हमारे आरà¥à¤¯à¤¨à¥‡à¤¤à¤¾ और फूल मालायें

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Manmohan Kumar AryaDate
17-Apr-2016Category
विविधLanguage
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19-Apr-2016Download PDF
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आज कल हम आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के संगठन के लोगों को अपने आरà¥à¤¯à¤¨à¥‡à¤¤à¤¾à¤“ं का बात-बात पर फूल मालाओं से समà¥à¤®à¤¾à¤¨ करते हà¥à¤ तथा नेताओं को फूल मालाओं को गले में पहनकर समà¥à¤®à¤¾à¤¨ कराते हà¥à¤ देखते हैं तो मन में विचार आते हैं कि कà¥à¤¯à¤¾ à¤à¤¸à¤¾ करना व कराना महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ की मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं व सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤°à¥à¤ª है। कà¥à¤¯à¤¾ यà¥à¤— परिवरà¥à¤¤à¤¨ करने वाले महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ के पà¥à¤°à¤®à¥à¤– अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ पं. लेखराम, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦, पं. गà¥à¤°à¥à¤¦à¤¤à¥à¤¤ विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€, महातà¥à¤®à¤¾ हंसराज, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दरà¥à¤¶à¤¨à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ आदि ने कà¤à¥€ फूलमालायें पहन कर अपना समà¥à¤®à¤¾à¤¨ होने दिया होगा व अपने गले में फूल मालायें पहनी होंगी? यह सà¤à¥€ ऋषिà¤à¤•à¥à¤¤ आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के महान विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ à¤à¤µà¤‚ वैदिक सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ को धारण करने वाले साकà¥à¤·à¤¾à¤¤ वेदमूरà¥à¤¤à¤¿ व धरà¥à¤®à¤®à¥‚रà¥à¤¤à¤¿ थे। इन ऋषिà¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ ने वैदिक धरà¥à¤® की वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ सà¤à¥€ नेताओं से कà¥à¤› अधिक ही देश, समाज व आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ की सेवा की है। कà¥à¤¯à¤¾ उनका कोई फोटो आजकल के नेताओं की तरह गले में फूलमालायें पहने हà¥à¤ मिल सकता है? हमें तो अà¤à¥€ तक à¤à¤¸à¤¾ कोई चितà¥à¤° देखने को मिला नहीं है, यदि किसी à¤à¤¾à¤ˆ के पास हो या उसने कà¤à¥€ कहीं देखा हो तो हमें कृपा करके अवशà¥à¤¯ सूचित करें। कम से कम इससे हमारी जानकारी तो अदà¥à¤¯à¤¤à¤¨ हो ही जायेगी।
महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ जी के जीवनचरित में मूरà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚जा के सनà¥à¤¦à¤°à¥à¤ में हमनें मूरà¥à¤¤à¤¿ पर फूल चढ़ाने समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§à¥€ विवरण पढ़ा है। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ने मूरà¥à¤¤à¤¿ पर फूल चढ़ाने की आलोचना करते हà¥à¤ कहा था कि परमातà¥à¤®à¤¾ ने फूल वायॠमें सà¥à¤—नà¥à¤§ फैलाने के लिठबनाये हैं न कि मूरà¥à¤¤à¤¿ पर चढ़ाने के लिà¤à¥¤ यदि यह फूल न तोड़ा जाता तो यह कई दिनों तक, मà¥à¤°à¤à¤¾à¤¨à¥‡ व सूखने से पूरà¥à¤µ, वायॠको सà¥à¤—नà¥à¤§à¤¿à¤¤ कर उसे पà¥à¤°à¤¦à¥à¤·à¤£ से मà¥à¤•à¥à¤¤ करता। मूरà¥à¤¤à¤¿ पर चढ़ा देने से ईशà¥à¤µà¤° की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ को à¤à¤‚ग करने का दोष फूल तोड़ने वाले व उसका दà¥à¤°à¥à¤ªà¤¯à¥‹à¤— करने वालांे पर लगता है। फूल को तोड़कर उसे मूरà¥à¤¤à¤¿ पर चढ़ा देने से वायॠको सà¥à¤—नà¥à¤§ मिलने की पà¥à¤°à¤¾à¤•ृतिक पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ बाधित होती है। फूल तोड़ने से वायॠउन फूलों की सà¥à¤—नà¥à¤§ से वंचित हो जाती है। मूरà¥à¤¤à¤¿ पर चढ़ाया गया फूल कà¥à¤› समय बाद सड़ जाता है जिससे दà¥à¤°à¥à¤—नà¥à¤§ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ होकर वायॠमें विकार होता है और साथ हि वह मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ व अनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के दà¥à¤ƒà¤– व रोगों का कारण à¤à¥€ बनता है। मनà¥à¤¦à¤¿à¤° में चढ़ाये गये फूलों से जल à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¦à¥‚षित हाता है। यदि मूरà¥à¤¤à¤¿ व फूल मालाओं के लिठतोड़े जाने वाले यह फूल वृकà¥à¤· पर रहकर ही मà¥à¤°à¤à¤¾à¤¤à¥‡ व सà¥à¤– जाते तो à¤à¥‚मि पर गिर कर खाद बन जाते जिससे उसी वृकà¥à¤· व निकटवरà¥à¤¤à¥€ पौधों को लाठहोता। हमारी दृषà¥à¤Ÿà¤¿ में आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के à¤à¤• नेताजी का चितà¥à¤° उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ हो रहा है। उनका यह गà¥à¤£ है कि वह फूल माला नहीं पहनते व इसके विरोधी हैं। हां, यह बात अलग है कि वह अपने मितà¥à¤°à¥‹à¤‚ को इसका पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— करने की छूट देते हैं। दूसरे के निजी अधिकार और नीति के कारण à¤à¤¸à¤¾ करना à¤à¥€ होता है।
हम समà¤à¤¤à¥‡ हैं कि आरà¥à¤¯ होने का अरà¥à¤¥ मनà¥à¤·à¥à¤¯ होना अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ मननशील होना है। कोई à¤à¥€ कारà¥à¤¯ करने से पहले मनन अवशà¥à¤¯ करना चाहिये। हम अपने सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤¿à¤¯ आरà¥à¤¯ बनà¥à¤§à¥à¤“ं से निवेदन करते हैं कि वह इस विषय में विचार कर हमारा मारà¥à¤—दरà¥à¤¶à¤¨ करें। यदि हम गलत हैं तो हम अपना सà¥à¤§à¤¾à¤° कर लेंगे। हम केवल यह चाहते हैं कि आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ में कà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ न बढ़े और हमारे सà¤à¥€ कारà¥à¤¯ देश, समाज व पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤° का हित साधन करने वाले हों जिससे आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ का गौरव व कीरà¥à¤¤à¤¿ बढ़े, अपकीरà¥à¤¤à¤¿ न हो।
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