Swami Shraddhanand Balidan Diwas

23 Dec 2018
India
आर्य समाज नान्गल

आर्य समाज नंगल के तत्वधान में स्वामी श्रद्धानन्द जी का बलिदान दिवस बड़े उत्साह से मनाया गया | प्रातः 10:00 बजे हवन यज्ञ में सतीश अरोड़ा (प्रधान) सहपत्नी श्रीमती आशा अरोड़ा (सदस्य) मुख्य यजमान के रूप में उपस्थित हुए | पुरोहित श्री कृष्णकांत जी ने बड़े श्रद्धा भाव से मंत्रोचारण कर हवन यज्ञ सम्पन्न करवाया |

आर्य प्रतिनिधि सभा पंजाब जालंधर द्वारा भेजे गए, भाजोपदेशक श्री सतीश सुमन जी ने, स्वामी श्रद्धानन्द (सर्वस्व त्यागी) जी की जीवन गाथा यज्ञ व्याख्यान बड़े सरल ढंग से भजनों द्वारा गाकर सभी को प्रभावित किया | उन्होंने बताया कि स्वामी श्रद्धानन्द जी स्वतंत्रता संग्राम आन्दोलन के सम्पूर्ण रूप से संचालक थे | वीरता बलिदान उनके रोम-रोम में कूट-कूट भरी थी | उन्होंने बताया कि स्वामी श्रद्धानन्द जो भारत के एक राष्ट्रीयता, एक संगठन, एक जाति, एक धर्म, एक भाषा के प्रचार के लिए शुद्धि आन्दोलन एवं शुद्धि का कार्य किया | उन्होंने बताया की स्वामी जी ने सारा जीवन वैदिक धर्म के प्राचर प्रसार के लिए समर्पित कर दिया | स्वराज हासिल करने के लिए देश को अंग्रेजों की दासता से छुटकारा दिलाने हेतु , दलितों को उनके अधिकार दिलाने हेतु और पश्चिमी शिक्षा की जगह वैदिक शिक्षा प्रणाली का प्रबंध करने जैसे अनेक कार्य किए | सन् 1901 में वैदिक शिक्षा के लिए गुरुकुल की स्थापना की | वह गुरुकुल अब “गुरुकुल कांगड़ी विश्व-विद्यालय हरिद्वार” के नाम से प्रसिद्ध है |

कार्यक्रम के आयोजन का मकसद बताते हुए आर्य समाज के प्रधान सतीश अरोड़ा ने बताया कि किस तरह से हमारे पूर्वजों ने हमें धर्म मार्ग पर चलते रहने की प्रेरणा दी है | यह बताने के लिए ही इस तरह ही दिवस मनाए जाते है | इसलिए सभी आदर्श व अनुशासन से वेद ग्रंथो के बताए रस्ते पर चलकर मानवता की सेवा के लिए किए जा रहे प्रयासों को और तेज करें | उन्होंने कहा कि स्वामी श्रद्धानन्द जी एक महान शिक्षाविद, स्वतंत्रता सैनानी एवं आर्य समाज के अग्रणी सन्यासी थे | और उन्होंने कहा कि स्वामी जी को सच्ची श्रद्धांजलि देना चाहते हो तो हमें उनके द्वारा राष्ट्र के लिए किए गए कार्यो को अपनाना होगा और उन्होंने जो मार्ग दिखलाया है, उस मार्ग पर चलना पड़ेगा, तभी हमारी उनको सच्ची श्रद्धांजलि होगी |

इस मौके पर मंदिर के नननिर्वित कार्यालय का उद्घाटन मंदिर कमेटी के संरक्षक आसकरन दास सरदाना जी ने किया | कार्यक्रम में ओ.पी.खन्ना, राजीव खन्ना, राजीखन्ना, करन खन्ना, सतपाल जौली, हरिंदर भारद्वाज, प्रेम सागर, अमरनाथ शर्मा, दीवानचंद शर्मा, कांता भारद्वाज माता, आशा अरोड़ा, नरेश सहगल, अशोक भाटिया, नितिन खन्ना, जे.पी. शारदा, आर.परी. बट्टू, योगाचार्य राजपाल सिंहा राणां, एम.के.शर्मा, प्रिंसिपल रजनीश शर्मा, सतीश कौशल, प्रेम प्रकाश शर्मा, पंकज खन्ना, अनु शर्मा, डी.एस.चौहान, हनी सेठ, तरसेम लाल, आर्य समाज के पुरोहित श्री कृष्णकांत शर्मा जी आदि भी मौजूद थे |

 

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