ईशà¥à¤µà¤° व जीवातà¥à¤®à¤¾ विषयक यथारà¥à¤¥ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ का सरल उपाय
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Manmohan Kumar AryaDate
21-Jan-2016Language
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UmeshUpload Date
28-Jan-2016Download PDF
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ईशà¥à¤µà¤° के सतà¥à¤¯ सà¥à¤µà¤°à¥‚प का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के उपदेशों को सà¥à¤¨à¤•à¤° अथवा वेद वा वैदिक साहितà¥à¤¯ के अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है। पूरà¥à¤£ नहीं अपितॠकà¥à¤› मातà¥à¤°à¤¾ में यह जà¥à¤žà¤¾à¤¨ वैदिक धरà¥à¤®à¥€ माता-पिताओं की सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को à¤à¥€ परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ व संगति से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो जाता है। आजकल के धारà¥à¤®à¤¿à¤• कथाकारों के उपदेशों व पà¥à¤°à¤µà¤šà¤¨à¥‹à¤‚ पर दृषà¥à¤Ÿà¤¿ डालें तो जà¥à¤žà¤¾à¤¤ होता है कि वह ईशà¥à¤µà¤° व जीवातà¥à¤®à¤¾ के सतà¥à¤¯ व शà¥à¤¦à¥à¤§ सà¥à¤µà¤°à¥à¤ª का यथारà¥à¤¥ वरà¥à¤£à¤¨ नहीं करते अपितॠअपने अपने मत व आसà¥à¤¥à¤¾à¤“ं के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° करते हैं। उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ यह à¤à¥€ धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ रहता है कि उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अपने अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ को गà¥à¤°à¥‚ व महापà¥à¤°à¥à¤· के रूप में सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ करना है। उनके à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ से संगति करने पर मनोवैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• आधार पर जà¥à¤žà¤¾à¤¤ होता है कि उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ कà¥à¤› à¤à¤¸à¥€ शिकà¥à¤·à¤¾ दी गई है कि उनके गà¥à¤°à¥-महाराज ही सबसे अधिक जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ हैं। अनà¥à¤¯ गà¥à¤°à¥à¤“ं की बात सà¥à¤¨à¤¨à¤¾ व उनकी विशेषताओं को जानने का वह पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ ही नहीं करते हैं। इसे जà¥à¤žà¤¾à¤¨ घोटाला या बौदà¥à¤§à¤¿à¤• पतन ही कह सकते हैं। जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ तो कोई à¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ हो सकता है। जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ बनने के लिठयह आवशà¥à¤¯à¤• है कि मनà¥à¤·à¥à¤¯ सतà¥à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ का संकलà¥à¤ª धारण किये हà¥à¤ हो और वह केवल à¤à¤• पà¥à¤°à¥‚ष व गà¥à¤°à¥ से ही अपने आपको न बांधे अपितॠउसे जहां से जो à¤à¥€ अचà¥à¤›à¥€ बात पता चले, उसे पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर उसके आगे और अनà¥à¤¸à¤‚धान व अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ कर उसे परिपकà¥à¤µ व समृदà¥à¤§ करे। हम यह à¤à¥€ अनà¥à¤à¤µ करते हैं कि सà¤à¥€ धारà¥à¤®à¤¿à¤• कथाकारों को अपनी अपनी मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं का à¤à¤• पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• अवशà¥à¤¯ लिखना चाहिये जैसा कि महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ने ‘सà¥à¤µà¤®à¤¨à¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¤¾à¤®à¤¨à¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶’ à¤à¤µà¤‚ ‘आरà¥à¤¯à¥‹à¤¦à¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯à¤°à¤¤à¥à¤¨à¤®à¤¾à¤²à¤¾’ नाम से दो लघॠपà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‡à¤‚ लिखी हैं। आज à¤à¥€ यह पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‡à¤‚ मातà¥à¤° à¤à¤• या दो रूपये में मिल जाती हैं। इन पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‹à¤‚ में धरà¥à¤® के सà¤à¥€ सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ को बहà¥à¤¤ ही संकà¥à¤·à¤¿à¤ªà¥à¤¤ रूप से परिà¤à¤¾à¤·à¤¿à¤¤ किया गया है। इसको पढ़कर जब अनà¥à¤¯ मतों के आचारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ व उनके अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ व आचरणों को देखते हैं तो हमें यह जà¥à¤žà¤¾à¤¤ होता है कि वह सà¤à¥€ अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ व à¤à¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से à¤à¤°à¥‡ हà¥à¤ हैं। à¤à¤• ही विषय में दो सतà¥à¤¯ व दो सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ जो परसà¥à¤ªà¤° विरोधी हों, समà¥à¤à¤µ नहीं हैं। हां, सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ की वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾ करने पर शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ में अनà¥à¤¤à¤° आ सकता है परनà¥à¤¤à¥ à¤à¤¾à¤µ समान ही रहते हैं। विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करने पर हम जान पाते हैं कि संसार के सà¤à¥€ वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤•à¥‹à¤‚ का à¤à¤• ही विषय पर à¤à¤• ही सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ है। सारी दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ à¤à¤• समान है। इसे देखकर कà¥à¤¯à¤¾ यह विदित नहीं होता कि मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के धारà¥à¤®à¤¿à¤• आचरण व उपासना के सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ à¤à¥€ à¤à¤• ही होने चाहियें। हमें तो वेद व वैदिक साहितà¥à¤¯ पढ़कर यही उपयà¥à¤•à¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ होता है कि संसार के सारे मनà¥à¤·à¥à¤¯ à¤à¤• ही परमातà¥à¤®à¤¾ की सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥‡à¤‚ हैं जो अपने अपने पूरà¥à¤µ जनà¥à¤®à¥‹à¤‚ के पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤¬à¥à¤§ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° सà¥à¤–-दà¥à¤ƒà¤– रूपी à¤à¥‹à¤— à¤à¥‹à¤—ने के लिठईशà¥à¤µà¤° दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ किये गये हैं। इनकी उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ का कारण सतà¥à¤¯ का गà¥à¤°à¤¹à¤£ करना व असतà¥à¤¯ का तà¥à¤¯à¤¾à¤— करना है। यह कारà¥à¤¯ इनको शिकà¥à¤·à¤¿à¤¤ कर ही किया जा सकता है। उपदेश व पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‹à¤‚ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ à¤à¥€ शिकà¥à¤·à¤¾ का à¤à¤• पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° है। यदि मनà¥à¤·à¥à¤¯ को सतà¥à¤¯ उपदेशक और सतà¥à¤¯ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‡à¤‚ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो जाये तो उसे अपना जीवनयापन व सतà¥à¤¯ सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ पर आधारित धरà¥à¤® करà¥à¤® करने में सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ होती है, हमें à¤à¥€ हà¥à¤ˆ है, और इससे सामाजिक व वैशà¥à¤µà¤¿à¤• सà¥à¤– व शानà¥à¤¤à¤¿ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ किये जा सकते हैं।
उपदेश, पà¥à¤°à¤µà¤šà¤¨, वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨ आदि शिकà¥à¤·à¤¾ व जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ का मà¥à¤–à¥à¤¯ सरलतम मारà¥à¤— है। इसके लिठसतà¥à¤¯ उपदेशक व जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ पà¥à¤°à¥à¤· की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ होती है जो निषà¥à¤ªà¤•à¥à¤·, सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ रहित, ईशà¥à¤µà¤° à¤à¤•à¥à¤¤, वेदà¤à¤•à¥à¤¤, देशà¤à¤•à¥à¤¤, समाजसेवी, मà¥à¤®à¥à¤•à¥à¤·à¥, परोपकारी, सेवाà¤à¤¾à¤µà¥€, दानीसà¥à¤µà¤à¤¾à¤µà¤µà¤¾à¤²à¤¾, à¤à¤• ईशà¥à¤µà¤°à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤•, दमà¥à¤ व अहंकार से रहित, धन व समà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ से दूर रहने वाला, अपरिगà¥à¤°à¤¹à¥€, सà¥à¤–-सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤“ं का नà¥à¤¯à¥‚नतम मातà¥à¤°à¤¾ में सेवन करने वाला, पà¥à¤°à¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€, तपसà¥à¤µà¥€ सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ वाला होने के साथ वेद व वैदिक साहितà¥à¤¯ से पूरà¥à¤£à¤¤à¤¯à¤¾ परिचित व उसका यथारà¥à¤¥ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ रखने वाला हो। इसके लिठयह à¤à¥€ आवशà¥à¤¯à¤• है कि वह संसार के सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के रंग व रूपादि के पकà¥à¤·à¤ªà¤¾à¤¤ से रहित होकर सबको à¤à¤• परमातà¥à¤®à¤¾ की सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨ समà¤à¥‡à¥¤ यदि à¤à¤¸à¤¾ नहीं होगा तो न तो वह सचà¥à¤šà¤¾ जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ हो सकता है और न ही वह उसका पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° कर सकता है। आजकल के धारà¥à¤®à¤¿à¤• पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤°à¤• पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ वà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¤¾à¤¯à¤¿à¤• पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿ के देखे जाते हैं जिनके पास पà¥à¤°à¤à¥‚त धन व समà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ है और जो सà¥à¤–ी व ठाट-बाट का जीवन बिताया करते हैं, अतः उनमें सचà¥à¤šà¤¾ जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ धारà¥à¤®à¤¿à¤• गà¥à¤°à¥ होने की पातà¥à¤°à¤¤à¤¾ नहीं है। उनका जीवन à¤à¤¸à¤¾ है कि महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ काल तक के हमारे सà¤à¥€ ऋषियों व तपसà¥à¤µà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ ने à¤à¤¸à¤¾ जीवन नहीं बिताया जो आजकल के धारà¥à¤®à¤¿à¤• पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤°à¤•à¥‹à¤‚ से कहीं अधिक जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ व विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ थे तथा योग व समाधि तक को जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपने जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व पà¥à¤°à¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥ से सिदà¥à¤§ किया हà¥à¤† था। अतः हमें लगता है कि आजकल के सà¤à¥€ à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ को अपने धरà¥à¤® पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤°à¤•à¥‹à¤‚ व गà¥à¤°à¥à¤“ं की परीकà¥à¤·à¤¾ लेनी चाहिये कि वह कहां तक सदगà¥à¤°à¥ की à¤à¥‚मिका में हैं अथवा नहीं। इसका सरलतम उपाय यह है कि सà¤à¥€ धारà¥à¤®à¤¿à¤• à¤à¤•à¥à¤¤ व शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥ मनà¥à¤·à¥à¤¯ महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ का जीवन चरित पढ़े और उनके बाद हà¥à¤ सचà¥à¤šà¥‡ धारà¥à¤®à¤¿à¤• विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ व उपदेशकों जिनमें से कà¥à¤› के नाम हैं, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦, पं. लेखराम, पं. गà¥à¤°à¥à¤¦à¤¤à¥à¤¤ विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दरà¥à¤¶à¤¨à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€, पं. शिवशंकर शरà¥à¤®à¤¾ कावà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤°à¥à¤¥, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ सरà¥à¤µà¤¦à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€, पं. बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¦à¤¤à¥à¤¤ जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¥, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ सà¥à¤µà¤¤à¤¨à¥à¤¤à¥à¤°à¤¤à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ सरà¥à¤µà¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€, पं. à¤à¤—वदà¥à¤¦à¤¤à¥à¤¤, पं. रामनाथ वेदालंकार, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ विदà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ अमर सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€, पं. गंगापà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ उपाधà¥à¤¯à¤¾à¤¯, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ सतà¥à¤¯à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ आदि के जीवन चरितों का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ कर व इनसे आजकल के धारà¥à¤®à¤¿à¤• गà¥à¤°à¥à¤“ं की जीवनचरà¥à¤¯à¤¾à¤“ं व उनकी शिकà¥à¤·à¤¾à¤“ं से तà¥à¤²à¤¨à¤¾ कर सतà¥à¤¯ को गà¥à¤°à¤¹à¤£ करें। हमें लगता है कि शायद कोई à¤à¥€ आधà¥à¤¨à¤¿à¤• गà¥à¤°à¥ इन महापà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ के जीवन चरित के अनà¥à¤°à¥à¤ª नहीं मिलेगा। यदि इन पूरà¥à¤µ हà¥à¤ महापà¥à¤°à¥‚षों के जीवन चरित व इनके गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ वा उपदेशों का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ कर लिया जाये तो फिर किसी को धारà¥à¤®à¤¿à¤• गà¥à¤°à¥ बनाने की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ ही नहीं रहेगी। वह पाठक व अधà¥à¤¯à¥‡à¤¤à¤¾ सà¥à¤µà¤¯à¤‚ ही गà¥à¤°à¥ बन जायेगा और उसे ईशà¥à¤µà¤° व जीवातà¥à¤®à¤¾ का सतà¥à¤¯à¤¸à¥à¤µà¤°à¥à¤ª ही नहीं अपितॠइनकी पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ का सतà¥à¤¯ व सरलतम मारà¥à¤— à¤à¥€ जà¥à¤žà¤¾à¤¤ हो जायेगा और इससे उनका जीवन सफल हो सकेगा। हां, इसके साथ-साथ योग की शिकà¥à¤·à¤¾ के लिठकिसी योगाà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥€ गà¥à¤°à¥ की शरण लेकर उससे धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ की विधि सीखी जा सकती है जिससे की वह ईशà¥à¤µà¤° का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ कर समाधि अवसà¥à¤¥à¤¾ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होकर अपने जीवन को अधिकतम सà¥à¤– व परमाननà¥à¤¦ की अवसà¥à¤¥à¤¾ में पहà¥à¤‚चा सके।
उपदेशक के बाद ईशà¥à¤µà¤° व जीवातà¥à¤®à¤¾ विषयक सतà¥à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ का उपाय सतà¥à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पर आधारित पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‡à¤‚ हैं। इस शà¥à¤°à¥‡à¤£à¥€ में बहà¥à¤¤ सी पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‡à¤‚ हो सकती है। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦à¤•à¥ƒà¤¤ सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ इन सà¤à¥€ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‹à¤‚ में पà¥à¤°à¤®à¥à¤– à¤à¤• पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• है। इसके बारे में देश व विशà¥à¤µ में à¤à¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ हैं जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ वेदेतर धरà¥à¤®à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ ने अपने अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ व सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ के कारण फैलाया है। निषà¥à¤ªà¤•à¥à¤· à¤à¤¾à¤µ से विचार करने पर लगता है कि संसार के जितने मत-मतानà¥à¤¤à¤° हैं वहां ईशà¥à¤µà¤° व जीवातà¥à¤®à¤¾ का सतà¥à¤¯ व शà¥à¤¦à¥à¤§ सà¥à¤µà¤°à¥‚प उपलबà¥à¤§ न होने तथा इसी कारण से उपयà¥à¤•à¥à¤¤ उपासना पदà¥à¤§à¤¤à¤¿ न होने के अà¤à¤¾à¤µ में उनके अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€ अधिकांश व सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ धरà¥à¤®-अरà¥à¤¥-काम-मोकà¥à¤· के लाठसे वंचित रहते हैं और उनका यह मनà¥à¤·à¥à¤¯ जनà¥à¤® वà¥à¤¯à¤°à¥à¤¥ व à¤à¤¾à¤µà¥€ जनà¥à¤®à¥‹à¤‚ में अवनति à¤à¤µà¤‚ दà¥à¤ƒà¤– के रूप में ही परिणत होता है। इसके लिठकेवल à¤à¤• ही उपाय है कि सà¤à¥€ मतों के विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ अपने धारà¥à¤®à¤¿à¤• आगà¥à¤°à¤¹à¥‹à¤‚ का तà¥à¤¯à¤¾à¤— कर सचà¥à¤šà¥€ जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¤¾ से ईशà¥à¤µà¤° व जीवातà¥à¤®à¤¾ के सतà¥à¤¯ सà¥à¤µà¤°à¥‚प व सतà¥à¤¯ वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° व आचरण को जाने और ईशà¥à¤µà¤° की इचà¥à¤›à¤¾ व अपेकà¥à¤·à¤¾ के अनà¥à¤°à¥‚प ही अपना जीवन बनायें। यही मनà¥à¤·à¥à¤¯ का करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ व धरà¥à¤® हैं। वैदिक धरà¥à¤® इसी धरà¥à¤® का मूरà¥à¤¤ रूप है जिसका पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ जी ने किया। उनके समकालीन व परवरà¥à¤¤à¥€ लोगों ने अपने-अपने अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ पर आधारित परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤—त व रूढि़गत विचारों के कारण उनका बहिषà¥à¤•à¤¾à¤° ही किया। परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ व रूढि़यों के कारण मनà¥à¤·à¥à¤¯ पर जो पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ देखा जाता है वह यही होता है कि मनà¥à¤·à¥à¤¯ अपनी मिथà¥à¤¯à¤¾ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं के विरà¥à¤¦à¥à¤§ सतà¥à¤¯ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं पर विचार à¤à¥€ करना नहीं चाहता व उनकी उपेकà¥à¤·à¤¾ ही करता है। इस पर यदि उसके सबसे निकट परिवारजन व तथाकथित धरà¥à¤®à¤—à¥à¤°à¥‚ आदि उसे सतà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤®à¤°à¥à¤¶ न दें तो फिर उससे सतà¥à¤¯ को गà¥à¤°à¤¹à¤£ कराना और असतà¥à¤¯ को छà¥à¤¡à¤¼à¤µà¤¾à¤¨à¤¾ असमà¥à¤à¤µ कारà¥à¤¯ हो जाता है। यही हमें वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ समय में हो रहा अनà¥à¤à¤µ होता है।
लेख को विराम देने से पूरà¥à¤µ हमें यह बताना है कि धरà¥à¤® का समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ मनà¥à¤·à¥à¤¯ की आतà¥à¤®à¤¾ की उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ से है। आतà¥à¤®à¤¾ की उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ मनà¥à¤·à¥à¤¯ की धन-समà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ व शारीरिक सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ की उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ से सरà¥à¤µà¤¥à¤¾ पृथक है। आतà¥à¤®à¤¾ की उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ का तातà¥à¤ªà¤°à¥à¤¯ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ आचरणों व ईशà¥à¤µà¤° की सरलतम व कारगर विधि से उपासना करने से है जिससे उपासना से होने वालो लाà¤à¥‹à¤‚ का पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ मनà¥à¤·à¥à¤¯ के सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ व आचरण में परिलकà¥à¤·à¤¿à¤¤ हो। इसका तातà¥à¤ªà¤°à¥à¤¯ है कि मनà¥à¤·à¥à¤¯ सतà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦à¥€ व सतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥€ बने। मिथà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤° का सरà¥à¤µà¤¥à¤¾ तà¥à¤¯à¤¾à¤— कर दे जिसमें रिशà¥à¤µà¤¤, à¤à¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿà¤¾à¤šà¤¾à¤°, दूसरे के अधिकारों का हनन, अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯ व शोषण आदि कारà¥à¤¯ व आचरण समà¥à¤®à¤¿à¤²à¤¿à¤¤ हैं। इसके विपरीत धारà¥à¤®à¤¿à¤• मनà¥à¤·à¥à¤¯ वह होता है जो शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ ाचार करते हà¥à¤ सà¥à¤µà¤¾à¤¤à¥à¤®à¥‹à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¿ सहित देश, समाज सहित पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ मातà¥à¤° की उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ व विकास में सहयोगी होता है। इसके लिठसचà¥à¤šà¥‡ महापà¥à¤°à¥‚ष महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ जी आदि के जीवन से पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ लेते हà¥à¤ वेद, उपनिषद, दरà¥à¤¶à¤¨, सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶, ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦à¤¾à¤¦à¤¿à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯à¤à¥‚मिका व योग आदि का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ व उसका जीवन में आचरण करना ही सरà¥à¤µà¤¾à¤‚गीण मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¿ का कारण है। आजकल यह सà¤à¥€ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ हिनà¥à¤¦à¥€ में à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ व अनà¥à¤µà¤¾à¤¦ सहित उपलबà¥à¤§ हैं जिनसे लाठउठाया जा सकता है। हम आशा करते हैं कि पाठक लेख में पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ विचारों से सहमत होंगे।
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