महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ और उनका विशà¥à¤µ के कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ का अपूरà¥à¤µ कारà¥à¤¯â€™
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Manmohan Kumar AryaDate
29-Apr-2016Category
à¤à¤¾à¤·à¤£Language
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UmeshUpload Date
29-Apr-2016Download PDF
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महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ (1825-1883) ने विशà¥à¤µ के सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ व पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤° के हित के लिठजो कारà¥à¤¯ किया वह अपूरà¥à¤µ à¤à¤µà¤‚ सरà¥à¤µà¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤® है। देश व विशà¥à¤µ की जनता का यह दà¥à¤°à¥à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ है कि वह उनके कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के यरà¥à¤¥à¤¾à¤¥ सà¥à¤µà¤°à¥‚प व उन कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ की संसार के सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के सनà¥à¤¦à¤°à¥à¤ में महतà¥à¤¤à¤¾ व उपयोगिता से परिचित नहीं है। इसका कारण à¤à¥€ मत-मतानà¥à¤¤à¤° व उनके आचारà¥à¤¯ व पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤°à¤• हैं जो अपने अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ व सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥à¥‹à¤‚ के कारण सतà¥à¤¯ को सामने आने देना नहीं चाहते। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ के जीवन पर यदि दृषà¥à¤Ÿà¤¿ डालें तो उनके जीवन में सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤• महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ बात यह मिलती है कि उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सतà¥à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ की खोज को अपने जीवन का उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ बनाकर उसे पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ किया था। à¤à¤¸à¤¾ कोई अनà¥à¤¯ मनà¥à¤·à¥à¤¯ जिसके जीवन का उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ के समान हो और उसे अपने उस कारà¥à¤¯ में सफलता मिली हो, विशà¥à¤µ के कà¥à¤·à¤¿à¤¤à¤¿à¤œ पर दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤—ोचर वा उपलबà¥à¤§ नहीं होता। विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ के सामने जो à¤à¥€ बातें आती हैं, वह उनकी परीकà¥à¤·à¤¾ कर उसमें सतà¥à¤¯ को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करता है और असतà¥à¤¯ को असà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° व उनका तिरसà¥à¤•à¤¾à¤° कर देता है। परनà¥à¤¤à¥ धारà¥à¤®à¤¿à¤• सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ व मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं में विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ के इस सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤, सतà¥à¤¯ का गà¥à¤°à¤¹à¤£ व असतà¥à¤¯ का तà¥à¤¯à¤¾à¤—, को हम कहीं लागू होते हà¥à¤ नहीं देखते। सà¤à¥€ मत अपने अपने सतà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¤¤à¥à¤¯ मिशà¥à¤°à¤¿à¤¤ सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ को मानते चले आ रहे हैं और शायद पà¥à¤°à¤²à¤¯ परà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ मानते ही रहेंगे? इसका à¤à¤• कारण मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ के लोगों का अपना अपना अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ व सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ आदि हैं। वहीं à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨-à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ देशों की राजनैतिक वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤“ं दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ के पोषण समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§à¥€ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ à¤à¥€ हैं। पाठक सà¥à¤µà¤¿à¤œà¥à¤ž हैं, वह इन बातों को à¤à¤²à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से जानते हैं, अतः इस पर अधिक चरà¥à¤šà¤¾ की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ नहीं है।
महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ने 14हवें वरà¥à¤· की आयॠमें शिवरातà¥à¤°à¤¿ के दिन की जाने वाली मूरà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚जा को देखकर उसकी निसà¥à¤¸à¤¾à¤°à¤¤à¤¾ वा वà¥à¤¯à¤°à¥à¤¥à¤¤à¤¾ को समठलिया था। 13 वरà¥à¤· के बालक के मूरà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚जा पर समाधानकारक उतà¥à¤¤à¤° न शिवà¤à¤•à¥à¤¤ उनके पिता के पास थे न किसी अनà¥à¤¯ पौराणिक विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ व आचारà¥à¤¯ के ही पास। इसने बालक दयाननà¥à¤¦ के समà¥à¤®à¥à¤– धरà¥à¤® वा मत में निहित असतà¥à¤¯ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं व सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ का संकेत दे दिया था। इसी को आगे बढ़ाते हà¥à¤ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने 21 वरà¥à¤· की आयॠतक शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¯à¤¨ कर विवाह से बचने के लिठऔर सतà¥à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने के लिठमाता-पिता के à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• सà¥à¤–-सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤“ं से पूरà¥à¤£ गृह का तà¥à¤¯à¤¾à¤— कर दिया था। गृहतà¥à¤¯à¤¾à¤— के बाद सनॠ1863 तक के 17 वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ तक सतà¥à¤¯ धरà¥à¤® व सतà¥à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ की खोज करते रहे थे। इसी बीच उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने योग विदà¥à¤¯à¤¾ सीखी जिससे वह ईशà¥à¤µà¤° का साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•à¤¾à¤° करने में समरà¥à¤¥ हà¥à¤à¥¤ उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ इस बात का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ हà¥à¤† कि ईशà¥à¤µà¤° का जà¥à¤žà¤¾à¤¨, ईशà¥à¤µà¤° की सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ उपासना, ईशà¥à¤µà¤° का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨, धारणा और समाधि तथा ईशà¥à¤µà¤° का साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•à¤¾à¤° करना ही मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन का मà¥à¤–à¥à¤¯ उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ है। यह लकà¥à¤·à¥à¤¯ à¤à¥€ विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ की तरह अनेक कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤“ं व सदाचारण करने से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है। इनसे इतर विवेक की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ के लिठसब सतà¥à¤¯ विदà¥à¤¯à¤¾à¤“ं का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करके उनकी पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ करना à¤à¥€ आवशà¥à¤¯à¤• है। उनकी दृषà¥à¤Ÿà¤¿ में बिना सतà¥à¤¯ विदà¥à¤¯à¤¾à¤“ं की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ के केवल योगाà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸ व ईशà¥à¤µà¤° का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ वा साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•à¤¾à¤° करना अधूरा जीवन था। वह दोनों ही उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯à¥‹à¤‚ की पूरà¥à¤¤à¤¿ में कृतकारà¥à¤¯ वा सफल हà¥à¤ थे। सब सतà¥à¤¯ विदà¥à¤¯à¤¾à¤“ं का संसार मे à¤à¤•à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤° गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ ‘चार वेद संहितायें’ हैं जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ संसार ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦, यजà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦, सामवेद à¤à¤µà¤‚ अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦ के नाम से जानता है। यह चार मनà¥à¤¤à¥à¤° संहितायें सृषà¥à¤Ÿà¤¿ की आदि मे चार ऋषियों ‘अगà¥à¤¨à¤¿, वायà¥, आदितà¥à¤¯ व अंगिरा’ के पवितà¥à¤° हृदयों में ईशà¥à¤µà¤° दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ समसà¥à¤¤ समà¥à¤à¤µ सतà¥à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ है। महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ काल तक हमारे देश में सहसà¥à¤°à¥‹à¤‚ ऋषि व विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ होते थे व परसà¥à¤ªà¤° वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° की à¤à¤¾à¤·à¤¾ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ होती थी जिस कारण वेद के मनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ के सतà¥à¤¯ अरà¥à¤¥ लोगों को विदित होते थे। महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ काल के बाद विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ व ऋषियों की निरनà¥à¤¤à¤° कमी होती गई जिससे वेदों के अरà¥à¤¥ के अनरà¥à¤¥ होने लगे। वेदों के अरà¥à¤¥ के अनरà¥à¤¥ होने से अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ व à¤à¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤ˆà¤‚, इससे अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• कारà¥à¤¯ होने लगे और इसी के परिणाम से हिंसातà¥à¤®à¤• यजà¥à¤ž व मिथà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤° की बातें उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤ˆà¤‚ जो समय-समय पर अनेक मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ की उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ का कारण बनीं।
यह सरà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¤¿à¤¤ है कि जहां अनà¥à¤§à¤•à¤¾à¤° होता है वहां अनà¥à¤§à¤•à¤¾à¤° दूर करने के लिठदीपक जलाना ही पड़ता है। दीपक कई पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के हो सकते हैं। कोई कम पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ देता है और कोई अधिक। इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के सà¤à¥€ मत-मतानà¥à¤¤à¤° हैं जो दीपक के समान हैं जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपने अपने समय व बाद में à¤à¥€ अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ के अनà¥à¤§à¤•à¤¾à¤° को कà¥à¤›-कà¥à¤› दूर करने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ किया है। अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ को पूरà¥à¤£à¤¤à¤¯à¤¾ नषà¥à¤Ÿ करने के लिठजिस पूरà¥à¤£ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶, जà¥à¤žà¤¾à¤¨ वा विदà¥à¤¯à¤¾ की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ थी, वह मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ के संसà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤•à¥‹à¤‚ व आचारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के पास नहीं थी और संसार के किसी à¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ के पास, वेदों वा ऋषि परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ के समापà¥à¤¤ होने के कारण, हो à¤à¥€ नहीं सकती। यह कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ वा योगà¥à¤¯à¤¤à¤¾ तो केवल सृषà¥à¤Ÿà¤¿ की रचना करने वाले परम पिता परमेशà¥à¤µà¤° व उसके वेद जà¥à¤žà¤¾à¤¨ में ही हà¥à¤† करती है। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ को खोज करते हà¥à¤ समसà¥à¤¤ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ वा विदà¥à¤¯à¤¾à¤“ं के सà¥à¤°à¥‹à¤¤ इन वेदों के सतà¥à¤¯ अरà¥à¤¥à¥‹à¤‚ की कà¥à¤‚जी, अषà¥à¤Ÿà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€-महाà¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ पदà¥à¤§à¤¤à¤¿, गà¥à¤°à¥ विरजाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤ˆ थी। वेदों के रहसà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को जानने की इस कà¥à¤‚जी से दयाननà¥à¤¦ जी ने सनॠ1863 से 1883 के अपने वेद à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ व इतर वेद पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को पूरा करने का à¤à¤°à¤¸à¤• पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ किया। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने चार वेदों का संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ व आरà¥à¤¯à¤à¤¾à¤·à¤¾ हिनà¥à¤¦à¥€ में à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ करते हà¥à¤ लिखा à¤à¥€ है कि यदि ईशà¥à¤µà¤° की कृपा बनी रही और उनका वेद à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ का कारà¥à¤¯ पूरà¥à¤£ हो गया तो उस दिन देश देशानà¥à¤¤à¤° में सरà¥à¤µà¤¤à¥à¤° जà¥à¤žà¤¾à¤¨ के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में सूरà¥à¤¯ का सा पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ हो जायेगा कि जिसको मेटने, दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से ओà¤à¤² करने व उसे सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° न करने की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ किसी मनà¥à¤·à¥à¤¯ वा मत-मतानà¥à¤¤à¤° की नहीं होगी। इसे मनà¥à¤·à¥à¤¯ जाति का दà¥à¤°à¥à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ ही कहेंगे कि अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ व सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤¿à¤¯ लोगों को मनà¥à¤·à¥à¤¯ की à¤à¤²à¤¾à¤ˆ का यह कारà¥à¤¯ पसनà¥à¤¦ नहीं आया और उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ को विष देकर उनके शरीर को 30 अकà¥à¤¤à¥‚बर, सनॠ1883 को समापà¥à¤¤ कर दिया जिससे वेदों का सूरà¥à¤¯ असà¥à¤¤ हो गया और हम उनके पूरà¥à¤£ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ सं वंचित हो गये। वेदों के à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ का कारà¥à¤¯ अपूरà¥à¤£ रहने के अनेक कारण थे। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ को अपने जीवन में योगà¥à¤¯ लिपिकर और विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ नहीं मिले जो उनके बोले गये वचनों को ठीक-ठीक लिखते और उनके संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ में लिखाये गये वचनों का सरल व सà¥à¤¬à¥‹à¤§ हिनà¥à¤¦à¥€ में अनà¥à¤µà¤¾à¤¦ करते। इसके अतिरिकà¥à¤¤ दयाननà¥à¤¦ जी को वेदों का à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ करने के साथ-साथ à¤à¤• सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ से दूसरे सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ पर मौखिक पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤°, शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥, शंका समाधान व आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œà¥‹à¤‚ को सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ करने के लिठà¤à¥€ जाना पड़ता था जिसमें समय लगता था तथा जिसका पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤•à¥‚ल पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ वेद à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ के कारà¥à¤¯ पर à¤à¥€ पड़ता था। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ जी की मृतà¥à¤¯à¥ से मनà¥à¤·à¥à¤¯ जाति का बहà¥à¤¤ बड़ा अपकार हà¥à¤† अनà¥à¤¯à¤¥à¤¾ हमें वेद à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ सहित अनेक नये गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ सहित उनके अनेक विषयों के उपदेश सà¥à¤¨à¤¨à¥‡ व पढ़ने को मिल सकते थे जिससे ततà¥à¤•à¤¾à¤²à¥€à¤¨ व बाद की मनà¥à¤·à¥à¤¯ जाति वंचित हो गयी। शोक वा महाशोक।
महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ने अपने जीवन में जितना कारà¥à¤¯ किया वह वेद के सतà¥à¤¯ अरà¥à¤¥à¥‹à¤‚ सहित धरà¥à¤® का यथारà¥à¤¥ व सतà¥à¤¯ सà¥à¤µà¤°à¥‚प पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ करने के साथ मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ की अविदà¥à¤¯à¤¾à¤œà¤¨à¤¿à¤¤ बातों का पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ करने में समरà¥à¤¥ है। यह सरà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¤¿à¤¤ तथà¥à¤¯ है कि जितने मत-मतानà¥à¤¤à¤° होंगे वह मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को आपस में बाटेंगे व लड़ायेंगे, इतिहास व वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨à¤•à¤¾à¤² इस बात का पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ है, जिससे हिंसा आदि होती रहेगी और सà¥à¤¥à¤¾à¤ˆ शानà¥à¤¤à¤¿ की आशा नहीं की जा सकती। इससे à¤à¥€ बड़ी बात यह है कि मत-मतानà¥à¤¤à¤° का वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ योग विदà¥à¤¯à¤¾ व वैदिक जà¥à¤žà¤¾à¤¨ से दूर होने के कारण अपनी पूरà¥à¤£ बौदà¥à¤§à¤¿à¤• व आतà¥à¤®à¤¿à¤• उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ नहीं कर सकता। बौदà¥à¤§à¤¿à¤• उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ न होने से इसका कà¥à¤ªà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ की शारीरिक उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ पर à¤à¥€ सीधा पड़ता है। इसका पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤•à¥à¤· उदाहरण है कि आजकल के वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• à¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ का संतà¥à¤²à¤¿à¤¤ व सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯à¤µà¤°à¥à¤§à¤• à¤à¥‹à¤œà¤¨ कà¥à¤¯à¤¾ हो, निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ नहीं कर पाये। आज à¤à¥€ संसार के लोग à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨-à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ पशà¥, पकà¥à¤·à¥€, जलचर, थलचर व नà¤à¤šà¤° आदि पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की निरà¥à¤¦à¤¯à¤¤à¤¾à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• हतà¥à¤¯à¤¾ कर अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ हिंसा कर, उसे पकाकर खा जाते हैं। यह वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° मनà¥à¤·à¥à¤¯ के पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ व पवितà¥à¤° वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° के विपरीत और मनà¥à¤·à¥à¤¯ की शारीरिक, सामाजिक, आतà¥à¤®à¤¿à¤• सहित इस जनà¥à¤® व परजनà¥à¤® की उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ में बाधक है। इन कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ से मनà¥à¤·à¥à¤¯ योगाà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸, ईशà¥à¤µà¤° के धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ व उसकी पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ के कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ से दूर होकर अपने वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ व à¤à¤¾à¤µà¥€ जनà¥à¤® को बिगाड़ कर यà¥à¤—ों-यà¥à¤—ों तक के लिठअवनति वा दà¥à¤ƒà¤– की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ को उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ करता है। आज संसार के लोग आधà¥à¤¨à¤¿à¤• जीवन शैली के कारण नाना पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के रोगों से गà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤ होकर अलà¥à¤ªà¤¾à¤¯à¥ में ही मर जाते हैं। कà¥à¤› आतंकवाद का शिकार होकर तो कà¥à¤› दà¥à¤°à¥à¤˜à¤Ÿà¤¨à¤¾à¤“ं में और अनेक सà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤¿à¤·à¥à¤Ÿ à¤à¥‹à¤œà¤¨ के सेवन व अनियमित दिनचरà¥à¤¯à¤¾ से अलà¥à¤ªà¤¾à¤¯à¥ मे ही चल बसते हैं। उनका परजनà¥à¤® à¤à¥€ इस जनà¥à¤® के शà¥à¤ वा अशà¥à¤ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ का परिणाम होता है। अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ किया जा सकता है कि à¤à¤¸à¥‡ लोग à¤à¥‹à¤— योनि, निनà¥à¤¦à¤¿à¤¤ पशà¥, पकà¥à¤·à¥€, सà¥à¤¥à¤¾à¤µà¤° आदि में ही जायेंगे। अशà¥à¤ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ को करके वह सà¥à¤µà¤¤à¤¨à¥à¤¤à¥à¤° वा मोकà¥à¤· को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ नहीं हो सकते। पर जनà¥à¤® में उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ तो तà¤à¥€ समà¥à¤à¤µ थी जब कि वह अपने पिछले जनà¥à¤®à¥‹à¤‚ के करà¥à¤®à¥‹à¤‚ का इस जनà¥à¤® में à¤à¥‹à¤— करने के साथ नये सतà¥à¤•à¤°à¥à¤®à¥‹à¤‚, ईशà¥à¤µà¤°à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾, परोपकार, पीडि़तों की सेवा व सहायता आदि रूपी शà¥à¤ करà¥à¤®à¥‹ की इतनी पूंजी à¤à¤•à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¤ करते कि ईशà¥à¤µà¤° से उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सरà¥à¤µà¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤® सà¥à¤– मोकà¥à¤· की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ होती। इस जनà¥à¤® वा परजनà¥à¤® में उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ तà¤à¥€ समà¥à¤à¤µ है कि जब लोग महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ वा सतà¥à¤¯ सनातन ईशà¥à¤µà¤° पà¥à¤°à¤¦à¤¤à¥à¤¤ वैदिक धरà¥à¤® वा वेद के मारà¥à¤— पर पूरà¥à¤£à¤¤à¤ƒ चलें जैसे कि महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ व उनके शिषà¥à¤¯ पं. गà¥à¤°à¥à¤¦à¤¤à¥à¤¤ विदà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦, पं. लेखराम जी व सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दरà¥à¤¶à¤¨à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ जी आदि चले थे।
वैदिक धरà¥à¤® ईशà¥à¤µà¤° पà¥à¤°à¤¦à¤¤à¥à¤¤ होने से पूरà¥à¤£ सतà¥à¤¯ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं व सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ पर आधारित धरà¥à¤® है। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ वैदिक धरà¥à¤® की तरà¥à¤• व यà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ पूरà¥à¤µà¤• विवेचना अपने सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ आदि गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ में की हà¥à¤ˆ है। अपनी विशेषताओं के कारण वेद ही विशà¥à¤µ के सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ का शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ तमॠधरà¥à¤® है। विशà¥à¤µ में वैदिक धरà¥à¤® की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ से सà¤à¥€ अपना जीवन सà¥à¤– व शानà¥à¤¤à¤¿ पूरà¥à¤µà¤• à¤à¥‹à¤— सकते हैं और परजनà¥à¤® में à¤à¥€ उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ वा मोकà¥à¤· को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो सकते हैं। मनà¥à¤·à¥à¤¯ की आतà¥à¤®à¤¾ और जीवन की उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ करने का à¤à¤• ही मारà¥à¤— है और वह है सà¥à¤¸à¤‚सà¥à¤•à¤¾à¤° जो वेदाचरण वा सतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤°à¤£ से मिलते हैं। वेदाचरण à¤à¤µà¤‚ सतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤°à¤£ दोनों à¤à¤• दूसरे के पूरक हैं। हम विशà¥à¤µ के सà¤à¥€ मतों के आचारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ व लोगों से संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ पढ़कर वेदों की परीकà¥à¤·à¤¾ करने, सà¤à¥€ मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ कर सतà¥à¤¯ व शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करने का अनà¥à¤°à¥‹à¤§ करते हैं। इसी में संसार के सà¤à¥€ लोगों का हित छिपा हà¥à¤† है। इसी के लिठमहरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ने अपना पूरा जीवन समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ किया था और अकाल मृतà¥à¤¯à¥ का वरण किया था। वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ व परजनà¥à¤® की उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ का वेद मारà¥à¤— के आचरण के अतिरिकà¥à¤¤ अनà¥à¤¯ कोई मारà¥à¤— नहीं है। इनà¥à¤¹à¥€à¤‚ शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ के साथ लेख को विराम देते हैं।
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