जयोतिषी à¤à¤¾à¤°à¤¤
Author
Rajeev ChoudharyDate
02-Sep-2015Category
à¤à¤¾à¤·à¤£Language
HindiTotal Views
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SaurabhUpload Date
30-Nov-2015Download PDF
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शकला जी अà¤à¥€ अà¤à¥€ खाने की टेबल पर बैठे ही थे। कि अचानक कॉल से फोन के साथ में हाथ à¤à¥€ डोल गया। रिसीव करते ही बडी तेज आवाज कान टकराई कि ï€ à¤¸à¤°à¤•à¤¾à¤° ने जयोतिश,ï€ à¤•à¤¾à¤²à¥‡ इलम के माहिर बाबाओ के लि ढेरो नौकरी के आवेदन निकाले है। ना कद की परवाह ना डिगरी का कछ लेना देना बस à¤à¤µà¤¿à¤·à¤¯ बताना आना चाहि, और काले इलम के माहिर बाबाओ के लि तो आरकषण à¤à¥€ है और सनो वेतनमान सनोगें तो करसी से नीचे गिर जाओगे!! शकला जी ने सखे होटो पर सांप की तरह जीठफेरकर पूछा,ï€ à¤•à¤¿à¤¤à¤¨à¤¾
शरीमति शकला चिडिया की तरह चहककर बोली परे दो लाख रूपये हर महीने!
अबकी बार तो सनकर शकला जी सनन रह गये फोन को मेज पर पटककर रोजगार समाचार लेकर आये अखबार के ऊपर बडे-बडे अकषरो में छपा था
आवशयकता है, ï€
नदी को परवत की ï€ à¤ªà¥‡à¥œ को à¤à¥‚मी की, à¤à¥ˆà¤¸ को घास की ï€ à¤¬à¤šà¤šà¥‡ को मां की ï€ à¤¨à¤‚à¤—à¥‡ को कपडे की, ï€ à¤•à¤¤à¤¤à¥‡ को पटटे की, बैल को सींग की, ï€ à¤®à¤¾à¤²à¤¿à¤• को नौकर की, à¤à¤—वान को à¤à¤•à¤¤ की, ï€ à¤—à¤§à¥‡ को चंदन की, ï€ à¤¬à¤‚à¤¦à¤°à¥‹ को आà¤à¥‚शण की,, नेताओ को घोटाले की,, ï€ à¤œà¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤¶ को मरखो की, आवशयकता किसे नहीं है। सबको आवशयकता है।
शकला जी ने सारा अखबार दो मिनट में देख डाला किनत वो शरीमति की बतायी खबर हाथ नही आयी तो सोचने बैठगये,ï€ à¤•à¤¿ हो à¤à¥€ सकता है दो साल पहले की ही तो बात है जब बिहार के क परसिदध नेता ने सपेरो को देश का à¤à¤µà¤¿à¤·à¤¯ बताकर सपेरो के लि आरकषण की मांग कर डाली थी। किनत उस समय सरकार डर गयी थी कि यदि इनहें आरकषण दिया तो रोज-रोज हमारे काम में ही सरकारी बीन बजाकर सरकारी नींद में बाधा उतपनन करेगें
तà¤à¥€ अचानक फिर फोन की घंटी बज उठी, ï€ à¤¸à¤¨à¥‹ अब तम जलदी से काला इलम और सीख लो, हम ï€ à¤«à¤¿à¤° सरकार पर वशीकरण कर उलटा सरकार को हम ही वेतन दिया करेगें अबकी बार तो शकला जी और सोच में डूब गये कि कया योगय शरीमति पायी और कया अयोगय सरकार!
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