मनà¥à¤·à¥à¤¯ व उसके कà¥à¤› पà¥à¤°à¤®à¥à¤– करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯
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Manmohan Kumar AryaDate
29-Feb-2016Category
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UmeshUpload Date
29-Feb-2016Download PDF
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मनà¥à¤·à¥à¤¯ किसे कहते हैं? इसका उतà¥à¤¤à¤° है कि मननशील वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को मनà¥à¤·à¥à¤¯ कहते हैं। मननशाल कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ होना है, इसलिये कि हम सतà¥à¤¯ को जान सके। सतà¥à¤¯ को जानकर हम इस निषà¥à¤•à¤°à¥à¤· पर पहà¥à¤‚चते हैं कि हमें जो दà¥à¤ƒà¤– पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है वह दूसरों के हमारे पà¥à¤°à¤¤à¤¿ अनà¥à¤šà¤¿à¤¤ वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° के कारण ही पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ होता है। दà¥à¤ƒà¤– कोई à¤à¥€ मननशील वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ तो कà¥à¤¯à¤¾ कोई à¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ वा पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ पसनà¥à¤¦ नहीं करते। अतः दà¥à¤ƒà¤–ों की निवृतà¥à¤¤à¤¿ के लिठमनà¥à¤·à¥à¤¯ को दूसरों के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ वह वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° नहीं करना है जिस वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° को दूसरे जब उसके पà¥à¤°à¤¤à¤¿ करते हैं तो उसे दà¥à¤ƒà¤– होता है। इसका अरà¥à¤¥ मनà¥à¤·à¥à¤¯ को वही वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° दूसरों के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ करना चाहिये जिस वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° की वह दूसरों से अपने पà¥à¤°à¤¤à¤¿ अपेकà¥à¤·à¤¾ करता है। à¤à¤¸à¤¾ करके वह सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के समà¥à¤®à¥à¤– यथायोगà¥à¤¯ वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° का उदाहरण पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ कर सकता है और इससे दà¥à¤ƒà¤–ों की मातà¥à¤°à¤¾ कम व समापà¥à¤¤ होकर सà¥à¤– की मातà¥à¤°à¤¾ में वृदà¥à¤§à¤¿ हो सकती है। संसार में अचà¥à¤›à¥‡ व बà¥à¤°à¥‡ दो पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के मनà¥à¤·à¥à¤¯ होते हैं। अचà¥à¤›à¥‡ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ की शà¥à¤°à¥‡à¤£à¥€ में धरà¥à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¾ आते हैं और दूसरी बà¥à¤°à¥‡ शà¥à¤°à¥‡à¤£à¥€ के मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ में à¤à¤¸à¥‡ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ जो धरà¥à¤® का पालन न कर उसका हनन करते हैं। यदि समाज में धरà¥à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¾ अधिक होंगे तो सामूहिक सà¥à¤– अधिक होगा। इसके लिठयह आवशà¥à¤¯à¤• है कि मननशील मनà¥à¤·à¥à¤¯ धरà¥à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¾à¤“ं की अपनी पूरी सामथà¥à¤°à¥à¤¯ से रकà¥à¤·à¤¾, उनकी उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ तथा उनके पà¥à¤°à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤¿à¤¯ आचरण करें, चाहे वह धरà¥à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¾ लोग अनाथ, निरà¥à¤¬à¤² और गà¥à¤£à¤°à¤¹à¤¿à¤¤ ही कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ न हों। इसके साथ ही अधरà¥à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¾à¤“ं के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ उस मननशील मनà¥à¤·à¥à¤¯ का आचरण à¤à¥€ यथायोगà¥à¤¯ होना चाहिये। इसके अनà¥à¤¤à¤°à¥à¤—त अधरà¥à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¾à¤“ं का नाश, उनकी अवनति और उनके पà¥à¤°à¤¤à¤¿ अपà¥à¤°à¤¿à¤¯ आचरण करना उचित व धरà¥à¤®à¤¸à¤®à¥à¤®à¤¤ कारà¥à¤¯ है। अधरà¥à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¾à¤“ं के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ अपना आचरण व वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° करते समय इस बात की उपेकà¥à¤·à¤¾ कर देनी चाहिये कि वह चकà¥à¤°à¤µà¤°à¥à¤¤à¥€ समà¥à¤°à¤¾à¤Ÿ है, सनाथ है, महाबलवानॠऔर गà¥à¤£à¤µà¤¾à¤¨ à¤à¥€ है। जहां तक हो सके मननशील मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤•à¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के बल की हानि करनी चाहिये और नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤•à¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के बल की उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ सरà¥à¤µà¤¥à¤¾ करनी चाहिये। मननशील मनà¥à¤·à¥à¤¯ को इस धरà¥à¤®à¤¸à¤®à¥à¤®à¤¤ कारà¥à¤¯ करने में चाहे कितना ही दारà¥à¤£ दà¥à¤ƒà¤– पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो, चाहे उसके पà¥à¤°à¤¾à¤£ à¤à¥€ à¤à¤²à¥‡ ही जावें, परनà¥à¤¤à¥ इस मनà¥à¤·à¥à¤¯à¤ªà¤¨à¤°à¥‚प धरà¥à¤® से पृथकॠकà¤à¥€ न होना चाहिये। मनà¥à¤·à¥à¤¯ का à¤à¤¸à¤¾ आदरà¥à¤¶ सà¥à¤µà¤°à¥‚प महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ने अपनी मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं के लघà¥à¤—à¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ ‘सà¥à¤µà¤®à¤¨à¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¤¾à¤®à¤¨à¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶’ में पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ किया है। इस मनà¥à¤·à¥à¤¯ के सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ व सà¥à¤µà¤°à¥‚प का आधार वेदों के जà¥à¤žà¤¾à¤¨ का निषà¥à¤•à¤°à¥à¤· है और यह मनà¥à¤·à¥à¤¯ की सरà¥à¤µà¤¾à¤‚गीण उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ में सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤°à¥à¤¯ परिà¤à¤¾à¤·à¤¾ है। मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ इस परिà¤à¤¾à¤·à¤¾ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° न करने के कारण ही संसार में आज अनेकानेक जटिल समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं का à¤à¤£à¥à¤¡à¤¾à¤° लग गया है।
मनà¥à¤·à¥à¤¯ इस सà¥à¤µà¤°à¥‚प को कब पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है? इसके लिठमनà¥à¤·à¥à¤¯ का सदà¥à¤œà¥à¤žà¤¾à¤¨ से यà¥à¤•à¥à¤¤ होना à¤à¥€ आवशà¥à¤¯à¤• है। सदà¥à¤œà¥à¤žà¤¾à¤¨ के लिठवेदों का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ अपरिहारà¥à¤¯ है। वेदों के जà¥à¤žà¤¾à¤¨ से ही मनà¥à¤·à¥à¤¯ को ईशà¥à¤µà¤°, जीवातà¥à¤®à¤¾ व पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का सà¥à¤µà¤°à¥‚प à¤à¤µà¤‚ अपने करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¥‹à¤‚ व अकरà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का बोध होता है। वेदाधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करने पर मनà¥à¤·à¥à¤¯ के समà¥à¤®à¥à¤– ईशà¥à¤µà¤° का जो सà¥à¤µà¤°à¥‚प उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ होता है उसके अनà¥à¤¸à¤¾à¤° ईशà¥à¤µà¤° सचà¥à¤šà¤¿à¤¦à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦à¤¾à¤¦à¤¿ लकà¥à¤·à¤£à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ है। ईशà¥à¤µà¤° के गà¥à¤£, करà¥à¤®, सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ पवितà¥à¤° हैं। वह सरà¥à¤µà¤œà¥à¤ž, निराकार, सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤•, अजनà¥à¤®à¤¾, अननà¥à¤¤, सरà¥à¤µà¤¶à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨, दयालà¥, नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤•à¤¾à¤°à¥€, सब सृषà¥à¤Ÿà¤¿ का करà¥à¤¤à¤¾, धरà¥à¤¤à¤¾, हरà¥à¤¤à¤¾, सब जीवों को करà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¸à¤¾à¤° सतà¥à¤¯ नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ से फलदाता आदि लकà¥à¤·à¤£à¥‹à¤‚ से यà¥à¤•à¥à¤¤ है। इस सतà¥à¤¤à¤¾ को ही ईशà¥à¤µà¤° वा परमेशà¥à¤µà¤° कहते हैं। हम मनà¥à¤·à¥à¤¯ ‘जीवातà¥à¤®à¤¾’ है। हमारा जीवातà¥à¤®à¤¾ हमारे पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤œà¤¨à¥à¤¯ शरीर से पृथक है। शरीर नाशवान है और जीवातà¥à¤®à¤¾ अविनाशी। हमारा यह जीवातà¥à¤®à¤¾ इचà¥à¤›à¤¾, दà¥à¤µà¥‡à¤·, सà¥à¤–, दà¥à¤ƒà¤– और जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¾à¤¦à¤¿ गà¥à¤£à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤, अलà¥à¤ªà¤œà¥à¤ž तथा नितà¥à¤¯ है। यह जनà¥à¤®-जनà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ में जो शà¥à¤ व अशà¥à¤ करà¥à¤® करता है, उनके फलों के à¤à¥‹à¤— के लिठइसका मनà¥à¤·à¥à¤¯ व अनà¥à¤¯ अनेक योनियों में करà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¸à¤¾à¤° जनà¥à¤® होता है। करà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¸à¤¾à¤° ही इसके अगले जनà¥à¤® की योनि वा जाति, आयॠव सà¥à¤–-दà¥à¤ƒà¤– परमातà¥à¤®à¤¾ निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ करता है। पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ अति सूकà¥à¤·à¥à¤® जड़़ व जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¶à¥‚नà¥à¤¯ पदारà¥à¤¥ है जो मूल व कारण अवसà¥à¤¥à¤¾ में सतà¥à¤µ, रज व तम गà¥à¤£à¥‹à¤‚ की सामà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ होती है। इस परमाणà¥à¤°à¥‚प रूप पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ से ही ईशà¥à¤µà¤° इस सृषà¥à¤Ÿà¤¿ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ पृथिवी, चनà¥à¤¦à¥à¤°, सूरà¥à¤¯ व समसà¥à¤¤ लोक-लोकानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ करता है। ईशà¥à¤µà¤°, जीव व पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का सतà¥à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर व ईशà¥à¤µà¤° की वैदिक विधि से सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿, पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ व उपासना कर मनà¥à¤·à¥à¤¯ विवेक को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है। यह विवेक व जà¥à¤žà¤¾à¤¨ ही मनà¥à¤·à¥à¤¯ को वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• मनà¥à¤·à¥à¤¯ बनाता है अनà¥à¤¯à¤¥à¤¾ यह सामानà¥à¤¯ मनà¥à¤·à¥à¤¯ या दà¥à¤·à¥à¤Ÿ, राकà¥à¤·à¤¸, अनारà¥à¤¯ व मनà¥à¤·à¥à¤¯à¤¤à¤¾ का शतà¥à¤°à¥ बन जाता है। अतः अचà¥à¤›à¥‡ व आदरà¥à¤¶ मनà¥à¤·à¥à¤¯ के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ में वैदिक संसà¥à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ अपरिहारà¥à¤¯ है।
वेदों के अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ अथवा महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ के सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ आदि गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ कर मनà¥à¤·à¥à¤¯ सदà¥à¤œà¥à¤žà¤¾à¤¨ व विवेक को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो सकता है जो करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯-अकरà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के बोध व निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤£ में परम सहायक है। à¤à¤¸à¤¾ मनà¥à¤·à¥à¤¯ योगाà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸ की रीति से ईशà¥à¤µà¤° की सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿, पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ व उपासना करेगा, यजà¥à¤ž-अगà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤° करेगा, माता-पिता-आचारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ आदि की सेवा करेगा, परोपकार व दान आदि करते हà¥à¤ अपने जीवन को अहिंसक मारà¥à¤— पर चलायेगा और à¤à¤¸à¤¾ करके जीवन के चार पà¥à¤°à¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥‹à¤‚ व लकà¥à¤·à¥à¤¯ धरà¥à¤®, अरà¥à¤¥, काम व मोकà¥à¤· को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो सकता है। मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का उलà¥à¤²à¥‡à¤– आरमà¥à¤ में ही मनà¥à¤·à¥à¤¯ की परिà¤à¤¾à¤·à¤¾ पर विचार करते हà¥à¤ कर दिया है। मनà¥à¤·à¥à¤¯ के करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में ईशà¥à¤µà¤° की सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿-पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾-उपासना आदि उसके अनेक करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ समà¥à¤®à¤¿à¤²à¤¿à¤¤ हैं। देश-पà¥à¤°à¥‡à¤®, देशà¤à¤•à¥à¤¤à¤¿, समाजोतà¥à¤¥à¤¾à¤¨ व देशोनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ के कारà¥à¤¯ व सबके पà¥à¤°à¤¤à¤¿ समà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤œà¤¨à¤• यथायोगà¥à¤¯ वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° à¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ के करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में समà¥à¤®à¤¿à¤²à¤¿à¤¤ है। जो लोग à¤à¤¸à¤¾ वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° नहीं करते वह मनà¥à¤·à¥à¤¯ कहलाने के अधिकारी नहीं हैं और न ही वह धारà¥à¤®à¤¿à¤• कहे जा सकते हैं। मनà¥à¤·à¥à¤¯ के लिठकà¥à¤› जानने योगà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤®à¥à¤– बातें व नियमों को लिखकर इस लेख को विराम देंगे।
मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को यह जानना चाहिये कि सब सतà¥à¤¯ विदà¥à¤¯à¤¾ और जो पदारà¥à¤¥ विदà¥à¤¯à¤¾ से जाने जाते हैं उन सब का आदि मूल परमेशà¥à¤µà¤° है। ईशà¥à¤µà¤° सचà¥à¤šà¤¿à¤¦à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦-सà¥à¤µà¤°à¥‚प, निराकार, सरà¥à¤µà¤¶à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨, नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤•à¤¾à¤°à¥€, दयालà¥, अजनà¥à¤®à¤¾, अननà¥à¤¤, निरà¥à¤µà¤¿à¤•à¤¾à¤°, अनादि, अनà¥à¤ªà¤®, सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¾à¤°, सरà¥à¤µà¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°, सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤•, सरà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤°à¥à¤¯à¤¾à¤®à¥€, अजर, अमर, अà¤à¤¯, नितà¥à¤¯, पवितà¥à¤° और सृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾ है। उसी की उपासना करनी योगà¥à¤¯ है। वेद सब सतà¥à¤¯ विदà¥à¤¯à¤¾à¤“ं का पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• है। वेद का पढ़़ना-पढा़ना और सà¥à¤¨à¤¾à¤¨à¤¾-सà¥à¤¨à¤¨à¤¾ सà¤à¥€ शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ गà¥à¤£ वाले मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ का परम धरà¥à¤® है। सतà¥à¤¯ के गà¥à¤°à¤¹à¤£ करने और असतà¥à¤¯ को छोड़ने में सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को सरà¥à¤µà¤¦à¤¾ उदà¥à¤¯à¤¤ रहना चाहिये। सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को अपने सब काम धरà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¸à¤¸à¤¾à¤° अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ सतà¥à¤¯ और असतà¥à¤¯ का विचार करके करने चाहियें। सब मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को अपनी शारीरिक, आतà¥à¤®à¤¿à¤• और सामाजिक उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ जागरूक रहना चाहिये और इस कारà¥à¤¯ के लिठमहरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ के गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ कर सहायता लेनी चाहिये। सबसे पà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• धरà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¸à¤¾à¤° यथायोगà¥à¤¯ वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° करना चाहिये। अवदà¥à¤¯à¤¿à¤¾ का नाश और विदà¥à¤¯à¤¾ की वृदà¥à¤§à¤¿ करनी चाहिये। पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• को अपनी ही उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ से सनà¥à¤¤à¥à¤·à¥à¤Ÿ न रहना चाहिये, किनà¥à¤¤à¥ सब की उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ में अपनी उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ समà¤à¤¨à¥€ चाहिये। सब मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को सामाजिक सरà¥à¤µà¤¹à¤¿à¤¤à¤•à¤¾à¤°à¥€ नियम पालने में परतनà¥à¤¤à¥à¤° रहना चाहिठऔर पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• हितकारी नियम पालन करने में सब सà¥à¤µà¤¤à¤¨à¥à¤¤à¥à¤° रहें। यह à¤à¥€ कहना उचित है वेदों से ही मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के समसà¥à¤¤ करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का निशà¥à¤šà¤¯ होता है। अतः सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ वेदों का सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ अवशà¥à¤¯ करना चाहिये इससे उनका जीवन आदरà¥à¤¶, उतà¥à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤Ÿ सफल होगा और वह सचà¥à¤šà¥‡ मनà¥à¤·à¥à¤¯ बन सकेंगे।
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