Prakritik Krishi Prashikshan Kendr inaugurated

12 Mar 2020
Haryana, India
गरकल करकषेतर

कुरुक्षेत्र, 12 मार्च 2020: किसानों को जैविक खेती और प्राकृतिक खेती के अंतर को समझना होगा, जैविक खेती से किसानों को कोई फायदा होने वाला नहीं है, इसलिए सभी को प्राकृतिक खेती को अपनाना चाहिए और इसका निर्णय हरियाणा सरकार द्वारा भी लिया गया है। उक्त शब्द 12 मार्च  2020 à¤•à¥‹ गुरुकुल कुरुक्षेत्र में प्राकृतिक कृषि पर आयोजित कार्यशाला के उपरान्त पत्रकारों से बातचीत करते हुए गुजरात के राज्यपाल एवं गुरुकुल के संरक्षक आचार्य देवव्रत ने कहे। महामहिम राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल, कृषि मंत्री जयप्रकाश दलाल व जेल मंत्री रणजीत चौटाला के साथ गुरुकुल में ही 2 करोड़ 11 लाख की लागत से बने सुभाष पालेकर प्राकृतिक कृषि प्रशिक्षण केन्द्र का उद्घाटन भी किया तथा इससे पूर्व दीपशिखा प्रज्ज्वलित कर विधिवत रूप से प्राकृतिक कृषि पर आयोजित कार्यशाला का शुभारम्भ किया। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार ने किसानों और देशी गाय पालकों को प्रोत्साहित करने का जो निर्णय लिया है, वह सराहनीय है। देशी गाय के गोबर से प्राकृतिक खेती की जाएगी और इसमें अन्य खादों का प्रयोग नहीं किया जाएगा, क्योंकि देसी गाय के गोबर से जीवाणु पैदा होंगे और इन जीवाणुओं से प्राकृतिक खेती को बल मिलेगा, इससे उत्पादन कम नहीं होगा और किसानो की लागत शून्य हो जाएगी, पानी की 70 प्रतिशत बचत होगी, देशी गाय का संवर्धन होगा, मनुष्य के स्वास्थ्य को भी ठीक रखा जा सकेगा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के किसानों की आय वर्ष 2020 तक दौगुना करने के सपने को भी पूरा किया जा सकेगा। कार्यशाला के उपरान्त सभी मंत्रीगण, विधायकों व प्रशासनिक अधिकारियों ने गुरुकुल के प्राकृतिक कृषि फार्म का दौरा भी किया।

राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि प्राकृतिक खेती की उपज का मार्केट में दो से तीन गुना दाम अधिक मिलता है और इस खेती से पर्यावरण भी सुरक्षित रहता है। हरियाणा देश की राजधानी दिल्ली के निकट होने के कारण भविष्य में कभी भी मार्किटिंग की समस्या भी पैदा नहीं होगी। मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व में प्राकृतिक खेती से किसानों में नई स्फुर्ति पैदा होगी और प्राकृतिक खेती करने का एक माहौल भी तैयार होगा। उन्होने यह भी कहा कि गुजरात में पिछले 7 माह में 1 लाख 25 हजार किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ा जा चुका है और इससे पहले हिमाचल में भी पिछले 4 सालों में लाखों किसानों को प्राकृतिक खेती से जोडने का काम किया जा चुका है। आज लोग प्राकृतिक खेती करने के लिए उत्सुकता से इंतजार कर रहे है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इस महान मिशन को आगे बढ़ाकर किसानों को खुशहाल और समृद्ध बनाने का काम करना है। 

कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि गुरुकुल कुरुक्षेत्र का प्राकृतिक कृषि फार्म पूरी दुनिया के सामने प्राकृतिक कृषि का रोल मॉडल बनकर उभरा है, इसी तर्ज पर अब प्रदेश में प्राकृतिक खेती का माहौल तैयार किया जाएगा। इस माहौल को तैयार करने के लिए प्रदेश के सभी जिलों से 500-500 किसानों को ट्रैनर के रूप में प्रशिक्षित किया जाएगा ताकि यह किसान अपने-अपने जिलों के छोटे और बड़े किसानों को प्राकृतिक खेती के बारे में जागरुक कर सके। अहम पहलू यह है कि राज्य सरकार ने अपने बजट में 1 लाख एकड़ भूमि पर प्राकृतिक खेती का लक्ष्य निर्धारित किया है। इतना ही नहीं सरकार जहां देशी गाय पालकों को प्रोत्साहित करेगी वहीं किसानों की फसलों के लिए 1 हजार एफपीओ भी स्थापित करेगी। 

मुख्यमंत्री ने गुरुकुल के प्रांगण से प्राकृतिक खेती की अलख जगाने के प्रति प्रोत्साहित करने पर गुजरात के राज्यपाल आचार्य डा. देवव्रत का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि बदलते दौर में प्रकृति से खिलवाड़ किया जा रहा है और आज प्रकृति को बचाने की निहायत जरुरत है। इस प्रकृति के संतुलन को बनाए रखने में मनुष्य अपनी अहम भूमिका अदा कर सकता है। इस देश और प्रदेश में लोग उत्पादन को बढ़ाने और जल्दी से उत्पादन लेने के लिए रसायनों व कीटनाशक दवाईयों का अंधाधुंध प्रयोग कर रहा है, जिसके चलते आज देश और प्रदेश के सामने प्रकृति के संतुलन को बनाए रखने, जल संरक्षण, लोगों के स्वास्थ्य को ठीक रखने, किसानों की लागत को कम करके आय को दौगुना करने और उत्पादन को बढ़ाने, लोगों को अच्छी गुणवत्ता की खाद्य सामग्री उपलब्ध करवाने के लिए आज सभी को प्राकृतिक खेती को अपनाने की निहायत जरुरत है। उन्होंने कहा कि सरकार ने इस वर्ष अपने बजट में 1 लाख एकड़ भूमि पर प्राकृतिक कृषि का लक्ष्य निर्धारित किया है, इसके लिए कृषकों को प्रोत्साहित किया जाएगा। लोगों के दिल में से भय निकालने और विश्वास पैदा करने के लिए किसानों को सबसे पहले प्रशिक्षित किया जाएगा। इसके लिए सरकार ने निर्णय लिया है कि जून माह तक प्रत्येक जिले में 500-500 किसानों को प्रशिक्षण देकर ट्रेनर बनाया जाएगा, यह ट्रेनर अपने-अपने क्षेत्र में किसानों को जागरुक करने का काम करेंगे और पूरे प्रदेश में प्राकृतिक खेती का माहौल तैयार करेंगे। उन्होंने कहा कि यह एक सौभाग्य है कि राजा कुरु ने हजारों साल पहले कुरुक्षेत्र की भूमि से हल से खेती करने की परम्परा को शुरु किया और आज सरकार कुरुक्षेत्र की पावन धरा तथा गुरुकुल जैसे शिक्षण संस्थान से प्राकृतिक खेती की अलख जगाने का काम किया है। कार्यशाला को हरियाणा के कृषि मंत्री जे पी दलाल ने भी सम्बोधित किया। वहीं कृषि वैज्ञानिक डॉ. हरिओम, डॉ. बलजीत सहारण व हिमाचल से विशेष रूप से पधारे डॉ. राजेश्वर चंदेल ने प्राकृतिक कृषि को लेकर अपनी-अपनी रिसर्च और अनुभव कार्यशाला में सांझा किये।

इस अवसर पर हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता, बिजली मंत्री रणजीत सिंह चौटाला, खेलमंत्री संदीप सिंह, परिवहन मंत्री मूलचंद शर्मा, विधायक सुभाष सुधा, विधायक लीला राम गुर्जर, विधायक हरविन्द्र कल्याण, विधायक रामकुमार कश्यप, विधायक सीमा त्रिखा, विधायक रामकरण काला, विधायक घनश्याम अरोड़ा, पूर्व विधायक डा. पवन सैनी, हरियाणा कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजीव कौशल, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के महानिदेशक विजय सिंह दहिया, उपायुक्त धीरेन्द्र खडगटा, गुरुकुल के प्रधान कुलवन्त सिंह सैनी, सह प्राचार्य शमशेर सिंह, भाजपा जिलाध्यक्ष धर्मवीर मिर्जापुर, जिला परिषद के चेयरमैन गुरदयाल सुनहेड़ी भी उपस्थित रहे।

 

Nyaya Darshan Pathshaala

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