पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ गà¥à¤°à¥à¤¦à¤¤à¥à¤¤ विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ का पावन à¤à¤µà¤‚ पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾à¤ªà¥à¤°à¤¦ जीवन’
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Manmohan Kumar AryaDate
26-Apr-2016Category
विविधLanguage
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UmeshUpload Date
27-Apr-2016Download PDF
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महान कारà¥à¤¯ करने वाले लोगों को महापà¥à¤°à¥à¤· कहा जाता है। à¤à¤¸à¥€ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ है कि महापà¥à¤°à¥à¤· अमर होते हैं। à¤à¤¾à¤°à¤¤ में महापà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ की à¤à¤• लमà¥à¤¬à¥€ शà¥à¤°à¥ƒà¤‚खला वा परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ है। à¤à¤¸à¥‡ ही à¤à¤• महापà¥à¤°à¥à¤· पं. गà¥à¤°à¥à¤¦à¤¤à¥à¤¤ विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ थे। आप उनà¥à¤¨à¥€à¤¸à¤µà¥€à¤‚ शताबà¥à¤¦à¥€ में तेजी से पतन को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो रहे सनातन वैदिक धरà¥à¤® व संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के रकà¥à¤·à¤•, सà¥à¤§à¤¾à¤°à¤•, देश की आजादी के मनà¥à¤¤à¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¤à¤¾ व पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤• सहित समगà¥à¤° सामाजिक व राजनैतिक कà¥à¤°à¤¾à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿ के जनक ऋषि दयाननà¥à¤¦ के à¤à¤•à¥à¤¤, अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€ और उनके मिशन के पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤°à¤•, पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤°à¤• व रकà¥à¤·à¤• थे। 26 अपà¥à¤°à¥ˆà¤² उनकी जयनà¥à¤¤à¥€ का दिवस है। उनके देश व जाति पर ऋण से उऋण होने के लिठउनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ व उनके कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को सà¥à¤®à¤°à¤£ कर शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤‚जलि देना पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• वेदà¤à¤•à¥à¤¤, ऋषिà¤à¤•à¥à¤¤, आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€ व देशवासी का करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ है। यदि वह न हà¥à¤ होते तो आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ का इतना विसà¥à¤¤à¤¾à¤° न होता, डीà¤à¤µà¥€ आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ जो उनà¥à¤¨à¥€à¤¸à¤µà¥€à¤‚ शताबà¥à¤¦à¥€ के अनà¥à¤¤ और बीसवीं शताबà¥à¤¦à¥€ में देश à¤à¤° में फैला, वह न हà¥à¤† होता और उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने जो साहितà¥à¤¯ हमें दिया, उससे आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ व देश वंचित रहता।
महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ की मृतà¥à¤¯à¥ के बाद आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ का मà¥à¤–à¥à¤¯ योदà¥à¤§à¤¾ बनने वाले इस ऋषिà¤à¤•à¥à¤¤ व वैदिक धरà¥à¤® के अनà¥à¤ªà¤® पà¥à¤°à¥‡à¤®à¥€ का जनà¥à¤® 26 अपà¥à¤°à¥ˆà¤², सनॠ1864 को मà¥à¤²à¤¤à¤¾à¤¨ (पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨) में शà¥à¤°à¥€ रामकृषà¥à¤£ जी के यहां हà¥à¤† था। आप अपने माता-पिता की à¤à¤• मातà¥à¤° पà¥à¤¤à¥à¤° व सबसे छोटी सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨ थे। आपके पिता à¤à¤• पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ित अधà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• थे। पांच वरà¥à¤· की अवसà¥à¤¥à¤¾ में आपके पिताजी ने घर पर ही आपको फारसी वरà¥à¤£à¤®à¤¾à¤²à¤¾ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ करवाना आरमà¥à¤ कर दिया था। बचपन से ही आपकी सà¥à¤®à¤°à¤£ शकà¥à¤¤à¤¿ गजब थी तथा गणित में पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨à¥‹à¤‚ का हल करने की आपमें अदà¤à¥à¤¦ योगà¥à¤¯à¤¤à¤¾ थी। लाखों तक की संखà¥à¤¯à¤¾ की गणना वा गà¥à¤£à¤¾ à¤à¤¾à¤— आप मौखिक ही कर देते थे। बचपन में आपको उरà¥à¤¦à¥‚ के वाकà¥à¤¯à¥‹à¤‚ की फारसी में पदà¥à¤¯ रचना करने का à¤à¥€ अà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸ हो गया था। बाद में कावà¥à¤¯ रचना में आपकी रूचि न रही। अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ साहितà¥à¤¯ के अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ तथा पंजाब के पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ धारà¥à¤®à¤¿à¤• नेता मà¥à¤‚शी कनà¥à¤¹à¥ˆà¤¯à¤¾à¤²à¤¾à¤² अलखधारी के सà¤à¥€ मतों व धरà¥à¤®à¥‹à¤‚ में अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ वा पाखणà¥à¤¡à¥‹à¤‚ के खणà¥à¤¡à¤¨ से पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ होकर आप सनà¥à¤¦à¥‡à¤¹à¤µà¤¾à¤¦à¥€ वा नासà¥à¤¤à¤¿à¤• बन गये थे। पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‹à¤‚ को पढ़ने में आपकी बालकाल व किशोरावसà¥à¤¥à¤¾ से ही गहरी रूचि थी। आपके जीवनी लेखक पà¥à¤°à¤¾. राजेनà¥à¤¦à¥à¤° जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¥ जी ने लिखा है कि ‘à¤à¤‚ग से मिडिल परीकà¥à¤·à¤¾ उतà¥à¤¤à¥€à¤°à¥à¤£ करके आप मà¥à¤²à¤¤à¤¾à¤¨ के हाई सà¥à¤•à¥‚ल में पà¥à¤°à¤µà¤¿à¤·à¥à¤Ÿ हो गये। उन दिनों सà¥à¤•à¥‚ल में मà¥à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• बाबू मनमोहन सरकार थे। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने शिषà¥à¤¯ की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤à¤¾ को पहचाना। अपने मेधावी शिषà¥à¤¯ को नई-नई पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‡à¤‚ देते रहते थे। आपने सà¥à¤•à¥‚ल के पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¤¾à¤²à¤¯ की सब पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¤‚ पढ़ डाली। मà¥à¤²à¤¤à¤¾à¤¨ में लहंगा खां के उदà¥à¤¯à¤¾à¤¨ में à¤à¤• विशाल पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¤¾à¤²à¤¯ था उसका व नगर के अनà¥à¤¯ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¤¾à¤²à¤¯à¥‹à¤‚ का à¤à¥€ पूरा-पूरा लाठउठाया। उनà¥à¤¹à¥€à¤‚ दिनों शà¥à¤°à¥€ मासà¥à¤Ÿà¤° दयाराम जी से Bible in India पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• लेकर धà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• पढ़ी। इनà¥à¤¹à¥€à¤‚ मासà¥à¤Ÿà¤° जी से आपने à¤à¤• और पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• India in Greece लेकर पढ़ी।’ इस वरà¥à¤£à¤¨ से आपकी पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‹à¤‚ के अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ व उनसे जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ करने की पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿ का अचà¥à¤›à¤¾ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ हाता है। आपमें पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‹à¤‚ को पढ़ने का यह शौक जीवन पर रहा। इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° सà¥à¤•à¥‚ली विषयों व इतर गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करते हà¥à¤ आपने विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ में à¤à¤®.à¤. किया और पूरे पंजाब में पà¥à¤°à¤¥à¤® सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर रहे। यह à¤à¥€ बता दें उन दिनों पंजाब में पूरा पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ à¤à¤µà¤‚ à¤à¤¾à¤°à¤¤ के पंजाब, हरियाणा, हिमाचल पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ राजà¥à¤¯à¥‹à¤‚ सहित दिलà¥à¤²à¥€ के à¤à¥€ कà¥à¤› à¤à¤¾à¤— समà¥à¤®à¤¿à¤²à¤¿à¤¤ थे।
आपने मà¥à¤²à¤¤à¤¾à¤¨ में अपने दो घनिषà¥à¤ मितà¥à¤°à¥‹à¤‚ लाला चेतनाननà¥à¤¦ व पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ रैमलदास की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ से 20 जून सनॠ1880 को मà¥à¤²à¤¤à¤¾à¤¨ के आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ की सदसà¥à¤¯à¤¤à¤¾ गà¥à¤°à¤¹à¤£ की थी। आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ में पà¥à¤°à¤µà¤¿à¤·à¥à¤Ÿ होते ही आपने संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ की आरà¥à¤· वà¥à¤¯à¤¾à¤•à¤°à¤£ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ आरमà¥à¤ किया और कà¥à¤› समय में इसमें योगà¥à¤¯à¤¤à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर ली। मà¥à¤²à¤¤à¤¾à¤¨ में ही आप डा. वैलनà¥à¤Ÿà¤¾à¤‡à¤¨ की Easy Lessons in Sanskrit Grammer पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• को पढ़कर ऋषि दयाननà¥à¤¦ की ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦à¤¾à¤¦à¤¿ à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ à¤à¥‚मिका के संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ à¤à¤¾à¤— को बिना किसी की सहायता के समà¤à¤¨à¥‡ में सकà¥à¤·à¤® हो गये थे। आपका संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ पà¥à¤°à¥‡à¤® बढ़ता गया और à¤à¤• समय à¤à¤¸à¤¾ à¤à¥€ आया कि आप अपने घर पर ही संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ की ककà¥à¤·à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ चलाने लगे जिसमें आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ सहित बड़े बड़े सरकारी अधिकारी à¤à¥€ आपसे संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ वà¥à¤¯à¤¾à¤•à¤°à¤£ पढ़ते थे।
मà¥à¤²à¤¤à¤¾à¤¨ में शिकà¥à¤·à¤¾ पूरी कर आप सनॠ1881 में लाहौर के राजकीय कालेज में पà¥à¤°à¤µà¤¿à¤·à¥à¤Ÿ हà¥à¤ थे, यहीं से आपने साइंस में à¤à¤®.à¤. किया था और यहीं पर कà¥à¤› समय अधà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¨ à¤à¥€ किया था। लाहौर में अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ काल में ही आप आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ लाहौर के समà¥à¤ªà¤°à¥à¤• में आ गये थे। यहां आपके सहपाठियों में लाला जीवनदास जी सहित महातà¥à¤®à¤¾ हंसराज और लाला लाजपतराय à¤à¥€ हà¥à¤† करते थे। इन सà¤à¥€ ने देश व आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ की अविसà¥à¤®à¤°à¤£à¥€à¤¯ सेवा की है। à¤à¤¸à¤¾ होते हà¥à¤ सनॠ1883 का वरà¥à¤· आ गया था। सितमà¥à¤¬à¤°, 1883 में महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ जोधपà¥à¤° में पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° कर रहे थे। वहां 29 सितमà¥à¤¬à¤° की रातà¥à¤°à¤¿ को उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ दूध में विष दे दिया गया था जिससे वह रूगà¥à¤£ हो गये। विष इतना पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¶à¤¾à¤²à¥€ था कि इससे महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ जी का सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ दिन पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ बिगड़ता गया। उपचार में à¤à¥€ गड़बड़ी हà¥à¤ˆ जिससे सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ गिरता चला गया। अकà¥à¤¤à¥‚बर के मधà¥à¤¯ व अनà¥à¤¤à¤¿à¤® सपà¥à¤¤à¤¾à¤¹ में देश à¤à¤° के आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œà¥‹à¤‚ में सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी के रोग का समाचार फैल गया। लाहौर के आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ अपने दो सदसà¥à¤¯à¥‹à¤‚ लाला जीवनदास और पं. गà¥à¤°à¥à¤¦à¤¤à¥à¤¤ विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ को सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ जी की सेवा शà¥à¤¶à¥à¤°à¥à¤·à¤¾ के लिठà¤à¥‡à¤œà¤¾ गया। यह दोनों साथी 29 अकà¥à¤¤à¥‚बर को अजमेर पहà¥à¤‚चे। 29 व 30 अकà¥à¤¤à¥‚बर, 1883 के दो दिनों में पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ गà¥à¤°à¥à¤¦à¤¤à¥à¤¤ जी को महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ को अति निकट से देखने का अवसर मिला। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने रोग की गमà¥à¤à¥€à¤°à¤¤à¤¾, शारीरिक कषà¥à¤Ÿ व पीड़ा तथा महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ को उन सबको धैरà¥à¤¯ के साथ सहन करते हà¥à¤ देखा। शरीर की अतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ विपरीत परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में व मृतà¥à¤¯à¥ तक महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ने जिस धैरà¥à¤¯ का परिचय दिया तथा मृतà¥à¤¯à¥ के समय व उससे पूरà¥à¤µ के उनके कारà¥à¤¯ कलापों से वह अतà¥à¤¯à¤§à¤¿à¤• पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ हà¥à¤à¥¤ इससे उनके हृदय से ईशà¥à¤µà¤° की सतà¥à¤¤à¤¾ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ सनà¥à¤¦à¥‡à¤¹ के सà¤à¥€ à¤à¤¾à¤µ पूरà¥à¤£à¤¤à¤¯à¤¾ समापà¥à¤¤ हो गये और वह ईशà¥à¤µà¤°, वेद और दयाननà¥à¤¦ के à¤à¤• नये सà¥à¤µà¤°à¥‚प वाले शिषà¥à¤¯ बन गये। उसके बाद उनके जीवन का à¤à¤•-à¤à¤• कà¥à¤·à¤£ महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ के मिशन की पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤ªà¥à¤°à¤£ से सेवा में वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ हà¥à¤†à¥¤ लोगों में संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ की अषà¥à¤Ÿà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€ शिकà¥à¤·à¤¾ पदà¥à¤§à¤¤à¤¿ का तो वह पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° व शिकà¥à¤·à¤£ करते ही थे, महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ की सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ में बनाये जाने वाले सà¥à¤®à¤¾à¤°à¤•, दयाननà¥à¤¦ सà¥à¤•à¥‚ल व कालेज, के लिठउनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सà¥à¤µà¤¯à¤‚ को सरà¥à¤µà¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¾ समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ कर दिया। देश à¤à¤° का दौरा किया। उपदेशों से आरà¥à¤¯à¤œà¤¨à¤¤à¤¾ को पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ व पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ किया। लागों ने अपनी समà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ व पà¥à¤°à¤à¥‚त धन उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ दिया। सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के इतिहास में देश में शिकà¥à¤·à¤¾ के पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤°-पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤° के लिठलोगों से धन संगà¥à¤°à¤¹ कर डीà¤à¤µà¥€ कालेज की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ का यह आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ अà¤à¥‚तपूरà¥à¤µ आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ है जिसका बाद में अनेक महापà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ व संसà¥à¤¥à¤¾à¤“ं ने अनà¥à¤¸à¤°à¤£ किया। इस आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ के पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ से डी.à¤.वी. सà¥à¤•à¥‚ल वा कालेज की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ हà¥à¤ˆ जिसने देश में शिकà¥à¤·à¤¾ के पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° व पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤° सहित देश में जन जागरण व उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ में अपनी विशेष à¤à¥‚मिका निà¤à¤¾à¤ˆ है। अतà¥à¤¯à¤¾à¤§à¤¿à¤• कारà¥à¤¯ करने व आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾à¤¨à¥à¤¸à¤¾à¤° विशà¥à¤°à¤¾à¤® न करने आदि अनेक कारणों से आपको कà¥à¤·à¤¯ रोग हो गया था जिसका परिणाम 19 मारà¥à¤š, सनॠ1890 को 25 वरà¥à¤·, 10 माह 24 दिन की आयॠमें मृतà¥à¤¯à¥ के रूप में सामने आया। पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ जी मृतà¥à¤¯à¥ से किंचित à¤à¥€ विचलित नहीं हà¥à¤ और अपने गà¥à¤°à¥ ऋषि दयाननà¥à¤¦ की à¤à¤¾à¤‚ति धैरà¥à¤¯ से ईशà¥à¤µà¤° के नाम ओ३मॠका जप करते हà¥à¤ अपने पà¥à¤°à¤¾à¤£ तà¥à¤¯à¤¾à¤— दिये।
पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ गà¥à¤°à¥à¤¦à¤¤à¥à¤¤ विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ अनेक अवसरों पर आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ में उपदेश à¤à¥€ करते थे। जनता में आपके उपदेशों को पसनà¥à¤¦ किया जाता था। वह यà¥à¤— à¤à¤¸à¤¾ था कि à¤à¤¾à¤·à¤£à¥‹à¤‚ की रिकारà¥à¤¡à¤¿à¤‚ग समà¥à¤à¤µ नहीं थी। à¤à¤¾à¤·à¤£ को लिखा जा सकता था परनà¥à¤¤à¥ यह दà¥à¤°à¥à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ ही कहेंगे कि किसी आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ व वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ ने इस दिशा में पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ नहीं किया। आज हम उनके उन उपदेशों से पूरà¥à¤£à¤¤à¤¯à¤¾ वंचित हैं। यह हमारा सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ है कि पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ गà¥à¤°à¥à¤¦à¤¤à¥à¤¤ जी ने अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ à¤à¤¾à¤·à¤¾ में उपयोगी à¤à¤µà¤‚ महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ साहितà¥à¤¯ लिखा है जो सदà¥à¤¯à¤ƒ हमें पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ है। इससे उनकी पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤à¤¾ का पता चलता है। पं. गà¥à¤°à¥à¤¦à¤¤à¥à¤¤ जी के जीवन चरितों में लाला जीवन दास, लाला लाजपतराय, पà¥à¤°à¤¾. राजेनà¥à¤¦à¥à¤° जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¥ जी सहित डा. रामपà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ लिखा गया जीवन चरित पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ है। आरà¥à¤¯à¤•à¤µà¤¿ वीरेनà¥à¤¦à¥à¤° राजपूत ने ‘तारा टूटा’ नाम से उनके जीवन व वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ को कावà¥à¤¯ में पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ कर पà¥à¤°à¤¶à¤‚सनीय कारà¥à¤¯ किया है। उनके समसà¥à¤¤ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‹à¤‚ व उपलबà¥à¤§ लेखों का संगà¥à¤°à¤¹ गà¥à¤°à¥à¤¦à¤¤à¥à¤¤ लेखावली के नाम से अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ व हिनà¥à¤¦à¥€ अनà¥à¤µà¤¾à¤¦ सहित उपलबà¥à¤˜ है। इनके अब तक अनेक संसà¥à¤•à¤°à¤£ छप चà¥à¤•à¥‡ हैं। पं. गà¥à¤°à¥à¤¦à¤¤à¥à¤¤ जी के कà¥à¤› पà¥à¤°à¤®à¥à¤– गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ वैदिक संजà¥à¤žà¤¾ विजà¥à¤žà¤¾à¤¨, ईश-मà¥à¤£à¥à¤¡à¤• व माणà¥à¤¡à¥‚कà¥à¤¯ उपनिषदों की वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾, इणà¥à¤¡à¤¿à¤¯à¤¨ विजडम, जीवातà¥à¤®à¤¾ की असिततà¥à¤µ के पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ आदि हैं। वैदिक संजà¥à¤žà¤¾ विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ को आकà¥à¤¸à¤«à¥‹à¤°à¥à¤¡ में पाठà¥à¤¯ कà¥à¤°à¤® में पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ किया गया था। हमारा सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ है कि हमारे पास यह सà¤à¥€ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ उपलबà¥à¤§ हैं और हमने इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पढ़ा à¤à¥€ है।
किसी à¤à¥€ महापà¥à¤°à¥à¤· पर à¤à¤• लेख में उनके जीवन व कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को समगà¥à¤°à¤¤à¤ƒ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ किया जाना समà¥à¤à¤µ नहीं होता। इसके लिठतो उनके समसà¥à¤¤ साहितà¥à¤¯ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करना ही उपयà¥à¤•à¥à¤¤ होता है। पं. गà¥à¤°à¥à¤¦à¤¤à¥à¤¤ विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ जी का जीवन बहà¥à¤†à¤¯à¤¾à¤®à¥€ जीवन है जो मनà¥à¤·à¥à¤¯ को शूनà¥à¤¯ से सफलता के शिखर पर ले जाता है। इनके जीवन व कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ कर हम अपने जीवन की दशा व दिशा निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ करने में सहयता ले सकते हैं। ईशà¥à¤µà¤° व वेद की शिकà¥à¤·à¤¾à¤“ं सहित ऋषि दयाननà¥à¤¦, समसà¥à¤¤ आरà¥à¤¯ महापà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ व पं. गà¥à¤°à¥à¤¦à¤¤à¥à¤¤ जी के जीवन के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° जीवन वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ करना ही उनके पà¥à¤°à¤¤à¤¿ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤‚जलि व जीवन के लिठलाà¤à¤•à¤¾à¤°à¥€ हो सकता है। पाठक पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ गà¥à¤°à¥à¤¦à¤¤à¥à¤¤ जी पर उपलबà¥à¤§ सà¤à¥€ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ को पढ़े, à¤à¤¸à¤¾ करना उनके लिठकलà¥à¤¯à¤¾à¤£à¤•à¤¾à¤°à¥€ व यश पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करने वाला होने के साथ आतà¥à¤® सनà¥à¤¤à¥‹à¤· व शानà¥à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने में सहायक होगा।
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