अविदà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ असतà¥à¤¯ धारà¥à¤®à¤¿à¤• मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं का खणà¥à¤¡à¤¨ और आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œâ€™
Author
Manmohan Kumar AryaDate
02-May-2016Category
शंका समाधानLanguage
HindiTotal Views
1146Total Comments
0Uploader
UmeshUpload Date
02-May-2016Download PDF
-0 MBTop Articles in this Category
- शांति पाà¤
- ईशवर-ईशवर खेलें
- कया आप सवामी हैं अथवा सेवक हैं
- कया वेशयावृति हमारी संसकृति का अंग है ?
- ईशवर व उसकी उपासना पदधतियां. क वा अनेक
Top Articles by this Author
- ईशवर
- बौदध-जैनमत, सवामी शंकराचारय और महरषि दयाननद के कारय
- अजञान मिशरित धारमिक मानयता
- यदि आरय समाज सथापित न होता तो कया होता ?
- ईशवर व ऋषियों के परतिनिधि व योगयतम उततराधिकारी महरषि दयाननद सरसवती
महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ वैदिक कालीन ऋषियों की परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ वाले वेदों के मंतà¥à¤°à¤¦à¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿà¤¾ ऋषि थे। वह सफल व सिदà¥à¤§ योगी होने के साथ समसà¥à¤¤ वैदिक व इतर धरà¥à¤®à¤¾à¤§à¤°à¥à¤® विषयक साहितà¥à¤¯ के पारदरà¥à¤¶à¥€ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ à¤à¥€ थे। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने मथà¥à¤°à¤¾ निवासी वैदिक वà¥à¤¯à¤¾à¤•à¤°à¤£ के सूरà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤œà¥à¤žà¤¾à¤šà¤•à¥à¤·à¥ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ विरजाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ से आरà¥à¤· वà¥à¤¯à¤¾à¤•à¤°à¤£ की अषà¥à¤Ÿà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€-महाà¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ पदà¥à¤§à¤¤à¤¿ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ किया था। इससे पूरà¥à¤µ à¤à¥€ अपने लगà¤à¤— 30 वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ के अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ काल (1833-1863) में उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ गà¥à¤°à¥à¤“ं वा विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ से लौकिक संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ वà¥à¤¯à¤¾à¤•à¤°à¤£ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ किया था। गृहतà¥à¤¯à¤¾à¤— के बाद के लगà¤à¤— 29 वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ में (1846-1875) आप देश के अनेक à¤à¤¾à¤—ों के अनेक लोगों के समà¥à¤ªà¤°à¥à¤• में आये। आपने देश में फैले हà¥à¤ नाना मत मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ सहित उनके आचारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ से समà¥à¤ªà¤°à¥à¤• कर उनके मत के गà¥à¤£à¤¾à¤—à¥à¤£à¥‹à¤‚ व विशेषताओं सहित उनमें निहित सतà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¤¤à¥à¤¯ को जानने का सतà¥à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ किया था। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ à¤à¤¸à¥‡ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ नहीं थे जो किसी à¤à¥€ अविदà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ वा मिथà¥à¤¯à¤¾ बात को बिना पूरी परीकà¥à¤·à¤¾ व सनà¥à¤¤à¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ के सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° कर लेते। यही कारण था कि à¤à¤¾à¤°à¤¤ के पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ सà¤à¥€ मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ को जानने व समà¤à¤¨à¥‡ पर à¤à¥€ उनकी तृपà¥à¤¤à¤¿ नहीं हà¥à¤ˆ थी। वह योग विदà¥à¤¯à¤¾ में पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤ हà¥à¤ और उसमें दिन पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ पà¥à¤°à¤—ति करते रहे। उसका उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने जीवन के अनà¥à¤¤à¤¿à¤® कà¥à¤·à¤£à¥‹à¤‚ तक अà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸ व पालन किया। नाना मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ में से वह किसी à¤à¤• मत के चकà¥à¤°à¤µà¥à¤¯à¥‚ह में नही फंसे। à¤à¤¸à¤¾ पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ होता है कि वह जान गये थे कि à¤à¤¾à¤°à¤¤ में पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ किसी à¤à¥€ मत-मतानà¥à¤¤à¤° में निरà¥à¤à¥à¤°à¤¾à¤‚त व सतà¥à¤¯ पर आधारित मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ नहीं हैं। उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ योग ही पà¥à¤°à¤¿à¤¯ पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ हà¥à¤† जिसका उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने मन-वचन-करà¥à¤® से कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤• अà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸ किया। इतना होने पर à¤à¥€ वह अà¤à¥€ सतà¥à¤¯ विदà¥à¤¯à¤¾ व सदà¥à¤œà¥à¤žà¤¾à¤¨ की उपलबà¥à¤§à¤¿ के लिठआशानà¥à¤µà¤¿à¤¤ व पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨à¤¶à¥€à¤² थे। सनॠ1857 का पà¥à¤°à¤¥à¤® सà¥à¤µà¤¤à¤¨à¥à¤¤à¥à¤°à¤¤à¤¾ संगà¥à¤°à¤¾à¤® हो जाने व उसके बाद देश में कà¥à¤› शानà¥à¤¤à¤¿ व सà¥à¤¥à¤¿à¤°à¤¤à¤¾ बहाल होने पर वह सनॠ1860 में मथà¥à¤°à¤¾ में दणà¥à¤¡à¥€ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ पà¥à¤°à¤œà¥à¤žà¤¾à¤šà¤•à¥à¤·à¥ दिवà¥à¤¯ गà¥à¤°à¥ विरजाननà¥à¤¦ की संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ पाठशाला में विदà¥à¤¯à¤¾ के अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ के लिठपहà¥à¤‚चते हैं और लगà¤à¤— 3 वरà¥à¤· अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ कर सफल मनोरथ व कृतकारà¥à¤¯ होते हैं। अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ पूरा होने पर गà¥à¤°à¥à¤œà¥€ से दीकà¥à¤·à¤¾ लेते हैं और गà¥à¤°à¥ की आजà¥à¤žà¤¾ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° असतà¥à¤¯ व अविदà¥à¤¯à¤¾ से गà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¤ मतों के खणà¥à¤¡à¤¨ व सतà¥à¤¯ वैदिक मत की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ के लिठपà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤ होते हैं।
महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ के जितने à¤à¥€ किंचित विसà¥à¤¤à¥ƒà¤¤ व संकà¥à¤·à¤¿à¤ªà¥à¤¤ उपदेश उपलबà¥à¤§ होते हैं उनसे यही पता चलता है कि वह वेद à¤à¤µà¤‚ वैदिक सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ का मणà¥à¤¡à¤¨ करते थे। वेद से इतर वेद विरà¥à¤¦à¥à¤§ मिथà¥à¤¯à¤¾ मतों का वह यà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿, तरà¥à¤• व वेद के पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ के आधार पर खणà¥à¤¡à¤¨ à¤à¥€ करते थे। वह सब शà¥à¤°à¥‹à¤¤à¤¾à¤“ं किंवा मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ के आचारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को चà¥à¤¨à¥Œà¤¤à¥€ à¤à¥€ देते थे कि वह अपने-अपने मत की मिथà¥à¤¯à¤¾ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं का निराकरण करें वा सतà¥à¤¯ मत वेद को अपनायें और यदि चाहें तो वह उनसे शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥, वारà¥à¤¤à¤¾à¤²à¤¾à¤ª, चरà¥à¤šà¤¾ व शंका समाधान à¤à¥€ कर सकते हैं। हमें यह देख कर आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ होता है कि उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सà¤à¥€ मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ की उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿, मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं à¤à¤µà¤‚ सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ का à¤à¥€ वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• जà¥à¤žà¤¾à¤¨ था। à¤à¤¸à¤¾ à¤à¥€ देखा गया है कि अनेक मतों के आचारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को अपने मत की मिथà¥à¤¯à¤¾ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं का परिचय नहीं होता था। वह तो अपने मत के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ अनà¥à¤§à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ व विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ के कारण उनको ‘बाबा वाकà¥à¤¯à¤‚ पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£à¤®à¥’ के आधार पर आंखे बनà¥à¤¦ कर सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करते थे और उनका पालन करते थे जबकि उनके मत सतà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¤¤à¥à¤¯ की दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से असतà¥à¤¯ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं से मिशà¥à¤°à¤¿à¤¤ होते थे। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ के सामने आकर वह सà¤à¥€ निरà¥à¤¤à¥à¤¤à¤° होकर लौट जाते थे। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ के पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° के कारण मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ के अनेकानेक विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ वा आचारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को अपने-अपने मत के मिथà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤µ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ हो गया था। वह उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ चà¥à¤¨à¥Œà¤¤à¥€ देने वा आमंतà¥à¤°à¤¿à¤¤ करने पर à¤à¥€ शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ व शंका समाधान तक के लिठउनके निकट नहीं आते थे और येन केन पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤°à¥‡à¤£ अपने मतानà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ जी की सà¤à¤¾à¤“ं में जाने के लिठनिषिदà¥à¤§ करते थे। पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ सà¤à¥€ मतानà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ यह थी कि वह अपने-अपने मत के आचारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤šà¤¿à¤¤ आदेश को मानते थे और सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ की सà¤à¤¾à¤“ं में नहीं आते थे। इससे अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ किया जा सकता है कि अपने-अपने मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ को अचà¥à¤›à¤¾ बताने वाले आचारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ की कà¥à¤¯à¤¾ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ थी। आज à¤à¥€ उस सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में कोई अधिक अनà¥à¤¤à¤° नहीं आया है। अब वह अधिक रूढि़वादी और कटà¥à¤Ÿà¤° हो गये हैं और अविदà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥à¤§à¤•à¤° से गà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¤, हठव दà¥à¤°à¤¾à¤—à¥à¤°à¤¹ आदि से घिरे हà¥à¤ हैं। अतः आज वेद मत के मणà¥à¤¡à¤¨ सहित मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ के खणà¥à¤¡à¤¨ की महती आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ बनी हà¥à¤ˆ है। à¤à¤¸à¤¾ होने पर ही मनà¥à¤·à¥à¤¯ जाति उनà¥à¤¨à¤¤ व अपने-अपने जीवन के उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ को पूरा करने में सफल हो सकती है अनà¥à¤¯à¤¥à¤¾ अविदà¥à¤¯à¤¾ के अनà¥à¤§à¤•à¤¾à¤° में पड़कर उनका यह मानव जीवन वà¥à¤¯à¤°à¥à¤¥ व नषà¥à¤Ÿ-à¤à¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿ हो जायेगा।
महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ने विशà¥à¤µ जन समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ पर à¤à¤• बहà¥à¤¤ बड़ा उपकार यह किया है कि उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपने समय में केवल मौखिक पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° ही नहीं किया अपितॠअपनी वैदिक विचारधारा, मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं व सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ के अनेक गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ का पà¥à¤°à¤£à¤¯à¤¨ à¤à¥€ किया। उनका पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ विशà¥à¤µ के धारà¥à¤®à¤¿à¤• व सामाजिक साहितà¥à¤¯ में अनà¥à¤¯à¤¤à¤® है। वेदों के बाद विशà¥à¤µ साहितà¥à¤¯ में सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤• महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ इस गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ की विशेषता यह है कि इसे 14 समà¥à¤²à¥à¤²à¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ वा अधà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥‹à¤‚ में लिखा गया है जिसमें पà¥à¤°à¤¥à¤® 10 अधà¥à¤¯à¤¾à¤¯ वैदिक मत का मणà¥à¤¡à¤¨ करते हà¥à¤ ईशà¥à¤µà¤°, जीव व पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ सहित सà¤à¥€ विषयों व सामाजिक मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं पर वैदिक दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¥‹à¤£ व विचारों को पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ करते हैं। इस अपूरà¥à¤µ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¤°à¤¤à¥à¤¨ में पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ सà¤à¥€ आवशà¥à¤¯à¤• विषयों की चरà¥à¤šà¤¾ कर तदà¥à¤µà¤¿à¤·à¤¯à¤• वैदिक दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¥‹à¤£ को तरà¥à¤• व यà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ सहित à¤à¤µà¤‚ अनेक सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ पर पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨à¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤° शैली में पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ कर उसे सरल व सहज बना दिया गया है। इन सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ की सतà¥à¤¯à¤¤à¤¾ का विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ à¤à¤• साधारण हिनà¥à¤¦à¥€ पाठी मनà¥à¤·à¥à¤¯ à¤à¥€ आसानी से कर सकता है जो कि इस गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ की रचना से पूरà¥à¤µ कदापि समà¥à¤à¤µ नहीं था। संसार में अनेक लोगों ने इस गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ को पढ़ा है और इससे सहमत होकर अपना मत परिवरà¥à¤¤à¤¨ कर आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€ बने हैं। आज आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ में जितने à¤à¥€ सदसà¥à¤¯ व परिवार हैं वह सब पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ के अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ व पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° का ही परिणाम है। संसार में किसी विदà¥à¤µà¤¾à¤¨, मताचारà¥à¤¯ व मतानà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€ में यह योगà¥à¤¯à¤¤à¤¾ नहीं है कि वह सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ के पà¥à¤°à¤¥à¤® से दशम समà¥à¤²à¥à¤²à¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ में वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ विचारों, मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं, सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ सहित उसमें दी गई तरà¥à¤• व यà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का खणà¥à¤¡à¤¨ कर सकें। यदि कà¤à¥€ किसी ने à¤à¤¸à¤¾ करने का पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ किया है तो उसका आरà¥à¤¯ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ ने तरà¥à¤•, यà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ व पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ सहित समाधान कर दिया है। यह कोई सामानà¥à¤¯ नहीं अपितॠअसाधारण बात है।
वैदिक सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ के आदरà¥à¤¶ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ में वैदिक मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं का विसà¥à¤¤à¤¾à¤° से उलà¥à¤²à¥‡à¤– करने के बाद सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ उसके उतà¥à¤¤à¤° à¤à¤¾à¤— में आरà¥à¤¯à¤µà¤°à¥à¤¤à¥€à¤¯ व आरà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¥à¤¤à¥à¤¤ से बाहर के देशों में उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ मतों की समीकà¥à¤·à¤¾ करते हैं जिसमें सतà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¤¤à¥à¤¯ की परीकà¥à¤·à¤¾ करते हà¥à¤ असतà¥à¤¯ विचारों व मानà¥à¤¤à¤¯à¤“ं का खणà¥à¤¡à¤¨ à¤à¥€ किया गया है। सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ का गà¥à¤¯à¤¾à¤°à¤¹à¤µà¤¾à¤‚ समà¥à¤²à¥à¤²à¤¾à¤¸ आरà¥à¤¯à¤µà¤°à¥à¤¤à¥€à¤¯ आसà¥à¤¤à¤¿à¤• मतों की समीकà¥à¤·à¤¾ व खणà¥à¤¡à¤¨ में लिखा गया है जिसका आरमà¥à¤ अनà¥à¤à¥‚मिका से होता है। यह à¤à¥‚मिका बहà¥à¤¤ महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ à¤à¤µà¤‚ विसà¥à¤¤à¥ƒà¤¤ है। इस अनà¥à¤à¥‚मिका में महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ने मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ के खणà¥à¤¡à¤¨ में अपनी निषà¥à¤ªà¤•à¥à¤· व सà¤à¥€ मतों के मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ अपनी सदà¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ को पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¿à¤¤ किया है। उनके अनमोल व सà¥à¤µà¤°à¥à¤£à¤¿à¤® वाकà¥à¤¯ हैं कि यह सिदà¥à¤§ बात है कि पांच सहसà¥à¤° वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ के पूरà¥à¤µ वेदमत से à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ दूसरा कोई à¤à¥€ मत à¤à¥‚गोल में न था कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि वेदोकà¥à¤¤ सब बातें विदà¥à¤¯à¤¾ से अविरà¥à¤¦à¥à¤§ हैं। वेदों की अपà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿ होने का कारण महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ यà¥à¤¦à¥à¤§ हà¥à¤†à¥¤ इन (वेदों) की अपà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿ से अविदà¥à¤¯à¤¾à¤½à¤¨à¥à¤§à¤•à¤¾à¤° के à¤à¥‚गोल में विसà¥à¤¤à¥ƒà¤¤ होने से मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ की बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ à¤à¥à¤°à¤®à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ होकर जिस के मन में जैसा आया वैसा मत चलाया। इन सब मतों में 4 चार मत अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ जो वेद-विरà¥à¤¦à¥à¤§ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€, जैनी, किरानी और कà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ (अनà¥à¤¯) सब मतों (मतों की शाखा-पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤–ा रूप इकाईयों) के मूल हैं, वे कà¥à¤°à¤® से à¤à¤• के पीछे दूसरा, तीसरा, चौथा चला है। अब इन चारों की शाखा à¤à¤• सहसà¥à¤° से कम नहीं हैं। इन सब मतवादियों, इनके चेलों और अनà¥à¤¯ सब को परसà¥à¤ªà¤° सतà¥à¤¯à¤¾à¤½à¤¸à¤¤à¥à¤¯ के विचार करने में अधिक परिशà¥à¤°à¤® न हो इसलिठयह गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ (सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶) बनाया है। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ आगे लिखते हैं कि जो-जो इस में सतà¥à¤¯ मत का मणà¥à¤¡à¤¨ और असतà¥à¤¯ मत का खणà¥à¤¡à¤¨ लिखा है वह सब को जनाना ही पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤œà¤¨ समà¤à¤¾ गया है। इसमें जैसी मेरी बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿, जितनी विदà¥à¤¯à¤¾ और जितना इन चारों मतों के मूल गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ देखने से बोध हà¥à¤† है उसको सब के आगे निवेदित कर देना मैंने उतà¥à¤¤à¤® समà¤à¤¾ है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ (धरà¥à¤® व समाज विषयक सतà¥à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨) गà¥à¤ªà¥à¤¤ (विलà¥à¤ªà¥à¤¤) हà¥à¤ का पà¥à¤¨à¤°à¥à¤®à¤¿à¤²à¤¨à¤¾ सहज नहीं है। पकà¥à¤·à¤ªà¤¾à¤¤ छोड़कर इस (सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥) को देखने से सतà¥à¤¯à¤¾à¤½à¤¸à¤¤à¥à¤¯ मत सब को विदित हो जायेगा। पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ सब को अपनी-अपनी समठके अनà¥à¤¸à¤¾à¤° सतà¥à¤¯à¤®à¤¤ का गà¥à¤°à¤¹à¤£ करना और असतà¥à¤¯ मत को छोड़ना सहज होगा। इन में से जो पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¾à¤¦à¤¿ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ से शाखा शाखानà¥à¤¤à¤° रूप मत आरà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¥à¤¤à¥à¤¤ देश में चले हैं उन का संकà¥à¤·à¥‡à¤ª से गà¥à¤£ व दोष इस (सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ के) गà¥à¤¯à¤¾à¤°à¤¹à¤µà¥‡à¤‚ समà¥à¤²à¥à¤²à¤¾à¤¸ में दिखलाया जाता है। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ सà¤à¥€ मतों के लोगों से अपेकà¥à¤·à¤¾ करते हà¥à¤ कहते हैं कि ‘इस मेरे करà¥à¤® से यदि उपकार न मानें तो विरोध à¤à¥€ न करें। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि मेरा तातà¥à¤ªà¤°à¥à¤¯ किसी की हानि वा विरोध करने में नहीं किनà¥à¤¤à¥ सतà¥à¤¯à¤¾à¤½à¤¸à¤¤à¥à¤¯ का निरà¥à¤£à¤¯ करने-कराने का है। इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° सब मà¥à¤¨à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¦à¥ƒà¤·à¥à¤Ÿà¤¿ से वरà¥à¤¤à¤¨à¤¾ अति उचित है। मनà¥à¤·à¥à¤¯ जनà¥à¤® का होना सतà¥à¤¯à¤¾à¤½à¤¸à¤¤à¥à¤¯ का निरà¥à¤£à¤¯ करने कराने के लिये है न कि वाद-विवाद विरोध करने कराने के लिये। इसी मत-मतानà¥à¤¤à¤° के विचार से जगतॠमें जो-जो अनिषà¥à¤Ÿ फल हà¥à¤, होते हैं और आगे होंगे, उन को पकà¥à¤·à¤ªà¤¾à¤¤à¤°à¤¹à¤¿à¤¤ विदà¥à¤µà¤œà¥à¤œà¤¨ जान सकते
ALL COMMENTS (0)