आरà¥à¤¯à¥‹à¤‚ वा मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के यथारà¥à¤¥ आदरà¥à¤¶ वेद पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤ªà¤¾à¤¦à¤¿à¤¤ ईशà¥à¤µà¤° और ऋषि दयाननà¥à¤¦â€™
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Manmohan Kumar AryaDate
21-Apr-2016Category
विविधLanguage
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UmeshUpload Date
25-Apr-2016Download PDF
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पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• बनी हà¥à¤ˆ व बनने वाली जड़-जनà¥à¤¤à¥ सामगà¥à¤°à¥€ का काई न कोई उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ अवशà¥à¤¯ होता है। यदि उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ न हो तो उस वसà¥à¤¤à¥ को बनाने वाली पौरà¥à¤·à¥‡à¤¯ या अपौरà¥à¤·à¥‡à¤¯ सतà¥à¤¤à¤¾ की उसके निरà¥à¤®à¤¾à¤£ में पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿ ही नहीं होती। हमें मनà¥à¤·à¥à¤¯ का जनà¥à¤® मिला है, इस कारण हमारे बनाने वाली कारण सतà¥à¤¤à¤¾ का अवशà¥à¤¯ ही कोई उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ रहा है। पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ काल में हमारे ऋषि-मà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ ने इस व à¤à¤¸à¥‡ अनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨à¥‹à¤‚ पर विचार किया था। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सृषà¥à¤Ÿà¤¿ की आदि में पà¥à¤°à¤¦à¤¤à¥à¤¤ वा उपलबà¥à¤§ वेद जà¥à¤žà¤¾à¤¨ का à¤à¥€ अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ किया और उसका निà¤à¥à¤°à¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ किया। वह इस निषà¥à¤•à¤°à¥à¤· पर पहà¥à¤‚चे कि संसार में à¤à¤• ईशà¥à¤µà¤° की ही सतà¥à¤¤à¤¾ है। यह ईशà¥à¤µà¤° की सतà¥à¤¤à¤¾ सचà¥à¤šà¤¿à¤¦à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦à¤¸à¥à¤µà¤°à¥à¤ª, निराकार, सरà¥à¤µà¤¶à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨, नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤•à¤¾à¤°à¥€, दयालà¥, अजनà¥à¤®à¤¾, अननà¥à¤¤, निरà¥à¤µà¤¿à¤•à¤¾à¤°, अनदि, अनà¥à¤ªà¤®, सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¾à¤°, सरà¥à¤µà¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°, सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤•, सरà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤°à¥à¤¯à¤¾à¤®à¥€, अजर, अमर, अà¤à¤¯, नितà¥à¤¯, पवितà¥à¤°, जीवातà¥à¤®à¤¾ को उसके करà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¸à¤¾à¤° जनà¥à¤® देने व करà¥à¤®à¥‹à¤‚ के सà¥à¤–-दà¥à¤ƒà¤– रूपी फल देने वाली व सृषà¥à¤Ÿà¤¿ की रचना करने वाली है। मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के आदि काल में वेद ने ही ईशà¥à¤µà¤°, जीवातà¥à¤®à¤¾ व पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के यथारà¥à¤¥ सà¥à¤µà¤°à¥‚प सहित मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के अपने व अनà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ कराया था। वेद से शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ को लेकर ही मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚, पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• वा à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ यथा अगà¥à¤¨à¤¿, जल, वायà¥, आकाश सहित सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¤¾à¤¦à¤¿ के नाम पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ ऋषियों ने रखे थे जो समय के साथ कà¥à¤› उचà¥à¤šà¤¾à¤°à¤£ दोष, à¤à¥‡à¤¦ व à¤à¥Œà¤—ोलिक कारणों से नà¥à¤¯à¥‚नाधिक बदलते रहे हैं।
वेदों में ईशà¥à¤µà¤° का जो सà¥à¤µà¤°à¥‚प उपदिषà¥à¤Ÿ है, वह ईशà¥à¤µà¤° का सतà¥à¤¯ वा यथारà¥à¤¥ सà¥à¤µà¤°à¥‚प हैं। वेद कथित ईशà¥à¤µà¤° के गà¥à¤£, करà¥à¤®, सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ व सà¥à¤µà¤°à¥‚प से इतर व à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ जितने à¤à¥€ विचार, मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚, सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ व कथन हैं, वह वेद विरà¥à¤¦à¥à¤§ होने से असतà¥à¤¯, मिथà¥à¤¯à¤¾, à¤à¥‚ठे व à¤à¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤ हैं। संसार के सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को सतà¥à¤¯ का गà¥à¤°à¤¹à¤£ और असतà¥à¤¯ का परितà¥à¤¯à¤¾à¤— करते हà¥à¤ वेद वरà¥à¤£à¤¿à¤¤ ईशà¥à¤µà¤° के सतà¥à¤¯ सà¥à¤µà¤°à¥‚प व उसके गà¥à¤£, करà¥à¤® व सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ को मानना चाहिये और ईशà¥à¤µà¤° को अपना आदरà¥à¤¶ बनाकर उसके अनà¥à¤°à¥‚प ही अपने गà¥à¤£, करà¥à¤® व सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ बनाने चाहिये। मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को सà¥à¤–, कलà¥à¤¯à¤¾à¤£, शानà¥à¤¤à¤¿, समृदà¥à¤§à¤¿, आरोगà¥à¤¯, बल व शकà¥à¤¤à¤¿, धन, वैà¤à¤µ, à¤à¤¶à¥à¤µà¤°à¥à¤¯, पà¥à¤¤à¥à¤°-पà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ आदि योगà¥à¤¯ सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥‡à¤‚ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करने के लिठही ईशà¥à¤µà¤° ने सà¥à¤µà¤¯à¤‚ सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के आदिकालीन चार ऋषियों अगà¥à¤¨à¤¿, वायà¥, आदितà¥à¤¯ और अंगिरा को कà¥à¤°à¤®à¤¶à¤ƒ चार वेदों ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦, यजà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦, सामवेद और अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ दिया था। संसार में सरà¥à¤µà¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤® सà¥à¤– के साधन इस वेद जà¥à¤žà¤¾à¤¨ को मानकर ही ऋषियों ने पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤ªà¤¨ से इसकी रकà¥à¤·à¤¾ की। यही कारण है कि यह वेद जà¥à¤žà¤¾à¤¨ सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के आदि से अब तक के à¤à¤• अरब छियानवें करोड़ आठलाख तà¥à¤°à¥‡à¤ªà¤¨ हजार à¤à¤• सौ सोलह वरà¥à¤· से निरनà¥à¤¤à¤° बना हà¥à¤† वा सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ है। महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ काल व उसके बाद यह जà¥à¤žà¤¾à¤¨ अपà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ व अपà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ होने से विलà¥à¤ªà¥à¤¤à¤¤à¤¾ की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में आ गया था जिसका पà¥à¤¨à¤ƒ सूरà¥à¤¯à¤¸à¤® पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ ईशà¥à¤µà¤° दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ कराया गया। मानव जाति का सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ है कि आज चारों वेदों का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ मनà¥à¤·à¥à¤¯ मातà¥à¤° के लिठहिनà¥à¤¦à¥€ व अनेक à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं में उपलबà¥à¤§ हैं। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ की यह मानवमातà¥à¤° को अनà¥à¤ªà¤® देन है। सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के इतिहास की यह अपूरà¥à¤µ व महानतम घटना है। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ने सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€, अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ शूदà¥à¤°à¥‹à¤‚ व मनà¥à¤·à¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤° के लिठइसे पढ़ने व पढ़ाने का अधिकार दिला दिया है जिससे लोग धरà¥à¤®, अरà¥à¤¥, काम व मोकà¥à¤· को जानकर उसके अनà¥à¤°à¥à¤ª साधना कर अà¤à¥à¤¯à¥à¤¦à¤¯ व मोकà¥à¤· को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर सकते हैं। यह जà¥à¤žà¤¾à¤¤à¤µà¥à¤¯ है कि मधà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤² व उसके बाद सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€, शूदà¥à¤°à¥‹à¤‚ व बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£à¥‡à¤¤à¤° मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को वेदों का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करने का अधिकार पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ नहीं था। पौराणिक जगत में आज à¤à¥€ बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£à¥‡à¤¤à¤° लोगों को यह अधिकार नहीं दिया जाता।
हमारा सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ रहा है कि हम आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के समà¥à¤ªà¤°à¥à¤• में आये और हमने महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ और उनके गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶, ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦à¤¾à¤¦à¤¿à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯à¤à¥‚मिका, संसà¥à¤•à¤¾à¤°à¤µà¤¿à¤§à¤¿, आरà¥à¤¯à¤¾à¤à¤¿à¤µà¤¿à¤¨à¤¯ व उनके जीवनचरित आदि से पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ गà¥à¤°à¤¹à¤£ कर वेदों का किंचित नाममातà¥à¤° व सामानà¥à¤¯ अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ किया और हमें मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन के उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯, पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤œà¤¨, मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन वा जीवातà¥à¤®à¤¾ की उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ के साधन सहित समसà¥à¤¤ दà¥à¤ƒà¤–ों से मà¥à¤•à¥à¤¤ होने के साधनों वा उपायों का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ हà¥à¤†à¥¤ इस सबसे यह जà¥à¤žà¤¾à¤¤ होता है कि मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन की सफलता ईशà¥à¤µà¤° के यथारà¥à¤¥ सà¥à¤µà¤°à¥‚प को जानकर व उसकी सही व पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤•à¤¾à¤°à¥€ विधि से उपासना करने में हैं जिससे मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन का उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ व लकà¥à¤·à¥à¤¯ पूरा होता है। अतः हमारे व संसार के सà¤à¥€ जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ का सतà¥à¤¯ आदरà¥à¤¶ वेद पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤ªà¤¾à¤¦à¤¿à¤¤ ईशà¥à¤µà¤° ही है। उसके गà¥à¤£, करà¥à¤® व सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ को जानकर और उसे अपने जीवन में धारण वा आचरण करने से ही मनà¥à¤·à¥à¤¯ दà¥à¤ƒà¤–ों से मà¥à¤•à¥à¤¤ होकर सà¥à¤– व शानà¥à¤¤à¤¿ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर सकता है। यह केवल à¤à¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿ नहीं है अपितॠधà¥à¥à¤°à¤µ व अटल सतà¥à¤¯ है जिसे महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ने अपने गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ में पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ से सिदà¥à¤§ किया है और जो सतà¥à¤¯, तरà¥à¤• व विवेचन की कसौटी पर à¤à¥€ पूरà¥à¤£à¤¤à¤¯à¤¾ पà¥à¤·à¥à¤Ÿ व पà¥à¤°à¤¾à¤®à¤¾à¤£à¤¿à¤• है। अतः संसार के लोगों को मिथà¥à¤¯à¤¾ मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ के जाल से ऊपर उठकर ईशà¥à¤µà¤° के सतà¥à¤¯à¤¸à¥à¤µà¤°à¥‚प को जानकर वैदिक विधि से उपासना कर अपने-अपने जीवन को सफल करना चाहिये। ईशà¥à¤µà¤° ही संसार के सब मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ का à¤à¤•à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤° सरà¥à¤µà¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤®, परम, शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ तम व महानतम आदरà¥à¤¶ है, इस सतà¥à¤¯ को जानकर इस पर दृणपà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤œà¥à¤ž-निशà¥à¤šà¤¯ होना चाहिये और जीवन में कोई कारà¥à¤¯ à¤à¤¸à¤¾ नहीं करना चाहिये जो इस धारणा के विपरीत हो। हमें यह à¤à¥€ जानना है कि ईशà¥à¤µà¤° अननà¥à¤¤ काल से हमारा साथी, मितà¥à¤°, बनà¥à¤§à¥ व रकà¥à¤·à¤• है और हमेशा से हमारे साथ है व रहेगा। उसने हमे कà¤à¥€ नहीं à¤à¥à¤²à¤¾à¤¯à¤¾à¥¤ पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• पल वह हमारे साथ है और हमारा हित व कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ करता रहता है। हम ही उसे à¤à¥‚ले हà¥à¤ हैं। उसे à¤à¥‚लना ही à¤à¤• पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से मृतà¥à¤¯à¥ के समान है। जो वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ ईशà¥à¤µà¤° के उपकारों के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ कृतजà¥à¤žà¤¤à¤¾ का à¤à¤¾à¤µ रखकर उसका धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ व उपासना नहीं करता, वह ‘यसà¥à¤¯ छाया अमृतं यसà¥à¤¯ मृतà¥à¤¯à¥à¤ƒ’ के समान मृतक मनà¥à¤·à¥à¤¯ के समान है। उस ईशà¥à¤µà¤° का आशà¥à¤°à¤¯ ही मनà¥à¤·à¥à¤¯ को अमृतमय सà¥à¤– को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कराता है और उसे à¤à¥‚लना व उससे दूर होना ही मृतà¥à¤¯à¥ है। हमें गà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤¯ का वरण करना व चà¥à¤¨à¤¨à¤¾ है तथा अगाहà¥à¤¯ का तà¥à¤¯à¤¾à¤— करना है।
ईशà¥à¤µà¤° के बाद हमारे आदरà¥à¤¶ महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ हैं। वह कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ हैं? इसलिठकी वह साकà¥à¤·à¤¾à¤¤ वेदमूरà¥à¤¤à¤¿ थे। उनके गà¥à¤£, करà¥à¤® व सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ सरà¥à¤µà¤¥à¤¾ ईशà¥à¤µà¤° व वेद की शिकà¥à¤·à¤¾à¤“ं के अनà¥à¤°à¥‚प थे। वह ईशà¥à¤µà¤° से पà¥à¤°à¤°à¥‡à¤£à¤¾ गà¥à¤°à¤¹à¤£ कर सदैव सतà¥à¤¯ व कलà¥à¤¯à¤¾à¤£à¤•à¤¾à¤°à¥€ कारà¥à¤¯ ही करते थे। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने विदà¥à¤¯à¤¾à¤—à¥à¤°à¤¹à¤£ कर अपने सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ का कोई कारà¥à¤¯ न कर अपने पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• कारà¥à¤¯ को मनà¥à¤·à¥à¤¯ व पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ मातà¥à¤° के हित को धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ में रखकर किया। यदि वह न हà¥à¤ होते और उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने वेदों का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤•à¤° आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ व वेदों का पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° न किया होता तो आज हम जो कà¥à¤› हैं, वह न होते, अपितॠजà¥à¤žà¤¾à¤¨ व आचरण की दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से, उससे कहीं अधिक दूर व गिरे हà¥à¤ होते। हमारा आहार व विहार तथा अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ व पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° उनà¥à¤¹à¥€à¤‚ के विचारों से पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ व पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ है। हमारा मानना है कि सृषà¥à¤Ÿà¤¿ में अब तक हà¥à¤ जà¥à¤žà¤¾à¤¤ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚, ऋषियों, मà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ तथा योगियों में वह अदà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯, अनà¥à¤ªà¤® तथा अपनी उपमा आप थे। अनà¥à¤¯ जो महातà¥à¤®à¤¾ व महापà¥à¤°à¥à¤· हà¥à¤ हैं वह à¤à¥€ अपने अचà¥à¤›à¥‡ कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के लिठहमें मानà¥à¤¯ हैं, परनà¥à¤¤à¥ महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ का सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ महातà¥à¤®à¤¾à¤“ं, विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ व सà¤à¥€ महापà¥à¤°à¥‚षों में सरà¥à¤µà¥‹à¤ªà¤°à¤¿ है। हम यह à¤à¥€ अनà¥à¤à¤µ करते हैं कि महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ का यथारà¥à¤¥ महतà¥à¤µ उनके व उन पर उपलबà¥à¤˜ समसà¥à¤¤ साहितà¥à¤¯ को पढ़कर, ईशà¥à¤µà¤° का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨-उपासना व यजà¥à¤ž आदि करने व ईशà¥à¤µà¤° की कृपा होने पर ही विदित होता। अनà¥à¤¯ लोगों को हमारी यह बाद सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤°à¥à¤¯ नहीं होगी जिसका कारण यह है कि उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ के मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन को शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ बनाने वाले विचारों, आचरणों व कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को पूरà¥à¤£à¤¤à¤ƒ जाना व समà¤à¤¾ नहीं है। à¤à¤¸à¥‡ लोगों की उन पर की जाने वाली किसी टिपà¥à¤ªà¤£à¥€ का कोई महतà¥à¤µ नहीं है।
ईशà¥à¤µà¤° संसार का रचयिता, धारणकरà¥à¤¤à¤¾, पालनकरà¥à¤¤à¤¾ व मनà¥à¤·à¥à¤¯ के जनà¥à¤® व मृतà¥à¤¯à¥ सहित उनके सà¥à¤– व दà¥à¤ƒà¤–ों का नियामक है। वह हमारा व सब मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚, सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€-पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹-बाल-वृदà¥à¤§à¥‹à¤‚, का इषà¥à¤Ÿà¤¦à¥‡à¤µ होने सहित आदरà¥à¤¶ à¤à¥€ है। इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के जà¥à¤žà¤¾à¤¤ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ में ईशà¥à¤µà¤° उपासना आदि शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ कारà¥à¤¯ व आचरण की दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ हमारे व संसार के सà¤à¥€ लोगों के आदरà¥à¤¶ हैं। कोई जाने या न जाने वा कोई माने व न माने परनà¥à¤¤à¥ यह धà¥à¥à¤°à¤µ सतà¥à¤¯ है। ईशà¥à¤µà¤° वा महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ के बताये हà¥à¤ मारà¥à¤— पर चलकर ही मनà¥à¤·à¥à¤¯ धरà¥à¤®, अरà¥à¤¥, काम व मोकà¥à¤· को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर सकते हैं। उनकी शिकà¥à¤·à¤¾à¤“ं के पालन से ही राषà¥à¤Ÿà¥à¤° à¤à¤• वेद पर आधारित ईशà¥à¤µà¤°à¤¨à¤¿à¤·à¥à¤ , संगठित, समृदà¥à¤§, सशकà¥à¤¤ तथा अपराजेय राषà¥à¤Ÿà¥à¤° बन सकता है। इतà¥à¤¯à¥‹à¤®à¥à¥¤
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