Acharya priyamvada vedabharti

Father :
Mrs Pt givindaram Arya Dhyani

घर पर परारमà¤à¤¿à¤• शिकषा के पशचात आपका दस वरष की अवसथा में पाणिनि कनया महाविदयालय वाराणसी में परवेश कराया गया। आपने इस गरकल में पचचीस वरष का सदीरघ काल वयतीत करके वाराणसेय संसकृत-विशवविदयालय से वयाकरणाचारय, तथा वेद-निरकताचारय की परीकषा में सरवोचच अंकों के कारण सरवपरथम सथान वं सवरणपदक परापत किया। पाणिनि कनया महाविदयालय की सनातिका होने के पशचात १२ वरष तक गरकल में सफल अधयापन का कारय à¤à¥€ आपने किया। आचारया परजञादेवी जी आपके वैदषय से परसनन होकर अपने साथ पंजाब, उदयपर, अजमेर, ममबई, बैंगलोर, असम, अरणाचल, बिहार आदि कषेतरोंमें आयोजित संगोषठी, यजञ, उतसव आदि में ले जाती थीं। इन सथानों में वेदपाठ, à¤à¤¾à¤·à¤£, à¤à¤œà¤¨, परवचन, वारतालाप आदि विà¤à¤¿à¤¨à¤¨ कारयकरम कर आपने गरकल का यश:संवरधन किया। ‘पाणिनीय-वयाकरण-वाडमय यजञमीमांसा’ विषयपर शोध करके आपने पी.च.डी. की उपाधि परापत की।
अपने कषेतर की आरय-जनता की परबल इचछा को देखते ह आपने अपने पितृसथान नजीबाबाद में आरष परणाली से कनयाओं को वेद-वेदांगों की शिकषा परदान करने के लि सन १९९६ में गरकल आरषकनया विदयापीठकी सथापना आरयसमाज आदरशनगर में की। पाच वरष तक इस आरय-समाज में चलकर यह गरकल अगसत २००१ से नजीबाबाद से ३ कि.मी. दूर गंग नहर के तट पर निजी à¤à¤µà¤¨ में सथानानतरित हो गया है।
यहा विà¤à¤¿à¤¨à¤¨ परानतों की पचास से अधिक कनया अधययनरत हैं। गरकल के संचालन में इनहें अपनी अनजा पाणिनि-कनया-महाविदयालय, वाराणसी की ही सनातिका शरीमती ऋतमà¤à¤°à¤¾ वयाकरणाचारया म.. का सरवातमना सहयोग परापत हैं।
इसके अतिरिकत वयाकरण, निरकत, यजञ, वेद, वैदिक-सिदधानत तथा सामाजिक समसयाओं पर संसकृत और हिनदी की अनेक सपरतिषठित पतर-पतरिकाओं में आपके लेख परकाशित होते रहते हैं। साथ ही वैदिक धरम के परचारारथयजञ, संगोषठी, उतसव, वेदपरचार-सपताह आदि के कारयकरमों में अपनी अनतेवासिनी छातराओं के साथ समपूरण देश में यथावसर जाकर विदवजजगत वं जनता में वेद तथा ऋषियों की अमृतवासी परचारित, परसारित करने में आप विशेष योगदान कर रही हैं।
पता- आरष कनया-गरकल विदयापीठ,
(निकट-शरवणपर) नजीबाबाद, जि. बिजनौर-२४६à¥à¥¬à¥© (उ.पर.)