पाखणà¥à¤¡ खणà¥à¤¡à¤¿à¤¨à¥€ पताका, सदà¥à¤§à¤°à¥à¤® पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° और महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦
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Manmohan Kumar AryaDate
25-Feb-2016Category
शंका समाधानLanguage
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UmeshUpload Date
27-Feb-2016Download PDF
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किसी à¤à¥€ विषय में सतà¥à¤¯ का निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤£ करने पर सतà¥à¤¯ वह होता है जो तरà¥à¤• व यà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ के आधार पर सिदà¥à¤§ हो। दो संखà¥à¤¯à¤¾à¤“ं 2 व 3 का योग 5 होता है। तरà¥à¤• व यà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ से यही उतà¥à¤¤à¤° सतà¥à¤¯ सिदà¥à¤§ होता है। अतः 2 व 3 का योग 4 या 6 अथवा अनà¥à¤¯ कà¥à¤› कहा जाये तो वह असतà¥à¤¯ की कोटि में आता है। धारà¥à¤®à¤¿à¤• मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं व सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ की दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से à¤à¥€ à¤à¤• विषय में सतà¥à¤¯ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ व सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ केवल à¤à¤• ही होता है। इसका पà¥à¤°à¤¥à¤® जà¥à¤žà¤¾à¤¨ परमातà¥à¤®à¤¾ ने सà¥à¤µà¤¯à¤‚ ही सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के आरमà¥à¤ में वेदों के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ आदि ऋषियों को कराया था। आज à¤à¥€ समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ वेद अपने मूल सà¥à¤µà¤°à¥‚प सहित संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤, हिनà¥à¤¦à¥€, अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ आदि अनेक à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं में à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के रूप में उपलबà¥à¤§ है। इनके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सतà¥à¤¯ धरà¥à¤®, मत, मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं व सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ का निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤£ किया जा सकता है। धरà¥à¤® का समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ ईशà¥à¤µà¤° व आतà¥à¤®à¤¾ के जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व मनà¥à¤·à¥à¤¯ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ ईशà¥à¤µà¤° की सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿, पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ व उपासना से à¤à¥€ जà¥à¤¡à¤¼à¤¾ हà¥à¤† है। अतः ईशà¥à¤µà¤°, जीव व उपासना से जà¥à¤¡à¤¼à¥€ सà¤à¥€ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ व सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ जो परसà¥à¤ªà¤° विरोधी व यà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ के विरà¥à¤¦à¥à¤§ हैं, सतà¥à¤¯ नहीं कहे जा सकते। सतà¥à¤¯ की विसà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ से ही अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ होता है जो समय के साथ बढ़ता रहता है। महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ यà¥à¤¦à¥à¤§ के बाद वेदों के विलà¥à¤ªà¥à¤¤ हो जाने व अलà¥à¤ª जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ लोगों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ वेदों के अरà¥à¤¥ न समà¤à¤¨à¥‡ के कारण à¤à¤¾à¤°à¤¤ व विशà¥à¤µ के सà¤à¥€ देशों में अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ व पाखणà¥à¤¡ में वृदà¥à¤§à¤¿ होती रही।
महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ने सतà¥à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ की खोज की। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने à¤à¤¾à¤°à¤¤ के सà¤à¥€ जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ गà¥à¤°à¥‚ओं से धरà¥à¤®, योग व उपासना आदि का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ किया। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ का वà¥à¤¯à¤¾à¤•à¤°à¤£ व अनà¥à¤¯ सà¤à¥€ आरà¥à¤· व अनारà¥à¤· गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ को पढ़ कर उनका मनà¥à¤¥à¤¨ कर अपने विदà¥à¤¯à¤¾à¤—à¥à¤°à¥ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ विरजाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ की कृपा से सतà¥à¤¯ व असतà¥à¤¯ के à¤à¥‡à¤¦ व अनà¥à¤¤à¤° को जाना था। इसके साथ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने गà¥à¤°à¥‚ की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ व आजà¥à¤žà¤¾ तथा सà¥à¤µà¤¯à¤‚ के विवेक से समसà¥à¤¤ मानवता के हित व कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ के लिठपाखणà¥à¤¡ व असतà¥à¤¯ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं व सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ का खणà¥à¤¡à¤¨ कर सतà¥à¤¯ वैदिक मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ का संकलà¥à¤ª किया था जिसका उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपनी अनà¥à¤¤à¤¿à¤® शà¥à¤µà¤¾à¤‚स तक पालन किया। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने सनॠ1863 तक गà¥à¤°à¥ विरजाननà¥à¤¦ की मथà¥à¤°à¤¾ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ कà¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¤¾ वा गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² में अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ कर इसके बाद सतà¥à¤¯ धरà¥à¤® वैदिक मत का पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° आरमà¥à¤ किया था। आगरा व गà¥à¤µà¤¾à¤²à¤¿à¤¯à¤° आदि अनेक सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ पर पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° करते हà¥à¤ वह सनॠ1867 के हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° के कà¥à¤®à¥à¤ मेले में धरà¥à¤® पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° करने के उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ से आये थे। इसका कारण था कि कà¥à¤®à¥à¤ के मेले में हिनà¥à¤¦à¥‚ सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€-पà¥à¤°à¥à¤· और साधॠलाखों की संखà¥à¤¯à¤¾ में इकटà¥à¤ े होते हैं। यह लेाग समà¤à¤¤à¥‡ हैं कि कà¥à¤®à¥à¤ के मेले पर गंगा में सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ करने से पाप धà¥à¤² जाते हैं और मनà¥à¤·à¥à¤¯ को दà¥à¤ƒà¤–ों व जनà¥à¤®-मरण से मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ मिल जाती है। हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° में उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने देखा कि साधॠऔर पणà¥à¤¡à¥‡ धरà¥à¤® का उपदेश देकर लोगों को सीधे रासà¥à¤¤à¥‡ पर लाने के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पाखणà¥à¤¡ की शिकà¥à¤·à¤¾ देकर लूट रह हैं। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पाया कि संसार सतà¥à¤¯ धरà¥à¤® पर चलने के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ के गहरे गडà¥à¤¢à¤¼à¥‡ में गिर रहा है। जिसे हर की पैड़ी कहा जाता है, वह हर की पैड़ी न होकर हाड़ की पैड़ी बन रही है। गंगा में डà¥à¤¬à¤•à¥€ लगाने से सब पाप दूर हो जाते है, इस मिथà¥à¤¯à¤¾ विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ से लोग बिना सोचे विचारे अनà¥à¤§à¤¾à¤§à¥à¤¨à¥à¤§ गंगा नदी में डà¥à¤¬à¤•à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ लगा रहे थे।
हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° में इन दृशà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को देखकर सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ जी को गहरी चोट लगी। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पाया कि इन कृतà¥à¤¯à¥‹à¤‚ से लोग दà¥à¤ƒà¤–ों से छूटने के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर दà¥à¤ƒà¤–ों के सागर में डूब रहे हैं। अतः उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने साधà¥à¤“ं और पणà¥à¤¡à¥‹à¤‚ के इस पाखणà¥à¤¡ की पोल खोलने का निरà¥à¤£à¤¯ लिया। इसके बाद à¤à¤• दिन यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ ने देखा कि हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° से ऋषिकेश को जाने वाली सड़क पर वहां à¤à¤• सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ ने पाखणà¥à¤¡-खणà¥à¤¡à¤¿à¤¨à¥€ पताका गाड़ दी है। वह वहां गरज-गरज कर उपदेश दे रहे हैं। वह अपने उपदेशों में साधà¥à¤“ं और पणà¥à¤¡à¥‹à¤‚ की करतूतें दिखला कर à¤à¥‚ठे गंगा-महातà¥à¤®à¥à¤¯ की धजà¥à¤œà¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ उड़ा रह हैं। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ की इस गरजना से मेले में à¤à¤¾à¤°à¥€ हलचल मच गई। आज तक लोगों ने किसी संनà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥€ को शà¥à¤°à¤¾à¤¦à¥à¤§, मूरà¥à¤¤à¤¿-पूजा, अवतार और गंगा-सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ से मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ मिलने का खणà¥à¤¡à¤¨ करते हà¥à¤ तथा पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ को à¤à¥‚ठा कहते नहीं सà¥à¤¨à¤¾ था। सहसà¥à¤¤à¥à¤°à¥à¤°à¥‹à¤‚ की संखà¥à¤¯à¤¾ में लोग उनका कà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿à¤•à¤¾à¤°à¥€ उपदेश सà¥à¤¨à¤¨à¥‡ आने लगे। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¤œà¥€ सबसे यही कहते थे कि हर की पैड़ी पर नहाने से पाप नहीं धà¥à¤²à¤¤à¥‡à¥¤ वेद की शिकà¥à¤·à¤¾ पर चलो। अचà¥à¤›à¥‡ काम करो। इसी से सà¥à¤– और मोकà¥à¤· मिलेगा। धरà¥à¤® गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ का पढ़ना-सà¥à¤¨à¤¨à¤¾ और सचà¥à¤šà¥‡ धरà¥à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¾à¤“ं की संगति ही सचà¥à¤šà¤¾ तीरà¥à¤¥ होती है।
आने को तो सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ जी के सतà¥à¤¸à¤‚ग व पà¥à¤°à¤µà¤šà¤¨ में सहसà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ लोग उपदेश सà¥à¤¨à¤¨à¥‡ आते थे परनà¥à¤¤à¥ वे केवल सà¥à¤¨à¤•à¤° चले जाते, उन पर उनके उपदेशों का पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ दिखाई नहीं देता था। यह देख कर सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¤œà¥€ को गहरी निराशा हà¥à¤ˆà¥¤ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने विचार किया कि मेरे तप व तà¥à¤¯à¤¾à¤— में कहीं कà¥à¤› कमी है जिस कारण से उनकी बात का लोगों पर असर नहीं हो रहा है। बस उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने निरà¥à¤£à¤¯ किया कि वह अब आगे पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° न कर मौन रहकर तपसà¥à¤¯à¤¾ करेंगे। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपने सब वसà¥à¤¤à¥à¤° उतार कर फेंक दिये। महाà¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ की à¤à¤• कापी, सोने की à¤à¤• मà¥à¤¹à¤° और मलमल का à¤à¤• थान अपने गà¥à¤°à¥‚देव सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ विरजाननà¥à¤¦ जी के लिठमथà¥à¤°à¤¾ à¤à¤¿à¤œà¤µà¤¾ दिया। शà¥à¤°à¥€ कैलासपरà¥à¤µà¤¤ नाम के à¤à¤• साधॠने सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ से पूछा कि महाराज आप यह कà¥à¤¯à¤¾ कर रहे हैं? सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ उतà¥à¤¤à¤° दिया कि जब तक अपनी आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾à¤“ं को कम से कम न किया जाये, पूरà¥à¤£ सà¥à¤µà¤¤à¤¨à¥à¤¤à¥à¤°à¤¤à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ नहीं होती और कारà¥à¤¯ में सफलता à¤à¥€ नहीं हो सकती। कैलास परà¥à¤µà¤¤ को उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि वह सतà¥à¤¯ वैदिक धरà¥à¤® के विरोधी सà¤à¥€ असतà¥à¤¯ मत, पनà¥à¤¥à¥‹à¤‚ व समà¥à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯à¥‹à¤‚ का खणà¥à¤¡à¤¨ कर सतà¥à¤¯ को सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ करना चाहते हैं। इसके लिठवह सांसारिक आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾à¤“ं और सà¥à¤–-दà¥à¤ƒà¤– से ऊपर उठना चाहते हैं। इसके बाद सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¤œà¥€ ने पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‡à¤‚ आदि छोड़कर अपने सारे शरीर पर राख रमा ली। अपने तन पर केवल à¤à¤• कौपीन रख कर मौन रहने का वà¥à¤°à¤¤ ले लिया। जो वेदों का विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ शेर की तरह किसी समय लाखों के समूह में गरजता था, जिसकी गरज को सà¥à¤¨à¤•à¤° à¤à¥‚ठे मतों और पंथों के दिल दहल जाते थे, वह अब मौन रहकर अपनी कà¥à¤Ÿà¥€ में बैठगया। बातचीत करना पूरी तरह से बनà¥à¤¦ हो गया। इस सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में उनके मन में जो तूफान उठरहा होगा, उसका अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ किया जा सकता है। अतः यह सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ अधिक दिन नहीं चली। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने तो यह पाठपढ़ा हà¥à¤† था कि मौन रहने से अचà¥à¤›à¤¾ सतà¥à¤¯ बोलना होता है। à¤à¤¸à¤¾ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ कब तक चà¥à¤ª रह सकता था? कà¥à¤› दिन बाद à¤à¤• घटना घटी। à¤à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ उनके तमà¥à¤¬à¥‚ के बाहर खड़ा होकर पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ की पà¥à¤°à¤¶à¤‚सा करने लगा। उसने वेदों को पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ से हेय बताया। इस असतà¥à¤¯ वचन को सà¥à¤¨à¤•à¤° सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी से रहा न गया और वह अपना मौन वà¥à¤°à¤¤ तोड़कर बाहर निकले और उस वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के असतà¥à¤¯ वाकà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का खणà¥à¤¡à¤¨ आरमà¥à¤ कर दिया। हो सकता है कि उस वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ ने यह कारà¥à¤¯ ईशà¥à¤µà¤° की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ से सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी का मौन वà¥à¤°à¤¤ à¤à¤‚ग करने के लिठकिया हो? जो à¤à¥€ रहा हो, यह अचà¥à¤›à¤¾ ही हà¥à¤† और अब सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¤œà¥€ पूरे बल से वेद पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° करने लगे।
अब सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ नगर-नगर और सà¥à¤¥à¤¾à¤¨-सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ में घूम कर वैदिक धरà¥à¤® का पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° करने लगे। चारों वेदों का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ कर उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने जाना था कि वेदों में कहीं मूरà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚जा का विधान व समरà¥à¤¥à¤¨ नहीं है। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने मूरà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚जा और अनà¥à¤¯ अवैदिक अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ व पाखणà¥à¤¡à¥‹à¤‚ का खणà¥à¤¡à¤¨ करना आरमà¥à¤ कर दिया। बहà¥à¤¤ से लोग उनके साथ शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ करने आते परनà¥à¤¤à¥ हार खाकर चले जाते। करà¥à¤£à¤µà¤¾à¤¸ में पं. हीरावलà¥à¤²à¤ नाम के à¤à¤• बहà¥à¤¤ बड़े विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ थे। वह नौ और पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤à¥‹à¤‚ को अपने साथ लेकर सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी से शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ करने आये। आते हà¥à¤ साथ में à¤à¤• पाषाण मूरà¥à¤¤à¤¿ à¤à¥€ उठा लाये और पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤œà¥à¤žà¤¾ की कि जब तक दयाननà¥à¤¦ से इसकी पूजा न करा लूंगा, वापस न जाऊंगा। कोई à¤à¤• सपà¥à¤¤à¤¾à¤¹ तक पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ ना-नौ घंटे तक शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ हà¥à¤† करता था। दोनों ओर से संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ बोली जाती थी और वाद पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤µà¤¾à¤¦ होता था। अनà¥à¤¤à¤¿à¤® दिन पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ जी उठे और ऊंचे सà¥à¤µà¤° से बोले--सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ जी महाराज जो कà¥à¤› कहते हैं, वह सब सतà¥à¤¯ है। इतना कहकर उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपनी मूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ उठाई और गंगा में फेंक दीं। उनको देखकर बाकी पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤à¥‹à¤‚ और नगर-निवासियों ने à¤à¥€ अपनी-अपनी मूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ घर से लाकर गंगा की à¤à¥‡à¤‚ट कर दीं। हीरावलà¥à¤²à¤à¤œà¥€ ने मूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की जगह सिंहासन पर वेदों को पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ त कर दिया। इस करà¥à¤£à¤µà¤¾à¤¸ के शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ की सरà¥à¤µà¤¤à¥à¤° बड़ी धूम मची। बहà¥à¤¤ से ठाकà¥à¤° लोग सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी महाराज के पास आकर उपदेश लेने लगे। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ यजà¥à¤žà¥‹à¤ªà¤µà¥€à¤¤-जनेऊ देकर गायतà¥à¤°à¥€ मनà¥à¤¤à¥à¤° को गà¥à¤°à¥-मनà¥à¤¤à¥à¤° के रूप में दिया। गंगा के किनारे à¤à¥à¤°à¤®à¤£ करते हà¥à¤ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ ने इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° गायतà¥à¤°à¥€ के उपदेश से सहसà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€-पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ को धरà¥à¤® का अमृत पिलाकर उनका कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ किया।
महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ने देश से अजà¥à¤žà¤¾à¤¨, अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸, कà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚, परतनà¥à¤¤à¥à¤°à¤¤à¤¾, गोहतà¥à¤¯à¤¾ दूर करने, गोरकà¥à¤·à¤¾ का महतà¥à¤µ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ करने, हिनà¥à¤¦à¥€ को अपनाने, विदेशी à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं के अंधाधà¥à¤¨ पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— न करने सहित सामाजिक विषमा दूर करने, समाज सà¥à¤§à¤¾à¤° व मानव जाति के हित के अनेकानेक कारà¥à¤¯ किये और इनके लिठअपना à¤à¤•-à¤à¤• पल व à¤à¤•-à¤à¤• शà¥à¤µà¤¾à¤‚स वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ किया। उनके जैसा महापà¥à¤°à¥‚ष इतिहास के पृषà¥à¤ ों पर दूसरा देखने को नहीं मिलता जिसने देश व मानवता के हित के लिठअपना सरà¥à¤µà¤¸à¥à¤µ तà¥à¤¯à¤¾à¤— किया हो। उनका बलिदान तो महतà¥à¤µ पूरà¥à¤£ है ही परनà¥à¤¤à¥ हमें लगता है कि उनका कारà¥à¤¯ उनके बलिदान से à¤à¥€ अधिक महतà¥à¤µà¥‚परà¥à¤£ है। उनके कारà¥à¤¯ का किंचित परिचय देना ही आज के इस लेख का उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ है। आज के इस लेख में हमने महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ à¤à¤•à¥à¤¤ शà¥à¤°à¥€ सनà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤® जी के ऋषि जीवन से सहायता ली है। उनका आà¤à¤¾à¤° वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ करते हैं। आशा है कि पाठक इस लेख को पसनà¥à¤¦ करेंगे।
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