मनà¥à¤·à¥à¤¯ के मà¥à¤–à¥à¤¯ करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ ईशà¥à¤µà¤° की उपासना और परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ की रकà¥à¤·à¤¾â€™
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Manmohan Kumar AryaDate
17-Apr-2016Category
à¤à¤¾à¤·à¤£Language
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UmeshUpload Date
19-Apr-2016Download PDF
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मनà¥à¤·à¥à¤¯ के पà¥à¤°à¤®à¥à¤– करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में से à¤à¤• ईशà¥à¤µà¤° के सतà¥à¤¯ व यथारà¥à¤¥ सà¥à¤µà¤°à¥‚प को जानना व उससे लाठपà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करना है। ईशà¥à¤µà¤° के सतà¥à¤¯à¤¸à¥à¤µà¤°à¥‚प को जानने के लिठआपà¥à¤¤ पà¥à¤°à¥‚ष अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ सचà¥à¤šà¥‡ जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€, वेद व वैदिक साहितà¥à¤¯ के विदà¥à¤µà¤¾à¤¨, ईशà¥à¤µà¤° à¤à¤•à¥à¤¤, चिनà¥à¤¤à¤•, सरल जीवन व उचà¥à¤š विचार के धनी सहित साधक वा सिदà¥à¤§ योगी का होना आवशà¥à¤¯à¤• है। इसके लिठमहरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ की सदà¥à¤œà¥à¤žà¤¾à¤¨ से यà¥à¤•à¥à¤¤ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‹à¤‚ यथा सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶, ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦à¤¾à¤¦à¤¿à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯à¤à¥‚मिका व आरà¥à¤¯à¤¾à¤à¤¿à¤µà¤¿à¤¨à¤¯ आदि से à¤à¥€ सहायता ली जा सकती है। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ की यह पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‡à¤‚ सरल आरà¥à¤¯ à¤à¤¾à¤·à¤¾ हिनà¥à¤¦à¥€ में होने के कारण इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पढ़कर वेदों में निहित ईशà¥à¤µà¤° विषयक मरà¥à¤® व गूढ़ रहसà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को जाना जा सकता है। ईशà¥à¤µà¤° के असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ निरà¥à¤à¥à¤°à¤¾à¤‚त हो जाने पर ईशà¥à¤µà¤° के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करना आवशà¥à¤¯à¤• होता है। यह करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ वेदों व वैदिक साहितà¥à¤¯ उपनिषद व दरà¥à¤¶à¤¨ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ सहित वालà¥à¤®à¥€à¤•à¤¿ रामायण, महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ व गीता को पढ़ने से à¤à¥€ काफी मातà¥à¤°à¤¾ में हो सकता है। सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ पढ़कर ईशà¥à¤µà¤° के जो सतà¥à¤¯ वा यथारà¥à¤¥ गà¥à¤£, करà¥à¤® व सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ हमारे समà¥à¤®à¥à¤– उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ होते हैं उसके अनà¥à¤¸à¤¾à¤° ईशà¥à¤µà¤° सचà¥à¤šà¤¿à¤¦à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦à¤¸à¥à¤µà¤°à¥‚प, निराकार, सरà¥à¤µà¤¶à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨, नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤•à¤¾à¤°à¥€, दयालà¥, अजनà¥à¤®à¤¾, निरà¥à¤µà¤¿à¤•à¤¾à¤°, अनादि, अनà¥à¤ªà¤®, सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¾à¤°, सरà¥à¤µà¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°, सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤•, सरà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤°à¥à¤¯à¤¾à¤®à¥€, अजर, अमर, अà¤à¤¯, नितà¥à¤¯, पवितà¥à¤° और सृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¤¤à¥à¤°à¥à¤¤à¤¾ है। ईशà¥à¤µà¤° को पवितà¥à¤° कहने का अà¤à¤¿à¤ªà¥à¤°à¤¾à¤¯ है कि उसके गà¥à¤£, करà¥à¤® व सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ पवितà¥à¤° हैं, अपवितà¥à¤° नहीं। पवितà¥à¤° का à¤à¤• अरà¥à¤¥ धरà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤•à¥‚ल होना à¤à¥€ है। धरà¥à¤® विरà¥à¤¦à¥à¤§ कोई à¤à¥€ गà¥à¤£, करà¥à¤® व सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ अपवितà¥à¤° की शà¥à¤°à¥‡à¤£à¥€ में आता है। सृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾ शबà¥à¤¦ से ईशà¥à¤µà¤° का सृषà¥à¤Ÿà¤¿ का रचयिता वा करà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¾ होना, उसका धारण करना वा धरà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¾ होना तथा सृषà¥à¤Ÿà¤¿ की पà¥à¤°à¤²à¤¯ करना व उसका हरà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¾ होना तातà¥à¤ªà¤°à¥à¤¯ हैं। इसके साथ ही ईशà¥à¤µà¤° जीवों को करà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¸à¤¾à¤° सतà¥à¤¯ नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ से फलदाता आदि लकà¥à¤·à¤£à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ है। इसी के कारण हम जनà¥à¤® व मृतà¥à¤¯à¥ रूपी बनà¥à¤§à¤¨ में पड़े हà¥à¤ हैं।
ईशà¥à¤µà¤° के इन गà¥à¤£, करà¥à¤® व सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µà¥‹à¤‚ को जानकर मनà¥à¤·à¥à¤¯ को ईशà¥à¤µà¤° के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ अपने करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ का निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤£ कर उसका आचरण व वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° करना है। ईशà¥à¤µà¤° के गà¥à¤£-करà¥à¤®-सà¥à¤µà¤°à¥‚प का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करते हà¥à¤ हमें अपने-अपने गà¥à¤£-करà¥à¤®-सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ वा सà¥à¤µà¤°à¥‚प का à¤à¥€ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ होता है। हमारी आतà¥à¤®à¤¾ सतà¥à¤¯, चितà¥à¤¤, सूकà¥à¤·à¥à¤®, à¤à¤•à¤¦à¥‡à¤¶à¥€, अलà¥à¤ª परिमाण, नितà¥à¤¯, अविनाशी, अजर, अमर, शà¥à¤à¤¾à¤¶à¥à¤ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ को करने वाली व उनके फलों को à¤à¥‹à¤—ने वाली कà¥à¤°à¥à¤°à¤¤à¥ है। अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करने पर जà¥à¤žà¤¾à¤¤ होता है कि शà¥à¤à¤¾à¤¶à¥à¤ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ के फल सà¥à¤– व दà¥à¤ƒà¤– रूपी होते हैं जो मनà¥à¤·à¥à¤¯ व जीवातà¥à¤®à¤¾ को अवशà¥à¤¯ ही à¤à¥‹à¤—ने होते हैं। जो इस जनà¥à¤® में छूट जाते हैं वह नया जनà¥à¤® लेकर à¤à¥‹à¤—ने होते हैं। अतः जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ लोग करà¥à¤® करते हà¥à¤ उसके शà¥à¤ व अशà¥à¤ होने पर विचार करते हैं और अशà¥à¤ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ को नहीं करते। अशà¥à¤ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ को न करने से उनको दà¥à¤ƒà¤– नहीं होता à¤à¤µà¤‚ आसकà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ वा सà¥à¤– रूपी फल की इचà¥à¤›à¤¾ से जो शà¥à¤ करà¥à¤® करते हैं उससे उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सà¥à¤–ी जीवन पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है। इन शà¥à¤ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ को जानने के लिठà¤à¥€ वेद à¤à¤µà¤‚ वैदिक साहितà¥à¤¯ सहित सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¾à¤¦à¤¿ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ सहायक हैं। इनसे जà¥à¤žà¤¾à¤¤ होता है कि मनà¥à¤·à¥à¤¯ का ईशà¥à¤µà¤° के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤®à¥à¤– करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ ईशà¥à¤µà¤° दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ हम सबको मनà¥à¤·à¥à¤¯ जनà¥à¤® व अनेकानेक सà¥à¤– व सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करने के लिठउसका धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦, नमन व कृतजà¥à¤žà¤¤à¤¾ आदि जà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ करना है। इसी पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤œà¤¨ के लिठहमारे ऋषियों ने ईशà¥à¤µà¤° का पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒ व सायं धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ करने का, जिसे सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ कहते हैं, विधान किया है। सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ की विधि के लिठमहरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ जी की पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• ‘सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ विधि’ सरà¥à¤µà¤¶à¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• है। इसके करने से à¤à¤• ओर जहां ईशà¥à¤µà¤° के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ हमारा करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ पूरा होता है वहीं इससे आतà¥à¤®à¤¾ के मल à¤à¥€ छंटते व हटते हैं। आतà¥à¤®à¤¾ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ निरनà¥à¤¤à¤° बढ़ता जाता है और हमारे दà¥à¤·à¥à¤Ÿ व अशà¥à¤ करà¥à¤® दूर होकर उसका सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ सदगà¥à¤£ लेते हैं। सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के आरमà¥à¤ से लेकर हमारे महाजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ ऋषि, मà¥à¤¨à¤¿ व योगी इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से ईशà¥à¤µà¤° की सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿, पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ व उपासना करते आयें हैं जिसका पालन कर हम à¤à¥€ अपने इस जीवन में अà¤à¥à¤¯à¥à¤¦à¤¯ व मृतà¥à¤¯à¥ के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ मोकà¥à¤· के अधिकारी बन सकते हैं। सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ करना मनà¥à¤·à¥à¤¯ का पà¥à¤°à¤®à¥à¤– करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ हैं। जो à¤à¤¸à¤¾ नहीं करता वह कृतघà¥à¤¨ होता है और कृतघà¥à¤¨à¤¤à¤¾ सबसे बड़ा पाप व अपराध है। इसके साथ ही सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ व ईशà¥à¤µà¤°à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾ न करने वाला मनà¥à¤·à¥à¤¯ नासà¥à¤¤à¤¿à¤• à¤à¥€ होता है। नासà¥à¤¤à¤¿à¤• के कई अरà¥à¤¥ हैं जिनमें ईशà¥à¤µà¤° को न मानना, उसकी उपासना न करना, ईशà¥à¤µà¤° व इसके जà¥à¤žà¤¾à¤¨ वेदों की निनà¥à¤¦à¤¾ करना आदि हैं। अतः सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को ईशà¥à¤µà¤° की उपासना करना उनका à¤à¤• पà¥à¤°à¥à¤°à¤®à¥à¤– करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ सिदà¥à¤§ होता है।
अब हम à¤à¤• दूसरे करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ पर विचार करते हैं। मनà¥à¤·à¥à¤¯ जनà¥à¤® लेने के बाद शà¥à¤µà¤¾à¤¸-पà¥à¤°à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ लेता है। वह शà¥à¤¦à¥à¤§ वायॠआकà¥à¤¸à¥€à¤œà¤¨ को गà¥à¤°à¤¹à¤£ करता है तथा पà¥à¤°à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ में दूषित कारà¥à¤¬à¤¨ डाई आकà¥à¤¸à¤¾à¤‡à¤¡ गैस को छोड़ता है जिससे वायॠमणà¥à¤¡à¤² पà¥à¤°à¤¦à¥à¤·à¤¿à¤¤ होता है। दूषित वायॠपà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को हानि पहà¥à¤‚चाती है। इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° मनà¥à¤·à¥à¤¯ के जितने à¤à¥€ दैनिक कारà¥à¤¯ हैं उनसे à¤à¥€ परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ जल व à¤à¥‚मि आदि का पà¥à¤°à¤¦à¥à¤·à¤£ होता है। पà¥à¤°à¤¦à¥à¤·à¤£ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ करने वाले इन कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में मल-मूतà¥à¤° विसरà¥à¤œà¤¨, रसोई वा चूलà¥à¤¹à¥‡ से कारà¥à¤¬à¤¨ डाइ आकà¥à¤¸à¤¾à¤‡à¤¡ का बनना, à¤à¥‹à¤œà¤¨ पकाने व à¤à¥‹à¤œà¤¨ करने के बरà¥à¤¤à¤¨à¥‹à¤‚ के धोने आदि में जल का पà¥à¤°à¤¦à¥à¤·à¤£ होना, वसà¥à¤¤à¥à¤° धोने से पà¥à¤°à¤¦à¥à¤·à¤£, à¤à¤µà¤¨ निरà¥à¤®à¤¾à¤£, वाहन के पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— आदि सà¤à¥€ कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को जो पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ सà¤à¥€ करते हैं, पà¥à¤°à¤¦à¥à¤·à¤£ होता है। वायà¥, जल व पृथिवी को बिगाड़ना धारà¥à¤®à¤¿à¤• व सामाजिक अपराध होने से पाप है। चूलà¥à¤¹à¥‡, गेहूं पीसने व à¤à¥‚मि पर चलने आदि से अनायास व अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¤à¤¾à¤µà¤¶ सूकà¥à¤·à¥à¤® पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की हतà¥à¤¯à¤¾ होती है व उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ कषà¥à¤Ÿ होता है। इसका निवारण करना à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• मनà¥à¤·à¥à¤¯ का करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ है। परमातà¥à¤®à¤¾ ने इस सृषà¥à¤Ÿà¤¿ में मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‡à¤¤à¤° पशà¥, पकà¥à¤·à¥€ आदि समसà¥à¤¤ जैविक जगत को हमारे उपयोग व वेदानà¥à¤¸à¤¾à¤° धरà¥à¤®à¤¸à¤®à¥à¤®à¤¤ उपयोग के लिठही बनाया है। अतः इनके पà¥à¤°à¤¤à¤¿ à¤à¥€ हमारा नैतिक करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ हैं कि हम उनकी रकà¥à¤·à¤¾ करें और इनके à¤à¥‹à¤œà¤¨-छादन की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ करें। इस करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ के पालन का नाम ही यजà¥à¤ž है जिसमें अगà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤° सहित परोपकार, सेवा à¤à¤µà¤‚ सदाचार आदि समà¥à¤®à¤¿à¤²à¤¿à¤¤ हैं। अगà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤° के बारे में मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ में अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ व à¤à¥à¤°à¤® की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ है। अगà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤° से परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ पà¥à¤°à¤¦à¥à¤·à¤£ दूर होता है, इस कारण हमसे जो अनिवारà¥à¤¯à¤¤à¤ƒ वायà¥, जल, à¤à¥‚मि आदि पà¥à¤°à¤¦à¥à¤·à¤£ होता या हम जिन पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ का उपà¤à¥‹à¤— अपने जीवन के निमितà¥à¤¤ करते हैं, उस ऋण से उऋण होते हैं। अगà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤° में शà¥à¤¼à¤¦à¥à¤§ देशी गो घृत, सà¥à¤—नà¥à¤§à¤¿à¤¤, मीठी, ओषधियां व वनसà¥à¤ªà¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ तथा हानिकारक कीटाणà¥à¤¨à¤¾à¤¶à¤• पदारà¥à¤¥ को थोड़ी-थोड़ी मातà¥à¤°à¤¾ में आहà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के रूप में वेदमनà¥à¤¤à¥à¤° बोलकर देते हैं। वेद मनà¥à¤¤à¥à¤° बोलन से ईशà¥à¤µà¤° की सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿, पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ व उपासना का अतिरिकà¥à¤¤ लाठहोता है। वेद मनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में यजà¥à¤ž से होने वाले लाà¤à¥‹à¤‚ का वरà¥à¤£à¤¨ है जिसे जानकर यजà¥à¤ž में पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿ सà¥à¤¥à¤¿à¤° वा निशà¥à¤šà¤¯ होती है तथा वेदों की रकà¥à¤·à¤¾ à¤à¥€ होती है। घृत आदि पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ की आहà¥à¤¤à¤¿ से उनके सूकà¥à¤·à¥à¤® कण बनने से वायà¥, जल आदि शà¥à¤¦à¥à¤§ होते हैं जिससे अनेकानेक पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को सà¥à¤– होता है और हम पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को होने वाले उस सà¥à¤– का साधन करके ईशà¥à¤µà¤° से अपने लिठसà¥à¤–रूपी फल के à¤à¤¾à¤—ी बनते हैं। वायॠव वरà¥à¤·à¤¾à¤œà¤² को शà¥à¤¦à¥à¤§ करने वा पà¥à¤°à¤¦à¥à¤·à¤£ दूर करने का इससे अचà¥à¤›à¤¾ व सरल उपाय दूसरा कोई नहीं है। हमारे ऋषियों ने खोज व अनà¥à¤¸à¤‚धान कर पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ काल से ही दैनिक अगà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤° का विधान किया है जो 15 मिनट के अलà¥à¤ª समय में ही पूरा किया जा सकता है। इससे न केवल हमारा यह जीवन संवरता है अपितॠइसका लाठहमें जनà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤° में à¤à¥€ मिलता है। अतः सà¤à¥€ विवेकशील मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को जो जीवन में दà¥à¤ƒà¤– से रहित सà¥à¤– व आननà¥à¤¦ से पूरà¥à¤£ जीवन चाहते हैं, लमà¥à¤¬à¥€ आयॠव सà¥à¤µà¤¾à¤¶à¥à¤°à¤¿à¤¤ बलवान सà¥à¤–ी शरीर चाहते हैं, उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ दैनिक अगà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤° अवशà¥à¤¯ करना चाहिये। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ने दैनिक व विशेष यजà¥à¤žà¥‹à¤‚ की सरल विधि लिखी है जिसे हिनà¥à¤¦à¥€à¤ªà¤¾à¤ ी कोई à¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ पढ़कर याजà¥à¤žà¤¿à¤• देवता शà¥à¤°à¥‡à¤£à¥€ का मनà¥à¤·à¥à¤¯ बन सकता है और जनà¥à¤®-जनà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ में उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ व सà¥à¤–ों को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर सकता है जो और किसी à¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ नहीं हो सकते।
शरीर रकà¥à¤·à¤¾ सहित मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के अनेक करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ हैं परनà¥à¤¤à¥ उपरà¥à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ दो करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ ही पà¥à¤°à¤®à¥à¤– करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ हैं। हम आशा करते हैं कि आरà¥à¤¯ व इतर पाठक इस लेख से लाà¤à¤¾à¤¨à¥à¤µà¤¿à¤¤ होंगे जिससे हमारा यह पà¥à¤°à¥‚षारà¥à¤¥ सफल होगा।
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