बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¤¿à¤¶ बंदूक और à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ सनà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥€ का सीना
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Vinay AryaDate
30-Mar-2019Category
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RajeevUpload Date
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ठीक आज से 100 वरà¥à¤· पहले साल 1919 मारà¥à¤š का महीना था। देश पर विदेशी शासन था और à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ नागरिक गà¥à¤²à¤¾à¤®à¥€ की जिनà¥à¤¦à¤—ी जीने को मजबूर थे। हालाà¤à¤•à¤¿ देश में जगह कà¥à¤°à¤¾à¤‚ति के अंकà¥à¤° फूट चà¥à¤•à¥‡ थे पर अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ सरकार उन अंकà¥à¤°à¥‹à¤‚ को अपने विदेशी बूटों से कà¥à¤šà¤² à¤à¥€ रही थी। à¤à¤¸à¥‡ माहौल में à¤à¤• अंगà¥à¤°à¥‡à¤œ अधिकारी जिनका नाम था सर सिडनी रौलेट उनकी अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤·à¤¤à¤¾ वाली सेडिशन समिति की शिफारिशों के आधार पर काला कानून (रॉलेट à¤à¤•à¥à¤Ÿ) बनाया गया। यह कानून देश में सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ के उà¤à¤°à¤¤à¥‡ सà¥à¤µà¤° को दबाने के लिठथा। इसके अनà¥à¤¸à¤¾à¤° अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ सरकार को यह अधिकार पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो गया था कि वह किसी à¤à¥€ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ पर अदालत में बिना मà¥à¤•à¤¦à¤®à¤¾ चलाठउसे जेल में बंद कर जो जà¥à¤²à¥à¤® चाहे कर सकती थी।
इस कानून के तहत अपराधी को उसके खिलाफ मà¥à¤•à¤¦à¤®à¤¾ दरà¥à¤œ करने वाले का नाम जानने का अधिकार à¤à¥€ समापà¥à¤¤ कर दिया गया था। यूठतो इस कानून के विरोध में देशवà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥€ हड़तालें, जूलूस और पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨ होने लगे। ये राजनीतिक, सामाजिक, शैकà¥à¤·à¤£à¤¿à¤• और सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• उथल-पà¥à¤¥à¤² का यà¥à¤— था। अधिकांश à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ मौन थे लेकिन आरà¥à¤¯ समाज के सिपाही उस समय सीना ताने अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ सरकार के सामने खड़े हो गये थे। इस आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ के सिपाही à¤à¤¾à¤°à¤¤ माठके à¤à¤• बहादà¥à¤° लाल का नाम था सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨à¤‚द जो गà¥à¤²à¤¾à¤®à¥€ के घनघोर अà¤à¤§à¥‡à¤°à¥‡ में आजादी का पथ खोजने के लिठसà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ जी महाराज से पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ लेकर आजादी की मशाल लेकर चल निकला था। तब गाà¤à¤§à¥€ जी ने कहा था की आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ हिमालय से टकरा रहा हैं। वो हिमालय था à¤à¤¾à¤°à¤¤ में बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¤¿à¤¶ सरकार जिनके बारे में कहा जाता है कि उनके राजà¥à¤¯ में सूरज à¤à¥€ नहीं डूबता । लेकिन चटà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ आरà¥à¤¯ समाज के होसले कहीं जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ बà¥à¤²à¤‚द निकले।
30 मारà¥à¤š 1919 ई. के दिन रौलट à¤à¤•à¥à¤Ÿ के विरोध में आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ शà¥à¤°à¥ हà¥à¤à¥¤ दिलà¥à¤²à¥€ में इस सतà¥à¤¯à¤¾à¤—à¥à¤°à¤¹à¥€ सेना के पà¥à¤°à¤¥à¤® सैनिक और मारà¥à¤—दरà¥à¤¶à¤• सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ ही थे। सब यातायात बनà¥à¤¦ हो गये। सà¥à¤µà¤¯à¤‚सेवक पà¥à¤²à¤¿à¤¸ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पकड़ लिठगà¤à¥¤ à¤à¥€à¥œ ने साथियों की रिहाई के लिठपà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ की तो पà¥à¤²à¤¿à¤¸ ने गोलियां चला दी। सांयकाल के समय बीस पचà¥à¤šà¥€à¤¸ हजार की अपार à¤à¥€à¥œ à¤à¤• कतार में à¤à¤¾à¤°à¤¤ माता की जय के नारे लगाती हà¥à¤ˆ घंटाघर की और सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी के नेतृतà¥à¤µ में चल पड़ी। अचानक कमà¥à¤ªà¤¨à¥€ बाग के गोरखा फौज के किसी सैनिक ने गोली चला दी जनता कà¥à¤°à¥‹à¤§à¤¿à¤¤ हो गई। लोगों को वहीं खडे़ रहने का आदेश देकर सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी आगे जा खडे़ हà¥à¤ और धीर गमà¥à¤à¥€à¤° वाणी में पूछा- तà¥à¤®à¤¨à¥‡ गोली कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ चलाई?
सैनिकों ने बनà¥à¤¦à¥à¤•à¥‹à¤‚ की संगीने आगे बà¥à¤¾à¤¤à¥‡ हà¥à¤ कहा- “हट जाओ नहीं तो हम तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ छेद देंगे”। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी à¤à¤• कदम और आगे बॠगठअब संगीन की नोक सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी की छाती को छू रही थी। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी शेर की à¤à¤¾à¤‚ति गरजते हà¥à¤ बोले- “मेरी छाती खà¥à¤²à¥€ है हिमà¥à¤®à¤¤ है तो चलाओ गोली” अंगà¥à¤°à¥‡à¤œ अधिकारी के आदेश से सैनिकों ने अपनी संगीने à¤à¥à¤•à¤¾ ली और जलूस फिर चल पड़ा।
इस घटना के बाद सब और उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ का वातावरण बना। 4 अपà¥à¤°à¥ˆà¤² को दोपहर बाद मौलाना अबà¥à¤¦à¥à¤²à¤¾ चूड़ी वाले ने ऊà¤à¤šà¥€ आवाज में सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ की तकरीर (à¤à¤¾à¤·à¤£) होनी चाहिà¤à¥¤ कà¥à¤› नौजवान सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी को उनके नया बाजार सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ मकान से ले आà¤à¥¤ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी मसà¥à¤œà¤¿à¤¦ की वेदी पर खडे़ हà¥à¤à¥¤ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦ के मनà¥à¤¤à¥à¤° ‘तà¥à¤µà¤‚ हि नः पिता..... से अपना à¤à¤¾à¤·à¤£ पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ किया। à¤à¤¾à¤°à¤¤ ही नहीं इसà¥à¤²à¤¾à¤® के इतिहास में यह पà¥à¤°à¤¥à¤® घटना थी कि किसी गैर मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® ने मसà¥à¤œà¤¿à¤¦ के मिमà¥à¤¬à¤° से à¤à¤¾à¤·à¤£ किया हो।
पर होनी को कà¥à¤› और मंजूर था 13 अपà¥à¤°à¥ˆà¤² आते-आते à¤à¤¾à¤°à¤¤ के पंजाब पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤ के अमृतसर में सà¥à¤µà¤°à¥à¤£ मनà¥à¤¦à¤¿à¤° के निकट जलियाà¤à¤µà¤¾à¤²à¤¾ बाग में 13 अपà¥à¤°à¥ˆà¤² 1919 (बैसाखी के दिन) रौलेट à¤à¤•à¥à¤Ÿ का विरोध करने के लिठà¤à¤• सà¤à¤¾ हो रही थी। जिसमें जनरल डायर नामक à¤à¤• अà¤à¤—à¥à¤°à¥‡à¤œ ऑफिसर ने अकारण उस सà¤à¤¾ में उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ à¤à¥€à¥œ पर गोलियाठचलवा दीं जिसमें 1000 से अधिक वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ मरे और 2000 से अधिक घायल हà¥à¤à¥¤ इस घटना के बाद सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ जी ने दिलà¥à¤²à¥€ में आसन जमाया। उसी समय काà¤à¤—à¥à¤°à¥‡à¤¸ का अधिवेशन अहमदाबाद में हà¥à¤†à¥¤ इसकी अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤·à¤¤à¤¾ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने की। पंजाब सरकार सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी को गिरफà¥à¤¤à¤¾à¤° करना चाहती थी। अमृतसर में अकालियों ने गà¥à¤°à¥ का बाग में सरकार से मोरà¥à¤šà¤¾ ले रखा था। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी अमृतसर पहà¥à¤‚च गà¤à¥¤ सà¥à¤µà¤°à¥à¤£ मनà¥à¤¦à¤¿à¤° में पहà¥à¤‚चकर ‘अकाल तखà¥à¤¤’ पर à¤à¤• ओजसà¥à¤µà¥€ à¤à¤¾à¤·à¤£ दे डाला। ‘गà¥à¤°à¥ का बाग’ में पà¥à¤²à¤¿à¤¸ ने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ गिरफà¥à¤¤à¤¾à¤° कर 1 वरà¥à¤· 4 मास की जेल की सजा दे दी। बाद में 15 दिन में ही रिहा कर दिया गया। इसके बाद मानो सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी कà¥à¤°à¤¾à¤‚ति की à¤à¤• à¤à¤¸à¥€ मशाल बन गये जो सोये à¤à¤¾à¤°à¤¤ के यà¥à¤µà¤¾à¤“ं के रकà¥à¤¤ अगà¥à¤¨à¤¿ बनकर धधकने लगे। माना जाता है कि यह घटना ही à¤à¤¾à¤°à¤¤ में बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¤¿à¤¶ शासन के अंत की शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ बनी और देश को अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ शाशन से मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ मिली। इस महान सनà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥€ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ को उनके इस साहस और तà¥à¤¯à¤¾à¤— के 100 वरà¥à¤· पà¥à¤°à¥‡ होने पर आरà¥à¤¯ समाज का नमन...
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