सà¥à¤–ी जीवन के लिठसतà¥à¤¸à¤‚ग करें


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Acharya AnoopdevDate
22-Jul-2019Category
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HindiTotal Views
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Vikas KumarUpload Date
22-Jul-2019Download PDF
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हर वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ ये चाहता कि हमारे आस–पास का वातावरण सà¤à¥à¤¯ और संसà¥à¤•ारी समाज से à¤à¤°à¤¾ हो, जिससे हमारे बचà¥à¤šà¥‡ अचà¥à¤›à¥‡ आचरण, अचà¥à¤›à¥‡ वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤°, अचà¥à¤›à¥‡ संसà¥à¤•ार सीख सकें। इसके लिठहमें विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ का संग, अचà¥à¤›à¥‡ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ का सà¥à¤µà¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ और महापà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ कि जीवनी इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ को पà¥à¤¨à¤¾ चाहिà¤à¥¤ लेकिन हम à¤à¤¸à¤¾ नही करते हैं, जिससे हमारे बचà¥à¤šà¥‡ कà¥à¤¸à¤‚सà¥à¤•ार में पड़कर अपने जीवन को बरà¥à¤¬à¤¾à¤¦ कर रहे हैं जिससे हर माता-पिता दà¥à¤–ी है और इस समसà¥à¤¯à¤¾ को लेकर। यदि हमें सà¥à¤–ी रहना है तो अपने जीवन में संसà¥à¤•ार को अपनाना पड़ेगा। आज हम जानते हैं कि सतà¥à¤¸à¤‚ग के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ कैसे अपने जीवन को सà¥à¤–मय बना सकते हैं।
मनà¥à¤·à¥à¤¯ के जीवन में सतà¥à¤¸à¤‚ग का विशेष महतà¥à¤µ है, सतà¥à¤¸à¤‚ग à¤à¤• पà¥à¤°à¤•ार का औषधालय है, जो आतà¥à¤®à¤¾ का उपचार करता है। जिस पà¥à¤°à¤•ार à¤à¤• रोगी वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ शारीरिक उपचार के लिठचिकितà¥à¤¸à¤• के पास जाता है, उसके परामरà¥à¤¶ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° नियमित दवा का सेवन कर रोग से मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ पाता है।
जो वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ सतà¥à¤¸à¤‚ग करता है, उसकी आतà¥à¤®à¤¾ की मलीनता का धीरे-धीरे नाश हो जाता है।
सतà¥à¤¸à¤‚ग किसे कहते हैं ?
सतà¥à¤¸à¤‚ग – सतां-संग: -सतà¥à¤¸à¤‚ग:, अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ सजà¥à¤œà¤¨ पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ का या सजà¥à¤œà¤¨ पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ से संग-समागम करना चाहिà¤à¥¤ उनके मनोहर उपदेश सà¥à¤¨à¤¨à¤¾ और उन पर आचरण कर बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤šà¤°à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ उतà¥à¤¤à¤® वà¥à¤°à¤¤à¥‹à¤‚ का पालन करना ही सतà¥à¤¸à¤‚ग कहलाता है।
हमारे शासà¥à¤¤à¥à¤° सतà¥à¤¸à¤‚ग की महिमा से à¤à¤°à¥‡ पड़े हैं। सजà¥à¤œà¤¨à¥‹à¤‚ का संग करने से हमारे जीवन में पवितà¥à¤°à¤¤à¤¾ आà¤à¤—ी, जिससे हम अपने वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ की ओर अगà¥à¤°à¤¸à¤° हो सकेंगे। सतà¥à¤¸à¤‚ग की महिमा अपार है।
किसी कवि ने कितना सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° कहा है-
चनà¥à¤¦à¤¨à¤‚ शीतलं लोके चनà¥à¤¦à¤¨à¤¾à¤¦à¤ªà¤¿ चनà¥à¤¦à¥à¤°à¤®à¤¾:।
चनà¥à¤¦à¥à¤°à¤šà¤¨à¥à¤¦à¤¨à¤¯à¥‹à¤°à¥à¤®à¤§à¥à¤¯à¥‡ शीतला साधà¥à¤¸à¤‚गति:।।
अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ संसार में चनà¥à¤¦à¤¨ को शीतल माना जाता है। चनà¥à¤¦à¥à¤°à¤®à¤¾ की सौमà¥à¤¯ किरणें तो उससे à¤à¥€ अधिक शीतलतर है। किनà¥à¤¤à¥ चनà¥à¤¦à¤¨ और चनà¥à¤¦à¥à¤°à¤®à¤¾ से à¤à¥€ अधिक शीतलतम साधà¥-संगति=साधॠमहातà¥à¤®à¤¾à¤“ं का सतà¥à¤¸à¤‚ग है।
अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦ में उतà¥à¤¤à¤® और अधम पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ के संग का वरà¥à¤£à¤¨ करते हà¥à¤ बतलाया है-
दूरे पूरà¥à¤£à¥‡à¤¨ वसति दूरे ऊनेन हीयते।
महदà¥à¤¯à¤•à¥à¤·à¤‚ à¤à¥à¤µà¤¨à¤¸à¥à¤¯ मधà¥à¤¯à¥‡ तसà¥à¤®à¥ˆ बलि राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤à¥ƒà¤¤à¥‹ à¤à¤°à¤¨à¥à¤¤à¤¿à¥¤à¥¤
अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥- उतà¥à¤¤à¤® के साथ रहने से (दूरे वसति) सामानà¥à¤¯ जनों से दूर रहता है। (ऊनेन) हीन के साथ रहने से à¤à¥€ (दूरे हीयते) पतित हो जाता है। (à¤à¥à¤µà¤¨à¤¸à¥à¤¯ मधà¥à¤¯à¥‡) सब लोक-लोकानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ में à¤à¤• सबसे बड़ा पूजनीय देव परमातà¥à¤®à¤¾ है (तसà¥à¤®à¥ˆ) उसी के लिठ(राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤à¥ƒà¤¤: à¤à¤°à¤¨à¥à¤¤à¤¿) राषà¥à¤Ÿà¥à¤° को धारण करने वाले शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ पà¥à¤°à¥à¤· à¤à¥‡à¤‚ट अरà¥à¤ªà¤£ करते हैं।
यदà¥à¤¯à¤ªà¤¿ दूर तो दोनों ही होते हैं, परनà¥à¤¤à¥ उतà¥à¤¤à¤® का संग करने वाला आदरणीय तथा अधम का साथी निनà¥à¤¦à¤¨à¥€à¤¯ होता है।
आचारà¥à¤¯ चाणकà¥à¤¯ ने तो दà¥à¤°à¥à¤œà¤¨à¥‹à¤‚ को सरà¥à¤ª से à¤à¤¯à¤‚कर बतलाया है-
सरà¥à¤ªà¤¶à¥à¤š दà¥à¤°à¥à¤œà¤¨à¤¶à¥à¤šà¥ˆà¤µ वरं सरà¥à¤ªà¥à¤¨à¥‹ न दà¥à¤°à¥à¤œà¤¨:।
सरà¥à¤ªà¥‹ दशति काले दà¥à¤°à¥à¤œà¤¨à¤¸à¥à¤¤à¥ पदे-पदे।।
अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ सरà¥à¤ª और दà¥à¤°à¥à¤œà¤¨ में से सरà¥à¤ª ही अचà¥à¤›à¤¾ है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि सरà¥à¤ª तो काल आने पर काटता है लेकिन दà¥à¤°à¥à¤œà¤¨ तो पग-पग पर पà¥à¤°à¤¹à¤¾à¤° करता है।
दà¥à¤·à¥à¤Ÿà¥‹à¤‚ की मैतà¥à¤°à¥€ कà¤à¥€ सà¥à¤¥à¤¿à¤° नहीं रहती। विषà¥à¤£à¥ शरà¥à¤®à¤¾ ने पंचतंतà¥à¤° में कहा है-
आरमà¥à¤à¤—à¥à¤°à¥à¤µà¥€ कà¥à¤·à¤¯à¤¿à¤£à¥€ कà¥à¤°à¤®à¥‡à¤£,
लघà¥à¤µà¥€ पà¥à¤°à¤¾ बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤®à¤¤à¥€ च पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥à¥¤
दिनसà¥à¤¯ पूरà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¦à¥à¤§à¤ªà¤°à¤¾à¤°à¥à¤¦à¥à¤§à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨à¤¾,
छायेव मैतà¥à¤°à¥€ खलसजà¥à¤œà¤¨à¤¾à¤¨à¤¾à¤®à¥à¥¤à¥¤
अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ दà¥à¤°à¥à¤œà¤¨à¥‹à¤‚ की मितà¥à¤°à¤¤à¤¾ आरमà¥à¤ में बहà¥à¤¤ बड़ी होती है, किनà¥à¤¤à¥ उतà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤° घटती ही जाती है, जैसे- पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒà¤•ाल छाया बहà¥à¤¤ बड़ी होती है, किनà¥à¤¤à¥ दोपहर तक कम होकर नà¥à¤¯à¥‚नतम रह जाती है। इसके विपरीत सजà¥à¤œà¤¨à¥‹à¤‚ की मितà¥à¤°à¤¤à¤¾ आरमà¥à¤ में नाममातà¥à¤° होती है, किनà¥à¤¤à¥ उतà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤° बà¥à¤¤à¥€ जाती है। इसलिठदà¥à¤°à¥à¤œà¤¨à¥‹à¤‚ की मितà¥à¤°à¤¤à¤¾ को पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ में फूला-फूला देखकर उसमें फंसना नहीं चाहिà¤à¥¤ अतः हमेशा सजà¥à¤œà¤¨à¥‹à¤‚ का संग करना चाहिà¤à¥¤ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि-
मलयाचलगनà¥à¤§à¤¨à¥‡à¤¨ तà¥à¤µà¤¿à¤¨à¥à¤§à¤¨à¤‚ चनà¥à¤¦à¤¨à¤¾à¤¯à¤¤à¥‡à¥¤
तथा सजà¥à¤œà¤¨à¤¸à¤‚गेन दà¥à¤°à¥à¤œà¤¨: सजà¥à¤œà¤¨à¤¾à¤¯à¤¤à¥‡à¥¤à¥¤
अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ जैसे मलयाचल चनà¥à¤¦à¤¨ के परà¥à¤µà¤¤ पर निकट का इंधन à¤à¥€ चनà¥à¤¦à¤¨ बन जाता है, उसमें à¤à¥€ चनà¥à¤¦à¤¨ जैसी सà¥à¤—नà¥à¤§ आने लगती है, ठीक उसी पà¥à¤°à¤•ार सजà¥à¤œà¤¨à¥‹à¤‚ की संगति से दà¥à¤°à¥à¤œà¤¨ à¤à¥€ सजà¥à¤œà¤¨ बन जाते हैं।
'जैसा संग वैसा रंग' कहावत के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° सतà¥à¤¸à¤‚ग करने से मनà¥à¤·à¥à¤¯ शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ बन जाता है और कà¥à¤¸à¤‚ग में पड़कर अधम बन जाता है। संग का रंग अवशà¥à¤¯ चà¥à¤¤à¤¾ है।
कà¥à¤› दृषà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨à¥à¤¤ देखिठजिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सतà¥à¤¸à¤‚ग को पाकर पà¥à¤¨à¤ƒ सनà¥à¤®à¤¾à¤°à¥à¤— को गà¥à¤°à¤¹à¤£ किया।
नासà¥à¤¤à¤¿à¤• मà¥à¤‚शीराम वकील बरेली में महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ जी के सतà¥à¤¸à¤‚ग में समà¥à¤®à¤¿à¤²à¤¿à¤¤ हà¥à¤† था। वह उस समय सà¤à¥€ मरà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤“ं से पराङà¥à¤®à¥à¤– हो चà¥à¤•ा था, किनà¥à¤¤à¥ महरà¥à¤·à¤¿ के उपदेशों का इतना गहरा पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ हà¥à¤† कि वह नासà¥à¤¤à¤¿à¤• मà¥à¤‚शीराम के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर ईशà¥à¤µà¤° का शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥ à¤à¤•à¥à¤¤ वीर सेनानी सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ बन गया।
इसी तरह à¤à¤• दिन महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ जी को अमीचनà¥à¤¦ ने à¤à¤• गीत सà¥à¤¨à¤¾à¤¯à¤¾à¥¤ उसके गीत को सà¥à¤¨à¤•र ऋषि अतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤ और कहा- 'अमीचनà¥à¤¦, तू है तो हीरा किनà¥à¤¤à¥ कीचड़ में पड़ा है।' इतना कहा था कि शराबी, कबाबी और वेशà¥à¤¯à¤¾à¤—ामी अमीचनà¥à¤¦ सब पापों को छोड़कर सचà¥à¤šà¤¾ आरà¥à¤¯ बन गया और अपना समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ जीवन आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° कारà¥à¤¯ में लगा दिया।
कहते हैं कि- जैसे आपके आचरण, विचार, आपकी वाणी होगी वैसे ही आपके बचà¥à¤šà¥‡à¤‚ होगें । जैसा वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° आप अपने माता-पिता के साथ करेगें वैसा ही वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° आपके बचà¥à¤šà¥‡ आपके साथ करेगें। इसलिये सतà¥à¤¸à¤‚ग हमारे जीवन का अà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ अंग है । à¤à¤¸à¥‡ अनेक उदाहरण मिलेंगे, जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सतà¥à¤¸à¤‚ग से अपने जीवन की काया पलट दी। संसार में हम कोई à¤à¥€ काम करते हैं तो उसमें लाठके साथ-साथ हानि की समà¥à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤à¤‚ à¤à¥€ होती हैं, परनà¥à¤¤à¥ सतà¥à¤¸à¤‚ग में लाठही लाठहोता है, हानि की कोई समà¥à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ नहीं रहती। हम अपने जीवन को सतà¥à¤¸à¤‚ग के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सà¥à¤–मय बना सकते हैं, अपने बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को संसà¥à¤•ारवान बना सकते हैं।
अगर किसी बचà¥à¤šà¥‡ को उपहार न दिया जाये तो वह कà¥à¤› ही समय रोयेगा ।
मगर संसà¥à¤•ार न दिठजाà¤à¤ तो वह जीवन à¤à¤° रोयेगा ।।
लेखक – आचारà¥à¤¯ अनूपदेव
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