संसार की समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं का कारण मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ की अविदà¥à¤¯à¤¾à¤œà¤¨à¥à¤¯ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚’
Author
Manmohan Kumar AryaDate
12-Apr-2016Category
विविधLanguage
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UmeshUpload Date
19-Apr-2016Download PDF
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आज का आधà¥à¤¨à¤¿à¤• संसार अनेक पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं से पीढि़त व गà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¤ है। इनके हल के लिठसंसार के विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ देशों में सरकारें, विà¤à¤¾à¤—, कारà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ व अनà¥à¤¯ सहयोगी संसà¥à¤¥à¤¾à¤“ं सहित विशà¥à¤µ सà¥à¤¤à¤°à¥€à¤¯ संगठन संयà¥à¤•à¥à¤¤ राषà¥à¤Ÿà¥à¤° है परनà¥à¤¤à¥ फिर à¤à¥€ समसà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ हल होने के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर दिन पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ बढ़ती ही जा रही हैं। विशà¥à¤µ में कई सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ पर यà¥à¤¦à¥à¤§ चल रहे हैं व अनेकों जगह यà¥à¤¦à¥à¤§ जैसे हालात हैं। संसार के मनà¥à¤·à¥à¤¯ समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं से घिरे हà¥à¤ हैं। यदि इन समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं का मूल कारण देखा जाये तो पà¥à¤°à¤®à¥à¤– कारण संसार के अविदà¥à¤¯à¤¾à¤œà¤¨à¥à¤¯ मत-मतानà¥à¤¤à¤° निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ होते हैं। यदि यह मत-मतानà¥à¤¤à¤° न होते तो कà¥à¤¯à¤¾ देश व विशà¥à¤µ में आज वह समसà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ होती जो कि आज हैं? कदापि नहीं। मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ की कà¥à¤› समसà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ हो सकती थी जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पà¥à¤°à¥‡à¤®, सदà¥à¤à¤¾à¤µ से वा सà¤à¥€ देश धरà¥à¤® à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ से मिल कर हल कर लेते। यदि कोई सहयोग न करता जैसा कि रामायण काल व महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ काल में रावण व कौरवों ने किया था, तो सामूहिक रूप से यà¥à¤¦à¥à¤§ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ उस देश को दणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ करके उसे सतà¥à¤¯ मारà¥à¤— को अपनाने पर विवश किया जा सकता था।
मत-मतानà¥à¤¤à¤° विशà¥à¤µ के देशों के लोगों को आपस में बांट कर रखते हैं जिनसे व जिसमें सतà¥à¤¯ दब जाता है। सतà¥à¤¯ के तिरोहित होने से मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के सà¥à¤– à¤à¥€ तिरोहित हो जाते हैं कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि सà¥à¤–, शानà¥à¤¤à¤¿ व कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ का आधार धरà¥à¤®, सतà¥à¤¯ व परहित आदि कारà¥à¤¯ ही हà¥à¤† करते हैं। मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ में जैसा आजकल देखने को मिल रहा है, उन मतों के पà¥à¤°à¤µà¤°à¥à¤¤à¤• महोदयों ने जो बातें मधà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤² अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ अविदà¥à¤¯à¤¾ के काल में कह दी अथवा उनके अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ ने समà¤à¤¨à¥‡ में à¤à¥‚ल कर अनà¥à¤•à¥‚ल व पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤•à¥‚ल लिख दी, उसी को उस समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ का धरà¥à¤® व मत मान लिया गया व आज à¤à¥€ माना जा रहा है। अपने मत-धरà¥à¤® पà¥à¤°à¤µà¤¤à¥à¤°à¥à¤¤à¤• के उस विचार, मत या मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ पर उनके अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को विचार कर सà¥à¤§à¤¾à¤° करने की सà¥à¤µà¤¤à¤¨à¥à¤¤à¥à¤°à¤¤à¤¾ वा अधिकार नहीं होता जिससे उन-उन मतों के जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ से रहित कà¥à¤› या बहà¥à¤¤ से विचार व मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के पà¥à¤°à¤²à¤¯ काल तक के लिठसतà¥à¤¯ न होकर à¤à¥€ अधिक महतà¥à¤µà¥‚परà¥à¤£ बन गयीं हैं। मधà¥à¤¯-अजà¥à¤žà¤¾à¤¨-कालीन मतों व घरà¥à¤®à¥‹à¤‚ के बाहर à¤à¥€ बहà¥à¤¤ कà¥à¤› जà¥à¤žà¤¾à¤¨ है, उदाहरण के लिठवैदिक जà¥à¤žà¤¾à¤¨, सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾, यजà¥à¤ž-अगà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤°, यौगिक जीवन आदि, जिसे जानने व समà¤à¤¨à¥‡ का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ ही नहीं किया जाता। सà¤à¥€ मत व उनके अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€ इस विचार से सनà¥à¤¤à¥à¤·à¥à¤Ÿ हैं कि उनके मत में कहीं कोई अपूरà¥à¤£à¤¤à¤¾ नहीं है और उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने किसी अनà¥à¤¯ से कोई शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ व उपयोगी बात à¤à¥€ सीखनी नहीं है। कोई à¤à¥€ मत अपने मत के वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• व अनà¥à¤¯ विषयों के विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को उन विचारों के विपरीत बोलने व अपने विचार वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ करने की सà¥à¤µà¤¤à¤¨à¥à¤¤à¥à¤°à¤¤à¤¾ नहीं देता। इससे वृहत मनà¥à¤·à¥à¤¯ समाज जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ में उन मतों व उसके अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के सà¥à¤§à¤¾à¤° व सà¥à¤§à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ से होने वाले लाठसे वंचित हो रहा है।
हम à¤à¤¾à¤°à¤¤ के सनà¥à¤¦à¤°à¥à¤ में ही विचार करते हैं। यदि हमारे देश में अनेक पौराणिक व इतर मत न होते तो हमारे लोग अजà¥à¤žà¤¾à¤¨, अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸à¥‹à¤‚, दलितों व मातृ-शकà¥à¤¤à¤¿ सà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ असà¥à¤ªà¤°à¥à¤¶à¤¯à¤¤à¤¾, शोषण और अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯ आदि सामाजिक बà¥à¤°à¤¾à¤ˆà¤¯à¥‹à¤‚ में न फंसते और तब वह अवशà¥à¤¯ ही जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ की बातें करते और जिन विषयों का वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• व जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ ने अटà¥à¤ ारहवीं शती व उसके बाद अनà¥à¤µà¥‡à¤·à¤£ व अनà¥à¤¸à¤‚धान किया है, वह हमारे देश के लोग à¤à¤¾à¤°à¤¤à¤µà¤¾à¤¸à¥€ ही मधà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤² व उससे पूरà¥à¤µ à¤à¥€ कर सकते थे। परनà¥à¤¤à¥ पौराणिक मत व उसके करà¥à¤®à¤•à¤¾à¤£à¥à¤¡à¥‹à¤‚ के कारण यह न हो सका। कà¥à¤¯à¤¾ हà¥à¤†? कि महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ काल के बाद व मधà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤² में लोग धारà¥à¤®à¤¿à¤• अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ से गà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¤ हो गये और जो बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ की उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ व विकास के कारà¥à¤¯ उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ करने थे, वह सब धरà¥à¤® विषयक अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ की बलि चढ़ गये। आज à¤à¥€ वही धारा बह रही है जिसका कोई विरोध नहीं कर सकता। इन विपरीत परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ (1825-1883) ने धारà¥à¤®à¤¿à¤• व सामाजिक अजà¥à¤žà¤¾à¤¨, अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸, पाखणà¥à¤¡, ढ़ोग, कà¥à¤¶à¤¿à¤•à¥à¤·à¤¾ व दैनिक मिथà¥à¤¯à¤¾ करà¥à¤®à¤•à¤¾à¤£à¥à¤¡ सहित सामाजिक असामनता का जà¥à¤žà¤¾à¤¨, तरà¥à¤• व यà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ सहित और वेद तथा वैदिक पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ से जो पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶, पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° व खणà¥à¤¡à¤¨-मणà¥à¤¡à¤¨ आदि किया, उसका बहà¥à¤¤ सीमित पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ हà¥à¤† जिस कारण आज à¤à¥€ देश में बड़ी संखà¥à¤¯à¤¾ में मत-मतानà¥à¤¤à¤° बने हà¥à¤ हैं। इन मत-मतानतरों से देश में जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ की उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ व सामाजिक समानता तथा सबका सनà¥à¤¤à¥à¤²à¤¿à¤¤ विकास नहीं हो पा रहा है और इस सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ के रहते हà¥à¤ कà¤à¥€ समà¥à¤à¤µ होता à¤à¥€ नहीं दीखता है।
सà¤à¥€ मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ में अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ व अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤®à¥‚लक मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ हैं जिससे समाज का अहित होता है। कà¥à¤› मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ में दूसरे मत के लोगों का येन केन पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤°à¥‡à¤£ धरà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤°à¤£ करने की हानिकारक पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿ à¤à¥€ विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ है। लोगों को असतà¥à¤¯ को छोड़कर सतà¥à¤¯ को तो अवशà¥à¤¯ ही सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करना चाहिये परनà¥à¤¤à¥ à¤à¤• असतà¥à¤¯ मत को छोड़कर दूसरे असतà¥à¤¯ मत में ही चले जाना कोई बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤®à¤¤à¥à¤¤à¤¾ व विवेकपूरà¥à¤£ कारà¥à¤¯ नहीं है। विगत अनेक शताबà¥à¤¦à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से यही होता आ रहा है और आज à¤à¥€ इस पर अंकà¥à¤¶ नहीं लगा है। अनेक मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ में यह à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ व पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿ पहले की तà¥à¤²à¤¨à¤¾ में कहीं अधिक मातà¥à¤°à¤¾ में विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ है और यह कारà¥à¤¯ देश के अनेक à¤à¤¾à¤—ों में गà¥à¤ª-यà¥à¤ª रीति से होता à¤à¥€ रहता है जिसमें अनेक वोट बैंक और पकà¥à¤·à¤ªà¤¾à¤¤à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ विचारधारा के कारण राजनैतिक दलों की à¤à¥€ मौन सà¥à¤µà¥€à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ होती हैं। इन कारणों से समाज में à¤à¤•à¤°à¤¸à¤¤à¤¾ व à¤à¤•à¤°à¥‚पता उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ नहीं हो पाती। यदि à¤à¤¸à¤¾ न होता तो सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ à¤à¤• साथ रहकर à¤à¤• दूसरे के सà¥à¤–-दà¥à¤– बांटते और सबकी समसà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ परसà¥à¤ªà¤° के सहयोग व सदà¥à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ से ही हल हो जाती। इसका à¤à¤• ही समाधान है कि सà¤à¥€ मत अपने अपने सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ व मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं पर सà¥à¤µà¤¯à¤‚ ही सà¥à¤§à¤¾à¤° की दृषà¥à¤Ÿà¤¿ को सामने रखकर विचार करें और जहां मनà¥à¤·à¥à¤¯ के हित में जो सà¥à¤§à¤¾à¤° आवशà¥à¤¯à¤• हो, वहां पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ नियम संशोधित कर नया नियम बनाया जाये। इसमें सहायता के लिठवेद की शरण ली जा सकती है। वेद किसी मत-समà¥à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯-पंथ व समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ के लोगों के गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ नहीं है। सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के आरमà¥à¤ में ईशà¥à¤µà¤° से वेदों का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ मिलने के कारण यह मनà¥à¤·à¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤° की साà¤à¥€ समà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ है जिसे समà¥à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯à¤µà¤¾à¤¦à¥€ ने अपने अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ व सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ के कारण केवल हिनà¥à¤¦à¥‚ओं व आरà¥à¤¯à¥‹à¤‚ की समà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ मान लिया है। यह तथà¥à¤¯ है कि वेदों व वैदिक साहितà¥à¤¯ पर à¤à¤¾à¤°à¤¤ के आरà¥à¤¯à¥‹à¤‚ व हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं सहित à¤à¤¾à¤°à¤¤ के सà¤à¥€ मत-पनà¥à¤¥à¥‹à¤‚ व विशà¥à¤µ के à¤à¥€ सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ का समान अधिकार है।
हमने जो विचार पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ किये हैं कà¥à¤› इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के विचार महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ व उनके गà¥à¤°à¥ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ विरजाननà¥à¤¦ जी के थे। उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सà¤à¥€ मानवीय समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं का समाधान à¤à¥€ सà¥à¤²à¤ था और वह यही था कि सà¤à¥€ लोग वेद को अपना पà¥à¤°à¤®à¥à¤– धरà¥à¤®à¤—à¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करें जिससे समाज में à¤à¤•à¤®à¤¤ होने से परसà¥à¤ªà¤° पà¥à¤°à¥‡à¤®, सौरà¥à¤¹à¤¾à¤¦à¥à¤°, सà¥à¤–, शानà¥à¤¤à¤¿, समानता, सतà¥à¤¯ का गà¥à¤°à¤¹à¤£ व असतà¥à¤¯ का तà¥à¤¯à¤¾à¤—, अविदà¥à¤¯à¤¾ का नाश व विदà¥à¤¯à¤¾ की वृदà¥à¤§à¤¿ की पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¤¿ विकसित हो। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ने इसी कारण से अपना पूरा जीवन सतà¥à¤¯ धरà¥à¤® के पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ वेद पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° को समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ किया और देश व विशà¥à¤µ के सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के मारà¥à¤—दरà¥à¤¶à¤¨ के लिठसतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶, ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦à¤¾à¤¦à¤¿à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯à¤à¥‚मिका, संसà¥à¤•à¤¾à¤°à¤µà¤¿à¤§à¤¿, आरà¥à¤¯à¤¾à¤à¤¿à¤µà¤¿à¤¨à¤¯ सहित वेद à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ आदि अनेकानेक गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ की रचना की। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ की जà¥à¤žà¤¾à¤¨-विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ यà¥à¤•à¥à¤¤ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं व वैदिक सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ का सीमित पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ ही हà¥à¤†à¥¤ देश में अनेक लोगों ने वेदमारà¥à¤— पर चलना आरमà¥à¤ किया और अब à¤à¥€ चल रहे हैं। कà¥à¤› लोगों के अपने-अपने मतों से आरà¥à¤¥à¤¿à¤• सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ जà¥à¤¡à¤¼à¥‡ थे, उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने महरà¥à¤·à¤¿ की बातों को सà¥à¤¨à¤¾ और मौन रहे, पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤µà¤¾à¤¦ की सामथà¥à¤°à¥à¤¯ उनमें नहीं थी। यदि किसी ने पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤µà¤¾à¤¦ करने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ किया तो वह पराजित होकर दूर हो गया। आरà¥à¤¥à¤¿à¤• सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥, लोठव पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ा आदि से ऊपर उठने की शकà¥à¤¤à¤¿ व मनोबल उनमें नहीं था। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ की विचारधारा की सà¥à¤µà¥€à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ मौन रहकर व दूसरों से चरà¥à¤šà¤¾ कर दी। इनà¥à¤¹à¥€à¤‚ लोगों ने अपने अलà¥à¤ªà¤œà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ व अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ शिषà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को गà¥à¤®à¤°à¤¾à¤¹ कर सतà¥à¤¯ को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° नहीं करने दिया जिससे संसार में नाना पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की समसà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हो गई हैं। जिस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° पिता के मारà¥à¤—दरà¥à¤¶à¤¨ की अवहेलना कर पà¥à¤¤à¥à¤° व सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥‡à¤‚ किंवा परिवार उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ नहीं कर सकता, इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से ईशà¥à¤µà¤° की वेदरूपी आजà¥à¤žà¤¾ की अवहेलना व तिरसà¥à¤•à¤¾à¤° कर देश व विशà¥à¤µ का कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ नहीं हो सकता। अतः विशà¥à¤µ को शानà¥à¤¤à¤¿ का धाम बनाने व सà¤à¥€ समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं पर विजय पाने के लिठसब मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को सतà¥à¤¯ की शरण में जाना ही होगा। इसी से हमारा अà¤à¥à¤¯à¥à¤¦à¤¯ व निःशà¥à¤°à¥‡à¤¯à¤¸ सिदà¥à¤§ होगा। अनà¥à¤¯ कोई मारà¥à¤— है ही नहीं। यदि हम इसकी अवहेलना व उपेकà¥à¤·à¤¾ करेंगे तो हमारा परजनà¥à¤® वा à¤à¤¾à¤µà¥€ जनà¥à¤® उनà¥à¤¨à¤¤ होने के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर अवनति को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होगा। सतà¥à¤¯ व उसका विपरीत मारà¥à¤— चà¥à¤¨à¤¨à¥‡ का अधिकार ईशà¥à¤µà¤° ने मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ किया है। विवेकशील मनà¥à¤·à¥à¤¯ सतà¥à¤¯ का अनà¥à¤¸à¤°à¤£ करते हैं और अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ के कारण मारà¥à¤— चà¥à¤¨à¤¨à¥‡ में गलती करते हैं। जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ की परीकà¥à¤·à¤¾ वेद के जà¥à¤žà¤¾à¤¨ को आतà¥à¤®à¤¸à¤¾à¤¤ कर उसके अनà¥à¤¸à¤¾à¤° करà¥à¤® करने से होती है। इतर अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ तो अहंकार का ही पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• हैं। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ जी सहित महापà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ शà¥à¤°à¥€ राम, शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£, महरà¥à¤·à¤¿ बालà¥à¤®à¤¿à¤•à¥€, वेदवà¥à¤¯à¤¾à¤¸ जी, महरà¥à¤·à¤¿ अरविनà¥à¤¦, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¨à¥à¤¦ जी व पं. गà¥à¤°à¥‚दतà¥à¤¤ विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ आदि के जीवन चरित पढ़कर आदरà¥à¤¶ व परमारà¥à¤¥ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ कराने वाली जीवन पदà¥à¤§à¤¤à¤¿ को जाना व समà¤à¤¾ जा सकता है। इससे पता चल सकता है कि इन महापà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ का मारà¥à¤— सही था या नहीं? यदि सà¤à¥€ मतों के विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ अपने मतों की पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‹à¤‚ सहित वेद व वैदिक साहितà¥à¤¯ का à¤à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करें तो वह सतà¥à¤¯ को अवशà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो सकते हैं जिससे विशà¥à¤µ का कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ हो सकता है। इसी के साथ इस लेख को विराम देते हैं।
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