आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ के समय ऋषि दयाननà¥à¤¦ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ की गई आशंका’
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Manmohan Kumar AryaDate
10-May-2016Category
विविधLanguage
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UmeshUpload Date
10-May-2016Download PDF
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महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ने 10 अपà¥à¤°à¥ˆà¤², सनॠ1875 के दिन मà¥à¤®à¥à¤¬à¤ˆ के गिरगांव मोहलà¥à¤²à¥‡ में पà¥à¤°à¤¥à¤® आरà¥à¤¯ समाज की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ की थी। वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ में यह आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ काकाड़वाडी के नाम से पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ है। हमारा सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ है कि वरà¥à¤·, 1992 में à¤à¤• बार हमें इस आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ में जाने व वहां पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒà¤•à¤¾à¤²à¥€à¤¨ यजà¥à¤ž में यजमान के आसन पर बैठने का अवसर मिला। आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ अनà¥à¤¯ धारà¥à¤®à¤¿à¤• संसà¥à¤¥à¤¾à¤“ं की तरह कोई संसà¥à¤¥à¤¾ या पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ मतों की à¤à¤¾à¤‚ति कोई नवीन मत नहीं था। यह à¤à¤• धारà¥à¤®à¤¿à¤• व सामाजिक आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ था जिसका उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ काल के बाद वैदिक धरà¥à¤® में आई अशà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚, अजà¥à¤žà¤¾à¤¨, अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ व कà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ आदि का संशोधन कर, वेद के आदरà¥à¤¶ ‘कृणà¥à¤µà¤¨à¥à¤¤à¥‹ विशà¥à¤µà¤®à¤¾à¤°à¥à¤¯à¤®à¥’ वा सतà¥à¤¯ वैदिक मत का पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° कर उसको देश देशानà¥à¤¤à¤° में पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ित करना था। यह सà¥à¤µà¤¿à¤¦à¤¿à¤¤ है कि जब महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ जी ने आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ की, उस समय देश अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹à¤‚ का गà¥à¤²à¤¾à¤® था। महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ काल के बाद लगà¤à¤— 5,000 वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ से लोग अजà¥à¤žà¤¾à¤¨, अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ सहित गà¥à¤²à¤¾à¤®à¥€ का जीवन बिताने के कारण वह कà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के à¤à¤• पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से अà¤à¥à¤¯à¤¸à¥à¤¤ हो गये थे। बहà¥à¤¤ से लोगों को महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ के सà¥à¤§à¤¾à¤° व असतà¥à¤¯ मतों के खणà¥à¤¡à¤¨ के पीछे मनà¥à¤·à¥à¤¯ व देशहित की छिपी à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ के दरà¥à¤¶à¤¨ नही होते थे। उस समय की अवसà¥à¤¥à¤¾ के विषय में यह कह सकते हैं कि अधिकांश देशवासियों के जà¥à¤žà¤¾à¤¨ चकà¥à¤·à¥ अति मनà¥à¤¦ दृषà¥à¤Ÿà¤¿ के समान हो गये थे जिसमें उनको अपना सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ हित à¤à¥€ दिखाई देना बनà¥à¤¦ हो गया था और वह à¤à¤• पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से विनाशकारी मारà¥à¤—, अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ व कà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का मारà¥à¤—, पर चल रहे थे। उनमें से अधिकांश अपनी अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¤à¤¾ व कà¥à¤› अपने सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥à¥‹à¤‚ को बनायें व बचायें रखने के लिठउनका विरोध करते थे। ऋषि दयाननà¥à¤¦ के विचारों व मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं में सà¥à¤µà¤¦à¥‡à¤¶ à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ वा सà¥à¤µà¤¦à¥‡à¤¶ पà¥à¤°à¥‡à¤® की मातà¥à¤°à¤¾ à¤à¥€ विशेष उनà¥à¤¨à¤¤ व पà¥à¤°à¤–र थी। इस कारण अंगà¥à¤°à¥‡à¤œ à¤à¥€ आनà¥à¤¤à¤°à¤¿à¤• व गà¥à¤ªà¥à¤¤ रूप से उनके विरोधी व शतà¥à¤°à¥ थे। à¤à¤¸à¥€ परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में ऋषि दयाननà¥à¤¦ ने वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿, समाज व देश के सà¥à¤§à¤¾à¤° के लिठआरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ की। इस सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ के समय ही महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ने आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ से जà¥à¥œà¤¼à¤¨à¥‡ वाले लोगों को à¤à¤• चेतावनी à¤à¥€ दी थी जिसे हम आज पाठकों को जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¾à¤°à¥à¤¥ पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ कर रहे हैं।
महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ इस अवसर पर कहे गये शबà¥à¤¦ लिखित रूप में उपलबà¥à¤§ हैं। वह सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ के समय उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ सà¤à¥€ लोगों का आहà¥à¤µà¤¾à¤¨ करते हà¥à¤ कहते हैं कि ‘आप यदि समाज (बनाकर इस) से (मिलकर सामूहिक) पà¥à¤°à¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥ कर परोपकार कर सकते हों, (तो) समाज कर लो (बना लो), इस में मेरी कोई मनाई नहीं। परनà¥à¤¤à¥ इसमें यथोचित वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ न रखोगे तो आगे गड़बड़ाधà¥à¤¯à¤¾à¤¯ (अवà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾) हो जाà¤à¤—ा। मैं तो मातà¥à¤° जैसा अनà¥à¤¯ को उपदेश करता हूं वैसा ही आपको à¤à¥€ करूंगा और इतना लकà¥à¤· में रखना कि कोई सà¥à¤µà¤¤à¤¨à¥à¤¤à¥à¤° मेरा मत नहीं है। और मैं सरà¥à¤µà¤œà¥à¤ž à¤à¥€ नहीं हूं। इस से यदि कोई मेरी गलती आगे पाइ जाà¤, यà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• परीकà¥à¤·à¤¾ करके इस को à¤à¥€ सà¥à¤§à¤¾à¤° लेना। यदि à¤à¤¸à¤¾ न करोगे तो आगे यह à¤à¥€ à¤à¤• मत हो जायेगा, और इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से बाबा वाकà¥à¤¯à¤‚ पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£à¤‚ करके इस à¤à¤¾à¤°à¤¤ में नाना पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के मत-मतानà¥à¤¤à¤° पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ होके, à¤à¥€à¤¤à¤° à¤à¥€à¤¤à¤° दà¥à¤°à¤¾à¤—à¥à¤°à¤¹ रखके धरà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤§ होके (आपस में) लड़के नाना पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की सदà¥à¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾ का नाश करके यह à¤à¤¾à¤°à¤¤à¤µà¤°à¥à¤· दà¥à¤°à¥à¤¦à¤¶à¤¾ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤† है इसमें, यह (आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ) à¤à¥€ à¤à¤• मत बà¥à¥‡à¤—ा। मेरा अà¤à¤¿à¤ªà¥à¤°à¤¾à¤¯ तो है कि इस à¤à¤¾à¤°à¤¤à¤µà¤°à¥à¤· में नाना पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के मतमतानà¥à¤¤à¤° पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ है वो à¤à¥€ (व) वे सब वेदों को मानते हैं, इस से वेदशासà¥à¤¤à¥à¤°à¤°à¥‚पी समà¥à¤¦à¥à¤° में यह सब नदी नाव पà¥à¤¨à¤ƒ मिला देने से धरà¥à¤® à¤à¤•à¥à¤¯à¤¤à¤¾ होगी और धरà¥à¤® à¤à¤•à¥à¤¯à¤¤à¤¾ से सांसारिक और वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤°à¤¿à¤• सà¥à¤§à¤¾à¤°à¤£à¤¾ होगी और इससे कला कौशलà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ सब अà¤à¥€à¤·à¥à¤Ÿ सà¥à¤§à¤¾à¤° होके मनà¥à¤·à¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤° का जीवन सफल होके अनà¥à¤¤ में अपने धरà¥à¤® (के) बल से अरà¥à¤¥ काम और मोकà¥à¤· मिल सकता है।’
महरà¥à¤·à¤¿ धरà¥à¤® संशोधक ऋषि व समाज सà¥à¤§à¤¾à¤°à¤• महामानव थे। उनसे पूरà¥à¤µ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ किसी धरà¥à¤® पà¥à¤°à¤µà¤°à¥à¤¤à¤• वा समाज संशोधक ने अपने विषय में à¤à¤¸à¥‡ उतà¥à¤¤à¤® विचार वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ नहीं किये। यदि किये à¤à¥€ होंगे तो उनके शिषà¥à¤¯à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ उनका रकà¥à¤·à¤£ नहीं किया गया। इन विचारों को वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ करने से ऋषि दयाननà¥à¤¦ à¤à¤• अपूरà¥à¤µ निःसà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ व निषà¥à¤ªà¤•à¥à¤· महातà¥à¤®à¤¾ तथा आदरà¥à¤¶ धरà¥à¤® संशोधक समाज सà¥à¤§à¤¾à¤°à¤• ऋषि सिदà¥à¤§ होते हैं। ऋषि दयाननà¥à¤¦ ने जो आशंका वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ की थी उसका पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ हम आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के संगठन में देख सकते हैं। आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ का संगठन गà¥à¤Ÿà¤¬à¤¾à¤œà¥€ व अयोगà¥à¤¯ लोगों के पदों पर पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ित होने से तà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤ है। सà¤à¤¾à¤“ं में à¤à¥€ à¤à¤—ड़े देखने को मिलते हैं। इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ समापà¥à¤¤ करने के à¤à¥à¤Ÿ पà¥à¤Ÿ पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ à¤à¥€ हाते हैं परनà¥à¤¤à¥ सफलता नहीं मिलती। इसका मूल कारण अविदà¥à¤¯à¤¾ है जिसे दूर नही किया जा सक रहा है। यही कारण है कि आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के सामने मनà¥à¤·à¥à¤¯ के जीवन व चरितà¥à¤° के सà¥à¤§à¤¾à¤° सहित जीवन निरà¥à¤®à¤¾à¤£ का जो महान लकà¥à¤·à¥à¤¯ था, वह पूरा न हो सका। हम आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के सà¤à¥€ अधिकारियों व सदसà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को ऋषि दयाननà¥à¤¦ के उपरà¥à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ विचारों पर धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ देने व विचार करने का अनà¥à¤°à¥‹à¤§ करते हैं। यदि हमने ऋषि के सनà¥à¤¦à¥‡à¤¶ को समठकर, अपनी अविदà¥à¤¯à¤¾ को हटाकर, उसको आचरण में ले लिया तो पूरà¥à¤µ की à¤à¤¾à¤‚ति आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ सहित देश का कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ हो सकता है। इसी के साथ इन पंकà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को विराम देते हैं।
मानà¥à¤¯ मनमोहन जी,आपका सदà¥à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ सà¥à¤¤à¥à¤¤à¥à¤¯ है, आपने पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ लेखराम के विचारों का à¤à¤• सचà¥à¤šà¥‡ आरà¥à¤¯ समाजी के रूप में पालन किया है, आपके लगà¤à¤— सà¤à¥€ लेख मà¥à¤à¥‡ मेल से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो रहे है तथा मैंने इनà¥à¤¹à¥‡ धरोहर के रूप में समà¥à¤à¤¾à¤²à¤•à¤° रखा है। ईशà¥à¤µà¤° आपको सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ व दीरà¥à¤˜ जीवन देवे।