: Khushhal Chand
: Sanyas
: Married
: Dead
: 15-10-1883
: Jalalpur Jatta
: 24-10-1977
: Dehli

Father :

Shree Ganesh Das

Mother :

Mrs Jeevan Devi

 à¤®à¤¹à¤¾à¤¤à¤®à¤¾ आननद सवामी का पूरव आशरम का नाम खशहालचनद था। इनका जनम  à¤ªà¤‚जाब के गजरात जिले के जलालपर जटटां गराम में शरी गणेशदास तथा जीवनदेवी के यहा कारतिक शकला 11 सं. 1940 वि. (15 अकटूबर 1883) को हआ। ये शीघर की आरयसमाज के समपरक में आ गये और महातमा हंसराज के सहयोगी बनकर आरय परादेशिक परतिनिधि सभा में कारय करने लगे। इनहोंने सभा के मखपतर आरय गजट का समपादन किया तथा आरयसमाज दवारा संचालित सारवजनिक हित के कारयकरमों और आनदोलनों में समय-समय पर भाग लिया। हैदराबाद आरय सतयागरह तथा सिंध के सतयारथपरकाश-परतिबंध विरोधी आनदोलन में उनकी परमख भूमिका रही। 1948 में उनहोंने सवामी आतमाननद सरसवती से संनयास धारण किया। ततपशचात à¤µà¥‡ जीवन परयनत देश à¤µà¤¿à¤¦à¥‡à¤¶ à¤®à¥‡à¤‚ धरम परचारारथ निरनतर भरमण करते रहे। 24 अकटूबर 1977 को दिलली में उनका निधन हआ। 

ले. का.-परभ भकति: 1996 वि. (1939)। परभ दरशन, तततवजञान 1953। महामंतर-गायतरी मंतर की विशद वयाखया 1956।

            समय-समय पर विभिनन सथानों पर दि गये उनके उपदेशों à¤µà¤‚ परवचनों की संकलित कर पसतकाकार परकाशित किया गया। से गरनथ है-1. आननद गायतरी कथा 1957। 2. उपनिषदों का संदेश। 3. क ही रासता 1962।  4. मानव जीवन गाथा।  5. भगवान शंकर और दयाननद सं. 2014 वि.। (1967) 6. सखी गृहसथ 1971।  7. सतयनारायण वरत कथा। 8. दो रासते। 1972। 9. यह धन किसका है ? 1971 मा गायतरी (गजराती अनवाद) 1976। 10. भकत और भगवान 1949।  11. बोध कथा। 12. दनियां में रहना किस तरह 1975।  13. मानव और मानवता। 14. परभ मिलन की राह में 1968। 15. घोर घने जंगल में 1963। 16. दो रासते 1972। 17. आननद भगवतकथा-अरथात वैदिक सतयनारायण कथा। 18. जाग मानव-1966। 19. तयागमयी देविया। 20. पयारा ऋषि 1939। 21. मंदिर परवेश (यम नियम विवेचन)। 22. ‘जेल की कहानीशीरषक संसमरण गरनथ आपने हैदराबाद सतयागरह के समय की कारावास यातरा के अनभवों के आधार पर लिखा था। 23. परभ मिलन की राह। 24. मन की बात। महातमा आननद सवामी के निमन गरनथों का गजराती में अनवाद परकाशित हो चका है-

कज मारग (क ही रासता) आननद पथ, तततवजञान, उपनिषदों नो संदेश, शंकर अने दयाननद, सखी गृहसथ-अन, दयाल आरय (1969)।

महातमाजी दवारा लिखित तथा परवचनों के रूप में परसतत उपरयकत पसतकों में से अनेक गरनथों के उरदू, मराठी, गजराती, अगरेंजी à¤¤à¤¥à¤¾ अनय भाषाओं में अनवाद भी ह हैं। महातमाजी की परायः सभी पसतके, क दो को छोड़कर गोविनदराम हासाननद दिलली ने परकाशित की हैं। उनके गरनथों के अंगरेजी अनवादों का विवरण इस परकार है-

 

 

1. क ही रासता-The Only way.

 2. आननद गायतरी कथा-Anand Gayatri Discourses.

वि. अ.-महातमा आननद सवामी का जीवनचरितर -ले. रणवीर


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