ऋषि दयाननà¥à¤¦ के पतà¥à¤°à¥‹à¤‚ की संगà¥à¤°à¤¹à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾ व पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤• विà¤à¥‚तियां’
Author
Manmohan Kumar AryaDate
20-Apr-2016Category
विविधLanguage
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UmeshUpload Date
25-Apr-2016Download PDF
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महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ने गà¥à¤°à¥ विरजाननà¥à¤¦ से आरà¥à¤· जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व शिकà¥à¤·à¤¾ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ कर संसार से अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¾à¤¨à¥à¤§à¤•à¤¾à¤° वा धारà¥à¤®à¤¿à¤• तिमिर का नाश करने के लिठवेद पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° का कारà¥à¤¯ किया। इसके लिठउनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने मौखिक उपदेश, पà¥à¤°à¤µà¤šà¤¨ व वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ सहित वारà¥à¤¤à¤¾à¤²à¤¾à¤ª व शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ और अपनी विचारधारा व मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं के गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ का पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¨ किया जिनमें पà¥à¤°à¤®à¥à¤– सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶, ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦à¤¾à¤¦à¤¿à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯à¤à¥‚मिका, संसà¥à¤•à¤¾à¤°à¤µà¤¿à¤§à¤¿, आरà¥à¤¯à¤¾à¤à¤¿à¤µà¤¿à¤¨à¤¯, वेदà¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ आदि हैं। इन कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को करते हà¥à¤ आप सà¥à¤¥à¤¾à¤¨-सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ की यातà¥à¤°à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ à¤à¥€ करते थे और लोगों से पतà¥à¤°à¤µà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° à¤à¥€ करते थे। नये सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ पर जाकर लोगों को जानकारी देने के लिठविजà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ कर उनको उपदेशामृत का पान कराने व शंका-समाधान सहित शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ आदि की चà¥à¤¨à¥Œà¤¤à¥€ à¤à¥€ दिया करते थे। उनके गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ की ही à¤à¤¾à¤‚ति उनके पतà¥à¤°à¥‹à¤‚ à¤à¤µà¤‚ विजà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨à¥‹à¤‚ का à¤à¥€ अपना विशिषà¥à¤Ÿ महतà¥à¤µ है जिससे उनके जीवन की घटनाओं, निजी विचारों व à¤à¤¸à¥€ घटनाओं व समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं आदि पर पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ पड़ता है जिनका उलà¥à¤²à¥‡à¤– उनके साहितà¥à¤¯ व किसी अनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ नहीं होता। इससे उनके समà¥à¤ªà¤°à¥à¤• में आये लोगों सहित उनके यातà¥à¤°à¤¾ कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤®à¥‹à¤‚ की जानकारी à¤à¥€ मिलती है। यह हमारा सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ है कि आज पं. लेखराम, महातà¥à¤®à¤¾ मà¥à¤‚शीराम वा सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ जी, शà¥à¤°à¥€ पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ à¤à¤—वदà¥à¤¦à¤¤à¥à¤¤ जी, शà¥à¤°à¥€ महाशय मामराजजी, शà¥à¤°à¥€ पं. चमूपति जी à¤à¤®.à¤. और पं. यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर मीमांसक महामहोपाधà¥à¤¯à¤¾à¤¯ के पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨à¥‹à¤‚ से à¤à¤•à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¤, समà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¿à¤¤ वा पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ उनके पतà¥à¤°à¥‹à¤‚, विजà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨à¥‹à¤‚ आदि की à¤à¤• विशाल राशि चार खणà¥à¤¡à¥‹à¤‚ में उपलबà¥à¤§ है।
पं. यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर मीमांसक जी ने महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ के गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ का इतिहास लिखा है। यह अति महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ समà¥à¤ªà¥à¤°à¤¤à¤¿ अपà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¯ हो गया है। आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ में महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ का पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¨ आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ के काल से ही पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ होता आ रहा है। इसी कारण अनेक गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ में ही नहीं आ पाये व आ पाते हैं। आशा करते हैं कि इस गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ का निकट à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ में पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¨ हो सकेगा? यह à¤à¥€ उलà¥à¤²à¥‡à¤–नीय है कि आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ में दिन पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ लोगों की पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿ कम होती जा रही है। यह मà¥à¤–à¥à¤¯ बाधा है साहितà¥à¤¯ के पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¨ की। यदि साहितà¥à¤¯ बिकेगा नहीं तो छपेगा à¤à¥€ नहीं। वही साहितà¥à¤¯ छपा करता है जिसको पाठक पसनà¥à¤¦ करते हैं वा जिसकी बिकà¥à¤°à¥€ होती है। यही सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ आरà¥à¤¯ वैदिक साहितà¥à¤¯ पर à¤à¥€ लागू होता है, असà¥à¤¤à¥à¥¤ आज हम इस लेख में महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ के पतà¥à¤° और विजà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨à¥‹à¤‚ की खोज कर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ करने व पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ में लाने वाले महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ के कà¥à¤› महान अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का वरà¥à¤£à¤¨ कर रहे हैं जिसका आधार पं. यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर मीमांसक जी का गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ ‘ऋषि दयाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ के गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ का इतिहास’ है।
ऋषि दयाननà¥à¤¦ के पतà¥à¤°à¥‹à¤‚ व विजà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨à¥‹à¤‚ के पà¥à¤°à¤¥à¤® व मà¥à¤–à¥à¤¯ संगà¥à¤°à¤¹à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾ महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ की मà¥à¤–à¥à¤¯ व विसà¥à¤¤à¥ƒà¤¤ जीवनी के लेखक पं. लेखराम जी हैं। इनका परिचय देते हà¥à¤ मीमांसक जी ने लिखा है कि शà¥à¤°à¥€ पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ लेखराम जी ने ऋषि दयाननà¥à¤¦ के जीवनचरित लिखने के लिठपà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ समसà¥à¤¤ उतà¥à¤¤à¤° à¤à¤¾à¤°à¤¤ में à¤à¥à¤°à¤®à¤£ किया था। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने ऋषि के जीवन की घटनाओं के संगà¥à¤°à¤¹ के साथ-साथ ऋषि के लिखे हà¥à¤ पतà¥à¤°à¥‹à¤‚ और विजà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨à¥‹à¤‚ तथा अनà¥à¤¯ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ ऋषि दयाननà¥à¤¦ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ लिखे गये पतà¥à¤°à¥‹à¤‚ और विजà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨à¥‹à¤‚ का à¤à¥€ संगà¥à¤°à¤¹ किया था। वह संगà¥à¤°à¤¹ उनके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ संकलित उरà¥à¤¦à¥‚ à¤à¤¾à¤·à¤¾ में पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ ऋषि दयाननà¥à¤¦ के वृहदॠजीवनचरित में पà¥à¤°à¤¸à¤‚गवश यतà¥à¤° ततà¥à¤° छपा है। यह जीवनचरित ऋषि दयाननà¥à¤¦ जीवन से समà¥à¤¬à¤¦à¥à¤§ घटनाओं और दसà¥à¤¤à¤¾à¤µà¥‡à¤œà¥‹à¤‚ का à¤à¤¸à¤¾ अपूरà¥à¤µ संगà¥à¤°à¤¹ है कि इसके विना अगला कोई à¤à¥€ चरित-लेखक à¤à¤• कदम à¤à¥€ नहीं चल सकता। इस गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ का आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ नया बांस, दिलà¥à¤²à¥€ क सतà¥à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ से समà¥à¤µà¤¤à¥ 2028 में आरà¥à¤¯à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤¨à¥à¤µà¤¾à¤¦ à¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ हो गया है। इसके बाद से यह गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ यहां से पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ होता आ रहा है और हमारी जानकारी के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° यह अब à¤à¥€ उपलबà¥à¤§ है।
महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ के पतà¥à¤° और विजà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨à¥‹à¤‚ के दूसरे पà¥à¤°à¤®à¥à¤– संगà¥à¤°à¤¹à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾, समà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤• व पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤• शà¥à¤°à¥€ महातà¥à¤®à¤¾ मà¥à¤‚शीराम वा सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ जी थे। पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ मीमांसक जी ने उनका परिचय देते हà¥à¤ लिखा है कि शà¥à¤°à¥€ सà¥à¤µà¤°à¥à¤—ीय सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ जी का पूरà¥à¤µ नाम महातà¥à¤®à¤¾ मà¥à¤¨à¥à¤¶à¥€à¤°à¤¾à¤® था। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने ऋषि दयाननà¥à¤¦ के अनà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के नाम लिखे गये तथा अनà¥à¤¯ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ ऋषि को लिखे गये उà¤à¤¯à¤µà¤¿à¤§à¤¿ पतà¥à¤°à¥‹à¤‚ का संगà¥à¤°à¤¹ किया था। उनमें से कà¥à¤› पतà¥à¤°à¥‹à¤‚ को उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पहले ‘सदà¥à¤§à¤°à¥à¤® पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤°à¤•’ के समà¥à¤µà¤¤à¥ 1966 के कà¥à¤› अंकों में पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ किया था। ततà¥à¤ªà¤¶à¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ समà¥à¤µà¤¤à¥ 1966 में ही उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने ‘‘ऋषि दयाननà¥à¤¦ का पतà¥à¤°à¤µà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤°” (पà¥à¤°à¤¥à¤® à¤à¤¾à¤—) नाम से कà¥à¤› पतà¥à¤°à¥‹à¤‚ का संगà¥à¤°à¤¹ छपवाया था। यदà¥à¤¯à¤ªà¤¿ इस संगà¥à¤°à¤¹ में ऋषि के अपने लिखे हà¥à¤ पतà¥à¤° बहà¥à¤¤ सà¥à¤µà¤²à¥à¤ª हैं, अधिकतर पतà¥à¤° ऋषि के नाम à¤à¥‡à¤œà¥‡ गठविà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के हैं, तथापि यह संगà¥à¤°à¤¹ अतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ है। इस संगà¥à¤°à¤¹ की à¤à¥‚मिका से विदित होता है कि शà¥à¤°à¥€ महातà¥à¤®à¤¾ मà¥à¤¨à¥à¤¶à¥€à¤°à¤¾à¤®à¤œà¥€ के पास और à¤à¥€ बहà¥à¤¤ से पतà¥à¤°à¥‹à¤‚ का संगà¥à¤°à¤¹ था। जिसे वे ‘दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ à¤à¤¾à¤—’ में छापना चाहते थे। परनà¥à¤¤à¥ अपने को ऋषि-à¤à¤•à¥à¤¤ मानने वाले आरà¥à¤¯à¤œà¤¨à¥‹à¤‚ का सहयोग न मिलने से दूसरा à¤à¤¾à¤— नहीं छप सका। अवशिषà¥à¤Ÿ पतà¥à¤°à¥‹à¤‚ के संगà¥à¤°à¤¹ की कà¥à¤¯à¤¾ दशा हà¥à¤ˆ, इसका हमें काई जà¥à¤žà¤¾à¤¨ नहीं। अवशिषà¥à¤Ÿ पतà¥à¤° पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ न हो सके और समà¥à¤à¤µà¤¤à¤ƒ वह नषà¥à¤Ÿ हो गये, यह आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के लिठअपमानजनक होने के साथ पीड़ादायक à¤à¥€ है।
पतà¥à¤° और विजà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨à¥‹à¤‚ के संगà¥à¤°à¤¹ व पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¨-समà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ में शà¥à¤°à¥€ पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ à¤à¤—वदà¥à¤¦à¤¤à¥à¤¤ जी की पà¥à¤°à¤®à¥à¤– à¤à¥‚मिका है। आपने समà¥à¤µà¤¤à¥ 1972 से ऋषि दयाननà¥à¤¦ के पतà¥à¤°à¥‹à¤‚ और विजà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨à¥‹à¤‚ तथा ऋषि के जीवन कारà¥à¤¯ से समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ रखने वाली विविध सामगà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का अनà¥à¤¸à¤¨à¥à¤§à¤¨ तथा संगà¥à¤°à¤¹ पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ किया। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने समà¥à¤µà¤¤à¥ 1975, 1976, 1983, 1984 में कà¥à¤°à¤®à¤¶à¤ƒ चार à¤à¤¾à¤—ों में ऋषि के सà¥à¤µà¤²à¤¿à¤–ित 246 पतà¥à¤°à¥‹à¤‚ और विजà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨à¥‹à¤‚ का संगà¥à¤°à¤¹ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ किया। इसके अननà¥à¤¤à¤° à¤à¥€ वह शनैः शनैः इसी कारà¥à¤¯ के अनà¥à¤¸à¤‚धान में लगे रहे। समà¥à¤µà¤¤à¥ 2002 तक उन के पास ऋषि दयाननà¥à¤¦ के लगà¤à¤— 500 पतà¥à¤°à¥‹à¤‚ और विजà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨à¥‹à¤‚ का संगà¥à¤°à¤¹ हो गया था। माननीय पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ à¤à¤—वदà¥à¤¦à¤¤à¥à¤¤ जी ने उपलबà¥à¤§ समसà¥à¤¤ पतà¥à¤°à¥‹à¤‚ और विजà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨à¥‹à¤‚ का तिथि कà¥à¤°à¤® से समà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ करके रामलाल कपूर टà¥à¤°à¤¸à¥à¤Ÿ लाहौर के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ उनको पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ किया। यह संगà¥à¤°à¤¹ ‘टà¥à¤°à¤¸à¥à¤Ÿ’ ने समà¥à¤µà¤¤à¥ 2002 में 20x30 अठपेजी आकार के 550 पृषà¥à¤ ों में छपवाकर पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ किया था। माननीय पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ जी ने ऋषि दयाननà¥à¤¦ का पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£à¤¿à¤• जीवन चरित लिखने के लिठà¤à¥€ बहà¥à¤¤ सी सामगà¥à¤°à¥€ पतà¥à¤°à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤¸à¤¨à¥à¤§à¤¾à¤¨ काल में संगृहीत कर ली थी और वे उसे वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¿à¤¤ करना ही चाहते थे कि समà¥à¤µà¤¤à¥ 2004 में देश-विà¤à¤¾à¤—-जनित à¤à¤¯à¤‚कर उपदà¥à¤°à¤µà¥‹à¤‚ में वह समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ सामगà¥à¤°à¥€ माडल टाउन, लाहौर में उनके घर में ही छूट गई। उसके साथ ही ऋषि दयाननà¥à¤¦ के हसà¥à¤¤à¤²à¤¿à¤–ित शतशः असली पतà¥à¤° और ऋषि के नाम आये हà¥à¤ अनà¥à¤¯ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के पतà¥à¤° नषà¥à¤Ÿ हो गये। आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के इतिहास मे यह à¤à¤• à¤à¤¸à¥€ दà¥à¤ƒà¤–द घटना है कि जिसका पूरा होना सरà¥à¤µà¤¥à¤¾ असमà¥à¤à¤µ है। यह बड़े सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ की बात है कि शà¥à¤°à¥€ माननीय पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ जी के पास ऋषि के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ लिखे हà¥à¤ जितने प़तà¥à¤° और विजà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨ संगृहीत थे, वे देश-विà¤à¤¾à¤œà¤¨ से कà¥à¤› काल पूरà¥à¤µ ही रामलाल कपूर टà¥à¤°à¤¸à¥à¤Ÿ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ हो गये थे और उसकी कà¥à¤› कापियां बाहर निकल चà¥à¤•à¥€ थी। अनà¥à¤¯à¤¥à¤¾ आरà¥à¤¯-जाति ऋषि के इन महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ पतà¥à¤°à¥‹à¤‚ से à¤à¥€ सदा के लिठवंचित रह जाती और माननीय पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ जी का सारा परिशà¥à¤°à¤® निषà¥à¤«à¤² जाता। पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ मीमांसक जी ने इन पंकà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में इतिहास की दà¥à¤°à¥à¤²à¤ सामगà¥à¤°à¥€ संगà¥à¤°à¤¹à¤¿à¤¤ कर हमें पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ की है जिसके लिठसारे आरà¥à¤¯à¤œà¤—त को उनका ऋणी होना चाहिये। हमें दà¥à¤ƒà¤– है कि आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ उनके जीवनकाल में उनका वह सतà¥à¤•à¤¾à¤° नहीं कर सका जिसके कि वह अधिकारी थे।
महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ के पतà¥à¤°à¥‹à¤‚ व विजà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨à¥‹à¤‚ के संगà¥à¤°à¤¹ में शà¥à¤°à¥€ महाशय मामराज जी का महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ योगदान है। शà¥à¤°à¥€ महाशय मामराजजी खतौली जिला मà¥à¤œà¤«à¤«à¤°à¤¨à¤—र के निवासी थे। आप के हृदय में ऋषि दयाननà¥à¤¦ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ कितनी शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ à¤à¤°à¥€ थी, यह वही जान सकता है, जिसे उनके साथ कà¥à¤› समय रहने का सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ मिला हो। वे ऋषि के कारà¥à¤¯ के लिठसदा पागल बने रहते थे। शà¥à¤°à¥€ पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ à¤à¤—वदà¥à¤¦à¤¤à¥à¤¤à¤œà¥€ ने पतà¥à¤°à¥‹à¤‚ का जो महानॠसंगà¥à¤°à¤¹ किया था, उसमें अपका बहà¥à¤¤ बड़ा à¤à¤¾à¤— है। आपने जिस धैरà¥à¤¯ और परिशà¥à¤°à¤® से ऋ़षि के पतà¥à¤°à¥‹à¤‚ की खोज और संगà¥à¤°à¤¹ का कारà¥à¤¯ किया है, वह केवल आप के ही अनà¥à¤°à¥‚प है। यदि शà¥à¤°à¥€ पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ à¤à¤—वदà¥à¤¦à¤¤à¥à¤¤à¤œà¥€ को आप जैसा करà¥à¤®à¤ सहयोगी न मिलता तो वे कदापि इतना बड़ा संगà¥à¤°à¤¹ नहीं कर सकते थे। आपने à¤à¥€ ऋषि दयाननà¥à¤¦ और आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ से समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ रखने वाली बहà¥à¤¤ सी पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ सामगà¥à¤°à¥€ क वृहतॠसंगà¥à¤°à¤¹ किया था और उसका अधिक à¤à¤¾à¤— शà¥à¤°à¥€ पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ à¤à¤—वदà¥à¤¦à¤¤à¥à¤¤à¤œà¥€ के ही पास माडलटाउन (लाहौर) में रकà¥à¤–ा हà¥à¤† था। अतः इनका बहà¥à¤¤ सा संगà¥à¤°à¤¹ à¤à¥€ वहीं नषà¥à¤Ÿ हो गया। इन पंकà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को पढ़कर इन पंकà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के लेखक को महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ विषयक à¤à¤•-à¤à¤• पतà¥à¤° व उसके शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ की महतà¥à¤¤à¤¾ का अनà¥à¤à¤µ होता है। हम इन पतà¥à¤°à¥‹à¤‚ का महतà¥à¤µ जाने या न जानें व उपेकà¥à¤·à¤¾ à¤à¥€ करे तथापि इन सà¤à¥€ महापà¥à¤°à¥‚षों का समसà¥à¤¤ आरà¥à¤¯à¤œà¤—त ऋणी है और सदा रहेगा।
महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ के पतà¥à¤°à¥‹à¤‚ के संगà¥à¤°à¤¹ में à¤à¤• मà¥à¤–à¥à¤¯ नाम पं. चमूपति जी à¤à¤®.à¤. का à¤à¥€ है। शà¥à¤°à¥€ पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ चमूपति जी को ठाकà¥à¤° किशोरीसिंह से ऋषि दयाननà¥à¤¦ के पतà¥à¤°à¤µà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° का à¤à¤• बहà¥à¤®à¥‚लà¥à¤¯ संगà¥à¤°à¤¹ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤† था। उसमें ऋषि दयाननà¥à¤¦ के तथा अनà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के ऋषि के नाम लिखे हà¥à¤ लगà¤à¤— 172 पतà¥à¤°à¥‹à¤‚ का संगà¥à¤°à¤¹ था। उसे उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने समà¥à¤µà¤¤à¥ 1992 (सनॠ1935) में गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² कांगड़ी से पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ किया था। इस संगà¥à¤°à¤¹ में ऋषि दयाननà¥à¤¦ के अनà¥à¤¤à¤¿à¤® समय के राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के विशà¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से समà¥à¤¬à¤¦à¥à¤§ पतà¥à¤° हैं। इस दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से यह संगà¥à¤°à¤¹ अतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ महतà¥à¤µà¥‚पूरà¥à¤£ है।
पं. à¤à¤—वदतà¥à¤¤à¤œà¥€ के बाद ऋषि दयाननà¥à¤¦ के पतà¥à¤° औशà¥à¤° विजà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨à¥‹à¤‚ के समà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ का सबसे अधिक सराहनीय व योगà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• कारà¥à¤¯ यदि किसी ने किया है तो वह पं. यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर मीमांसक जी हैं। आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ उनका चिऱऋणी है। आपने महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ के सà¤à¥€ पतà¥à¤°à¥‹à¤‚, उनके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ व उनको लिखे गये पतà¥à¤°à¥‹à¤‚ सहित, समसà¥à¤¤ विजà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨à¥‹à¤‚ का समावेश चार à¤à¤¾à¤—ों में रामलाल कपूर टà¥à¤°à¤¸à¥à¤Ÿ से पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ सà¥à¤µà¤¸à¤®à¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¿à¤¤ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ में किया है। इसे ऋषि दयाननà¥à¤¦ के पतà¥à¤° और विजà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨à¥‹à¤‚ का अब तक का सरà¥à¤µà¤¾à¤‚गपूरà¥à¤£ सà¥à¤¸à¤®à¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¿à¤¤ संसà¥à¤•à¤°à¤£ कह सकते हैं। आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ की यह à¤à¤• महानिधि है जिसमें ऋषि दयाननà¥à¤¦ की आतà¥à¤®à¤¾ विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ हैं। इसके अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ का अपना अलग ही महतà¥à¤µ है। आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ में इस गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ की जितनी खपत व उपयोग होना चाहिये था, à¤à¤¸à¤¾ हà¥à¤† नहीं दीखता। आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को आरà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ रूचि उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ करने के लिठठोस पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ करने चाहिये अनà¥à¤¯à¤¥à¤¾ आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ का विशाल साहितà¥à¤¯ à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ में सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ न रह सकेगा, इसमें सनà¥à¤¦à¥‡à¤¹ नहीं है। यह à¤à¤¸à¤¾ ही होगा जैसा महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ काल �
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