Vaidik Satsang

19 Feb 2023
India
आरय समाज वसनधरा

बीते दिनों 19 फरवरी, 2023 रविवार को महर्षि दयानन्द सरस्वती जी की दूसरी जन्म शताब्दी के पावन अवसर पर यज्ञ ब्रह्मा आचार्य मायाराम जी ने यज्ञ की महिमा बताते हुए कहा कि वैदिक यज्ञ पर्यावरण की शुद्धि के साथ साथ स्वर्ग की सीढ़ी है, इससे यज्ञ कर्ताओं की सभी कामनाये पूर्ण होती हैं। परोपकारणी सभा अजमेर के मंत्री एवं वानप्रस्थ साधक आश्रम रोजड़ के ट्रस्टी मुनि सत्यजित जी, जिनका सानिध्य पाना बड़े सौभाग्य से ही होता है, ने वैदिक सत्संग में निराकार ब्रह्म की उपासना की विधि  विस्तार से सरल भाषा में समझायी। उन्होंने  बतलाया कि ईश्वर निराकार है साकार नहीं। जो विद्वान लोग उसे साकार की संज्ञा देते हैं वे अपने आप को ही नहीं वरन् अपने अनुयायियों को भी भुलावे में रखते हैं ईश्वर की प्राप्ति निराकार परब्रह्म की उपासना से ही सम्भव है। मुनि जी ने निराकार ब्रह्म की उपासना विधि की विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि उसके सर्वव्यापक होने से कभी भी और कहीं भी उपासना की जा सकती है। वह तो हम सभी के मन मन्दिर में विद्यमान है केवल उसको खोजने की आवश्यकता है। उपासना करने के लिए ब्रह्म की स्तुति और प्रार्थना भी आवश्यक है यह तीनों स्तुति, प्रार्थना और उपासना एक दूसरे के पूरक है इन तीनो का एक साथ होना परम् आवश्यक है। अंत में अनेक उपस्थित यज्ञ प्रेमियों ने अपनी शंका समाधान प्रस्तुत कीं। मुनि जी ने बताया  कि ईश्वर अनादि व अनन्त है। वही सृष्टि का सृजनकर्ता और प्रलयकर्ता है। आयुर्वेद के अनुसार मृत्यु के 101 प्रकार है जिसमें स्वभाविक मृत्यु एक है, शेष 100 प्रकार की मृत्यु अकाल मृत्यु कहलाती है। श्री जितेंद्र भाटिया जी (कोषाध्यक्ष आर्य वीर दल दिल्ली प्रदेश) ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए शांति पाठ कराया।

 

Yajurved Parayan Yajya

Maharishi Dayanand Bodhotsav