
Lekhram Martyrdom Day

06 Mar 2020
Haryana, India
वेद पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° मणà¥à¤¡à¤² लà¥à¤§à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨à¤¾
वेद पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° मणà¥à¤¡à¤² लà¥à¤§à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨à¤¾ की ओर से 6 मारà¥à¤š को धरà¥à¤®à¤µà¥€à¤° अमर शहीद पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ लेखराम जी के बलिदान दिवस के उपलकà¥à¤·à¥à¤¯ में सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ बस सà¥à¤Ÿà¥ˆà¤£à¥à¤¡ पर à¤à¤• कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® शà¥à¤°à¥€ जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿ सà¥à¤µà¤°à¥‚प कमà¥à¤¬à¥‹à¤œ तथा स. दिलीप सिंह, सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ सà¥à¤ªà¤°à¤µà¤¾à¤‡à¤œà¤° के संयोजकतà¥à¤µ में आयोजित किया गया। समारोह की अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤·à¤¤à¤¾ शà¥à¤°à¥€ रोशन लाल आरà¥à¤¯, पà¥à¤°à¤¾à¤‚तीय महासचिव वेद पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° मणà¥à¤¡à¤² पंजाब ने की। समारोह में डॉ. जसवंत कौशल, पà¥à¤°à¤à¤¾ सूद, डीपी बंसल, अनिता शरà¥à¤®à¤¾, सà¥à¤¨à¥€à¤¤à¤¾ पाहवा, उजà¥à¤œà¥à¤µà¤² पाहवा à¤à¤µà¤® गणमानà¥à¤¯ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ रहे। बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤—ों तथा दिवà¥à¤¯à¤¾à¤‚गों के लिठà¤à¤• वà¥à¤¹à¥€à¤² चेयर बस सà¥à¤Ÿà¥ˆà¤‚ड के अधिकारियों को à¤à¥‡à¤‚ट की।
इस अवसर पर शà¥à¤°à¥€ आरà¥à¤¯ ने कहा कि पंडित लेख राम जी ऋषि दयाननà¥à¤¦ जी से मिलने अजमेर गये। वहाठउनकी सà¤à¥€ जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¤¾à¤à¤ शानà¥à¤¤ हà¥à¤ˆà¤‚। लौटकर उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पेशावर में आरà¥à¤¯ समाज की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ की और धरà¥à¤®-पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° में लग गये। धीरे-धीरे वे ‘आरà¥à¤¯ मà¥à¤¸à¤¾à¤«à¤¿à¤°’ के नाम से पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ हो गये। पंडित लेखराम ने ‘धरà¥à¤®à¥‹à¤ªà¤¦à¥‡à¤¶’ नामक à¤à¤• उरà¥à¤¦à¥‚ मासिक पतà¥à¤° निकाला। उचà¥à¤š कोटि की सामगà¥à¤°à¥€ के कारण कà¥à¤› समय में ही वह पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ हो गया। पंजाब में जब आरà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤§à¤¿ सà¤à¤¾ का गठन हà¥à¤†, तो वे उसके उपदेशक बन गये। लेखराम जी à¤à¤• शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ लेखक थे। आरà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤§à¤¿ सà¤à¤¾ ने ऋषि दयाननà¥à¤¦ के जीवन पर à¤à¤• विसà¥à¤¤à¥ƒà¤¤ à¤à¤µà¤‚ पà¥à¤°à¤¾à¤®à¤¾à¤£à¤¿à¤• गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ तैयार करने की योजना बनायी। यह दायितà¥à¤µ उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ ही दिया गया। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने देश à¤à¤° में à¤à¥à¤°à¤®à¤£ कर अनेक à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं में पà¥à¤°à¤•ाशित सामगà¥à¤°à¥€ à¤à¤•तà¥à¤°à¤¿à¤¤ की।
शà¥à¤°à¥€ आरà¥à¤¯ ने कहा पंडित लेखराम जी की यह विशेषता थी कि जहाठउनकी आवशà¥à¤¯à¤•ता लोग अनà¥à¤à¤µ करते, वे कठिनाई की चिनà¥à¤¤à¤¾ किये बिना वहाठपहà¥à¤à¤š जाते थे। à¤à¤• बार उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पता लगा कि पटियाला जिले के पायल गाà¤à¤µ का à¤à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ हिनà¥à¤¦à¥‚ धरà¥à¤® छोड़ रहा है। वे तà¥à¤°à¤¨à¥à¤¤ रेल में बैठकर उधर चल दिये; पर जिस गाड़ी में वह बैठे, वह पायल नहीं रà¥à¤•ती थी। इसलिठजैसे ही पायल सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ आया, लेखराम जी गाड़ी से कूद पड़े। उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ बहà¥à¤¤ चोट आयी। जब उस वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ ने पंडित लेखराम जी का यह समरà¥à¤ªà¤£ देखा, तो उसने धरà¥à¤®à¤¤à¥à¤¯à¤¾à¤— का विचार ही तà¥à¤¯à¤¾à¤— दिया।मृतà¥à¤¯à¥ से पूरà¥à¤µ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कारà¥à¤¯à¤•तà¥à¤°à¥à¤¤à¤¾à¤“ं को सनà¥à¤¦à¥‡à¤¶ दिया कि आरà¥à¤¯ समाज में तहरीर (लेखन) और तकरीर (पà¥à¤°à¤µà¤šà¤¨) का काम बनà¥à¤¦ नहीं होना चाहिà¤à¥¤ धरà¥à¤® और सतà¥à¤¯ के लिठबलिदान होने वाले पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ लेखराम ‘आरà¥à¤¯ मà¥à¤¸à¤¾à¤«à¤¿à¤°’ जैसे महापà¥à¤°à¥à¤· मानवता के पà¥à¤°à¤•ाश सà¥à¤¤à¤®à¥à¤ है