्रह किया जाए। पुरोहितों की इसमें विशिष्ट भूमिका रहनी चाहिए। कार्यकर्मों को अधिक रुचिकर ढंग से रखा जाए जिसमें वेद उपनिषद् आदि विषयों के साथ ही तात्कालिक विषयों को भी चर्चा में रखा जाए। समाज के उपेक्षित वर्ग से अधिक सम्पर्क बनाया जाए। उनकी बस्तियों में जाकर कार्यक्रम किया जाए।

सेवा कार्य भी अधिक लोगों को समाज के साथ जोड़ने में सहायक रहेगा। अपने व्यवहार द्वारा भी जो सदस्य हमसे अलग होंगे उन्हें पुनः साथ जोड़ा जाए। यज्ञ की एकरूपता के विषय में निर्णय हुआ कि सार्वदेशिक प्रतिनिधि सभा द्वारा पारित पद्दिती को ही सभी आर्य समाजों में लागू किया जाए। आर्य समाज योग एवं संस्कृत शिक्षा के केन्द्र बने, इसकी समयबह् योजना बनाई जाए तथा क्रियान्वन किया जाए। पुरोहित इस कार्य की पूर्ति हेतु दायित्व लें तथा इसे शीघ्र ही आरम्भ करें।

वर्तमान में किसी भी विचारधारा के प्रसार में सोशल मीडिया का बहुत बड़ा महत्व है। इसलिए पुरोहितों को इस माध्यम को सीखना चाहिए तथा इसका प्रयोग करना चाहिए। समाज के अन्य वर्गों विशेष रूप से जो समाज में वैचारिक धारणाएं स्थापित करते हैं उनकी गोष्ठियां आदि करनी चाहिए ताकि वे आर्य समाज से जुड़ सकें। प्रतिष्ठित लोगों को कार्यकर्मों में विशेष आग्रह करके आमंत्रित करें।

ऐसा करने से आर्य समाज अपनी विचारधारा का विस्तार भी कर सकेगा तथा समाजों की उपस्थिति में वृद्धि में भी सहायक होगा। सभा महामन्त्री श्री विनय आर्य जी ने संगोष्ठी में उठाए गए मुददों पर विस्तार से अपने विचार रखे और पुरोहित वर्ग की समस्याओं को निर्मूल करने की दिशा में सभा द्वारा किए जा रहे प्रयासों को प्रस्तुत किया।

सभा प्रधान श्री धर्मपाल आर्य पुरोहितों को आर्यसमाज की रीढ़ बताते हुए उनके महत्व को उद्धृत किया और उनके कल्याण के लिए आवश्यक कार्य करने पर बल दिया। उहोंने कहा कि सभा शीघ्र आपके सहयोग से पुरोहित कल्याण कोष स्थापित करने का प्रयास करेगी, जिससे आपात काल मंे आवश्यकता पड़ने पर किसी भी स्थिति में तुरन्त सहायता उपलब्ध कराई जा सके। उन्होंने पुरोहित के आवास, स्थायित्व, आपातकालीन सहायता आदि अनेक बिन्दुओं पर सभा की ओर से कार्य à¤•à¤°à¤¨à¥‡ का विचार रखा।

अन्त में सभा महामन्त्री श्री विनय आर्य जी एवं सभा प्रधान श्री धर्मपाल आर्य जी ने आर्यसमाज राजेन्द्र नगर के प्रधान श्री अशोक सहगल जी एवं मन्त्री श्री नरेन्द्र वलेचा जी का ए.सी. हाल उपलब्ध कराने तथा भोजन की सुन्दर व्यवस्था करने के लिए धन्यवाद किया। संगोष्ठी का सफल संचालन श्री कीर्ति शर्मा जी ने किया। ‑

Distributed bags in School Children by Arya Samaj

Plantation of Medicinal Plants in Ashok Park