New Delhi World Book Fair -2017

15 Jan 2017
India
दिल्ली आर्य प्रतिनिधि सभा

नेशलन बुक ट्रस्ट, भारत सरकार की ओर से प्रगति मैदान में आयोजित विश्व पुस्तक मेला 15 जनवरी को अभूतपूर्व सफलता एवं अप्रतिम स्मृतियों के साथ समाप्त हो गया। हिन्दी साहित्य हॉल में आर्यसमाज का स्टाल इस वर्ष विशेष चर्चा में रहा। सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा के निर्देशन में दिल्ली आर्य प्रतिनिधि सभा द्वारा आर्ष साहित्य प्रचार ट्रस्ट के सहयोग से इस वर्ष साहित्य प्रचार के लिए हिन्दी साहित्य के 10 एवं एक स्टाल अंग्रेजी साहित्य के आरक्षित कराया गया था। सभा ने मेले के शुभारम्भ से पूर्व में

ही प्रचार कार्य आरम्भ कर दिया था, जिससे सभा के स्टाल पर पहले ही दिन से लगभग पहले ही दिन से सैंकड़ो की संख्या में पुस्तक पे्रमी पहुचने लगे थे और इन सबकी सेवा के लिए विभिन्न आर्यसमाजों अधिकारी एवं कार्यकर्ताओं की 35 से अधिक सदस्यों की टीम उपलब्ध थे। एक अनुमान के अनुसार सभा के साहित्य स्टाल पर लगभग 70 हजार लोगों पहुंचे। आर्यजनों द्वारा उपलब्ध कराई गई सहयोग राशि से सत्यार्थ प्रकाश मात्र 10 रुपये में उपलब्ध कराई गई। नौ दिन तक चले पुस्तक मेले में लगभग 15 हजार सत्यार्थ प्रकाश मात्र 10/- रुपये मूल्य पर उपलब्ध करवाए गये। सत्यार्थ प्रकाश वितरित करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखा गया कि एक व्यक्ति को केवल एक ही सत्यार्थ प्रकाश दिया जाए जिससे अधिक से अत्याधिक लोगों तक सत्यार्थ प्रकाश उपलब्ध हो सके। महर्षि दयानन्द और वेद की विचारधारा को प्रत्येक जनमानस तक पहुंचाने के लिए प्रयासरत दिल्ली आर्य प्रतिनिधि सभा ने महर्षि के अमर ग्रन्थ सत्यार्थ प्रकाश को आर्य महानुभावों के सहयोग से जनता तक पहुंचाने के लिए मात्र 10 रुपये में सत्यार्थ प्रकाश वितरित करने की अपील की गयी थी। आर्य महानुभावों ने दिल खोलकर सभा के इस महाकार्य के लिए सहयोग दिया। इसके साथ-साथ वेद, उपनिषद्, वेदांग, दर्शन एवं अन्य वैदिक आर्ष साहित्य पर भी मेले में विशेष छूट प्रदान की गई। मेले में कुल वैदिक साहित्य की बिक्री लगभग आठ लाख से अधिक की दर्ज की गई। पुस्तक मेले में गत वर्षों की भांति इस वर्ष भी अंग्रेजी साहित्य प्रेमियों के लिए हॉल नं. 18 में स्टाल नं. 304 लगाया गया जिसमें भारतीय जनमानस के अतिरिक्त विदेशी पर्यटकों को भी सत्यार्थ प्रकाश व वैदिक साहित्य ÿय करते हुए देखा गया। पुस्तक मेले में स्थापित समस्त स्टालों की बुकिंग आर्ष साहित्य प्रचार ट्रस्ट की ओर से प्रदत्त सहयोग से कराई गई थी। आर्ष साहित्य बिक्री के साथ-साथ लोगों की शंकाओं के समाधान हेतु सभा की ओर से विशेष व्यवस्था की गयी जिसमें वैदिक विद्वान आचार्य भद्रकाम वर्णी, आचार्य अतुल शास्त्री, आचार्य ऋषिदेव, आचार्य नवीन, आचार्य हरिओम शास्त्री, आचार्य ऋषिपाल शास्त्री, श्री सत्य प्रकाश ‘साधक’, डॉ. कर्णदेव शास्त्री ने लोगों की शंकाओं-जिज्ञासाओं का समाधान  à¤•à¤¿à¤¯à¤¾à¥¤ स्टालों पर लगी भीड़ में मुस्लिमों को देखने से ऐसा प्रतीत हो रहा था कि उनमें सत्यार्थ प्रकाश व वैदिक साहित्य को पढ़ने की काफी उत्सुकता है। इस बार भारी मात्रा में मुस्लिमों ने वैदिक साहित्य न सिर्फ देखा बल्कि उनके द्वारा खरीदा भी गया। दिल्ली व आस-पास के क्षेत्रों से आये आर्य समाज के विभिन्न पदाधिकारियों -आर्य जनों ने पुस्तक मेले में बढ़चढ़कर सहयोग किया और घूम-घूमकर आम जनता को 10 रुपये में सत्यार्थ प्रकाश उपलब्ध करवाए। पुस्तक मेला में पहली बार आर्य समाज द्वारा मनु का विरोध क्यों विषय पर वैचारिक बैठक 15 जनवरी को हाल नम्बर 8 में साहित्य मंच पर सम्पन्न हुई। बैठक का संचालन दिल्ली आर्य प्रतिनिधि सभा महामंत्री श्री विनय आर्य ने किया। इस वैठक में डॉ. विवेक आर्य, शिशु रोग विशेषज्ञ द्वारा मनुस्मृति के विषय में आर्यसमाज की मान्यताओं को प्रस्तुत किया गया। डॉ. विवेक ने अपने वक्तब्य में कहा, ‘‘वर्तमान में हमारे देश की राजनीति ने हिन्दू समाज की सबसे बड़ी बुराई जातिवाद को समाप्त करने के स्थान पर इतना प्रोत्साहन दिया है कि समाज का एक विशेष वर्ग मनुवाद, ब्रा२णवाद के नाम पर सारा दिन अनर्गल प्रलाप करता फिरता है। विडम्बना देखिये कि इन सभी में से किसी ने मनुस्मृति को पुस्तक आकार तक में अपने जीवन में नहीं देखा। उसका स्वाध् याय, चिंतन और मनन तो बहुत दूर की बात थी। स्वामी दयानंद ऐसे पहले व्यक्तित्व थे जिन्होंने अपने अन्वेषण से यह सिद्ध  à¤•à¤¿à¤¯à¤¾ कि मनुस्मृति में प्रक्षेप अर्थात् मिलावट हुई है। सत्य यह है कि प्रक्षेप हटाने के पश्चात् मनुस्मृति के मौलिक रूप को स्वीकार करने में समाज का हित हैं | ’’ मेले में आर्यजनों ने अधिकाधिक संख्या में आर्य समाज के वैदिक साहित्य स्टालों पर पहुंचकर कार्यकर्ताओं  उत्साहवर्धन किया। साहित्य प्रचार स्टालों पर निःस्वार्थभाव से अपनी सेवाएं प्रदान करने वाले महानुभावों में सर्व श्री धर्मपाल आर्य, शिव कुमार मदान, ओम प्रकाश आर्य, रमेश चन्द्र आर्य, सुरेश राजपूर, यतीन्द्र राजपूत, अरुण प्रकाश वर्मा, विरेन्द्र सरदाना, श्रीमती सुषमा सरदाना, श्रीमती वीना आर्य, संजय आर्य, आशीष, आशोक गुप्ता सुरेन्द्र चैधरी, रामेश्वर गुप्ता, शीश पाल, प्रद्युम्न आर्य, सुखबीर सिंह, श्रीमती विद्यावती, श्रीमती सुषमा शर्मा, ओम प्रकाश, खेत्रपाल, नवनीत अग्रवाल, मानधाता सिंह, सतीश चड्ढ़ा, गया प्रसाद वैद्य, आशीष,

राहुल, रवि प्रकाश, अनिरुह्, ओमकार सिंह, जितेन्द्र, पंकज गुप्ता इत्यादि। उपरोक्त नामों के अतिरिक्त  à¤œà¤¿à¤¨ महानुभावों ने अपनी सेवाएं मेले में अर्पित की उनका नाम यदि प्रकाशित होने से रह गया हो तो क्षमा प्रार्थी हूं। जिन दानी महानुभावों ने सत्यार्थ प्रकाश छूट में अपना आर्थिक सहयोग दिया जिस कारण इतनी भारी संख्या में सत्यार्थ प्रकाश आम लोगों तक पहुंचाने में सफल हो सके उन सबका हार्दिक धन्यवाद करता हूं। -सुखबीर सिंह, संयोजक 

125th Maharshi Dayanand Saraswati Nirvan Utsav