Charitra Nirman Shivir

05 Feb 2023
India
जिला आर्य प्रतिनिधि सभा फर्रुखाबाद

महर्षि दयानन्द सरस्वती के सर्वाधिक पदार्पण की भूमि फर्रुखाबाद में प्रवाहित पावन गंगा के तट पर प्रति वर्ष एक माह तक लगने वाले माघ मेले में जिला आर्य प्रतिनिधि सभा फर्रुखाबाद एवं वेद प्रचार मण्डल आर्यावर्त्त के तत्वाधान में वैदिक धर्म के प्रचार-प्रसार हेतु 'वैदिक क्षेत्र चरित्र निर्माण शिविर' का आयोजन किया गया जिसमें आर्य जगत् के प्रसिद्ध सन्यासी, उपदेशक,भजनोपदेशक एवं विभिन्न गुरूकुलों के आचार्यों व ब्रह्मचारियों ने भाग लिया। शिविर के अंतर्गत प्रातःकाल योग शिविर प्रतिदिन हजारों की संख्या में कल्पवासियों ने योगाभ्यास किया। इस अवसर पर यजुर्वेद पारायण यज्ञ में भी प्रतिदिन भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने यज्ञ में आहुतियां डाली व अपने दैनिक जीवन मे यज्ञ को शामिल करने का व्रत लिया। मध्यान्ह की सभा में विद्वानों द्वारा निरन्तर वेदोपदेश को लोगों ने उत्सुकता पूर्वक श्रवण किया। शिविर का शुभारंभ दिनांक 15 जनवरी को भरतीय थल सेना दिवस के अवसर पर सैन्य अधिकारियों द्वारा ध्वजारोहण कर किया गया। कार्यक्रम के आयोजकों द्वारा विभिन्न सामाजिक विषयों पर विविध सम्मेलनों का आयोजन कर कल्पवासियों को महर्षि दयानन्द व आर्य समाज के सिद्धांतों से अवगत कराया गया, जिसके अंतर्गत महिला सम्मेलन, राष्ट्ररक्षा सम्मेलन, वेद सम्मेलन, संस्कृति रक्षा सम्मेलन, युवा सम्मेलन व सन्त सम्मेलन आदि का आयोजन कर सभी क्षेत्रों में शिविर ने अपनी उपलब्धि दर्ज की। इसी क्रम में 22 जनवरी को सम्पूर्ण मेला क्षेत्र में विशाल शोभायात्रा का आयोजन किया गया जिसमें विभिन्न जनपदों के हजारों आर्य प्रतिनिधि व कार्यकर्ताओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज की। अंतिम दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रीय विचारों से ओत प्रोत विराट कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें देश के विख्यात कवियों ने अपनी ओजस्वी वाणी से राष्ट्र आराधन किया। शिविर में प्रतिदिन हजारों कल्पवासियों ने ऋषि लंगर का प्रसाद पाया। हजारों की संख्या में सत्यार्थ प्रकाश व अन्य वैदिक साहित्य का निशुल्क वितरण कर लोगों को वैदिक विचारधारा से जोड़ने का कार्य भी शिविर के माध्यम से किया गया। इसी क्रम में पुरोहित प्रशिक्षण शिविर, संस्कृत सम्भाषण शिविर,आर्यवीर दल शिविर आदि का आयोजन कर समाज के प्रत्येक वर्ग को आर्य समाज के विचारों से जोड़ने का प्रयास किया गया। कार्यक्रम के संयोजक आर्य जगत के तपस्वी विद्वान आचार्य चन्द्रदेव शास्त्री ने कहा कि शिविर का उद्देश्य जन-जन को ऋषि दयानन्द के विचारों से जोड़ना व भूले हुए वैदिक पथ पर फिर से लौटाना है तथा समाज में फैले हुए गुरुडम वाद, सामाजिक कुरीतियों व पाखण्ड से मुक्त कराना है। स्वामी दयानंद ने अपना पहला प्रचार कुम्भ के मेले से प्रारम्भ किया था। आज भी जन-जन तक अपनी बात पहुंचाने का सरलतम माध्यम मेला प्रचार है, आर्य जगत को इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है। इस अवसर पर आर्यजगत के सुविख्यात विद्वानों में प. धनीराम बेधड़क (हरियाणा) आचार्य प्रदीप शास्त्री (फरीदाबाद) ओमवीर आर्य (बुलंदशहर)धर्मवीर आर्य(धौलपुर)हरदेव आर्य (बरेली) शिव नारायण आर्य (मधुबनी बिहार) डॉ अर्चना शास्त्री (धामपुर) वंदना आर्या (मथुरा), कु. माद्री आर्या (कन्या गुरुकुल नजीबाबाद), कु. उदिता आर्या (फर्रुखाबाद) आदि विद्वानों ने अपने उपदेशों के माध्यम से सभी का मार्गदर्शन किया। शिविर में डॉ शिवराम सिंह आर्य, डॉ हरिदत्त द्विवेदी, प्रमोद यादव, हरिओम शास्त्री, संदीप आर्य, प्रदीप आर्य अजीत आर्य, शिशुपाल आर्य आदि पदाधिकारियों का विशेष सहयोग रहा।

 

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