Important step towards to Arya samaj Sthapana in Port blair

06 May 2017
Andaman and Nicobar Islands, India
सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा

    महर्षि दयानन्द जी द्वारा आर्यसमाज की स्थापना करते समय कृण्वन्तो विश्वमार्यम् का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, उसकी अनुपालना में आर्यसमाज की शिरोमणि संस्था सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा, नई दिल्ली के प्रचार कार्यक्रम के अन्तर्गत भारत के एक सुदूर स्थित प्रान्त अन्दमान निकोबार द्वीप समूह की राजधानी पोर्ट ब्लेयर में आर्यसमाज की एक इकाई की स्थापना हेतु एक महत्वपूर्ण कदम आगे बढ़ाते हुए सार्वदेशिक सभा की ओर से मान्यता देकर एक समिति का निर्माण किया गया है। समस्त आर्यजनों के लिए यह एक उत्साहजनक समाचार है। ज्ञातव्य है कि सुप्रसिह् समाज सुधारक, वेदो उद्धारक महर्षि दयानन्द सरस्वती जी ने आर्यसमाज की स्थापना 1875 में मुम्बई में की थी। उनकी इच्छा थी कि आर्यसमाज की यह विचारधारा सारे संसार में फैले। उसके लिए उन्होंने अल्प साधनों से जितना प्रयास किया जा सकता था किया। दुर्भाग्य से उनका निधन एक षड़यन्त्र के चलते स्थापना के 8 वर्ष बाद 1883 में हो गया।किन्तु उनके कार्यों की तेजस्विता के चलते आर्यसमाज का विस्तार होता चला गया और शीघ्र ही आर्यसमाज भारत के लगभग हर हिस्से में स्थापित हो गया। 25 देशों में तो आर्यसमाज 1920 तक ही पहुंच चुका था और विस्तार चल रहा था। किन्तु किन्हीं कारणों से भारत के कुछ क्षेत्र आर्यसमाज की विचारधारा और संगठन से अछूते रह गए थे जिन पर लम्बे समय तक ध्यान नहीं दिया जा सका था। सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा का à¤—ठन मुख्यतः देश की आन्तरिक व उसके बाहर विदेशों में इस पुनीत कार्य का विस्तार करने, इसकी रक्षा करने के लिए हुआ है। सार्वदेशिक सभा इस उद्देश्य व कर्त्तव्य का निर्वाह पूर्ण मनोयोग से कर रही है।

    प्रारंभिक क्रांति में हमारे पूर्व बनाई, आज उनसे जीवन्त सम्पर्क बना हुआ है, साहित्य सामग्री, सन्देश का सिलसिला निरन्तर बना हुआ है। इसके साथ ही देश के उस क्षेत्र को जहाँ साम्प्रदायिक विचार धाराएँ धर्म परिवर्तन कराने में सक्रिय हैं, सत्य सनातन धर्म का प्रचार नहीं है तथा à¤œà¤¹à¤¾à¤ आर्य समाज अभी तक नहीं हैं वहाँ आर्य समाज की स्थापना का विशेष ध्यान समाज की विचारधारा से अनेक व्यक्तियों को अवगत कराया गया। इसके पश्चात् निरन्तर सम्पर्क बना रहा।

  इस कार्य को à¤…ंजाम देने के लिए 4 मई से 8 मई तक 5 दिवसीय कार्यक्रम  à¤…ण्डमान हेतु बनाया अनुसार महर्षि दयानन्द सरस्वती द्वारा बताए à¤—ए मार्ग पर चलते हुए हम लोग इस टापू पर आर्यसमाज के संगठन का एक भाग बनकर कार्य करेंगे। आर्य समाज तथा विद्यालय हेतु भवन à¤¨à¤¿à¤°à¥à¤®à¤¾à¤£ की योजना बनाई। अनेक स्थानों पर जाकर भवन हेतु भूमि देखी। सबसे प्रसन्नता की बात यह रही कि इस हेतु अधिकारी, विद्वानों का और संन्यासियों का इसमें अत्यन्त सराहनीय तथा बहुत कठिन परिश्रम रहा जिनके द्वारा एक सौ वर्ष से भी पूर्व देश, देशान्तरों में कई स्थानों पर आर्य समाज की स्थापना की गई। कुछ वर्षों से इसमें कुछ शिथिलता आई किन्तु सन् 2006 के पश्चात् पुनः एक सक्रिय चेतना के साथ अधूरे कार्य को पूर्ण करने के संकल्प के साथ संगठन के कार्य को गति प्रदान की जा रही है। देश व विदेशों में संगठन के कार्यों से संगठन व सम्पर्क बढ़ा है। अमेरिका, लन्दन, दक्षिण अफ्रीका, मॉरिशस, सूरीनाम, गयाना, हॉलैंड, सिंगापुर, थाईलैण्ड, बर्मा, मलेशिया, à¤‘स्ट्रेलिया, न्यूजीलैण्ड, फिजी, नेपाल आदि देशो से बार बार सम्पर्क किया, वहाँ अंतर्राष्ट्रीय आर्य महासम्मेलनों की योजना दिया गया।

     à¤†à¤¸à¤¾à¤®, मिजोरम, नागालैण्ड, केरल जैसे स्थानों में जहाँ सनातन धर्मी तेजी से अल्प संख्यक होते जा रहे हैं वहाँ आर्य समाज की गतिविधियों में वृद्धि करने का प्रयास, सेवा, शिक्षा व वेद प्रसार के द्वारा जारी है।

    सार्वदेशिक सभा की सन् 2016 की अन्तरंग बैठक में विस्तार समिति का गठन हुआ और इस हेतु एक निधि का भी निर्माण हुआ और प्रयास आरम्भ हुए। इसी तारतम्य में अण्डमान द्वीप, आर्य समाज की गतिविधि से पूर्णतः अछूता था, इसलिए वहाँ भी आर्य समाज का कार्य प्रारंभ करने का प्रयास किया गया है। इस प्रयास हेतु श्री आचार्य आनन्द पुरुषार्थी के द्वारा 7 दिन वहाँ जाकर भूमिका तैयार कर आर्य à¤—या। जिसमें मैं, श्री विनय आर्य, श्री शिवकुमार मदान, श्री एस. के. कोचर वहाँ पहुंचे। अनेक व्यक्तियों से सम्पर्क किया, चर्चा के दौरान काफी उत्साहवर्धक वातावरण निर्मित हुआ।

   à¤«à¤²à¤¸à¥à¤µà¤°à¥‚प 6 मई à¤•à¥‹ आर्यसमाज पोर्ट ब्लेयर के निर्माण में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में सार्वदेशिक सभा के तत्वाधान में एक बैठक हिन्दी साहित्य कला परिषद् के सभागार में सम्पन्न हुई जिसमें आचार्य आनन्द पुरुषार्थी जी द्वारा बीज रूप मे रोपित कार्य को एक वैधानिक रूप प्रदान करते हुए सार्वदेशिक सभा द्वारा आर्यसमाज पोर्ट ब्लेयर की एक संचालन समिति का गठन किया गया तथा उसकी घोषणा की गई। सभी ने मिलकर à¤¸à¤‚कल्प लिया कि वेद की मान्यता के स्थानीय जो सदस्य संगठन से जुड़े, वे वहाँ के प्रतिष्ठित शिक्षित वर्ग के सदस्य हैं जिनमें वैदिक धर्म और आर्य समाज को समझकर एक उत्साह वर्धक वातावरण निर्मित हुआ। वहाँ के उप राज्यपाल श्री जगदीश मुखी जी से भेंट कर अपने मन्तव्य à¤¸à¥‡ अवगत कराया, वहाँ से भी यथायोग्य सहयोग का आश्वासन मिला।

   à¤®à¤¹à¤¾à¤®à¤¹à¤¿à¤® उपराज्यपाल प्रो. जगदीश मुखी जी ने कहा महर्षि दयानन्द की विचार धारा मानव को वैज्ञानिक सोच प्रदान करती है। मैं आर्यसमाज के लिए जो भी आवश्यक कार्य होगा करने के लिए सदैव à¤¤à¤¤à¥à¤ªà¤° रहूंगा। वहाँ लम्बी चर्चा के पश्चात् संगठन का गठन कर दिया गया, इसके प्रधान डॉ. सुरेश चतुर्वेदी, प्रो. सुरेश आर्य ;मन्त्रीद्ध, डॉ. रविशंकर पाण्डेय (कोषाध्यक्ष), इंजीनियर शशिमोहन सिंह (उपमन्त्री) एवं डॉ. अरूण श्रीवास्तव (उप प्रधान) | डॉ. कांडी मुथ्थू को सम्पर्क अधिकारी के रूप में, श्री विकास पटेल (सी.ए.), डॉ.चन्द्रा à¤¶à¥à¤°à¥€à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¤à¤µ, श्री सत्यव्रत दुबे (सी.ए.)आडीटर, डॉ. रेखा वैद्य (पुस्तकाध्यक्ष) प्रोफेसर वाचस्पति, अशोक कुमार (सी.एम.ओ.), श्री à¤¹à¤°à¤¿à¤¨à¤¾à¤°à¤¾à¤¯à¤£ अरोरा (पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष) संरक्षक व अन्य सदस्य मनोनीत किए गए हैं। नोट - यह सूची पूरी नहीं है। अगले अंक में पूरी सूची प्रकाशित की जाएगी। निश्चित ही कुछ ही वर्षों में यहाँ  à¤†à¤°à¥à¤¯ समाज इस क्षेत्र का एक प्रसिह् व सक्रिय संगठन के रूप में पहचान बनायेगा। सुरेशचन्द्र आर्य, प्रधान, सार्वदेशिक सभा ने सन्देश देते हुए कहा कि पोर्ट ब्लेयर में आर्यसमाज की स्थापना होना सबके लिए गौरव की बात है। श्री विनय आर्य जी ने महाशय धर्मपाल जी का सन्देश पढ़कर सुनाते हुए कहा आर्यसमाज के विस्तार के लिए हर सम्भव सहयोग करने के लिए सदैव तत्पर हैं, ऐसा उन्होंने आश्वासन दिया है।

    इस अवसर पर श्री हरिनारायण अरोड़ा जी ने कहा कि आज से 60 वर्ष पूर्व उर्दू का सत्यार्थ प्रकाश पढ़कर मैं महर्षि दयानन्द जी की à¤µà¤¿à¤šà¤¾à¤°à¤§à¤¾à¤°à¤¾ की ओर प्रेरित हुआ और अब आर्य समाज के संगठन की जो नींव पोर्ट ब्लेयर में रखी गई है उसको आगे बढ़ाने के लिए हर सम्भव प्रयास करूंगा। डॉ. सुरेशचन्द्र चतुर्वेदी जी ने कहा कि पोर्ट ब्लेयर में पहली आर्यसमाज के प्रधान पद की जिम्मेदारी लेना मेरे लिए परम सौभाग्य है। श्री सुरेश आर्य जी ने कहा कि आर्यसमाज के कार्यों को आगे बढ़ाने की जिम्मदारी लेना मेरे लिए सौभाग्य है। सार्वदेशिक सभा के मन्त्री श्री प्रकाश आर्य ने कहा कि आर्यसमाज पोर्ट ब्लेयर में सामाजिक उत्थान के कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करेगा, ऐसा हम सबका संकल्प होना चाहिए। परमात्मा की कृपा से निकट भविष्य में ही गोवा में जहाँ अभी तक आर्य समाज की शाखा प्रारंभ नहीं हुई है वहाँ भी सम्पर्क किया जा रहा है और यथाशीघ्र पुनः एक शुभ समाचार आप तक पहुंचेगा, ऐसा विश्वास है। उपरोक्त समस्त कार्यों के लिए निष्काम व समर्पित, व्यक्तित्व के रूप में सभा प्रधान श्री à¤¸à¥à¤°à¥‡à¤¶à¤šà¤¨à¥à¤¦à¥à¤°à¤œà¥€ आर्य का पूर्ण सहयोग, संबल, मार्गदर्शन प्राप्त हो रहा है। यह परम सौभाग्य है कि भामाशाह के रूप में स्थापित व्यक्तित्व महाशय  à¤§à¤°à¥à¤®à¤ªà¤¾à¤²à¤œà¥€ का बहुत बड़ा आशीर्वाद संगठन को प्राप्त है। उनकी प्रेरणा और प्रबल इच्छा आज भी यही है कि जहाँ -जहाँ आर्य समाज नहीं हैं,

   à¤®à¤¹à¤°à¥à¤·à¤¿ दयानन्द की विचारधारा नहीं पहुंची, वहां-वहां आर्य समाजें प्रारंभ हो। अण्डमान के संबंध में भी उनकी प्रबल भावना ऐसी ही रही। à¤†à¤°à¥à¤¯ जगत ऐसे आशीर्वाददाता का हृदय से आभार व्यक्त करता है।

- प्रकाश आर्य, सभामन्त्री सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा, दिल्ली

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