सदà¥à¤µà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤• पà¥à¤°à¤¸à¤‚ग


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Acharya AnoopdevDate
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Vikas KumarUpload Date
18-Jul-2019Download PDF
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à¤à¤• राजा था। उसने à¤à¤• सपना देखा। सपने में उससे à¤à¤• परोपकारी साधॠकह रहा था कि, बेटा ! कल रात को तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ à¤à¤• विषैला सांप काटेगा और उसके काटने से तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥€ मृतà¥à¤¯à¥ हो जाà¤à¤—ी। वह सरà¥à¤ª अमà¥à¤• पेड़ की जड़ में रहता है। वह तà¥à¤®à¤¸à¥‡ पूरà¥à¤µ जनà¥à¤® की शतà¥à¤°à¥à¤¤à¤¾ का बदला लेना चाहता है।
सà¥à¤¬à¤¹ हà¥à¤ˆà¥¤ राजा सोकर उठा। और सपने की बात अपनी आतà¥à¤®à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ के लिठकà¥à¤¯à¤¾ उपाय करना चाहिà¤? इसे लेकर विचार करने लगा।
सोचते- सोचते राजा इस निरà¥à¤£à¤¯ पर पहà¥à¤‚चा कि मधà¥à¤° वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° से बà¥à¤•र शतà¥à¤°à¥ को जीतने वाला और कोई हथियार इस पृथà¥à¤µà¥€ पर नहीं है। उसने सरà¥à¤ª के साथ मधà¥à¤° वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° करके उसका मन बदल देने का निशà¥à¤šà¤¯ किया।
शाम होते ही राजा ने उस पेड़ की जड़ से लेकर अपनी शयà¥à¤¯à¤¾ तक फूलों का बिछौना बिछवा दिया, सà¥à¤—नà¥à¤§à¤¿à¤¤ जलों का छिड़काव करवाया, मीठे दूध के कटोरे जगह जगह रखवा दिये और सेवकों से कह दिया कि रात को जब सरà¥à¤ª निकले तो कोई उसे किसी पà¥à¤°à¤•ार कषà¥à¤Ÿ पहà¥à¤‚चाने की कोशिश न करें।
रात को सांप अपनी बांबी में से बाहर निकला और राजा के महल की तरफ चल दिया। वह जैसे आगे बà¥à¤¤à¤¾ गया, अपने लिठकी गई सà¥à¤µà¤¾à¤—त वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ को देख देखकर आननà¥à¤¦à¤¿à¤¤ होता गया। कोमल बिछौने पर लेटता हà¥à¤† मनà¤à¤¾à¤µà¤¨à¥€ सà¥à¤—नà¥à¤§ का रसासà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤¨ करता हà¥à¤†, जगह-जगह पर मीठा दूध पीता हà¥à¤† आगे बà¥à¤¤à¤¾ था।
इस तरह कà¥à¤°à¥‹à¤§ के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर सनà¥à¤¤à¥‹à¤· और पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¾ के à¤à¤¾à¤µ उसमें बà¥à¤¨à¥‡ लगे। जैसे-जैसे वह आगे चलता गया, वैसे ही वैसे उसका कà¥à¤°à¥‹à¤§ कम होता गया। राजमहल में जब वह पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ करने लगा तो देखा कि पà¥à¤°à¤¹à¤°à¥€ और दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤ªà¤¾à¤² सशसà¥à¤¤à¥à¤° खड़े हैं, परनà¥à¤¤à¥ उसे जरा à¤à¥€ हानि पहà¥à¤‚चाने की चेषà¥à¤Ÿà¤¾ नहीं करते।
यह असाधारण सी लगने वाले दृशà¥à¤¯ देखकर सांप के मन में सà¥à¤¨à¥‡à¤¹ उमड़ आया।
सदà¥à¤µà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤°, नमà¥à¤°à¤¤à¤¾, मधà¥à¤°à¤¤à¤¾ के जादू ने उसे मंतà¥à¤°à¤®à¥à¤—à¥à¤§ कर लिया था। कहां वह राजा को काटने चला था, परनà¥à¤¤à¥ अब उसके लिठअपना कारà¥à¤¯ असंà¤à¤µ हो गया। हानि पहà¥à¤‚चाने के लिठआने वाले शतà¥à¤°à¥ के साथ जिसका à¤à¤¸à¤¾ मधà¥à¤° वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° है, उस धरà¥à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¾ राजा को काटूं तो किस पà¥à¤°à¤•ार काटूं? यह पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ के चलते वह दà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ में पड़ गया।
राजा के पलंग तक जाने तक सांप का निशà¥à¤šà¤¯ पूरी तरह से बदल गया। उधर समय से कà¥à¤› देर बाद सांप राजा के शयन ककà¥à¤· में पहà¥à¤‚चा। सांप ने राजा से कहा, राजन! मैं तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ काटकर अपने पूरà¥à¤µ जनà¥à¤® का बदला चà¥à¤•ाने आया था, परनà¥à¤¤à¥ तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ सौजनà¥à¤¯ और सदà¥à¤µà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° ने मà¥à¤à¥‡ परासà¥à¤¤ कर दिया।
अब मैं तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¤¾ शतà¥à¤°à¥ नहीं मितà¥à¤° हूं। मितà¥à¤°à¤¤à¤¾ के उपहार सà¥à¤µà¤°à¥‚प अपनी बहà¥à¤®à¥‚लà¥à¤¯ मणि मैं तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ दे रहा हूं। लो इसे अपने पास रखो। इतना कहकर और मणि राजा के सामने रखकर सांप चला गया।
*संकà¥à¤·à¥‡à¤ª*
*यह महज कहानी नहीं जीवन की सचà¥à¤šà¤¾à¤ˆ है। अचà¥à¤›à¤¾ वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° कठिन से कठिन कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को सरल बनाने का मादà¥à¤¦à¤¾ रखता है। यदि वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° कà¥à¤¶à¤² है तो वो सब कà¥à¤› पा सकता है जो पाने की वो हारà¥à¤¦à¤¿à¤• इचà¥à¤›à¤¾ रखता है।*
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